‘अगर तुम जुर्म कबूल नहीं करोगे तो तुम्हें गोली मार दूंगा। कह दूंगा पिस्टल छीनकर भाग रहा था, इसलिए एनकाउंटर कर दिया। तुम कुछ नहीं कर पाओगे, हमारे पास बहुत रणनीति है। पुलिसवालों ने घटनास्थल पर ले जाकर पिस्टल तान दी। मुझे 55 दिन हिरासत में रखा। अपमानित किया। सैनिक बोलने पर गाली दी। कई दिनों तक खाना नहीं दिया। मेरी आपत्तिजनक फोटो खीचीं। न्यूड करके पीटा।’ ये कहना है रिटायर्ड फौजी का, जिन्हें सीतापुर पत्रकार हत्याकांड में 55 दिन हिरासत में रखा गया। उनकी मां ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की। तब उन्हें 2 मई को कोर्ट में पेश किया गया और रिटायर्ड फौजी छूटे। दैनिक भास्कर की टीम रिटायर्ड फौजी विमल कश्यप के घर पहुंची। हिरासत को लेकर उनसे और उनकी मां से बात की। उनका दर्द जाना। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… पुलिस ने मां को गुमराह किया पूर्व सैनिक विमल कश्यप ने बताया- मेरा और पत्रकार राघवेंद्र का घर एक ही मोहल्ले में है। हमारे घरों के बीच की दूरी 300 मीटर है। पत्रकार हत्याकांड में 8 मार्च को पुलिस मुझे घर से उठाकर ले गई। महोली इंस्पेक्टर विनोद कुमार मिश्रा फोर्स के साथ आए थे। साथ में क्राइम ब्रांच की टीम भी थी। मुझे क्राइम ब्रांच सीतापुर ले गए। कई दिनों तक हमको नहीं छोड़ा गया। मेरी मां मेरा पता लगाने के लिए कई बार क्राइम ब्रांच दफ्तर भी पहुंचीं। महोली थाने भी गईं। उनको यही बताया गया कि मेरे पास आपका बेटा नहीं है। इसके बाद मेरी मां कप्तान साहब के पास भी गईं। उन्होंने भी सही जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि आपको पता करना है तो कोर्ट की शरण लीजिए। हमारे पास आपका बेटा नहीं है। रात में सोने नहीं देते थे विमल कश्यप ने बताया- मां वकील के माध्यम से कोर्ट पहुंचीं। कोर्ट ने जब आईजी लखनऊ को आदेश दिया, तब ये लोग हमको लेकर कोर्ट गए। इन 55 दिनों में मुझे लगातार टॉर्चर किया गया। पूर्व सैनिक बताने पर और अपमानित किया गया। मुझे न्यूड करके मारा गया। रात में सोने भी नहीं देते थे। ‘मेरे ऊपर तान दी थी पिस्टल’ पूर्व सैनिक ने बताया- पुलिस वाले होली वाले दिन मुझे घटनास्थल पर ले गए। उससे पहले हमें इलसिया पार्क के पास गोली मारने की धमकी दी। मेरे ऊपर पिस्टल तान दी। कहा- अगर तुम पत्रकार की हत्या का जुर्म नहीं स्वीकार करोगे तो तुम्हें गोली मार देंगे। मुझे सैनिक बोल-बोलकर अपमानित किया। पुलिस कस्टडी के दौरान मुझे कभी-कभी महोली कस्बे और बस स्टैंड पर ले जाकर मेरी फोटो खींचते थे। आस-पास पुलिस वाले खड़े रहते, जिससे मैं भाग न जाऊं। मेरी फोटो कोर्ट में दिखाते थे कि पूर्व सैनिक मेरे कब्जे में नहीं है। पुलिस वालों ने कोर्ट को भी गुमराह किया। इस दौरान मेरे मोबाइल को भी अलग-अलग जगहों पर ले जाकर फोन करके हेलो करते ही काट देते थे। जिससे मेरे फोन की लोकेशन अलग-अलग दिखे। हाईकोर्ट के आदेश पर आईजी लखनऊ ने पेश कराया पूर्व फौजी ने बताया, मां की याचिका पर लखनऊ हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने आईजी लखनऊ जोन को आदेश दिया कि मुझ किसी भी हाल में पेश किया