हरियाणा के करनाल के छोटे से कोट मोहल्ला में साइकिल चलाते हुए गलियों में खेलते एक छोटे से बच्चे ने शायद ही सोचा होगा कि वह एक दिन देश का नाम रोशन करेगा। वह बच्चा था निशांत देव, जिसने स्केटिंग से अपनी खेल यात्रा शुरू की और बॉक्सिंग की दुनिया में कदम रखकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई। वही निशांत आधी रात साढ़े 12 बजे बॉक्सर मार्को वर्डे से भिड़े और अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। लेकिन निशांत देव को मैक्सिको के मार्को वेर्दे ने क्वार्टर फाइनल मैच में 4-1 से मात दे दी। करनाल के कोर्ट मोहल्ले में बीता बचपन 23 दिसंबर 2000 को हरियाणा के करनाल में जन्मे निशांत देव ने अपनी प्रारंभिक जीवन के दिनों को करनाल के कोट मोहल्ला क्षेत्र में बिताया। यहां उन्होंने अपनी बचपन की यादों को साइकिल चलाते और गलियों में खेलते हुए सजाया। निशांत को खेलों में पहली रुचि स्केटिंग से हुई, जहाँ उन्होंने राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीते। 2012 में उन्होंने बॉक्सिंग की दुनिया में कदम रखा। उनके चाचा, जो एक पेशेवर बॉक्सर थे, ने निशांत को बॉक्सिंग अपनाने की प्रेरणा दी। निशांत के पिता, देव पवन कुमार, ने उनकी प्रारंभिक प्रशिक्षण में बहुत सहायता की, उन्हें सुबह जल्दी उठाकर अभ्यास के लिए ले जाते थे। 12 साल की उम्र में बॉक्सिंग की शुरुआत निशांत ने अपनी स्कूली शिक्षा ओपीएस विद्या मंदिर से पूरी की और बाद में बाबू अनंत राम जनता कॉलेज, कौल में दाखिला लिया। निशांत ने 12 साल की उम्र में कर्ण स्टेडियम में कोच सुरेंद्र चौहान के तहत बॉक्सिंग शुरू की। भारतीय हाई-परफार्मेंस निदेशक सैंटियागो नीवा ने निशांत की प्रतिभा को जल्दी ही पहचान लिया। राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमकाया देश का नाम निशांत ने कई पुरस्कार जीते हैं, जिनमें 2nd खेलो इंडिया यूथ गेम्स और 2019 के ग्रैंड स्लैम एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक शामिल हैं। 2019 में उन्होंने 4th एलीट मेन्स नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में रजत पदक भी जीता। निशांत ने राष्ट्रीय स्तर पर सफलता जारी रखते हुए 2021 और 2023 में 5th और 6th एलीट मेन्स नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीते। उन्होंने सर्बिया में 2021 में AIBA मेन्स वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में अपना अंतर्राष्ट्रीय डेब्यू किया, जहाँ वे क्वार्टर फाइनल तक पहुंचे। 2023 में, निशांत ने ताशकेंट, उज्बेकिस्तान में IBA मेन्स वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता, जो उनके करियर की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी। 12 साल बाद भी उभरा कंधे का दर्द निशांत ने अपने करियर में कई चुनौतियों का सामना किया है। 2010 में उन्हें कंधे में चोट लगी थी, जो 2022 में फिर से उभर आई। उन्हें सर्जरी और ठीक होने के लिए समय की आवश्यकता थी। इस कठिनाई के बावजूद, निशांत ने मजबूत वापसी की। उन्होंने 2023 में नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता और वर्ल्ड ओलंपिक बॉक्सिंग क्वालिफिकेशन टूर्नामेंट्स के माध्यम से पेरिस ओलंपिक में स्थान प्राप्त किया। निशांत देव की कहानी दृढ़ता, समर्पण और मेहनत की मिसाल है। उनके संघर्ष और उपलब्धियों ने न केवल करनाल, बल्कि पूरे भारत को गर्व का अनुभव कराया है। हरियाणा के करनाल के छोटे से कोट मोहल्ला में साइकिल चलाते हुए गलियों में खेलते एक छोटे से बच्चे ने शायद ही सोचा होगा कि वह एक दिन देश का नाम रोशन करेगा। वह बच्चा था निशांत देव, जिसने स्केटिंग से अपनी खेल यात्रा शुरू की और बॉक्सिंग की दुनिया में कदम रखकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई। वही निशांत आधी रात साढ़े 12 बजे बॉक्सर मार्को वर्डे से भिड़े और अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। लेकिन निशांत देव को मैक्सिको के मार्को वेर्दे ने क्वार्टर फाइनल मैच में 4-1 से मात दे दी। करनाल के कोर्ट मोहल्ले में बीता बचपन 23 दिसंबर 2000 को हरियाणा के करनाल में जन्मे निशांत देव ने अपनी प्रारंभिक जीवन के दिनों को करनाल के कोट मोहल्ला क्षेत्र में बिताया। यहां उन्होंने अपनी बचपन की यादों को साइकिल चलाते और गलियों में खेलते हुए सजाया। निशांत को खेलों में पहली रुचि स्केटिंग से हुई, जहाँ उन्होंने राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीते। 