पानी की कमी से कोटा बूंदी क्षेत्र के 400 गांवों के किसान प्रभावित, दी आंदोलन की चेतावनी

पानी की कमी से कोटा बूंदी क्षेत्र के 400 गांवों के किसान प्रभावित, दी आंदोलन की चेतावनी

<p style=”text-align: justify;”><strong>Kota Farmer News:</strong> कोटा बूंदी क्षेत्र के हजारों किसानों की लाखों बीघा कृषि भूमि इस समय पानी को तरस रही है. मंगलवार को किसानों ने धरना देकर प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि 1 जुलाई तक पानी नहरों में नहीं दिया तो आर पार की लड़ाई होगी, उग्र प्रदर्शन होगा और इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी. किसान नेता गिर्राज गौतम ने बताया कि लाखों हैक्टेयर भूमि किसानों की पानी के अभाव में सूखी पड़ी है, जबकी कोटा बैराज सहित अन्य बांधों में पानी भरपूर मात्रा में है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बरसात के बाद यह बांध वापस भर जाते हैं, लेकिन प्रशासन किसानों को पानी को तरसा देता है और जब बरसात होती है तब नहरों में पानी का प्रवाह छोडा जाता है जो किसी काम का नहीं रहता. किसानों ने दो टूक कहा कि पानी नहीं आया तो आंदोलन उग्र होगा चाहे डेम के गेट खोलने पड़े हम इस बार पानी लेकर रहेंगे, यह हमारा हक है, हम किसी से भीख नहीं मांग रहे हैं, खेतों के लिए पानी मांग रहे हैं.<br />&nbsp;<br /><strong>सरकार को दो पहले अवगत करा दिया था</strong><br />किसान नेता गिर्राज गौतम ने कहा कि सरकार से हम लगातार दो माह से मांग कर रहे हैं कि खरीफ की फसल के लिए उन्हें नहरी पानी की आवश्यकता पडेगी, पहले भी फसले खेतों में खड़ी थी और पानी नहीं दिया था और फसले चौपट होने के कगार पर आ गई थी, उन्होंने कहा कि धान और सोयाबीन के लिए नहरी पानी की आवश्यकता है. लेकिन प्रशासन की ओर से कोई पहल नहीं हुई.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>100 गांव के किसान पहुंचे प्रशासन के पास&nbsp;</strong><br />गौतम ने कहा कि करोडो रुपए का डीजल जल जाता है, बिजली तंत्र फेल हो चुका है. उन्होंने हाथ खडे कर दिए. वहीं किसान लाखों का डीजल कहां से लाएगा और पानी का जल स्तर भी नीचे चला जाएगा. प्रशासन को चाहिए की बांध भरे पड़े हैं उसका पानी नहरों में छोड़ा ताकी किसानों को लाभ हो, पशु भी पल सके और जल स्तर भी बढे, कुछ समय बाद जब बरसात होगी तो वापस से बांध भर जाएंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>400 गांव के किसान प्रभावित</strong><br />उन्होंने कहा कि हाडौती संभाग के कोटा बूंदी क्षेत्र में ही 400 गांव के किसान प्रभावित हो रहे हैं, दो लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचित किया जाता है. करीब 400 से 500 करोड़ का चक्र किसी ना किसी रूप से चलता है जिसमें व्यापारी और अन्य लोग शामिल हैं. उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि नहरों में 1 जुलाई से पानी नहीं छोड़ा गया तो इसका खामियाजा किसान को भुगतना पडेगा साथ कि प्रशासन को भी भुगतना पडेगा.</p>
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<p style=”text-align: justify;”>बरसात के बाद यह बांध वापस भर जाते हैं, लेकिन प्रशासन किसानों को पानी को तरसा देता है और जब बरसात होती है तब नहरों में पानी का प्रवाह छोडा जाता है जो किसी काम का नहीं रहता. किसानों ने दो टूक कहा कि पानी नहीं आया तो आंदोलन उग्र होगा चाहे डेम के गेट खोलने पड़े हम इस बार पानी लेकर रहेंगे, यह हमारा हक है, हम किसी से भीख नहीं मांग रहे हैं, खेतों के लिए पानी मांग रहे हैं.<br />&nbsp;<br /><strong>सरकार को दो पहले अवगत करा दिया था</strong><br />किसान नेता गिर्राज गौतम ने कहा कि सरकार से हम लगातार दो माह से मांग कर रहे हैं कि खरीफ की फसल के लिए उन्हें नहरी पानी की आवश्यकता पडेगी, पहले भी फसले खेतों में खड़ी थी और पानी नहीं दिया था और फसले चौपट होने के कगार पर आ गई थी, उन्होंने कहा कि धान और सोयाबीन के लिए नहरी पानी की आवश्यकता है. लेकिन प्रशासन की ओर से कोई पहल नहीं हुई.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>100 गांव के किसान पहुंचे प्रशासन के पास&nbsp;</strong><br />गौतम ने कहा कि करोडो रुपए का डीजल जल जाता है, बिजली तंत्र फेल हो चुका है. उन्होंने हाथ खडे कर दिए. वहीं किसान लाखों का डीजल कहां से लाएगा और पानी का जल स्तर भी नीचे चला जाएगा. प्रशासन को चाहिए की बांध भरे पड़े हैं उसका पानी नहरों में छोड़ा ताकी किसानों को लाभ हो, पशु भी पल सके और जल स्तर भी बढे, कुछ समय बाद जब बरसात होगी तो वापस से बांध भर जाएंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>400 गांव के किसान प्रभावित</strong><br />उन्होंने कहा कि हाडौती संभाग के कोटा बूंदी क्षेत्र में ही 400 गांव के किसान प्रभावित हो रहे हैं, दो लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचित किया जाता है. करीब 400 से 500 करोड़ का चक्र किसी ना किसी रूप से चलता है जिसमें व्यापारी और अन्य लोग शामिल हैं. उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि नहरों में 1 जुलाई से पानी नहीं छोड़ा गया तो इसका खामियाजा किसान को भुगतना पडेगा साथ कि प्रशासन को भी भुगतना पडेगा.</p>
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