हरियाणा के पानीपत जिले में तीन यूट्यूबरों के खिलाफ ब्लैकमेलिंग, सरकारी काम में बाधा डालने और वसूली करने की आरोपों के तहत केस दर्ज किया गया है। मामला गांव बापौली में चल रहे सरकारी काम में धमकी देकर रुपए मांगने का है। जिसकी शिकायत गांव के सरपंच ने पुलिस को दी है। पुलिस ने शिकायत के आधार पर तीनों के खिलाफ बीएनस की धारा 221, 308(2), 351(2), 3(5) के तहत केस दर्ज कर आगामी जांच-पड़ताल शुरू कर दी है। आरोप है कि आरोपियों ने पैसे की डिमांड पूरी न करने पर ठेकेदार के मुंशी को धमकी देकर अमृत सरोवर योजना के तहत चलने वाले काम को बंद करा दिया। ठेकेदार के मुंशी से मांगे रुपए बापौली की महिला सरपंच डिम्पल ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि गांव में अमृत सरोवर योजना के तहत तालाब खुदाई का टेंडर हो रखा है। तालाब ओवरफ्लो होने की वजह से गांव की गलियों में जल जमाव हो जाता है। ऐसे में आने जाने में लोगों को परेशानी होती है। पंचायत के द्वारा ठेकेदार को बोलकर गुरुवार को नाले से पानी निकलवाया जा रहा था। दोपहर करीब 12 बजे तीन लोग ठेकेदार के मुंशी के पास पहुंचे और 50 हजार रुपए की मांग करने लगे। इसके बाद आरोपियों ने पैसे न देने पर धमकी देते हुए काम को बंद करा दिया। आरोपियों ने अपने नाम बलराज बापौली, उमेश त्यागी सनौली और नरेंद्र जांगड़ा है। महिला सरपंच ने पुलिस से तीनों आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर कार्रवाई की मांग की। हरियाणा के पानीपत जिले में तीन यूट्यूबरों के खिलाफ ब्लैकमेलिंग, सरकारी काम में बाधा डालने और वसूली करने की आरोपों के तहत केस दर्ज किया गया है। मामला गांव बापौली में चल रहे सरकारी काम में धमकी देकर रुपए मांगने का है। जिसकी शिकायत गांव के सरपंच ने पुलिस को दी है। पुलिस ने शिकायत के आधार पर तीनों के खिलाफ बीएनस की धारा 221, 308(2), 351(2), 3(5) के तहत केस दर्ज कर आगामी जांच-पड़ताल शुरू कर दी है। आरोप है कि आरोपियों ने पैसे की डिमांड पूरी न करने पर ठेकेदार के मुंशी को धमकी देकर अमृत सरोवर योजना के तहत चलने वाले काम को बंद करा दिया। ठेकेदार के मुंशी से मांगे रुपए बापौली की महिला सरपंच डिम्पल ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि गांव में अमृत सरोवर योजना के तहत तालाब खुदाई का टेंडर हो रखा है। तालाब ओवरफ्लो होने की वजह से गांव की गलियों में जल जमाव हो जाता है। ऐसे में आने जाने में लोगों को परेशानी होती है। पंचायत के द्वारा ठेकेदार को बोलकर गुरुवार को नाले से पानी निकलवाया जा रहा था। दोपहर करीब 12 बजे तीन लोग ठेकेदार के मुंशी के पास पहुंचे और 50 हजार रुपए की मांग करने लगे। इसके बाद आरोपियों ने पैसे न देने पर धमकी देते हुए काम को बंद करा दिया। आरोपियों ने अपने नाम बलराज बापौली, उमेश त्यागी सनौली और नरेंद्र जांगड़ा है। महिला सरपंच ने पुलिस से तीनों आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर कार्रवाई की मांग की। हरियाणा | दैनिक भास्कर