2012 में उन्होंने बॉक्सिंग की दुनिया में कदम रखा। उनके चाचा, जो एक पेशेवर बॉक्सर थे, ने निशांत को बॉक्सिंग अपनाने की प्रेरणा दी। निशांत के पिता, देव पवन कुमार, ने उनकी प्रारंभिक प्रशिक्षण में बहुत सहायता की, उन्हें सुबह जल्दी उठाकर अभ्यास के लिए ले जाते थे। 12 साल की उम्र में बॉक्सिंग की शुरुआत निशांत ने अपनी स्कूली शिक्षा ओपीएस विद्या मंदिर से पूरी की और बाद में बाबू अनंत राम जनता कॉलेज, कौल में दाखिला लिया। निशांत ने 12 साल की उम्र में कर्ण स्टेडियम में कोच सुरेंद्र चौहान के तहत बॉक्सिंग शुरू की। भारतीय हाई-परफार्मेंस निदेशक सैंटियागो नीवा ने निशांत की प्रतिभा को जल्दी ही पहचान लिया। राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमकाया देश का नाम निशांत ने कई पुरस्कार जीते हैं, जिनमें 2nd खेलो इंडिया यूथ गेम्स और 2019 के ग्रैंड स्लैम एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक शामिल हैं। 2019 में उन्होंने 4th एलीट मेन्स नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में रजत पदक भी जीता। निशांत ने राष्ट्रीय स्तर पर सफलता जारी रखते हुए 2021 और 2023 में 5th और 6th एलीट मेन्स नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीते। उन्होंने सर्बिया में 2021 में AIBA मेन्स वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में अपना अंतर्राष्ट्रीय डेब्यू किया, जहाँ वे क्वार्टर फाइनल तक पहुंचे। 2023 में, निशांत ने ताशकेंट, उज्बेकिस्तान में IBA मेन्स वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता, जो उनके करियर की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी। 12 साल बाद भी उभरा कंधे का दर्द निशांत ने अपने करियर में कई चुनौतियों का सामना किया है। 2010 में उन्हें कंधे में चोट लगी थी, जो 2022 में फिर से उभर आई। उन्हें सर्जरी और ठीक होने के लिए समय की आवश्यकता थी। इस कठिनाई के बावजूद, निशांत ने मजबूत वापसी की। उन्होंने 2023 में नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता और वर्ल्ड ओलंपिक बॉक्सिंग क्वालिफिकेशन टूर्नामेंट्स के माध्यम से पेरिस ओलंपिक में स्थान प्राप्त किया। निशांत देव की कहानी दृढ़ता, समर्पण और मेहनत की मिसाल है। उनके संघर्ष और उपलब्धियों ने न केवल करनाल, बल्कि पूरे भारत को गर्व का अनुभव कराया है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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करनाल में स्कूल के खिलाफ कोर्ट पहुंचा अभिभावक:कैरेक्टर सर्टिफिकेट व माइग्रेशन के नाम पर वसूली, पैसे न देने पर दी धमकी
करनाल में स्कूल के खिलाफ कोर्ट पहुंचा अभिभावक:कैरेक्टर सर्टिफिकेट व माइग्रेशन के नाम पर वसूली, पैसे न देने पर दी धमकी करनाल जिले के घरौंडा में एक प्राइवेट स्कूल पर 750 रुपए की नाजायज वसूली का आरोप लगाते हुए एक छात्र के अभिभावक ने कोर्ट में केस दर्ज कराया है। पीड़ित अभिभावक मनोज कुमार का आरोप है कि उन्होंने पार्थ पब्लिक स्कूल से अपने बेटे हार्दिक का कैरेक्टर सर्टिफिकेट, एलओआर (लेटर ऑफ रिकमेंडेशन) और माइग्रेशन सर्टिफिकेट प्राप्त करने के लिए 750 रुपए का भुगतान किया था। स्कूल ने इस राशि को CBSC की फीस बताते हुए वसूला था, लेकिन रसीद मांगने पर कोई दस्तावेज नहीं दिया गया। मनोज कुमार ने खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में शिकायत भी दर्ज कराई। जहां से जांच शुरू की गई। शिक्षा अधिकारी ने स्कूल को तलब किया, जिसके बाद