पिता को मुखाग्नि देने वाली 4 साल की मासूम अनजान:बोली- पापा आएंगे तब साथ खेलूंगी; मां बोली- IVF से मिली बेटी ही मेरी आखिरी निशानी

पिता को मुखाग्नि देने वाली 4 साल की मासूम अनजान:बोली- पापा आएंगे तब साथ खेलूंगी; मां बोली- IVF से मिली बेटी ही मेरी आखिरी निशानी

मेरठ में 4 साल की मासूम मोहा ने अपने 74 साल के पिता देवेंद्र त्यागी को मुखाग्नि दी है। पिता की मौत से अनजान बच्ची रोजाना की तरह सामान्य है। वो घर में खेल रही है। रिश्तेदारों को अपने खिलौने दिखाती है, कभी डांस करके पोयम सुनाती है। कभी मां मधु त्यागी को दुलारती है। कोई पूछता है मोहा पापा कहां हैं? तो कहती है कि बैंक गली (घर के पास के मार्केट) गए हैं। मासूम की हंसी देखकर मधु भी पति को खोने का गम भुलाने की कोशिश में लगी हैं। कहती हैं कि पहले ही अपने जवान बेटा, बेटी को खो चुकी हूं। उम्र के आखिरी पड़ाव पर हमसफर का साथ भी छूट गया। अब IVF से मिली ये बेटी ही मेरे जीने का मकसद, मेरे जीने का सहारा है। मेरे पति की निशानी के नाम पर बस यही बच्ची है। दैनिक भास्कर परिवार से मिलने उनके घर पहुंचा तो डीके त्यागी की पत्नी मधु ने 60 साल की उम्र में टेस्ट ट्यूब बेबी को जन्म देने के फैसले की पूरी कहानी बताई….पढ़िए सबसे पहले अब तक हुई घटना पर एक नजर
शास्त्रीनगर के सेक्टर-4 में रहने वाले 74 साल के डीके त्यागी सेल्स टैक्स विभाग से रिटायर थे। पिछले 2 महीने से वो गंभीर बीमार थे। रीढ़ की हड्‌डी में परेशानी थी। इसलिए बेडरेस्ट पर थे। रविवार को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। घर पर 65 साल की पत्नी मधु त्यागी और 4 साल की बच्ची मोहा रह गए। मोहा मधु और डीके त्यागी की टेस्ट ट्यूब बेटी है। जो 4 साल पहले कोरोना टाइम में हुई। क्योंकि डीके त्यागी की अपनी बेटी और बेटा दोनों की 6 साल पहले महीनेभर में मौत हो गई। बेटा, बेटी दोनों की शादी हो चुकी थी, दोनों के बच्चे भी थे। लेकिन, दोनों की मौत के बाद दामाद, बहू ने मिलकर शादी कर ली। बुजुर्ग सास-ससुर को ठुकरा कर दोनों लोग अपने बच्चों के साथ अलग रहने लगे। डीके त्यागी से रिश्ता खत्म कर दिया। बेटा-बेटी की मौत, फिर नाती, पोतों के भी अलग होने का दुख त्यागी दंपती सह नहीं पाया। उम्र के इस पड़ाव में मधु त्यागी (60) और डीके त्यागी (65) ने बच्चा करने का फैसला लिया। डॉक्टरों की सलाह पर मधु ने टेस्ट ट्यूब बेबी से एक बेटी को जन्म दिया। इसके सहारे दोनों का जीवन चल रहा था। इसी बेटी ने रविवार को पिता डीके त्यागी का अंतिम संस्कार किया, क्योंकि डीके त्यागी की पहले से इच्छा थी कि उनकी चिता को अग्नि बेटी मोहा ही देगी। मासूम बोली- पापा आएंगे तब साथ खेलूंगी
