रोहतक दो भाईयों को डाक विभाग में नौकरी लगवाने का झांसा देकर 8 लाख रुपए ठगने का मामला सामने आया है। आरोपियों ने अपनी बात को साबित करने के लिए फर्जी लेटर भी भेजे। लेकिन अब ना तो पीड़ितों को नौकरी मिली और ना ही पैसे वापस मिल रहे हैं। जिसके कारण मामले की शिकायत पुलिस को दे दी। रोहतक की शेर विहार कॉलोनी निवासी बलबीर ने शिवाजी कॉलोनी थाने में शिकायत दी। जिसमें उसने बताया कि एक हिमांशु नामक युवक उनके मकान के सामने किराए पर रहता है। जिसके कारण उसके लड़के रणजीत व सुनील साथ पढ़ते थे और उसके साथ आना-जाना था। हिमांशु ने पीड़ित के लड़के से कहा कि 8 लाठ रुपए दे दें, तो उन्हें डाकखाना या मत्स्य विभाग में नौकरी लगवा देगा। क्योंकि उसके पिता मत्स्य विभाग में ऑफिसर है। नौकरी लगवाने के नाम पर मांगे 8 लाख बलबीर ने शिकायत में बताया कि आरोपियों ने नौकरी लगाने का झांसा दिया और 8 लाख रुपए की मांग की। इसके बाद उन पर विश्वास करके 7 अगस्त 2021 को 3 लाख रुपए बैंक से निकालकर दे दिए। वहीं इसके बाद अपने व पत्नी के जेवर गिरवी रखकर 1 लाख 55 हजार रुपए दिए। बकाया 3 लाख 45 हजार रुपए करीब एक सप्ताह बाद नकद दे दिए। इसके बाद उसके लड़के के नौकरी के फार्म भरवाए। 2 महीने बाद फर्जी चयनित लिस्ट भेजी। जिसमें उसके लड़के का नाम था और कहा कि एक महीने में ज्वाइनिंग करवा देंगे। बार-बार मांगने पर भी नहीं मिले पैसे पीड़ित ने आरोप लगाया कि आरोपी उन्हें नौकरी लगने का झांसा देते रहे और कई दस्तावेज भी दिए। लेकिन बाद में कहा कि नौकरी नहीं लगेगी। इसलिए पैसे वापस दे देंगे। लेकिन अभी तक पैसे वापस नहीं दिए हैं। पैसे वापस मांगने पर बहाना बनाकर टाल देते। जिसके बाद मामले की शिकायत पुलिस अधीक्षक को दे दी। इस पर 1 जुलाई को शिवाजी कॉलोनी थाना पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज करके जांच शुरू कर दी। रोहतक दो भाईयों को डाक विभाग में नौकरी लगवाने का झांसा देकर 8 लाख रुपए ठगने का मामला सामने आया है। आरोपियों ने अपनी बात को साबित करने के लिए फर्जी लेटर भी भेजे। लेकिन अब ना तो पीड़ितों को नौकरी मिली और ना ही पैसे वापस मिल रहे हैं। जिसके कारण मामले की शिकायत पुलिस को दे दी। रोहतक की शेर विहार कॉलोनी निवासी बलबीर ने शिवाजी कॉलोनी थाने में शिकायत दी। जिसमें उसने बताया कि एक हिमांशु नामक युवक उनके मकान के सामने किराए पर रहता है। जिसके कारण उसके लड़के रणजीत व सुनील साथ पढ़ते थे और उसके साथ आना-जाना था। हिमांशु ने पीड़ित के लड़के से कहा कि 8 लाठ रुपए दे दें, तो उन्हें डाकखाना या मत्स्य विभाग में नौकरी लगवा देगा। क्योंकि उसके पिता मत्स्य विभाग में ऑफिसर है। नौकरी लगवाने के नाम पर मांगे 8 लाख बलबीर ने शिकायत में बताया कि आरोपियों ने नौकरी लगाने का झांसा दिया और 8 लाख रुपए की मांग की। इसके बाद उन पर विश्वास करके 7 अगस्त 2021 को 3 लाख रुपए बैंक से निकालकर दे दिए। वहीं इसके बाद अपने व पत्नी के जेवर गिरवी रखकर 1 लाख 55 हजार रुपए दिए। बकाया 3 लाख 45 हजार रुपए करीब एक सप्ताह बाद नकद दे दिए। इसके बाद उसके लड़के के नौकरी के फार्म भरवाए। 