जाए। इसके बाद मुझे 2 मई को कोर्ट में पेश किया गया। पूर्व फौजी विमल कश्यप ने सीतापुर पुलिस द्वारा 55 दिनों तक अवैध रूप से हिरासत में रखने, प्रताड़ित करने का बयान कोर्ट में दिया। फौजी ने बताया कि कस्टडी में रखकर तत्कालीन पुलिस अधीक्षक चक्रेश मिश्रा, इंस्पेक्टर विनोद कुमार मिश्रा और अन्य पुलिस कर्मियों ने उन्हें टॉर्चर किया। पत्रकार हत्याकांड में फर्जी गुनाह कबूल करने का दबाव बनाया गया। हाईकोर्ट ने एसपी से दाखिल करवाया व्यक्तिगत हलफनामा पूर्व फौजी ने बताया कि कोर्ट में उसके बयान के बाद हाईकोर्ट ने एसपी चक्रेश मिश्रा से व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर जवाब देने को कहा। चक्रेश मिश्रा ने हाईकोर्ट को अवगत कराया कि पत्रकार हत्याकांड मामले में पूर्व फौजी को 16 मार्च, 17 मार्च, 19 मार्च, 29 मार्च, 01 अप्रैल और 03 अप्रैल 2025 को पूछताछ के लिए बुलाया था। पूछताछ के बाद हर बार परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया। एसपी के जवाब को याचिकाकर्ता चंद्रावती देवी ने झूठा करार दिया। कहा कि कभी हमारे बेटे विमल कश्यप को हमारे सुपुर्द नहीं किया है, केवल यह कागजी खानापूर्ति है। इस पर हाईकोर्ट ने 2 मई 2025 को सरकार को विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया। पुलिस ने 33 दिन बाद मामले का खुलासा किया… 4 हजार मोबाइल नंबर खंगाले, 100 लोगों से पूछताछ
पुलिस की शुरुआती जांच धान खरीद में घोटाले की खबरों पर टिकी थी। पत्रकार राघवेंद्र ने धान खरीद में गड़बड़ी को छापा था। कर्मचारियों पर एक्शन भी हुए थे। पुलिस ने 4 हजार से अधिक नंबरों को सर्विलांस पर रखा। 100 से अधिक संदिग्धों से पूछताछ की गई। पता चला कि पत्रकार राघवेन्द्र बाजपेई महोली कस्बे में अपने परिवार के साथ रहते थे। उनका कारेदेव मंदिर पर आना-जाना था। पिछले 5-6 महीनों से राघवेंद्र का मंदिर पर आना-जाना काफी बढ़ गया था। मंदिर के मुख्य पुजारी रमाकांत मिश्रा महोली के कारीपाकर के रहने वाले हैं। इसी मंदिर में शिवानंद बाबा नाम का व्यक्ति भी 5 साल से रह रहा था। उसका असली नाम विकास राठौर उर्फ विकास मिश्रा है। वह रामकोट के अहाता कप्तान का रहने वाला है। पुलिस ने CCTV खंगाले। फुटेज में दो लोग कारेदेव बाबा मंदिर और राघवेंद्र के घर के आसपास और महोली कस्बे में संदिग्ध रूप से घूमते नजर आए। शक पुख्ता होते ही गहनता से जांच की गई। पुलिस ने शूटरों के स्केच भी बनवाए। पूछताछ के लिए शिवानंद बाबा, उनके करीबी निर्मल सिंह और असलम गाजी को हिरासत में लेकर कड़ाई से पूछताछ की गई। सामने आया कि राघवेंद्र के हाथ शिवानंद बाबा के कुछ ऐसे राज लग गए थे। जिससे उसकी काफी बदनामी होती। इसका जिक्र शिवानंद ने अपने करीबी निर्मल सिंह से किया। निर्मल सिंह ने असलम गाजी की मदद से दो शूटरों को राघवेंद्र की सुपारी दी। इसके बाद रेकी कर शूटरों ने राघवेंद्र की हत्या कर दी। पत्रकार ने नाबालिग बच्चे के साथ संबंध बनाते देखा