Related Posts
नारनौल में स्कूल संचालक का अपहरण:1.62 लाख रुपए ट्रांसफर करवाए, रास्ते से पकड़ा, जंगल में छोड़कर भागे
नारनौल में स्कूल संचालक का अपहरण:1.62 लाख रुपए ट्रांसफर करवाए, रास्ते से पकड़ा, जंगल में छोड़कर भागे नारनौल में सदर थाना के अंतर्गत आने वाले बापडोली गांव के पास बने एक प्राइवेट स्कूल के संचालक का अपहरण कर उसके साथ मारपीट कर उसके फोन पे से जबरदस्ती पैसे डलवाने का मामला सामने आया है। इस बारे में पीड़ित ने पुलिस में शिकायत दी है। शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस को दी गई शिकायत में शहर के मोहल्ला कायस्थवाड़ा निवासी राकेश कुमार ने बताया कि उसने बापडोली गांव की सीमा के पास चाणक्य पब्लिक स्कूल के नाम से एक स्कूल चलाता है। पिछले दिन वह स्कूल की छुट्टी करके अपनी स्कूटी पर बैठकर घर नारनौल आ रहा था। जब वह बाबा जोधदास मंदिर मेहरमपुर के पास पहुंचा तो कच्चे रास्ते में एक सफेद रंग की कार खड़ी थी। जिसके नंबरों पर मिट्टी लगी हुई थी। उस कार में से 3 लड़के बाहर आए और उन्होंने स्कूटी रुकवा ली। इसके बाद उन्होंने उसको नीचे गिरा दिया। बाद में उसको उठाकर जबरदस्ती कार में डाल लिया। जिसमें चालक सहित दो व्यक्ति थे। कुल 5 व्यक्तियों ने उसका अपहरण कर गाड़ी में डालकर नीचे पैरों के पास बैठा लिया और मुंह पर कपड़ा ढक दिया। 1 लाख 62 हजार रुपए फोन पे से ट्रांसफर
इसके बाद भी उसको लेकर चल दिए। रास्ते में चलते-चलते वह मोबाइल पर किसी से बात कर रहे थे और कह रहे थे कि इसको अड्डे पर ले चलो। उन्होंने उसकी जेब से 15 हजार रुपए निकाल लिए। इसके बाद एक पहाड़ी के पास ले जाकर कार से उतार लिया। वहां एक व्यक्ति मिला। सभी ने उसको एक पहाड़ी पर बैठा दिया। एक ने उसका मोबाइल ले लिया और कहा कि 50 लाख रुपए दे दो। मैंने कहा कि उसके पास नहीं है। तब उन्होंने कहा कि किसी से 25 लाख रुपए मंगवा कर दे दो। इस पर उसने अपने दोस्त संजय वर्मा को फोन किया तथा 25 लाख रुपए लेने की बात कही, लेकिन वर्मा ने कहा कि उसके पास पैसे नहीं हैं। इस पर उन लड़कों ने उसके मोबाइल से फोन पे निकाल कर दो बार 50- 50 हजार रुपए ट्रांसफर करवा लिए। इसके बाद दूसरा फोन पे के दूसरे खाते से 62,000 ट्रांसफर कर लिए। इस प्रकार उन्होंने कुल 1 लाख 62000 फोन पे से ट्रांसफर कर लिए। बाद में उन्होंने मोबाइल की सिम तोड़ दी। गाड़ी में बैठकर चले गए और जंगल में अकेला छोड़ दिया। उसको किसी ने बताया कि यह बुडिंन गांव है। जहां से उसने फोन लेकर अपने दोस्त को बुलवाया।
विनेश फोगाट आज लौटेंगी:भारत आने से पहले कहा- मेरे अंदर लड़ाई-कुश्ती हमेशा रहेगी, रातभर वजन कम करने की कोशिश की