शास्त्रीनगर गोलमंदिर के पास डीके त्यागी का घर है। भास्कर रिपोर्टर शालू अग्रवाल उनके घर पहुंचीं तो कमरे में कुछ महिलाएं बैठी थीं। इनके बीच पत्नी मधु त्यागी सोफे पर बैठी थी। उनके साथ बेटी मोहा खेल रही थी। मोहा कभी मां को गालों, माथे पर चूमती। कभी खिलौनों से खेलती तो कभी डांस करके दिखाती। कभी कहती कि पापा आएंगे तब मैं खेलूंगी। बच्ची से पूछा- पापा कहां है तो बोली कि बैंक कॉलोनी गए हैं। जहां डीके त्यागी रोजाना घूमने जाते। बच्ची को अहसास नहीं कि उसने एक दिन पहले अपने पिता को गंवाया है। वो रोजाना की तरह खुश है और सबका मन बहलाकर उछल-कूद कर रही है। पति ने कहा था- यही बच्ची अंतिम संस्कार करेगी
डीके त्यागी की पत्नी मधु त्यागी से पूछा कि आगे का जीवन कैसे चलेगा? अब आप क्या सोचती हैं? मधु ने कहा- मेरे लिए ये बच्ची ही सबकुछ है। इसी के लिए जीना है। यही मेरा सहारा है। मैं इसका सहारा हूं। मेरे पति चाहते थे कि उनका अंतिम संस्कार हमारी बेटी ही करेगी। वो खुद कहकर गए थे। इसलिए हमने इसी से क्रियाकर्म कराया। हालांकि मेरा दामाद, बहू पति की डेथ की बात सुनकर मिलने आए थे। लेकिन, पति की इच्छा थी तो हमने बेटी से अंतिम संस्कार कराया। बेटा-बेटी की फोटो देखकर रोते-रोते पति की रोशनी चली गई
उम्र के इस पड़ाव पर IVF से बच्चा करने का फैसला और इतना बड़ा रिस्क लेने का कैसे सोचा? इस सवाल पर मधु बहुत स्पष्ट जवाब देती हैं। वो कहती हैं- मेरी जवान बेटी, बेटा एक महीने के अंदर गुजर गए। बहू, दामाद ने नाती, पोते लेकर साथ छोड़ दिया। हमारे पास जीने को कुछ नहीं बचा। सारे दिन हम दोनों पति-पत्नी बेटा, बेटी की फोटो देखकर रोते रहते थे। हम इतना रोए कि मेरे पति की आंखें खराब हो गईं। उनकी आंखों की रोशनी चली गईं। तब मेरे भाई राजीव, भाभी ने हमसे कहा कि जिंदगी जीने का एक सहारा बनाओ। तब हमने बच्चा करने का फैसला लिया। उम्र ज्यादा थी इसलिए टेस्ट ट्यूब कराना पड़ा
मधु कहती हैं- हम दोनों पति-पत्नी की उम्र बहुत ज्यादा हो चुकी थी। मेरे पति मुझसे 10 साल बड़े हैं। जब हमने तय कर लिया कि बच्चा करेंगे, ताकि हमें भी कोई सहारा मिल जाए। तब हम डॉक्टर के पास गए। डॉक्टर ने नॉर्मली प्रेग्नेंसी और बच्चा होने की बात से साफ इनकार कर दिया। फिर हमने बच्चा गोद लेने का सोचा, लेकिन वो संभव नहीं हो पाया। पहले तो डॉक्टर ने भी इलाज से इनकार कर दिया
मधु कहती हैं- मुझे कोई शर्म या छिपाव नहीं कि मैंने इस उम्र में बच्चा किया। हमें टेस्ट ट्यूब से बेबी हुई। क्योंकि गम में रहकर रोकर, बीमार होने से या मर-मरकर जिंदगी जीने से बेहतर है कि हम आज खुशी से जिंदा हैं। IVF ने हमें नया जीवन दिया है। फिर हमने डॉक्टर को दिखाया। डॉक्टर ने हमारी उम्र देखकर पहले मना कर दिया कि कोई चांस ही नहीं बच्चा हो जाएगा। लेकिन, जब हमने अपनी सारी दर्दभरी कहानी डॉक्टर को बताई तो उन्हें भी लगा कि ये कदम हम दो जिंदगियों को नया जीवन देने के लिए उठा रहे हैं। तब डॉक्टर हमारे इलाज को तैयार हुईं। दो बार फेल हुआ IVF
