हरियाणा के पानीपत जिले के बापौली थाना क्षेत्र के गांव खोजकीपुर में खेत के कमरे में सो रहे युवक पर हथियारों से जानलेवा हमला करके घायल करने के चार दोषियों को कोर्ट ने सजा सुनाई है। सेशन जज सुदेश कुमार शर्मा की कोर्ट ने दोषी साहिल, राहुल और अजय तीनों निवासी गांव खोजकीपुर को 5-5 साल की सजा, साढ़े 13 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना न देने पर 6 माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। 16 माह चली केस की सुनवाई के बाद बुधवार को यह फैसला आया। किसी को बताने पर दी थी जान से मारने की धमकी
7 फरवरी 2023 को बापौली थाना पुलिस को दी शिकायत में नीरज ने बताया था कि वह गांव खोजकीपुर खुर्द का रहने वाला है। 6 फरवरी की रात करीब 9 बजे वह अपने खेतों में पानी चलाने गया था। गेहूं में पानी चलाने के बाद वह खेत में ही बने कमरे में बिछी चारपाई पर सो गया था। रात करीब 12 बजे गांव के रहने वाले अजय, प्रिंस, राहुल, साहिल उसके कमरे में आ घुसे। कमरे में घुसते ही आरोपियों ने कस्सी, रॉड, चाकू, पंच आदि से उस पर सोते हुए पर ही हमला कर दिया। साहिल ने उसकी जेब से 2 हजार रुपए और मोबाइल फोन निकाल लिया। मोबाइल-कैश मिलने के बाद उन्होंने धमकी दी कि अगर वह इस बारे में किसी को बताएगा तो वे उसे जान से मार देंगे। हरियाणा के पानीपत जिले के बापौली थाना क्षेत्र के गांव खोजकीपुर में खेत के कमरे में सो रहे युवक पर हथियारों से जानलेवा हमला करके घायल करने के चार दोषियों को कोर्ट ने सजा सुनाई है। सेशन जज सुदेश कुमार शर्मा की कोर्ट ने दोषी साहिल, राहुल और अजय तीनों निवासी गांव खोजकीपुर को 5-5 साल की सजा, साढ़े 13 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना न देने पर 6 माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। 16 माह चली केस की सुनवाई के बाद बुधवार को यह फैसला आया। किसी को बताने पर दी थी जान से मारने की धमकी
7 फरवरी 2023 को बापौली थाना पुलिस को दी शिकायत में नीरज ने बताया था कि वह गांव खोजकीपुर खुर्द का रहने वाला है। 6 फरवरी की रात करीब 9 बजे वह अपने खेतों में पानी चलाने गया था। गेहूं में पानी चलाने के बाद वह खेत में ही बने कमरे में बिछी चारपाई पर सो गया था। रात करीब 12 बजे गांव के रहने वाले अजय, प्रिंस, राहुल, साहिल उसके कमरे में आ घुसे। कमरे में घुसते ही आरोपियों ने कस्सी, रॉड, चाकू, पंच आदि से उस पर सोते हुए पर ही हमला कर दिया। साहिल ने उसकी जेब से 2 हजार रुपए और मोबाइल फोन निकाल लिया। मोबाइल-कैश मिलने के बाद उन्होंने धमकी दी कि अगर वह इस बारे में किसी को बताएगा तो वे उसे जान से मार देंगे। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा चुनाव में खाप पॉलिटिक्स:निर्दलीय को समर्थन देकर पूर्व CM चौटाला को हराया था, इस बार 4 उम्मीदवार