2 महीने बाद फर्जी चयनित लिस्ट भेजी। जिसमें उसके लड़के का नाम था और कहा कि एक महीने में ज्वाइनिंग करवा देंगे। बार-बार मांगने पर भी नहीं मिले पैसे पीड़ित ने आरोप लगाया कि आरोपी उन्हें नौकरी लगने का झांसा देते रहे और कई दस्तावेज भी दिए। लेकिन बाद में कहा कि नौकरी नहीं लगेगी। इसलिए पैसे वापस दे देंगे। लेकिन अभी तक पैसे वापस नहीं दिए हैं। पैसे वापस मांगने पर बहाना बनाकर टाल देते। जिसके बाद मामले की शिकायत पुलिस अधीक्षक को दे दी। इस पर 1 जुलाई को शिवाजी कॉलोनी थाना पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज करके जांच शुरू कर दी। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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BJP सांसद की पत्नी चुनाव लड़ने की तैयारी में:मंत्री की सीट, जिंदल ने CM से मिलकर दावेदारी ठोकी; मां की उम्मीदवारी की भी चर्चा
BJP सांसद की पत्नी चुनाव लड़ने की तैयारी में:मंत्री की सीट, जिंदल ने CM से मिलकर दावेदारी ठोकी; मां की उम्मीदवारी की भी चर्चा हरियाणा की हिसार सीट पर BJP की टिकट को लेकर सीएम नायब सैनी सरकार के मंत्री कमल गुप्ता और कारोबारी जिंदल परिवार आमने-सामने है। इस बीच कुरूक्षेत्र के सांसद नवीन जिंदल ने दिल्ली में मुख्यमंत्री नायब सैनी से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद से ही कयास लगाए जा रहे हैं कि नवीन जिंदल अपनी मां सावित्री जिंदल को चुनाव न लड़वाकर पत्नी शालू जिंदल या करीबी को चुनाव लड़वा सकते हैं। हालांकि जिंदल हाउस ऐसी किसी चर्चा से मना कर रहा है, जबकि गुप्ता खेमे का कहना है कि जिंदल हाउस ने चुनाव से कदम पीछे खींच लिए हैं। मगर भाजपा सूत्रों का दावा है कि हिसार की टिकट जिंदल हाउस के पास ही रहेगी। जिंदल हाउस ने कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर दिया है और प्रचार भी शुरू कर दिया है। जिस तरह से कुरुक्षेत्र में नवीन जिंदल का चुनाव लड़ा गया, इसी तरह ही हिसार में भी वही टीम चुनाव प्रचार का जिम्मा उठाएगी। हिसार BJP की सेफ सीट
हिसार विधानसभा BJP की सेफ सीट मानी जाती है। डॉ. कमल गुप्ता यहां से 2 बार विधायक रह चुके हैं। इस बार के लोकसभा चुनाव में हिसार से भाजपा को 36605 की लीड मिली थी। इस कारण यहां दावेदारी जताने वालों में ऐसा नेता भी है जिनका धरातल पर कोई जनाधार भी नहीं है। मगर मौजूदा विधायक खुद के तैयार ग्राउंड पर किसी ओर को बैटिंग नहीं करना देना चाहते। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के करीबी माने जाने वाले डॉ. कमल गुप्ता ने अपनी दावेदारी को लेकर पूरी ताकत झोंक रखी है। मगर केंद्रीय मंत्री अमित शाह की सर्वे रिपोर्ट में मौजूदा विधायक की हालत खराब है। इस कारण उनका टिकट कटना तय माना जा रहा है। हिसार में दोनों नेताओं की दावेदारी मजबूत क्यों? कमल गुप्ता लगातार 2 चुनाव जीते, सावित्री जिंदल को भी हराया
कमल गुप्ता 2 बार हिसार सीट से चुनाव जीत चुके हैं। उन्होंने 2014 के बाद 2019 में भी लगातार चुनाव जीता। खास बात यह है कि 2014 में तो कमल गुप्ता ने सावित्री जिंदल को ही हराया था। उस समय सावित्री ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा था। चूंकि, गुप्ता सरकार में मंत्री हैं और सावित्री जिंदल को भी हरा चुके हैं, इसलिए वह मजबूत दावेदारी पेश कर रहे हैं। सावित्री जिंदल हिसार से 2 बार चुनाव जीत चुकीं, मंत्री भी रहीं