शिवानंद बाबा मुख्य पुजारी रमाकांत मिश्रा की मदद करता था। वह तंत्र-मंत्र भी करता है। राघवेंद्र की शिवानंद बाबा से दोस्ती थी। शिवानंद मंदिर आने वाले एक नाबालिग बच्चे के साथ कई महीने कुकर्म कर रहा था। उसके क्षेत्र के कई व्यक्तियों से भी समलैंगिक संबंध थे। फरवरी महीने में राघवेंद्र बाजपेई ने शिवानंद बाबा को नाबालिग बच्चे के साथ संबंध बनाते हुए देख लिया था। शिवानंद को डर था कि राघवेंद्र कहीं उसका ये कुकृत्य जगजाहिर न कर दें। अगर उसने उसका राज खोल दिया तो मंदिर से बाहर कर दिया जाएगा। समाज में भी बड़ी बदनामी होगी। शिवानंद ने राघवेंद्र को अपने रास्ते से हटाने का फैसला किया। उसने दो अपराधियों निर्मल सिंह और असलम गाजी से संपर्क किया। 4 लाख की सुपारी देकर पत्रकार राघवेंद्र की हत्या करने को कहा। निर्मल और असलम ने शिवानंद को भरोसा दिया था कि वे राघवेंद्र को एक महीने के अंदर मार देंगे। इसके बाद शिवानंद पत्रकार राघवेंद्र के साथ और नजदीकी बढ़ाने लगा। ताकि किसी को उस पर शक न हो। 6 मार्च की शाम को राघवेंद्र, शिवानंद, रमाकांत अपने कुछ अन्य साथियों के साथ खीरी में रासलीला का एक कार्यक्रम देखने गए। जहां पर शिवानंद की मुलाकात कोमल मिश्रा नाम के व्यक्ति से हुई, जो रासलीला में कलाकार था। शिवानंद वहां कोमल से भी संबंध बनाने का प्रयास करने लगा। हत्या के बाद पार्टी की
8 मार्च को शिवानंद ने पत्रकार राघवेंद्र को बहाने से मंदिर के पास बुलाया। दोपहर 3 बजे रास्ते में घात लगाए बैठे शूटरों ने राघवेंद्र की हत्या कर दी। हत्या के बाद शिवानंद बाबा ने दोपहर 3.40 बजे कोमल को फोन किया। दोनों मिले और शॉपिंग की। सीतापुर के राजस्थानी होटल में शाम के समय खाना खाया। फिर राजस्थानी होटल में ही एक कमरा बुक कराकर साथ में रात में रुके। कमरे में 6 बीयर पी और भांग भी खाई। शिवानंद बाबा ने पूछताछ में बताया कि पत्रकार ने उसके मामले को दबाने के लिए 20 लाख की डिमांड की थी। हत्या में अभी दो लोग फरार हैं। उनकी तलाश की जा रही है। पुलिस अधीक्षक चक्रेश मिश्रा ने बताया- शूटरों ने मोबाइल फोन का इस्तेमाल ना करते हुए करीब 10 दिनों तक पत्रकार राघवेंद्र बाजपेई की रेकी की थी। उसके बाद दिनदहाड़े वारदात को अंजाम दिया था। घटना 8 मार्च की इमलिया सुल्तानपुर थाना क्षेत्र में हुई थी। पत्रकार राघवेंद्र बाजपेई महोली कस्बे के रहने वाले थे। वे एक राष्ट्रीय अखबार में महोली तहसील के पत्रकार थे। लखनऊ-दिल्ली नेशनल हाईवे पर हेमपुर रेलवे क्रासिंग के पास बने ओवर ब्रिज पर बाइक सवार हमलावरों ने राघवेंद्र पर ताबड़तोड़ फायरिंग की। तीन गोली उनके कंधे और सीने में लगी। वारदात को अंजाम देने के बाद हमलावर बाइक से फरार हो गए। ———————— ये भी पढ़ें… सीतापुर में पत्रकार की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या सीतापुर में 36 साल के एक पत्रकार राघवेंद्र बाजपेई की गोली मारकर हत्या कर दी गई। शनिवार दोपहर बाइक सवार हमलावारों ने पहले राघवेंद्र की बाइक को टक्कर मारी। फिर राघवेंद्र के गिरते ही उन पर तीन राउंड फायरिंग की और मौके से फरार हो गए। फायरिंग की आवाज सुनकर आसपास के लोग मौके पर पहुंचे। पढ़ें पूरी खबर… ‘अगर तुम जुर्म कबूल नहीं करोगे तो तुम्हें गोली मार दूंगा। कह दूंगा पिस्टल छीनकर भाग रहा था, इसलिए एनकाउंटर कर दिया। तुम कुछ नहीं कर पाओगे, हमारे पास बहुत रणनीति है। पुलिसवालों ने घटनास्थल पर ले जाकर पिस्टल तान दी। मुझे 55 दिन हिरासत में रखा। अपमानित किया। सैनिक बोलने पर गाली दी। कई दिनों तक खाना नहीं दिया। मेरी आपत्तिजनक फोटो खीचीं। न्यूड करके पीटा।’ ये कहना है रिटायर्ड फौजी का, जिन्हें सीतापुर पत्रकार हत्याकांड में 55 दिन हिरासत में रखा गया। उनकी मां ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की। तब उन्हें 2 मई को कोर्ट में पेश किया गया और रिटायर्ड फौजी छूटे। दैनिक भास्कर की टीम रिटायर्ड फौजी विमल कश्यप के घर पहुंची। हिरासत को लेकर उनसे और उनकी मां से बात की। उनका दर्द जाना। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… पुलिस ने मां को गुमराह किया पूर्व सैनिक विमल कश्यप ने बताया- मेरा और पत्रकार राघवेंद्र का घर एक ही मोहल्ले में है। हमारे घरों के बीच की दूरी 300 मीटर है। पत्रकार हत्याकांड में 8 मार्च को पुलिस मुझे घर से उठाकर ले गई। महोली इंस्पेक्टर विनोद कुमार मिश्रा फोर्स के साथ आए थे। साथ में क्राइम ब्रांच की टीम भी थी। मुझे क्राइम ब्रांच सीतापुर ले गए। कई दिनों तक हमको नहीं छोड़ा गया। मेरी मां मेरा पता लगाने के लिए कई बार क्राइम ब्रांच दफ्तर भी पहुंचीं। महोली थाने भी गईं। उनको यही बताया गया कि मेरे पास आपका बेटा नहीं है। इसके बाद मेरी मां कप्तान साहब के पास भी गईं। उन्होंने भी सही जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि आपको पता करना है तो कोर्ट की शरण लीजिए। हमारे पास आपका बेटा नहीं है। रात में सोने नहीं देते थे विमल कश्यप ने बताया- मां वकील के माध्यम से कोर्ट पहुंचीं। कोर्ट ने जब आईजी लखनऊ को आदेश दिया, तब ये लोग हमको लेकर कोर्ट गए। इन 55 दिनों में मुझे लगातार टॉर्चर किया गया। पूर्व सैनिक बताने पर और अपमानित किया गया। मुझे न्यूड करके मारा गया। रात में सोने भी नहीं देते थे। ‘मेरे ऊपर तान दी थी पिस्टल’ पूर्व सैनिक ने बताया- पुलिस वाले होली वाले दिन मुझे घटनास्थल पर ले गए। उससे पहले हमें इलसिया पार्क के पास गोली मारने की धमकी दी। मेरे ऊपर पिस्टल तान दी। कहा- अगर तुम पत्रकार की हत्या का जुर्म नहीं स्वीकार करोगे तो तुम्हें गोली मार देंगे। मुझे सैनिक बोल-बोलकर अपमानित किया। पुलिस कस्टडी के दौरान मुझे कभी-कभी महोली कस्बे और बस स्टैंड पर ले जाकर मेरी फोटो खींचते थे। आस-पास पुलिस वाले खड़े रहते, जिससे मैं भाग न जाऊं। मेरी फोटो कोर्ट में दिखाते थे कि पूर्व सैनिक मेरे कब्जे में नहीं है। पुलिस वालों ने कोर्ट को भी गुमराह किया। इस दौरान मेरे मोबाइल को भी अलग-अलग जगहों पर ले जाकर फोन करके हेलो करते ही काट देते थे। जिससे मेरे फोन की लोकेशन अलग-अलग दिखे। हाईकोर्ट के आदेश पर आईजी लखनऊ ने पेश कराया पूर्व फौजी ने बताया, मां की याचिका पर लखनऊ हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने आईजी लखनऊ जोन को आदेश दिया कि मुझ किसी भी हाल में पेश किया जाए। इसके बाद मुझे 2 मई को कोर्ट में पेश किया गया। पूर्व फौजी विमल कश्यप ने सीतापुर