हरियाणा चुनाव में खाप पॉलिटिक्स:निर्दलीय को समर्थन देकर पूर्व CM चौटाला को हराया था, इस बार 4 उम्मीदवार हरियाणा के विधानसभा चुनाव में खाप पॉलिटिक्स की चर्चा तेज है। इसका कारण खापों के 4 बड़े चेहरे चुनावी मैदान में होना है। खाप पॉलिटिक्स की चर्चा इसलिए भी अहम है कि राज्य में खापों का सामाजिक से लेकर राजनीतिक फैसलों में गहरा नाता रहा है। चाहे बात किसान आंदोलन की हो या फिर खिलाड़ियों के विरोध-प्रदर्शन की। इन दोनों ही घटनाक्रम में खापों ने अहम रोल निभाया था। ऐसे में इस बार खाप से जुड़े बड़े चेहरे चुनावी रण में उतरकर अपना भाग्य आजमा रहे हैं। अहलावत खाप से जुड़ीं सोनू अहलावत को आम आदमी पार्टी (AAP) ने झज्जर की बेरी सीट से टिकट दी है। वहीं, पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के खिलाफ उचाना कलां सीट पर 66 गांवों के प्रतिनिधियों की बैठक के बाद खाप ने आजाद पालवा को उतारा है। इसी तरह बेरी सीट पर ही अहलावत खाप से जुड़े अमित अहलावत भी निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। साथ ही 360 महरौली के प्रमुख गोवर्धन सिंह भी इसी सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। बेरी में कांग्रेस-बीजेपी दोनों के लिए खतरा
बेरी सीट पर कुल वोटर्स की संख्या 1,82,798 है। जाट बाहुल्य इस सीट पर कांग्रेस ने कद्दावर नेता और 6 बार के विधायक रघुबीर कादियान को फिर से चुनाव मैदान में उतारा हैं। वहीं बीजेपी ने संजय कबलाना के रूप में नया चेहरा दिया है। जेजेपी ने इस सीट पर सुनील दुजाना को टिकट दी हैं। तीनों ही नेता जाट हैं। वहीं खाप की तरफ से ताल्लुक रखने वाले अमित अहलावत, आप कैंडिडेट सोनू अहलावत और गोवर्धन सिंह भी जाट ही हैं। यहां बीजेपी और कांग्रेस में सीधा मुकाबला माना जा रहा है, लेकिन खाप उम्मीदवारों के आने से कांग्रेस के लिए कुछ मुश्किल हो सकती है। अब पढ़िए खापों की पॉलिटिक्स हरियाणा में कितनी असरदार है? खाप का इतिहास और उनके विवादित फैसले 2014 में कांग्रेस को दिया था समर्थन
हरियाणा की राजनीति में खाप और डेरे का फैक्टर हमेशा से हावी रहा है। 2014 से पहले डेरे और खाप के समर्थन को एक तरह से जीत की गारंटी माना जाता था, लेकिन 2014 में कई बड़े चेहरों की हार के बाद सवाल भी खड़े होने लगे। उस वक्त खापों ने कांग्रेस का समर्थन किया था, लेकिन राज्य में कांग्रेस की सरकार नहीं बन पाई। इतना ही नहीं उस वक्त गठवाला के चौधरी बलजीत सिंह और खाप से जुड़ीं संतोष दहिया चुनाव हार गईं थीं। हालांकि 2019 के चुनाव में खाप का राज्य में बड़ा असर देखने को मिला। चरखी-दादरी सीट से सांगवान खाप के प्रमुख सोमबीर सांगवान ने बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ा और भाजपा उम्मीदवार दंगल गर्ल बबीता फोगाट को हरा दिया था। जून महीने में हुए लोकसभा चुनाव में भी खाप का असर देखने को मिला। 2019 में राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटें जीतने वाली बीजेपी इस बार 5 सीटों पर आकर सिमट गई। बीजेपी की पांच सीटों पर हुई हार के पीछे भी खाप फैक्टर को ही माना गया। क्योंकि खापों ने बीजेपी उम्मीदवारों को हराने का लोकसभा चुनाव में ऐलान किया था। हरियाणा में ज्यादातर खापें जाट समाज से जुड़े हुई हैं और जाटों की बीजेपी से पहले ही नाराजगी बनी हुई थी। कई बार सरकारें भी घुटने टेकने को मजबूर हुईं