मधु कहती हैं- IVF कराना भी हमारे लिए बहुत आसान नहीं था। दो बार मेरा फेल हुआ। हम दोनों टूट चुके थे कि शायद हमारे नसीब में सुख नहीं है। हमें ऐसे ही जीना होगा। उस दिन हम दोनों डॉक्टर के सामने बहुत रोए। लेकिन, हमारी डॉक्टर ने हमें भरोसा दिलाया। उसने कहा कि हम उसके यहां आए हैं तो अब वो हमें बच्चा देकर ही घर भेजेगी। इसके बाद उन्होंने दोबारा हमारा इलाज शुरू किया। तीसरी बार में हमें सफलता मिली और ये बेटी मोहा हुई। लड़का या लड़की से हमें मतलब नहीं था। हमें सिर्फ एक बच्चा चाहिए था। इसलिए हमने इस पर ध्यान नहींं दिया कि बेटा हो। बेटी का जन्म हुआ तो हमें मिला नया जीवन
मधु कहती हैं- जब हम ट्रीटमेंट ले रहे थे तब कोरोना चल रहा था। लेकिन, मैंने हिम्मत नहीं हारी। रोजाना के इंजेक्शन, सर्जरी, ढेरों दवाएं सब खुशी से झेला। सारे कष्ट उठाए। क्योंकि मुझे पता था कि जब बेबी आएगा तो ये सारे दुख दूर हो जाएंगे। कोरोना टाइम में मेरा ऑपरेशन हुआ और बच्ची हमें भगवान से मिली। उस दिन हम दोनों इतने खुश थे कि मैं बता नहीं सकती। लगा हमें नया जीवन मिल गया। अब यही बच्ची जीने का सहारा
मधु कहती हैं- अब 4 साल हो गए। हम इस बच्ची में अपने सारे गम, दुख पुरानी बातें भूल चुके हैं। बच्ची की बातें, इसको देखकर हम दोनों खुश रहते। हमारी सारी प्रॉपर्टी, पैसा सब कुछ इसी के नाम है। अगर हम न भी रहें तो ये अच्छे से रह सके। मोहा 4th क्लास में दीवान स्कूल में पढ़ती है। सुबह से इसे तैयार करना, स्कूल भेजना, होमवर्क कराना, खिलाने आदि में दिन कट जाता है। जब तक जिंदगी है इसी के सहारे जिंदा हूं। समाज से लड़कर अपने लिए फैसला लें
मधु कहती हैं- मैं वाकई लोगों से कहूंगी, अगर आप सक्षम हैं, बच्चे का खर्चा उठा सकते हैं और बिल्कुल अकेले हैं, अपने बच्चों ने ठुकरा दिया है या बच्चे नहीं हैं तो टेस्ट ट्यूब से बच्चा करके अपने जीवन को खुश बनाएं। क्योंकि जो चला गया, उस पर आंसू बहाने से कुछ नहीं मिलता। मुझे, मेरे पति को लोगों ने बहुत कुछ कहा। हमने किसी की नहीं सुनी। हमें पता था कि ये सब हमारे शरीर और समाज दोनों के हिसाब से बहुत मुश्किल होगा। इसके बावजूद हमने हिम्मत दिखाई और ये फैसला लिया था। इस फैसले ने हमें नया जीवन दिया है। मधु की सहेलियां, रिश्तेदार, पड़ोसी, भाई, भाभी भी उनके इस कदम में साथ हैं। ये भी पढ़ें:- मेरठ में 70 की उम्र में IVF से बेटी, उसी ने दी मुखाग्नि मेरठ में 4 साल की मासूम ने अपने 74 साल के पिता को मुखाग्नि दी। यह देख वहां मौजूद सभी लोगों की आंखें नम हो गईं। बच्ची पूछती रही कि पापा को क्या हो गया? पापा