विनेश फोगाट आज लौटेंगी:भारत आने से पहले कहा- मेरे अंदर लड़ाई-कुश्ती हमेशा रहेगी, रातभर वजन कम करने की कोशिश की पेरिस ओलिंपिक में कुश्ती के फाइनल मुकाबले से पहले 100 ग्राम वजन ज्यादा होने पर डिसक्वालीफाई हुईं विनेश फोगाट आज भारत लौटेंगी। दिल्ली एयरपोर्ट पर काफी संख्या में लोग विनेश का स्वागत करने के लिए पहुंचेंगे। इसके अलावा दिल्ली एयरपोर्ट से उनके पैतृक गांव बलाली (चरखी दादरी जिला) तक करीब 125 किलोमीटर के रास्ते में जगह-जगह स्वागत होगा। गांव के खेल स्टेडियम में भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया है। इससे पहले विनेश फोगाट ने पेरिस ओलिंपिक से अयोग्य होने के बाद पहली प्रतिक्रिया दी। उन्होंने 3 पेज का लेटर लिखा। विनेश ने कहा, ‘जो पेरिस में हुआ अगर वो न होता तो मैं ओलिंपिक 2032 तक खेलती, क्योंकि मेरे अंदर लड़ने की भावना और कुश्ती हमेशा रहेगी। मुझे नहीं पता कि भविष्य क्या है और मेरे लिए सफर में आगे क्या होगा, लेकिन एक बात पक्की है कि मैं हमेशा उस बात के लिए लड़ती रहूंगी, जो मुझे सही लगती है।’ उन्होंने कहा, ‘कहने को काफी कुछ है, लेकिन शब्द कभी पर्याप्त नहीं होंगे। हो सकता है कि जब समय सही हो मैं इस पर दोबारा बात करूं।’ ‘मैंने रातभर वजन कम करने की कोशिश की। करीब साढ़े पांच घंटे तक कड़ी मेहनत की, लेकिन अपने वजन को अपनी वेट कैटेगरी 50 kg पर नहीं ला सकी।’ मेरा भाग्य भी साथ नहीं था। ये हमेशा मिसिंग रहेगा।’ 7 पॉइंट्स में विनेश की बातें… पिता का सपना पूरा किया
जब मैं छोटी थी, तब मुझे ओलिंपिक्स के बारे में जानकारी नहीं थी। मैं भी हर छोटी बच्ची की तरह लंबे बाल रखना चाहती थी। फोन को हाथ में लेकर घूमना चाहती थी। मेरे पिता एक सामान्य बस ड्राइवर थे। वे अपनी बेटी को हवाई जहाज में उड़ते हुए देखना चाहते थे। मैंने अपने पिता का सपना पूरा कर दिया। जब भी वे मुझसे इसका जिक्र करते हैं तो मैं हंस देती हूं।’ पति सोमवीर ने हर कदम पर दिया साथ
तमाम मुश्किलों के बावजूद मेरे परिवार ने भगवान पर भरोसा रखा। हमें यह यकीन है कि जो भगवान ने हमारे लिए सोचा होगा, वह अच्छा ही सोचा होगा। मेरी मां हमेशा कहती हैं कि भगवान कभी अच्छे लोगों के जीवन में बुरी चीजें नहीं आने देते हैं। मुझे इस बात पर तब और ज्यादा यकीन हो गया, जब मैं अपने पति सोमवीर के साथ जीवन के रास्ते पर आगे बढ़ी। सोमवीर ने मेरा हर सफर में साथ दिया है।’ मुझे पता था कि सोमवीर मेरे साथ खड़ा है
सोमवीर, जो कि मेरे पति, जीवनसाथी और जीवन भर के लिए सबसे अच्छे दोस्त हैं। यह कहना कि जब हमने किसी चुनौती का सामना किया, तो हम बराबर के भागीदार थे, गलत होगा, क्योंकि उन्होंने हर कदम पर बलिदान दिया और मेरी कठिनाइयों को उठाया, हमेशा मेरी रक्षा की। उन्होंने मेरी यात्रा को अपने सफर से ऊपर रखा और अत्यंत निष्ठा, समर्पण और ईमानदारी के साथ अपना सहयोग प्रदान किया। यदि वह नहीं होता, तो मैं यहां रहने, अपनी लड़ाई जारी रखने और प्रत्येक दिन का सामना करने की कल्पना नहीं कर सकती थी। यह केवल इसलिए संभव है, क्योंकि मैं जानती हूं कि वह मेरे साथ खड़ा है, मेरे पीछे है और जरूरत पड़ने पर मेरे सामने खड़ा है और हमेशा मेरी रक्षा कर रहा है। मां चाहती थी कि उसके सभी बच्चे खुश रहें