जातीय गोलबंदी की तरह काम करने वाली खापों का सियासी रसूख हरियाणा में बड़ा रहा है। कई बार इनके फैसलों के आगे सरकारें तक झुकने को मजबूर हुईं। हालांकि साल 2014 के बाद हरियाणा में खापों का असर कमजोर होने की बातें भी होती रही हैं, लेकिन हकीकत ये है कि आज भी खापों के निर्णय को राज्य के कुछ इलाकों में अंतिम निर्णय माना जाता हैं। खाप के समर्थन से दांगी ने चौटाला को हरा दिया था
वर्ष 1989 की बात है। केंद्र में वीपी सिंह के प्रधानमंत्री बनने के बाद देवीलाल को उपप्रधानमंत्री बनाया गया। उस वक्त देवीलाल हरियाणा के मुख्यमंत्री थे और रोहतक की महम सीट से विधायक थे। सीएम की कुर्सी छोड़ने से पहले देवीलाल महम चौबीसी खाप के समर्थन से ना केवल चुनाव लड़ते बल्कि जीतते भी आए थे। देवीलाल के दिल्ली में शिफ्ट होने के बाद प्रदेश की सिसायत की कमान उनके बेटे ओमप्रकाश चौटाला के हाथ में आई। उस समय ओमप्रकाश चौटाला राज्यसभा सांसद थे। CM बने रहने के लिए 6 महीने के भीतर उन्हें विधायक बनना था। देवीवाल के इस्तीफा देने के बाद महम सीट पर उपचुनाव हुआ। ओमप्रकाश चौटाला चुनाव लड़े, लेकिन तब खाप ने चौटाला के खिलाफ चुनाव में उतरे आनंद सिंह दांगी को समर्थन दे दिया। जिसके बाद कई बार हिंसा के चलते उपचुनाव संपन्न नहीं हो पाया। आखिर में ओपी चौटाला ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया। बाद में फिर से इस सीट पर चुनाव कराया गया। चौटाला दोबारा चुनाव लड़े, लेकिन खाप के समर्थन से आनंद सिंह दांगी ने चौटाला को हरा दिया। खाप पंचायत के इस फैसले की चर्चा आज भी हरियाणा ही नहीं, बल्कि देशभर में होती है। खिलाड़ियों के मामले में खापों की एंट्री के बाद एक्शन में आई सरकार
पिछले साल 2023 में हरियाणा के नामी पहलवान बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट, साक्षी मलिक ने भारतीय कुश्ती संग (WFI) के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण का आरोप लगाते हुए दिल्ली में प्रदर्शन किया था। 2023 में अप्रैल महीने में जब दोबारा से खिलाड़ी बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धरने पर बैठे तो खाप पंचायतों ने भी खिलाड़ियों का समर्थन कर दिया था। जंतर-मंतर पर हुई खापों की पंचायत में केंद्र सरकार को 9 जून तक प्रदर्शनकारी खिलाड़ियों से बातचीत करने का अल्टीमेटम दिया था। इसका असर ये हुआ है कि अल्टीमेटम से एक सप्ताह पहले ही प्रदर्शन कर रहे खिलाड़ियों के पास गृहमंत्री से बातचीत का बुलावा आ गया था। अब पढ़िए खाप क्या है… एक गोत्र या बिरादरी के सदस्यों का समूह
कनाडा में प्रोफेसर रहे एमसी प्रधान ‘द जर्नल ऑफ एशियन स्टडीज’ किताब के पेज नंबर 664 में खाप के बारे में बताते हैं। ‘खाप’ एक गोत्र या जाति बिरादरी के सदस्यों का समूह होता है। इनमें एक क्षेत्र या कुछ गांव के उस जाति से जुड़े लोग शामिल होते हैं। उस जाति के बुजुर्ग और दबंग लोग इन खाप का नेतृत्व करते हैं। इन खापों के प्रधान एक परिवार या वंश के ही लोग होते हैं। जो शख्स इस समय किसी खाप का प्रधान है आने वाले समय में उसका बेटा उस खाप का प्रधान बनता है। जब किसी मुद्दे पर सार्वजनिक फैसला लेने के लिए किसी खाप के प्रधान सभा बुलाते हैं तो इसे खाप पंचायत कहते हैं। खाप प्रधान को चुनने के लिए कोई तय स्ट्रक्चर या नियम नहीं होते हैं। कई बार खाप प्रधान के पद पर एक ही परिवार या वंश के दो या ज्यादा लोग भी दावा करते हैं। करीब 600 साल पहले शुरुआत, कई दस्तावेजों में जिक्र