पुलिस द्वारा 55 दिनों तक अवैध रूप से हिरासत में रखने, प्रताड़ित करने का बयान कोर्ट में दिया। फौजी ने बताया कि कस्टडी में रखकर तत्कालीन पुलिस अधीक्षक चक्रेश मिश्रा, इंस्पेक्टर विनोद कुमार मिश्रा और अन्य पुलिस कर्मियों ने उन्हें टॉर्चर किया। पत्रकार हत्याकांड में फर्जी गुनाह कबूल करने का दबाव बनाया गया। हाईकोर्ट ने एसपी से दाखिल करवाया व्यक्तिगत हलफनामा पूर्व फौजी ने बताया कि कोर्ट में उसके बयान के बाद हाईकोर्ट ने एसपी चक्रेश मिश्रा से व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर जवाब देने को कहा। चक्रेश मिश्रा ने हाईकोर्ट को अवगत कराया कि पत्रकार हत्याकांड मामले में पूर्व फौजी को 16 मार्च, 17 मार्च, 19 मार्च, 29 मार्च, 01 अप्रैल और 03 अप्रैल 2025 को पूछताछ के लिए बुलाया था। पूछताछ के बाद हर बार परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया। एसपी के जवाब को याचिकाकर्ता चंद्रावती देवी ने झूठा करार दिया। कहा कि कभी हमारे बेटे विमल कश्यप को हमारे सुपुर्द नहीं किया है, केवल यह कागजी खानापूर्ति है। इस पर हाईकोर्ट ने 2 मई 2025 को सरकार को विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया। पुलिस ने 33 दिन बाद मामले का खुलासा किया… 4 हजार मोबाइल नंबर खंगाले, 100 लोगों से पूछताछ
पुलिस की शुरुआती जांच धान खरीद में घोटाले की खबरों पर टिकी थी। पत्रकार राघवेंद्र ने धान खरीद में गड़बड़ी को छापा था। कर्मचारियों पर एक्शन भी हुए थे। पुलिस ने 4 हजार से अधिक नंबरों को सर्विलांस पर रखा। 100 से अधिक संदिग्धों से पूछताछ की गई। पता चला कि पत्रकार राघवेन्द्र बाजपेई महोली कस्बे में अपने परिवार के साथ रहते थे। उनका कारेदेव मंदिर पर आना-जाना था। पिछले 5-6 महीनों से राघवेंद्र का मंदिर पर आना-जाना काफी बढ़ गया था। मंदिर के मुख्य पुजारी रमाकांत मिश्रा महोली के कारीपाकर के रहने वाले हैं। इसी मंदिर में शिवानंद बाबा नाम का व्यक्ति भी 5 साल से रह रहा था। उसका असली नाम विकास राठौर उर्फ विकास मिश्रा है। वह रामकोट के अहाता कप्तान का रहने वाला है। पुलिस ने CCTV खंगाले। फुटेज में दो लोग कारेदेव बाबा मंदिर और राघवेंद्र के घर के आसपास और महोली कस्बे में संदिग्ध रूप से घूमते नजर आए। शक पुख्ता होते ही गहनता से जांच की गई। पुलिस ने शूटरों के स्केच भी बनवाए। पूछताछ के लिए शिवानंद बाबा, उनके करीबी निर्मल सिंह और असलम गाजी को हिरासत में लेकर कड़ाई से पूछताछ की गई। सामने आया कि राघवेंद्र के हाथ शिवानंद बाबा के कुछ ऐसे राज लग गए थे। जिससे उसकी काफी बदनामी होती। इसका जिक्र शिवानंद ने अपने करीबी निर्मल सिंह से किया। निर्मल सिंह ने असलम गाजी की मदद से दो शूटरों को राघवेंद्र की सुपारी दी। इसके बाद रेकी कर शूटरों ने राघवेंद्र की हत्या कर दी। पत्रकार ने नाबालिग बच्चे के साथ संबंध बनाते देखा