मेरी मां जो अपने जीवन की कठिनाइयों पर एक पूरी कहानी लिख सकती थीं, उन्होंने केवल यह सपना देखा था कि उनके सभी बच्चे एक दिन उनसे बेहतर जीवन जिएंगे। स्वतंत्र होना और उनके बच्चों का अपने पैरों पर खड़ा होना उनके लिए एक सपना था। उनकी इच्छाएं और सपने मेरे पिता से कहीं अधिक सरल थे। लेकिन मेरे पिता हमें छोड़कर चले गए और मैं बस उनके विचार और प्लेन में उड़ान भरने की यादों के साथ रही। मैं तब उनके अर्थ को लेकर असमंजस में थी, लेकिन फिर भी उस सपने को अपने पास रखा। मां ने हक के लिए लड़ना सिखाया
मेरी मां का सपना अब और दूर हो गया था, क्योंकि मेरे पिता की मृत्यु के कुछ महीने बाद उन्हें स्टेज तीन कैंसर का पता चला था। यहां तीन बच्चों की यात्रा शुरू हुई, जो अपनी अकेली मां का समर्थन करने के लिए अपना बचपन खो देते हैं। जल्द ही मेरे लंबे बाल, मोबाइल फोन के सपने धूमिल हो गए, क्योंकि मैंने जीवन की वास्तविकता का सामना किया और अस्तित्व की दौड़ में शामिल हो गई। लेकिन संघर्ष ने मुझे काफी कुछ सिखाया। मेरी मां का संघर्ष, कभी हार ना मानने का व्यवहार और लड़ने की क्षमता, जैसी मैं आज हूं। उन्होंने मुझे उस चीज के लिए लड़ना सिखाया, जो मेरा हक है। जब मैं साहस के बारे में सोचती हूं तो उनके बारे में सोचती हूं और यही साहस है जो मुझे परिणाम के बारे में सोचे बिना हर लड़ाई लड़ने में मदद करता है। पिछले 2 साल में मेरे साथ काफी कुछ हुआ
मेरी यात्रा ने मुझे बहुत सारे लोगों से मिलने का मौका दिया है, जिनमें से ज्यादातर अच्छे और कुछ बुरे निकले। पिछले डेढ़-दो साल में, मैट के अंदर और बाहर बहुत कुछ हुआ है। मेरी जिंदगी ने कई मोड़ लिए और ऐसा लगा जैसे उससे बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है, लेकिन मेरे आस-पास के जो लोग थे, उनमें ईमानदारी थी, मेरे प्रति सद्भावना थी और व्यापक समर्थन था। ये लोग और मुझ पर उनका विश्वास इतना मजबूत था कि मैं आगे बढ़ी और पिछले 2 वर्षों से इन चुनौतियों से निपट सकी। विनेश ने सपोर्ट स्टॉफ और डॉ. पारदीवाला का आभार
मैट पर मेरी यात्रा के दौरान पिछले 2 साल से मेरे सपोर्ट स्टॉफ ने बड़ा योगदान दिया है। डॉ. दिनशॉ पारदीवाला भारतीय खेलों में नया नाम नहीं है। मेरे लिए और मुझे लगता है कि कई अन्य भारतीय एथलीटों के लिए, वे सिर्फ एक डॉक्टर नहीं है, बल्कि भगवान द्वारा भेजे गए एक देवदूत हैं। जब चोटों का सामना करने के बाद मैंने खुद पर विश्वास करना बंद कर दिया था, तो यह उनका विश्वास, काम और मुझ पर भरोसा ही था, जिसने मुझे फिर से अपने पैरों पर खड़ा कर दिया। अपने काम और भारतीय खेलों के प्रति उनका समर्पण और ईमानदारी ऐसी चीज है, जिस पर भगवान को भी संदेह नहीं होगा। मैं उनके और उनकी पूरी टीम के काम और समर्पण के लिए हमेशा आभारी हूं। उनका पेरिस में होना सभी एथलीट के लिए उपहार है। सरकार भी सिल्वर मेडलिस्ट के बराबर मान-सम्मान देगी