पंजाब यूनिवर्सिटी की सीनियर रिसर्चर रितिका ठाकुर के मुताबिक खाप की शुरुआत 14वीं सदी के दौरान हुई थी। इसके अलावा कानूनी कागजों में खाप शब्द का प्रयोग पहली बार 1890-91 में जोधपुर की जनगणना रिपोर्ट में किया गया था, जो धर्म और जाति पर आधारित थी। कुछ एक्सपर्ट मानते हैं कि ‘खाप’ शब्द संभवतः ‘शक’ भाषा के खतप से लिया गया है, जिसका अर्थ है एक विशेष कबीले द्वारा बसा हुआ क्षेत्र। सबसे पहले खाप का नाम क्या था, ये हमारे रिसर्च में पता नहीं चला। हालांकि कुछ रिसर्च पेपर में इसका जिक्र है कि पहली खाप से 84 गांवों के लोग जुड़े थे। 1950 में पश्चिमी UP के मुजफ्फरनगर जिले के सोरेम में हुई खाप पंचायत का जिक्र कई रिसर्च पेपर में मिलता है। आजादी के बाद हुई इस सर्वखाप पंचायत के प्रधान बीनरा निवास गांव के चौधरी जवान सिंह गुर्जर थे। इस खाप पंचायत में पुनियाला गांव के ठाकुर यशपाल सिंह उपप्रधान थे, जबकि सोरेम गांव के चौधरी काबुल सिंह इसके मंत्री थे। जिन तीन लोगों के नेतृत्व में इस पंचायत का आयोजन हुआ उनमें चौधरी काबुल सिंह एकमात्र जाट थे। हालांकि पिछले कुछ सालों में जाटों का दबदबा खाप पंचायतों में बढ़ा है, इसीलिए कई बार खाप पंचायतों को सीधे जाटों से जोड़ दिया जाता है। खाप पंचायतों के 4 विवादित फैसले… 1. रेप रोकने के लिए 15 साल की उम्र में शादी कर दी जाए
जुलाई 2010 में हरियाणा की सर्वखाप जाट पंचायत ने कहा कि लड़कियों की शादी के लिए उनके बालिग होने का इंतजार नहीं करना है। उनकी शादी अब 15 साल में ही कर देनी है। रेप की घटनाओं में हो रही बढ़ोतरी पर अंकुश लगाने के लिए यह आदेश जारी किया गया था। 2. लड़कियों को जींस पहनने से मना किया
अगस्त 2014 में मुजफ्फरनगर के सोरम गांव में हुई एक खाप पंचायत ने लड़कियों के जींस पहनने, उनके फोन और इंटरनेट यूज करने पर बैन लगाया था। कुछ लड़कियों के घर से भागने के बाद समाधान के रूप में यह ऐलान किया गया था। 3. भाई की सजा बहनों को दे दी
अगस्त 2015 में बागपत में एक खाप पंचायत ने दो बहनों के साथ रेप करने और उन्हें निर्वस्त्र करके गांव में घुमाने का आदेश जारी किया था। उन्हें उनके भाई के अपराध की सजा दी जानी थी। उनका भाई एक ऊंची जाति की महिला के साथ भाग गया था। खाप पंचायत के इस आदेश के बाद ब्रिटिश संसद तक में मांग उठी कि आरोपी की 23 और 15 साल की बहनों को सुरक्षा दी जाए। 4. परंपराओं में हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं
फरवरी 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने खाप से जुड़े एक मामले में कहा था कि दो रजामंद वयस्कों को अपनी मर्जी से शादी करने का अधिकार है। खाप पंचायत किसी वयस्क को अंतरजातीय विवाह करने से रोक नहीं सकती। इससे नाराज होकर नरेश टिकैत ने कहा- अगर हमारी परंपराओं में हस्तक्षेप किया गया तो उसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। अगर इस तरह के आदेश पारित होते हैं तो हम न तो लड़कियां पैदा करेंगे और न ही लड़कियों को पैदा होने देंगे। हरियाणा में 120 से ज्यादा खापें