कहां चले गए? इसका जवाब किसी के पास नहीं था। कोई भी बच्ची को सच बताने की हिम्मत नहीं जुटा सका। पढ़ें पूरी खबर… मेरठ में 4 साल की मासूम मोहा ने अपने 74 साल के पिता देवेंद्र त्यागी को मुखाग्नि दी है। पिता की मौत से अनजान बच्ची रोजाना की तरह सामान्य है। वो घर में खेल रही है। रिश्तेदारों को अपने खिलौने दिखाती है, कभी डांस करके पोयम सुनाती है। कभी मां मधु त्यागी को दुलारती है। कोई पूछता है मोहा पापा कहां हैं? तो कहती है कि बैंक गली (घर के पास के मार्केट) गए हैं। मासूम की हंसी देखकर मधु भी पति को खोने का गम भुलाने की कोशिश में लगी हैं। कहती हैं कि पहले ही अपने जवान बेटा, बेटी को खो चुकी हूं। उम्र के आखिरी पड़ाव पर हमसफर का साथ भी छूट गया। अब IVF से मिली ये बेटी ही मेरे जीने का मकसद, मेरे जीने का सहारा है। मेरे पति की निशानी के नाम पर बस यही बच्ची है। दैनिक भास्कर परिवार से मिलने उनके घर पहुंचा तो डीके त्यागी की पत्नी मधु ने 60 साल की उम्र में टेस्ट ट्यूब बेबी को जन्म देने के फैसले की पूरी कहानी बताई….पढ़िए सबसे पहले अब तक हुई घटना पर एक नजर
शास्त्रीनगर के सेक्टर-4 में रहने वाले 74 साल के डीके त्यागी सेल्स टैक्स विभाग से रिटायर थे। पिछले 2 महीने से वो गंभीर बीमार थे। रीढ़ की हड्‌डी में परेशानी थी। इसलिए बेडरेस्ट पर थे। रविवार को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। घर पर 65 साल की पत्नी मधु त्यागी और 4 साल की बच्ची मोहा रह गए। मोहा मधु और डीके त्यागी की टेस्ट ट्यूब बेटी है। जो 4 साल पहले कोरोना टाइम में हुई। क्योंकि डीके त्यागी की अपनी बेटी और बेटा दोनों की 6 साल पहले महीनेभर में मौत हो गई। बेटा, बेटी दोनों की शादी हो चुकी थी, दोनों के बच्चे भी थे। लेकिन, दोनों की मौत के बाद दामाद, बहू ने मिलकर शादी कर ली। बुजुर्ग सास-ससुर को ठुकरा कर दोनों लोग अपने बच्चों के साथ अलग रहने लगे। डीके त्यागी से रिश्ता खत्म कर दिया। बेटा-बेटी की मौत, फिर नाती, पोतों के भी अलग होने का दुख त्यागी दंपती सह नहीं पाया। उम्र के इस पड़ाव में मधु त्यागी (60) और डीके त्यागी (65) ने बच्चा करने का फैसला लिया। डॉक्टरों की सलाह पर मधु ने टेस्ट ट्यूब बेबी से एक बेटी को जन्म दिया। इसके सहारे दोनों का जीवन चल रहा था। इसी बेटी ने रविवार को पिता डीके त्यागी का अंतिम संस्कार किया, क्योंकि डीके त्यागी की पहले से इच्छा थी कि उनकी चिता को अग्नि बेटी मोहा ही देगी। मासूम बोली- पापा आएंगे तब साथ खेलूंगी