पेरिस ओलिंपिक में भले ही विनेश फोगाट मेडल से वंचित रह गई हो, लेकिन प्रदेश सरकार ने उन्हें सिल्वर मेडलिस्ट के बराबर सुविधाएं व धनराशि देने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री नायब सैनी ने पिछले दिनों X (सोशल मीडिया) पर लिखा था, ‘हमारी बहादुर बेटी विनेश फोगाट ने जबरदस्त प्रदर्शन कर पेरिस ओलिंपिक के फाइनल में प्रवेश किया था। किन्हीं कारणों से बेशक वह फाइनल न खेल पाई हो, लेकिन वह हमारे लिए चैंपियन है। हमारी सरकार ने फैसला किया है कि विनेश का स्वागत एक मेडलिस्ट की तरह किया जाएगा। हरियाणा सरकार जो सिल्वर मेडल जीतने वाले खिलाड़ी को सम्मान देती है, वह विनेश फोगाट को दिया जाएगा। हमें आप पर गर्व है विनेश।’ बलाली से इन पहलवानों ने दिलाई अंतरराष्ट्रीय पहचान
बलाली गांव चरखी दादरी जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर है। इस गांव की पहलवानों ने इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशेष पहचान दिलाई है। रेसलर विनेश फोगाट के अलावा गीता, बबीता, संगीता, रीतू फोगाट और नेहा सांगवान ने पहलवानी में अनेक मेडल अपने नाम किए हैं। विनेश फोगाट मामले में अब तक क्या हुआ, सिलसिलेवार ढंग से पढ़ें… 1. ओलिंपिक के फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला रेसलर विनेश फोगाट ने 50 किग्रा वेट कैटेगरी में मंगलवार को 3 मैच खेले। प्री-क्वार्टर फाइनल में उन्होंने टोक्यो ओलिंपिक की चैंपियन यूई सुसाकी को हरा दिया। क्वार्टर फाइनल में उन्होंने यूक्रेन और सेमीफाइनल में क्यूबा की रेसलर को पटखनी दी। विनेश फाइनल में पहुंचने वालीं पहली ही भारतीय महिला रेसलर बनीं थीं। सेमीफाइनल तक 3 मैच खेलने के बाद उन्हें प्रोटीन और एनर्जी के लिए खाना खिलाया गया, जिससे उनका वजन 52.700 किग्रा तक बढ़ गया। 2. विनेश का वजन 2.7 किलो ज्यादा था भारतीय ओलिंपिक टीम के डॉक्टर डॉक्टर दिनशॉ पारदीवाला के मुताबिक विनेश का वेट वापस 50KG पर लाने के लिए टीम के पास सिर्फ 12 घंटे थे। विनेश पूरी रात नहीं सोईं और वजन को तय कैटेगरी में लाने के लिए जॉगिंग, स्किपिंग और साइकिलिंग जैसी एक्सरसाइज करती रहीं। विनेश ने अपने बाल और नाखून तक काट दिए थे। उनके कपड़े भी छोटे कर दिए गए थे। 3. वजन घटाने को सिर्फ 15 मिनट मिले, 100 ग्राम ज्यादा था बुधवार सुबह दोबारा से विनेश के वजन की जांच की गई। इसके बाद नियमानुसार सिर्फ 15 मिनट मिले, लेकिन इतने कम समय में विनेश का वजन घटाकर 50KG तक नहीं लाया जा सका। लास्ट में जब वेट किया गया तो विनेश का वजन तय सीमा से 100 ग्राम अधिक निकला। ओलिंपिक कमेटी के फैसले के बाद विनेश की तबीयत बिगड़ गई। उन्हें अस्पताल भर्ती करवाया। 