हरियाणा में जाट बड़ा वोट बैंक हैं। जाटों की आबादी 25% से अधिक है। जाट बाहुल्य राज्य होने से खाप भी इसकी पहचान से जुड़ी हुई हैं। प्रदेश में वर्तमान में 120 से ज्यादा खापें हैं। जिनमें सर्वखाप, महम चौबीसी, फोगाट खाप, सांगवान खाप, श्योराण, धनखड़, सतगामा, हवेली, मलिक, जाखड़, हुड्डा, कंडेला, बिनैन, गठवाला मलिक आदि प्रमुख हैं। कंडेला खाप के प्रमुख धर्मपाल कंडेला हैं तो वहीं सातबास खाप के बलवान सिंह मलिक। खाप पॉलिटिक्स में फोगाट खाप के प्रमुख बलवंत नंबरदार, सांगवान खाप के सोमवीर सांगवान भी बड़ा चेहरा हैं।
हरियाणा में 3 बच्चों के पिता को चाकू से गोदा:गांव के ही युवकों ने सीने और पीठ पर वार किए; रंजिश में की वारदात
हरियाणा में 3 बच्चों के पिता को चाकू से गोदा:गांव के ही युवकों ने सीने और पीठ पर वार किए; रंजिश में की वारदात पानीपत के समालखा क्षेत्र के गांव चुलकाना में सोमवार देर रात एक व्यक्ति की चाकू मारकर हत्या कर दी गई। परिजनों का आरोप है कि गांव के ही युवकों ने पीठ और सीने में चाकू मारे हैं, जिससे व्यक्ति की मौत हुई है। हालांकि, चाकू मारने के बाद व्यक्ति को अस्पताल ले जाया गया था, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया था। वारदात को अंजाम देकर आरोपी भी फरार हो गए। वहीं, घटना के बाद सूचना पाकर पहुंची पुलिस ने शव को पानीपत की मॉर्च्युरी में रखवाया, जहां आज उसका पोस्टमॉर्टम करवाया जाएगा। 3 बच्चों का पिता था मृतक
समालखा थाना पुलिस को दी शिकायत में प्रवीण कुमार ने बताया है कि वह गांव चुलकाना का रहने वाला है। मृतक लालचंद उर्फ धोला उसके ताऊ का लड़का था। वह दीवाना गांव स्थित पालीवाल फैक्ट्री में काम करता था। वह शादीशुदा था और 3 बच्चों का पिता था। उसकी 2 लड़कियां और 1 लड़का है। 18 नवंबर की सुबह लालचंद गांव के अंशु और शुभम के साथ फैक्ट्री में काम करने गया था। शाम करीब 7:30 से 8 बजे के करीब वह अपने दोनों साथियों अंशु और शुभम के साथ काम से लौट रहा था। जब ये तीनों किवाना मोड़ से GA कॉलेज के पास पहुंचे तो वहां लालचंद पर हमला हुआ। गांव के बाहर पीठ और सीने पर चाकू मारे
प्रवीण का कहना है कि लालचंद पर सोनू उर्फ धान, सन्नी उर्फ जींद और उनके अन्य साथियों ने हमला किया था। ये सभी गांव से पहले ही रास्ते में लालचंद को पकड़ने के लिए खड़े थे। जैसे ही लालचंद पहुंचा तो उसे पकड़कर उसकी पीठ और सीने पर कई चाकू मारे। हमले की सूचना मिलने पर परिजन मौके पर पहुंचे तो देखा कि लालचंद को गहरी चोटें लगी थीं। बहुत खून बह रहा था। इसलिए, उसे अस्पताल ले गए। वहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। परिजनों का कहना है कि आरोपियों ने लालचंद की हत्या पुरानी रंजिश के चलते की है। आरोपियों को तलाश कर रही पुलिस
समालखा के DSP कादियान ने बताया कि परिजनों की शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर लिया गया है। अभी आरोपी फरार हैं। उन्हें पकड़ने के लिए छापे मारे जा रहे हैं। जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
हरियाणा में 500 क्रेच खोलने का टारगेट:32 करोड़ रुपए की मंजूरी मिली; ग्रामीण क्षेत्रों में खोले जाएंगे, खट्टर ने की थी घोषणा
