भास्कर न्यूज | जालंधर आज मां सरस्वती की पूजा और पतंगबाजी का दिन यानी वसंत पंचमी देशभर में धूमधाम से मनाई जाएगी। हिंदू धर्म में मां सरस्वती को ज्ञान की देवी माना गया है। इस दिन उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। वहीं उनके प्रिय वाद्ययंत्र वीणा की पूजा भी होती है, जो हमेशा उनके हाथ में सुशोभित रहता है। वसंत पंचमी का पर्व माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाने वाले पर्व है। इसी दिन से वसंत का आगमन भी माना जाता है। गीता मंदिर अर्बन स्टेट फेस-2 के पंडित विजय शास्त्री ने बताया शास्त्रों में वसंत पंचमी का बहुत महत्व बताया गया है। यह दिन गृह प्रवेश, मुंडन या विवाह जैसे कई कामों के लिए शुभ है। वहीं बच्चों को स्कूल भेजने, विद्या पढ़ाई या किसी प्रकार के मंत्रों के जाप की शुरुआत करना भी शुभ होता है। इस दिन पुस्तकें, किताबें, पेन, कलम-दवात की भी पूजा होती है। शास्त्रों के अनुसार, वसंत पंचमी के दिन पूजा-पाठ, दान-धर्म शुभ एंव फलदायी होता है। पीला रंग ज्योतिष में गुरु ग्रह से जुड़ा है जो ज्ञान, विद्या, अध्ययन, विद्वता, बौद्धिक उन्नति आदि का प्रतीक है। इसलिए ज्ञान की देवी माता सरस्वती जी की आराधना भी इसी दिन की जाती है। पूजा के लिए भी दिन खास है। मां सरस्वती की पूजा के लिए पीले रंग के साफ कपड़े के ऊपर देवी की प्रतिमा स्थापित करें। कलश स्थापित कर सबसे पहले श्री गणेश जी की पूजा करें। सरस्वती पूजन करते समय सबसे पहले उन्हें आचमन और स्नान कराएं। पीला रंग मां को बहुत ही प्रिय है। माता को सफेद या पीले रंग के फूल अर्पित करें और उनका शृंगार कर प्रतिमा के चरणों में गुलाल अर्पित करें। इस दिन मां सरस्वती को पीले मीठे व्यंजनों का भोग लगाना चाहिए। {किसी के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल व लड़ाई-झगड़े से बचें। {इस दिन मांस-मदिरा के सेवन से दूर रहना चाहिए। {पितृ तर्पण भी किया जाना चाहिए। {वसंत पंचमी के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना जरूरी है। {वसंत पंचमी के दिन बिना स्नान किए भोजन नहीं करना चाहिए। {इस दिन संभव हो तो पीले वस्त्र पहनने चाहिए। {वसंत पंचमी के दिन पेड़-पौधे नहीं काटने चाहिए। भास्कर न्यूज | जालंधर आज मां सरस्वती की पूजा और पतंगबाजी का दिन यानी वसंत पंचमी देशभर में धूमधाम से मनाई जाएगी। हिंदू धर्म में मां सरस्वती को ज्ञान की देवी माना गया है। इस दिन उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। वहीं उनके प्रिय वाद्ययंत्र वीणा की पूजा भी होती है, जो हमेशा उनके हाथ में सुशोभित रहता है। वसंत पंचमी का पर्व माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाने वाले पर्व है। इसी दिन से वसंत का आगमन भी माना जाता है। गीता मंदिर अर्बन स्टेट फेस-2 के पंडित विजय शास्त्री ने बताया शास्त्रों में वसंत पंचमी का बहुत महत्व बताया गया है। यह दिन गृह प्रवेश, मुंडन या विवाह जैसे कई कामों के लिए शुभ है। वहीं बच्चों को स्कूल भेजने, विद्या पढ़ाई या किसी प्रकार के मंत्रों के जाप की शुरुआत करना भी शुभ होता है। इस दिन पुस्तकें, किताबें, पेन, कलम-दवात की भी पूजा होती है। शास्त्रों के अनुसार, वसंत पंचमी के दिन पूजा-पाठ, दान-धर्म शुभ एंव फलदायी होता है। पीला रंग ज्योतिष में गुरु ग्रह से जुड़ा है जो ज्ञान, विद्या, अध्ययन, विद्वता, बौद्धिक उन्नति आदि का प्रतीक है। इसलिए ज्ञान की देवी माता सरस्वती जी की आराधना भी इसी दिन की जाती है। पूजा के लिए भी दिन खास है। मां सरस्वती की पूजा के लिए पीले रंग के साफ कपड़े के ऊपर देवी की प्रतिमा स्थापित करें। कलश स्थापित कर सबसे पहले श्री गणेश जी की पूजा करें। सरस्वती पूजन करते समय सबसे पहले उन्हें आचमन और स्नान कराएं। पीला रंग मां को बहुत ही प्रिय है। माता को सफेद या पीले रंग के फूल अर्पित करें और उनका शृंगार कर प्रतिमा के चरणों में गुलाल अर्पित करें। इस दिन मां सरस्वती को पीले मीठे व्यंजनों का भोग लगाना चाहिए। {किसी के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल व लड़ाई-झगड़े से बचें। {इस दिन मांस-मदिरा के सेवन से दूर रहना चाहिए। {पितृ तर्पण भी किया जाना चाहिए। {वसंत पंचमी के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना जरूरी है। {वसंत पंचमी के दिन बिना स्नान किए भोजन नहीं करना चाहिए। {इस दिन संभव हो तो पीले वस्त्र पहनने चाहिए। {वसंत पंचमी के दिन पेड़-पौधे नहीं काटने चाहिए। पंजाब | दैनिक भास्कर
![प्रकृति का नवउत्सव… वसंत पंचमी आज, पीतांबर की छटा और पतंगों की रंगत से सजेगा आसमान](https://images.bhaskarassets.com/thumb/1000x1000/web2images/521/2025/02/02/90_1738415739679e1e7bb086a_1jct207.jpg)