स्कूल ने इसे एक क्लेरिकल मिस्टेक करार दिया। जनबूझकर की गई वसूली पेरेंट्स मनोज कुमार का कहना है कि यह गलती नहीं बल्कि जानबूझकर की गई वसूली है, क्योंकि यह 21 बच्चों के साथ हुआ है। विभागीय कार्रवाई से असंतुष्ट होकर मनोज ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है, उन्हें उम्मीद है कि अदालत से उन्हें न्याय मिलेगा। पीड़ित की आपबीती पीड़ित मनोज कुमार ने बताया कि पार्थ पब्लिक स्कूल में उनके बेटे हार्दिक ने 12वीं कक्षा उत्तीर्ण की थी। जब वह अपने बेटे का कैरेक्टर सर्टिफिकेट, माइग्रेशन सर्टिफिकेट और एलओआर लेने पहुंचे, तो स्कूल ने उनसे इन प्रमाणपत्रों के लिए 750 रुपए की मांग की। अन्य स्कूलों और अधिकारियों से पूछताछ करने पर पता चला कि ऐसी कोई फीस वसूलने का प्रावधान नहीं है। हालांकि, स्कूल ने धमकी दी कि अगर पैसे नहीं दिए गए, तो कैरेक्टर सर्टिफिकेट सही तरीके से नहीं बनाया जाएगा। दबाव में आकर मनोज कुमार ने 750 रुपए का भुगतान किया, लेकिन जब उन्होंने रसीद मांगी, तो स्कूल ने कोई दस्तावेज नहीं दिया। मनोज ने खंड शिक्षा अधिकारी (BEO) को शिकायत दी। जिसमें स्कूल ने स्वीकार किया कि 21 बच्चों से गलत तरीके से पैसे लिए गए हैं और उन्हें वापस किया जाएगा। हालांकि, मनोज ने आरोप लगाया कि उन्हें BEO से 21 बच्चों की रिपोर्ट नहीं दी गई और स्कूल के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। न्यायिक प्रक्रिया की शुरुआत मनोज कुमार के केस की पैरवी कर रहे एडवोकेट पराग विग ने बताया कि इस मामले में न केवल पैसे नाजायज तरीके से वसूले गए, बल्कि रसीद भी नहीं दी गई। बीईओ को शिकायत करने के बावजूद स्कूल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिसके चलते मनोज ने कोर्ट में केस दर्ज किया है। एडवोकेट विग ने कहा कि यह केवल 750 रुपए की बात नहीं है, बल्कि स्कूल द्वारा पिता के साथ किए गए दुर्व्यवहार की भी बात है, जिसका बच्चे पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। मामले में कोर्ट की सुनवाई के बाद ही पता चलेगा कि स्कूल और संबंधित पक्षों को समन प्राप्त हुए हैं या नहीं। क्या कहते है शिक्षा अधिकारी खंड शिक्षा अधिकारी रविंद्र कुमार ने स्वीकार किया कि पार्थ पब्लिक स्कूल ने मनोज कुमार से 750 रुपए की अवैध वसूली की थी। उन्होंने बताया कि सीबीएसई में ऐसा कोई नियम नहीं है। जिसके तहत इन प्रमाण पत्रों के लिए शुल्क लिया जा सकता है। स्कूल ने इसे क्लेरिकल मिस्टेक करार देते हुए पैसे वापस करने का आश्वासन दिया है। मनोज कुमार ने कोर्ट केस किया है या नहीं, यह मेरे संज्ञान में नहीं है।
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सिरसा में एकसाथ 3 मंदिरों में चोरी:60 किलो गेहूं, चांदी के 3 छतर-कैश ले गए; लोग पूजा करने आए तो पता चला हरियाणा में सिरसा के आनंदगढ़ में चोरों ने 3 मंदिरों को निशाना बनाया। चोर मंदिरों से दान राशि, छतर व अनाज चुराकर ले गए। थाना बड़ागुढ़ा पुलिस ने गांव के सरपंच की शिकायत पर अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। जानकारी के अनुसार आनंदगढ़ गांव में 3 मंदिर हैं। मंगलवार देर रात को चोरों ने तीनों मंदिर में वारदात की। गांव के सरपंच विकास कुमार का कहना है कि चोरों हरिराम मंदिर में से 20 किलो गेहूं, एक चांदी का छतर व दानपात्र से 300 रुपए चुराकर ले गए। इसके अलावा, श्री कृष्ण मंदिर से चांदी का छतर व 100 रुपए और श्री रामदेव मंदिर से 800 रुपए, 40 किलो गेहूं व दानपात्र ले गए। बुधवार सुबह ग्रामीण पूजा करने के लिए मंदिरों में गए तो चोरी की घटना का पता चला। इसके बाद इसकी सूचना बड़ागुढ़ा थाना पुलिस को दी गई। पुलिस का कहना है कि अज्ञात लोगों पर एफआईआर दर्ज कर ली गई है। जल्द ही उक्त लोगों का पता लगाकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। मंदिरों में चोरी की घटना से खफा ग्रामीणों का कहना है कि पूजा घरों में इस प्रकार60 की घटना होना काफी निंदनीय है। पुलिस जल्द से जल्द चोरों का पता लगाए।