4. डिस्क्वालिफिकेशन के खिलाफ अपील भी की विनेश ने संन्यास के ऐलान से पहले बुधवार रात अपने डिस्क्वालिफिकेशन के खिलाफ अपील दायर की है। उन्होंने कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स से मांग की कि उन्हें संयुक्त रूप से सिल्वर मेडल दिया जाए। विनेश ने पहले फाइनल खेलने की मांग भी की थी। फिर उन्होंने अपील बदली और अब संयुक्त रूप से सिल्वर दिए जाने की मांग की। 5. विनेश ने लिया संन्यास, सोशल मीडिया पर डाली पोस्ट विनेश ने गुरुवार सुबह कुश्ती से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया। उन्होंने गुरुवार सुबह 5.17 बजे सोशल मीडिया (X) पर इसका ऐलान किया। विनेश ने 5 लाइनों की पोस्ट में लिखा- “मां कुश्ती मेरे से जीत गई, मैं हार गई। माफ करना आपका सपना, मेरी हिम्मत सब टूट चुके। इससे ज्यादा ताकत नहीं रही अब। अलविदा कुश्ती 2001-2024, आप सबकी हमेशा ऋणी रहूंगी। …माफी।” 6. 14 अगस्त को अपील खारिज हुई 14 अगस्त को कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स ने विनेश फोगाट की याचिका खारिज कर दी थी। विनेश फोगाट ने याचिका लगाकर सिल्वर मेडल की मांग की थी।
पानीपत में हाइड्रा ने बुजुर्ग को कुचला:अस्पताल में तोड़ा दम, चाय पीकर टहलने निकला था; ड्राइवर फरार
पानीपत में हाइड्रा ने बुजुर्ग को कुचला:अस्पताल में तोड़ा दम, चाय पीकर टहलने निकला था; ड्राइवर फरार हरियाणा के पानीपत शहर के एमजेआर चौक पर हाइड्रा ड्राइवर ने एक बुजुर्ग को कुचल दिया। जिससे बुजुर्ग की मौत हो गई। हादसे के बाद आरोपी हाइड्रा ड्राइवर को मौके पर ही पकड़ लिया गया। बुजुर्ग के बेटे ने मामले की शिकायत पुलिस से की है। पुलिस ने शिकायत के आधार पर आरोपी के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज कर लिया है। पोते ने पिता को बताई दुर्घटना की जानकारी चांदनीबाग थाने में दी शिकायत में जोगिंदर सिंह ने बताया कि वह गांव लालगढ़ी, जिला एटा, यूपी के मूल निवासी हैं। फिलहाल वह सेक्टर 24, पानीपत में किराए पर रहते हैं। उनके साथ उनके चाचा श्याम सिंह (80) भी रहते थे। 24 दिसंबर की दोपहर वह चाय पीकर घर से निकले थे। जोगिंदर घर के लिए राशन लेने नांगलखेड़ी गए थे। इसी दौरान उनके बेटे बीर सिंह ने उन्हें फोन करके बताया कि दादा श्याम सिंह का एमजेआर चौक पर एक्सीडेंट हो गया है। सूचना मिलने पर वह तुरंत मौके पर पहुंचे। वहां पहुंचकर देखा तो मौके पर एक हाइड्रा खड़ी थी। जिससे उनके चाचा का एक्सीडेंट हो गया था। मौके से गुजर रहे राहगीरों द्वारा उनके चाचा को उपचार के लिए सिविल अस्पताल पहुंचाया गया। जब वह मौके से सिविल अस्पताल पहुंचे तो वहां डॉक्टरों ने उनके चाचा को मृत घोषित कर दिया।