हरियाणा में 500 क्रेच खोलने का टारगेट:32 करोड़ रुपए की मंजूरी मिली; ग्रामीण क्षेत्रों में खोले जाएंगे, खट्टर ने की थी घोषणा हरियाणा सरकार ने नए साल 2025 में 500 क्रेच सेंटर खोलने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए 32.15 करोड़ रुपए के बजट की भी व्यवस्था कर ली गई है। सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग ने फर्स्ट फेज में 15 जिलों में 165 क्रेच सेंटर खोल दिए हैं। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इसके लिए एक स्टेट लेवल क्रेच पॉलिसी शुरू की है। जो वर्किंग महिलाओं के लिए को प्राथमिकता देगी। पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर ने ने 21 में कामकाजी महिलाओं के बच्चों के लिए 500 नए क्रेच खोलने की घोषणा की थी। इसके बाद अब सीएम सैनी पूर्व सीएम की घोषणा को अमली जामा पहना रहे हैं। सीएम के निर्देश पर महिला एवं बाल विकास विभाग ने आधुनिक सुविधाओं से युक्त गुणवत्तापूर्ण क्रेच स्थापित करने के लिए मोबाइल क्रेच संगठन के साथ समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर किए हैं। हरियाणा क्रेच नीति लागू करने वाला भारत का पहला राज्य बना है। महिला एवं बाल विकास विभाग ने 21 जुलाई 2023 को हरियाणा राज्य क्रेच नीति लागू करके अधिसूचना जारी कर चुका है। क्रेच पॉलिसी के तहत ये हो चुके सुधार हरियाणा सरकार क्रेच वर्कर के लिए 15000 रुपए और असिस्टेंट के लिए 7500 रुपए का मासिक मानदेय दे रही है। हरियाणा वित्त विभाग से अनुमोदित बजट के अनुसार 2024 से 26 के दौरान 500 क्रेच स्थापित करना है। इस पहल की कुल लागत वित्त वर्ष 2023- 24 के लिए 5735.00 लाख रुपए, इस साल 2024-25 के लिए 3215.00 लाख रुपए और वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 3235.00 लाख रुपए अनुमानित है। यह क्रेच शहर के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में खोले जाएंगे। 8 से 10 घंटे बच्चे को क्रेच में रख सकेंगे हरियाणा में प्री-सर्विस प्रशिक्षण फिर से शुरू हो गए हैं। जो सरकार के साथ समझौता ज्ञापन के अनुसार, 500 क्रेच चालू करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। महिला और बाल विकास विभाग के सहयोग से 201 आंगनबाड़ी सह क्रेच कार्यकर्ता को प्री सर्विस प्रशिक्षण के 6 बैचों में प्रशिक्षित दिया जा रहा है। जबकि 26 मध्य-स्तरीय कार्यकर्ताओं को विशेष प्रशिक्षण दिया जा चुका है। क्रेच का समय 8 से 10 घंटे तक बदला गया, जिससे कामकाजी माता-पिता को अधिक सहायता मिलेगी। यह है क्रेच पॉलिसी हरियाणा में सभी बच्चों (8 वर्ष से कम आयु के) को निशुल्क, व्यापक, सार्वभौमिक, समावेशी और गुणवत्तापूर्ण क्रेच प्रावधानों तक पहुंच प्राप्त होगी। ताकि उनका सर्वांगीण विकास हो सके। क्रेच पॉलिसी का उद्देश्य चाइल्ड केयर सेवाओं को लोगों तक पहुंचाना है। 3 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए क्रेच और 3 से 6 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए मिड-डे केयर सुविधाएं, जिसमें स्कूल के बाद के कार्यक्रम के माध्यम से प्री स्कूल या आंगनबाड़ी केंद्रों में जाने वाले बच्चे भी शामिल हैं।