हिसार सीट पर सावित्री जिंदल का भी रसूख अच्छा है। वह 2 बार हिसार से चुनाव जीतकर विधायक बन चुकी हैं। पहला चुनाव उन्होंने 2005 में जीता था। तब उपचुनाव जीतकर वह भूपेंद्र हुड्डा की अगुआई वाली सरकार में शामिल हुई थीं। 2009 में हुए विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने जीत हासिल की। 2013 में भूपेंद्र हुड्डा की सरकार में उन्हें राज्यमंत्री बनाया गया था। गुप्ता-जिंदल परिवार में तनातनी के 3 उदाहरण 1. तिरंगा यात्रा में मंत्री ने सावित्री जिंदल का इंतजार नहीं किया
हाल ही में भाजपा की ओर से प्रदेश में तिरंगा यात्रा निकाली गई। हिसार विधानसभा में डॉ. कमल गुप्ता ने यात्रा की अगुआई की। इस यात्रा में सावित्री जिंदल देरी से पहुंचीं। जिंदल के आने से पहले ही कमल गुप्ता यात्रा लेकर आगे निकल पड़े। पूर्व मंत्री ने तिरंगा हाथ में लिया। फिर वह कुछ देर रुक कर वहां से नाराजगी जाहिर करते हुए निकल गईं। 2. मंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट का विरोध किया
हिसार के बस स्टैंड के शिफ्टिंग को लेकर भी दोनों में मतभेद नजर आए। कमल गुप्ता बस स्टैंड को शहर से बाहर शिफ्ट करना चाहते थे। यह उनका ड्रीम प्रोजेक्ट था। बस स्टैंड शिफ्टिंग का व्यापारियों ने विरोध किया। सावित्री जिंदल की घर पर व्यापारियों की मीटिंग भी हुई। इसके बाद कमल गुप्ता नाराज हो गए और उन्हें प्रोजेक्ट टालना पड़ा। 3. एक-दूसरे को निमंत्रण नहीं भेज रहे
दोनों नेताओं के समर्थक अपने-अपने कार्यक्रमों में एक-दूसरे को निमंत्रण नहीं भेज रहे। ऐसे पार्षद और नेता जो सावित्री जिंदल के समर्थक थे और अब कमल गुप्ता के साथ हैं, वह गुप्ता से दूरी बनाए हुए हैं। कमल गुप्ता के समर्थक भी सावित्री जिंदल के कार्यक्रमों से दूरी बनाकर चल रहे हैं। दोनों नेता भी एक-दूसरे को कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं कर रहे।
सिरसा के 13 पटवारी सरकार की नजर में भ्रष्ट:सात ने रखे निजी सहायक, इंतकाल व तकसीम के नाम पर ले रहे रिश्वत
सिरसा के 13 पटवारी सरकार की नजर में भ्रष्ट:सात ने रखे निजी सहायक, इंतकाल व तकसीम के नाम पर ले रहे रिश्वत प्रदेश सरकार की ओर से जारी की गई भ्रष्ट पटवारियों की लिस्ट में 13 पटवारी हरियाणा के सिरसा जिले के भी शामिल हैं। इन 13 में से सात पटवारियों ने सहायक भी रखे हुए हैं। कोई रजिस्ट्री तो कोई इंतकाल की एवज में रिश्वत मांग रहा है। कोई बिना पैसा लिए तकसीम नहीं कर रहा है। खास बात यह है कि सिरसा के भ्रष्ट पटवारी औसतन दो हजार से पांच हजार रुपए की रिश्वत ले रहे हैं।
दरअसल, वित्तायुक्त और राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव की ओर से जारी पत्र में 370 पटवारियों को भ्रष्ट बताते हुए सूची जारी की गई है। इनमें से 170 पटवारियों पर सहायक रखने के आरोप हैं। इन सभी पर जमीन के खाते तकसीम करवाने, पैमाइश, इंतकाल, रिकॉर्ड दुरुस्त करने व नक्शा आदि बनवाने के नाम पर भ्रष्टाचार करने के आरोप हैं। सहायक के तौर पर रखे गए प्राइवेट व्यक्ति इनके दलालों के तौर पर कार्य करते हैं। डीसी को इन कर्मचारियों के विरुद्ध सख्त नियमानुसार कार्रवाई करते हुए 15 दिन में क्रियान्वयन रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए गए हैं। इन पटवारियों पर लगे हैं भ्रष्टाचार के आरोप दिग्विजय सिंह, बंसी बिश्नोई, राकेश कुमार मेहता, जसमेर सिंह, मनोज कुमार, मुकेश कुमार, कुलदीप सिंह, कौर सिंह, हनुमान, बसंत सिंह प्रजापत, जोगिंद्र सिंह, सुखदेव सिंह, सुनील कुमार। ये है भ्रष्टाचार करने का तरीका……
– दिग्विजय सिंह पर आरोप है कि रजिस्ट्री व इंतकाल करवाने की एवज में दो हजार से पांच हजार रुपए तक लेता है। इसका स्वयं का प्रॉपर्टी डीलिंग का काम है। गांव नेजिया निवासी सतपाल को इसने सहायक रखा हुआ है। यूनियन प्रधान बोले, किसने की जांच, इसका पता लगा रहे
पटवार एवं कानूनगो एसोसिएशन के सिरसा जिला प्रधान लाभ सिंह ने बताया कि हमारी यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष के साथ इस मसले पर चर्चा हुई है। हम पता लगा रहे हैं कि कौन जांच करके गया है। प्रदेश स्तर पर ही यूनियन की तरफ से आगामी फैसला लिया जाएगा।
हरियाणा में छात्रों को स्कूल में प्रतिदिन लाना होगा टैबलेट:ट्रैकिंग होगी, शिक्षा विभाग ने जारी किया आदेश, दुरुपयोग पर होगी कार्रवाई
हरियाणा में छात्रों को स्कूल में प्रतिदिन लाना होगा टैबलेट:ट्रैकिंग होगी, शिक्षा विभाग ने जारी किया आदेश, दुरुपयोग पर होगी कार्रवाई हरियाणा सरकार द्वारा विद्यार्थियों को वितरित किए गए टैबलेट के दुरुपयोग को लेकर विद्यालय शिक्षा निदेशालय सख्त हो गया है। जिसके तहत प्रदेश भर के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों (DEO) को पत्र लिखा गया है। पत्र में निर्देश दिए गए हैं कि वे सुनिश्चित करें कि बच्चे प्रतिदिन टैबलेट लेकर आएं। इसके साथ ही उनकी ट्रैकिंग भी की जाएगी। विद्यालय शिक्षा निदेशालय ने कहा कि सरकार ने ई-लर्निंग योजना के तहत विद्यार्थियों को टैबलेट वितरित किए थे। यह सुनिश्चित किया जाए कि विद्यार्थी कक्षा में और घर पर सीखने के लिए टैबलेट का उपयोग करें और शिक्षक इसका उपयोग कार्य सौंपने और विद्यार्थीवार प्रगति की निगरानी करने के लिए करें। लेकिन विभाग के संज्ञान में आया है कि विद्यालयों में विद्यार्थियों और शिक्षकों को दिए गए टैबलेट का सही तरीके से संचालन नहीं किया जा रहा है। प्रतिदिन टैबलेट लाने के निर्देश शिक्षकों को निर्देश दिए गए कि प्रत्येक विद्यार्थी और शिक्षक प्रतिदिन विद्यालय में अपना टैबलेट लेकर आएं। विद्यार्थी कक्षा में परीक्षा देने के लिए टैबलेट का उपयोग करें तथा घर पर वीडियो देखने और होमवर्क करने के लिए टैबलेट का उपयोग करें। सभी प्रधानाचार्यों को इस पर नजर रखने के निर्देश दिए गए। इसके लिए PAL डैशबोर्ड का नियमित उपयोग करें। ताकि विद्यार्थी इसका पूरा लाभ उठा सकें। समय-समय पर अपने स्तर पर निरीक्षण करते रहें। ऑनलाइन पढ़ाई के लिए बांटे गए टैबलेट सरकार की ओर से ई-लर्निंग योजना के तहत छात्रों को टैबलेट बांटे गए थे। ताकि छात्र ऑनलाइन पढ़ाई कर सकें। जो बच्चे स्कूल नहीं आ सकते, उन्हें घर से ही पढ़ाया जा सके और उनकी पढ़ाई प्रभावित न हो। शिक्षक भी ऑनलाइन पढ़ा सकते हैं। लेकिन छात्रों ने इन टैबलेट का दुरुपयोग करना शुरू कर दिया। वे पढ़ाई के अलावा दूसरे कामों में इनका इस्तेमाल करने लगे।