शिवानंद बाबा मुख्य पुजारी रमाकांत मिश्रा की मदद करता था। वह तंत्र-मंत्र भी करता है। राघवेंद्र की शिवानंद बाबा से दोस्ती थी। शिवानंद मंदिर आने वाले एक नाबालिग बच्चे के साथ कई महीने कुकर्म कर रहा था। उसके क्षेत्र के कई व्यक्तियों से भी समलैंगिक संबंध थे। फरवरी महीने में राघवेंद्र बाजपेई ने शिवानंद बाबा को नाबालिग बच्चे के साथ संबंध बनाते हुए देख लिया था। शिवानंद को डर था कि राघवेंद्र कहीं उसका ये कुकृत्य जगजाहिर न कर दें। अगर उसने उसका राज खोल दिया तो मंदिर से बाहर कर दिया जाएगा। समाज में भी बड़ी बदनामी होगी। शिवानंद ने राघवेंद्र को अपने रास्ते से हटाने का फैसला किया। उसने दो अपराधियों निर्मल सिंह और असलम गाजी से संपर्क किया। 4 लाख की सुपारी देकर पत्रकार राघवेंद्र की हत्या करने को कहा। निर्मल और असलम ने शिवानंद को भरोसा दिया था कि वे राघवेंद्र को एक महीने के अंदर मार देंगे। इसके बाद शिवानंद पत्रकार राघवेंद्र के साथ और नजदीकी बढ़ाने लगा। ताकि किसी को उस पर शक न हो। 6 मार्च की शाम को राघवेंद्र, शिवानंद, रमाकांत अपने कुछ अन्य साथियों के साथ खीरी में रासलीला का एक कार्यक्रम देखने गए। जहां पर शिवानंद की मुलाकात कोमल मिश्रा नाम के व्यक्ति से हुई, जो रासलीला में कलाकार था। शिवानंद वहां कोमल से भी संबंध बनाने का प्रयास करने लगा। हत्या के बाद पार्टी की
8 मार्च को शिवानंद ने पत्रकार राघवेंद्र को बहाने से मंदिर के पास बुलाया। दोपहर 3 बजे रास्ते में घात लगाए बैठे शूटरों ने राघवेंद्र की हत्या कर दी। हत्या के बाद शिवानंद बाबा ने दोपहर 3.40 बजे कोमल को फोन किया। दोनों मिले और शॉपिंग की। सीतापुर के राजस्थानी होटल में शाम के समय खाना खाया। फिर राजस्थानी होटल में ही एक कमरा बुक कराकर साथ में रात में रुके। कमरे में 6 बीयर पी और भांग भी खाई। शिवानंद बाबा ने पूछताछ में बताया कि पत्रकार ने उसके मामले को दबाने के लिए 20 लाख की डिमांड की थी। हत्या में अभी दो लोग फरार हैं। उनकी तलाश की जा रही है। पुलिस अधीक्षक चक्रेश मिश्रा ने बताया- शूटरों ने मोबाइल फोन का इस्तेमाल ना करते हुए करीब 10 दिनों तक पत्रकार राघवेंद्र बाजपेई की रेकी की थी। उसके बाद दिनदहाड़े वारदात को अंजाम दिया था। घटना 8 मार्च की इमलिया सुल्तानपुर थाना क्षेत्र में हुई थी। पत्रकार राघवेंद्र बाजपेई महोली कस्बे के रहने वाले थे। वे एक राष्ट्रीय अखबार में महोली तहसील के पत्रकार थे। लखनऊ-दिल्ली नेशनल हाईवे पर हेमपुर रेलवे क्रासिंग के पास बने ओवर ब्रिज पर बाइक सवार हमलावरों ने राघवेंद्र पर ताबड़तोड़ फायरिंग की। तीन गोली उनके कंधे और सीने में लगी। वारदात को अंजाम देने के बाद हमलावर बाइक से फरार हो गए। ———————— ये भी पढ़ें… सीतापुर में पत्रकार की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या सीतापुर में 36 साल के एक पत्रकार राघवेंद्र बाजपेई की गोली मारकर हत्या कर दी गई। शनिवार दोपहर बाइक सवार हमलावारों ने पहले राघवेंद्र की बाइक को टक्कर मारी। फिर राघवेंद्र के गिरते ही उन पर तीन राउंड फायरिंग की और मौके से फरार हो गए। फायरिंग की आवाज सुनकर आसपास के लोग मौके पर पहुंचे। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
पिस्टल तानकर बोले पत्रकार की हत्या कबूलो, नहीं तो एनकाउंटर:सीतापुर में रिटायर्ड फौजी ने कहा- 55 दिन हिरासत में रखा, न्यूड करके पीटा