शास्त्रीनगर गोलमंदिर के पास डीके त्यागी का घर है। भास्कर रिपोर्टर शालू अग्रवाल उनके घर पहुंचीं तो कमरे में कुछ महिलाएं बैठी थीं। इनके बीच पत्नी मधु त्यागी सोफे पर बैठी थी। उनके साथ बेटी मोहा खेल रही थी। मोहा कभी मां को गालों, माथे पर चूमती। कभी खिलौनों से खेलती तो कभी डांस करके दिखाती। कभी कहती कि पापा आएंगे तब मैं खेलूंगी। बच्ची से पूछा- पापा कहां है तो बोली कि बैंक कॉलोनी गए हैं। जहां डीके त्यागी रोजाना घूमने जाते। बच्ची को अहसास नहीं कि उसने एक दिन पहले अपने पिता को गंवाया है। वो रोजाना की तरह खुश है और सबका मन बहलाकर उछल-कूद कर रही है। पति ने कहा था- यही बच्ची अंतिम संस्कार करेगी
डीके त्यागी की पत्नी मधु त्यागी से पूछा कि आगे का जीवन कैसे चलेगा? अब आप क्या सोचती हैं? मधु ने कहा- मेरे लिए ये बच्ची ही सबकुछ है। इसी के लिए जीना है। यही मेरा सहारा है। मैं इसका सहारा हूं। मेरे पति चाहते थे कि उनका अंतिम संस्कार हमारी बेटी ही करेगी। वो खुद कहकर गए थे। इसलिए हमने इसी से क्रियाकर्म कराया। हालांकि मेरा दामाद, बहू पति की डेथ की बात सुनकर मिलने आए थे। लेकिन, पति की इच्छा थी तो हमने बेटी से अंतिम संस्कार कराया। बेटा-बेटी की फोटो देखकर रोते-रोते पति की रोशनी चली गई
उम्र के इस पड़ाव पर IVF से बच्चा करने का फैसला और इतना बड़ा रिस्क लेने का कैसे सोचा? इस सवाल पर मधु बहुत स्पष्ट जवाब देती हैं। वो कहती हैं- मेरी जवान बेटी, बेटा एक महीने के अंदर गुजर गए। बहू, दामाद ने नाती, पोते लेकर साथ छोड़ दिया। हमारे पास जीने को कुछ नहीं बचा। सारे दिन हम दोनों पति-पत्नी बेटा, बेटी की फोटो देखकर रोते रहते थे। हम इतना रोए कि मेरे पति की आंखें खराब हो गईं। उनकी आंखों की रोशनी चली गईं। तब मेरे भाई राजीव, भाभी ने हमसे कहा कि जिंदगी जीने का एक सहारा बनाओ। तब हमने बच्चा करने का फैसला लिया। उम्र ज्यादा थी इसलिए टेस्ट ट्यूब कराना पड़ा
मधु कहती हैं- हम दोनों पति-पत्नी की उम्र बहुत ज्यादा हो चुकी थी। मेरे पति मुझसे 10 साल बड़े हैं। जब हमने तय कर लिया कि बच्चा करेंगे, ताकि हमें भी कोई सहारा मिल जाए। तब हम डॉक्टर के पास गए। डॉक्टर ने नॉर्मली प्रेग्नेंसी और बच्चा होने की बात से साफ इनकार कर दिया। फिर हमने बच्चा गोद लेने का सोचा, लेकिन वो संभव नहीं हो पाया। पहले तो डॉक्टर ने भी इलाज से इनकार कर दिया
मधु कहती हैं- मुझे कोई शर्म या छिपाव नहीं कि मैंने इस उम्र में बच्चा किया। हमें टेस्ट ट्यूब से बेबी हुई। क्योंकि गम में रहकर रोकर, बीमार होने से या मर-मरकर जिंदगी जीने से बेहतर है कि हम आज खुशी से जिंदा हैं। IVF ने हमें नया जीवन दिया है। फिर हमने डॉक्टर को दिखाया। डॉक्टर ने हमारी उम्र देखकर पहले मना कर दिया कि कोई चांस ही नहीं बच्चा हो जाएगा। लेकिन, जब हमने अपनी सारी दर्दभरी कहानी डॉक्टर को बताई तो उन्हें भी लगा कि ये कदम हम दो जिंदगियों को नया जीवन देने के लिए उठा रहे हैं। तब डॉक्टर हमारे इलाज को तैयार हुईं। दो बार फेल हुआ IVF
मधु कहती हैं- IVF कराना भी हमारे लिए बहुत आसान नहीं था। दो बार मेरा फेल हुआ। हम दोनों टूट चुके थे कि शायद हमारे नसीब में सुख नहीं है। हमें ऐसे ही जीना होगा। उस दिन हम दोनों डॉक्टर के सामने बहुत रोए। लेकिन, हमारी डॉक्टर ने हमें भरोसा दिलाया। उसने कहा कि हम उसके यहां आए हैं तो अब वो हमें बच्चा देकर ही घर भेजेगी। इसके बाद उन्होंने दोबारा हमारा इलाज शुरू किया। तीसरी बार में हमें सफलता मिली और ये बेटी मोहा हुई। लड़का या लड़की से हमें मतलब नहीं था। हमें सिर्फ एक बच्चा चाहिए था। इसलिए हमने इस पर ध्यान नहींं दिया कि बेटा हो। बेटी का जन्म हुआ तो हमें मिला नया जीवन
मधु कहती हैं- जब हम ट्रीटमेंट ले रहे थे तब कोरोना चल रहा था। लेकिन, मैंने हिम्मत नहीं हारी। रोजाना के इंजेक्शन, सर्जरी, ढेरों दवाएं सब खुशी से झेला। सारे कष्ट उठाए। क्योंकि मुझे पता था कि जब बेबी आएगा तो ये सारे दुख दूर हो जाएंगे। कोरोना टाइम में मेरा ऑपरेशन हुआ और बच्ची हमें भगवान से मिली। उस दिन हम दोनों इतने खुश थे कि मैं बता नहीं सकती। लगा हमें नया जीवन मिल गया। अब यही बच्ची जीने का सहारा
मधु कहती हैं- अब 4 साल हो गए। हम इस बच्ची में अपने सारे गम, दुख पुरानी बातें भूल चुके हैं। बच्ची की बातें, इसको देखकर हम दोनों खुश रहते। हमारी सारी प्रॉपर्टी, पैसा सब कुछ इसी के नाम है। अगर हम न भी रहें तो ये अच्छे से रह सके। मोहा 4th क्लास में दीवान स्कूल में पढ़ती है। सुबह से इसे तैयार करना, स्कूल भेजना, होमवर्क कराना, खिलाने आदि में दिन कट जाता है। जब तक जिंदगी है इसी के सहारे जिंदा हूं। समाज से लड़कर अपने लिए फैसला लें
मधु कहती हैं- मैं वाकई लोगों से कहूंगी, अगर आप सक्षम हैं, बच्चे का खर्चा उठा सकते हैं और बिल्कुल अकेले हैं, अपने बच्चों ने ठुकरा दिया है या बच्चे नहीं हैं तो टेस्ट ट्यूब से बच्चा करके अपने जीवन को खुश बनाएं। क्योंकि जो चला गया, उस पर आंसू बहाने से कुछ नहीं मिलता। मुझे, मेरे पति को लोगों ने बहुत कुछ कहा। हमने किसी की नहीं सुनी। हमें पता था कि ये सब हमारे शरीर और समाज दोनों के हिसाब से बहुत मुश्किल होगा। इसके बावजूद हमने हिम्मत दिखाई और ये फैसला लिया था। इस फैसले ने हमें नया जीवन दिया है। मधु की सहेलियां, रिश्तेदार, पड़ोसी, भाई, भाभी भी उनके इस कदम में साथ हैं। ये भी पढ़ें:- मेरठ में 70 की उम्र में IVF से बेटी, उसी ने दी मुखाग्नि मेरठ में 4 साल की मासूम ने अपने 74 साल के पिता को मुखाग्नि दी। यह देख वहां मौजूद सभी लोगों की आंखें नम हो गईं। बच्ची पूछती रही कि पापा को क्या हो गया? पापा कहां चले गए? इसका जवाब किसी के पास नहीं था। कोई भी बच्ची को सच बताने की हिम्मत नहीं जुटा सका। पढ़ें पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर