प्रयागराज मदरसे के 630 बच्चों को तलाश करेगी IB:जहां जाली करेंसी छप रही, उस मदरसे को हर साल तुर्की, सऊदी से 48 लाख चंदा

प्रयागराज मदरसे के 630 बच्चों को तलाश करेगी IB:जहां जाली करेंसी छप रही, उस मदरसे को हर साल तुर्की, सऊदी से 48 लाख चंदा

प्रयागराज के मदरसा में जाली करेंसी छापने के मामले में नया खुलासा हुआ है। मदरसा से पढ़कर निकले 630 बच्चों को IB और ATS ढूंढ रही है। ये तलाश एजेंसियों को 6 राज्यों तक लेकर गई है। ये वही बच्चे हैं, जिनका मौलवी मोहम्मद तफसीरुल आरीफीन ने ब्रेनवाश किया है। जांच में सामने आया कि मदरसा को तुर्की, सऊदी अरब और दुबई में बैठे लोग पैसा भेज रहे हैं। हर साल करीब 48 लाख रुपए के ट्रांजैक्शन हो रहे थे। यह पैसा किन बैंक अकाउंट में आता है? कहां खर्च होता था? एजेंसियां जांच कर रही हैं। बुधवार को लखनऊ से ATS की स्पेशल टीम प्रयागराज पहुंचेगी। कमेटी ने कहा- लोग मदद के रूप में भेजते हैं पैसे
जाली करेंसी मामले की जांच के लिए IB की टीम 28 अगस्त को मदरसा पहुंची। मौलवी के कमरे की जांच में कई आपत्तिजनक किताबें और तस्वीरें बरामद कीं। IB की टीम को मदरसे से जो किताबें मिली हैं, उनमें एक किताब का नाम है- RSS देश का सबसे बड़ा आतंकवादी संगठन। इसके लेखक SM मुशर्रफ, पूर्व पुलिस महानिरीक्षक (महाराष्ट्र) हैं। मूल किताब उर्दू भाषा में लिखी गई है। इसके हिंदी और मराठी अनुवाद वाली भी किताबें हैं। यह किताब मदरसे के कार्यवाहक प्रिंसिपल मौलवी तफसीरुल आरीफीन के कमरे से मिली है। मौलवी यह किताब बच्चों को पढ़ाता था। अब IB और ATS मदरसा कमेटी को मिलने वाले फंड को ट्रेस कर रही है। कमेटी के मैनेजर शाहिद ने बताया – विदेश और देश के अलग-अलग शहरों के लोग हम इमदार (मदद) के रूप में पैसे भेजते हैं। यह पैसा बच्चों की तालीम, उनके रहने-खाने पर खर्च होता है। साथ ही, मदरसा चलाने के खर्च भी हैं। कमेटी ने IB और ATS के सामने खर्च को लेखा-जोखा रखा है। जब IB और ATS ने इस लेखा-जोखा के जरिए चंदा को ट्रेस करना शुरू किया, तब सऊदी अरब, दुबई और तुर्की के कनेक्शन सामने आए। बच्चों की पढ़ाई के लिए मिलने वाला चंदा विदेशी अकाउंट से आ रहा था। जांच कर रहे अधिकारियों ने पैसा भेजने वाले लोगों की पहचान तो उजागर नहीं की है। मगर इनका पाकिस्तान से कनेक्शन तलाशा जा रहा है। इन बैंक अकाउंट को हैंडल करने वाले लोगों की कुंडली एजेंसियां खंगाल रही हैं। 12 लोगों के बैंक अकाउंट टारगेट पर
मदरसा कमेटी के लोगों से करीब 3 घंटे पूछताछ की गई। सामने आया कि मौलवी मोहम्मद तफसीरुल आरीफीन प्रिंसिपल बनने के बाद चंदा के लिए विदेश में बैठे सभी लोगों के संपर्क में था। बताया गया कि भारत के ही जो लोग विदेशों में बस गए हैं, वहीं बच्चों की तालीम के लिए रुपए भेज रहे थे। जांच एजेंसी ने मदरसा चला रही कमेटी से जुड़े 12 लोगों के बैंक अकाउंट की डिटेल मांगी है। बैंक एडमिनिस्ट्रेशन ब्योरा जल्द ही एजेंसी के साथ साझा कर लेगा। इसके बाद सामने आएगा कि अलग-अलग तारीखों में किस तरह से पैसा आया है। सुरक्षा एजेंसी ने प्रिंसिपल मौलवी मोहम्मद तफसीरुल आरीफीन के परिवार और रिश्तेदारों के बैंक अकाउंट की डिटेल भी तलाश रही है। 80 साल पुराना है मदरसा, 6 साल से मौलवी पढ़ा रहा
प्रयागराज में यह मदरसा करीब 80 साल पुराना है। मौलवी मोहम्मद तफसीरुल आरीफीन 3 साल से प्रिंसिपल है। इससे पहले उसके पिता आशिकुल रहमान प्रिंसिपल थे। उनकी शहर में अच्छी पहचान थी। कोविड की वजह से उनकी मौत हो गई। इसके बाद उनके बेटे मौलवी मोहम्मद तफसीरुल आरीफीन को कार्यवाहक प्रिंसिपल बनाया गया। करीब 6 साल से वह मदरसा के बच्चों को पढ़ाता आ रहा है। हर साल औसतन करीब 105 बच्चे इस मदरसा से पढ़कर बाहर आते हैं। अब उन्हें ही जांच एजेंसी तलाश रही है। एजेंसियां मान रही है कि मौलवी ने उनके दिमाग में क्या फीड किया, यह पता करना बहुत जरूरी हो गया है। एजेंसी के पास कई बच्चों के नाम-पते हैं। वह इन बच्चों से संपर्क कर रही है। रजिस्टर में 105 बच्चों के नाम मिले, पढ़ने वाले 70 की पहचान हुई
जब जांच एजेंसियां मदरसा पहुंची। दस्तावेज में उन्हें 105 बच्चों के नाम रजिस्टर में लिखे हैं। जो 1 साल के लिए रजिस्टर्ड किए गए। 70 बच्चे तालीम हासिल कर रहे थे। जांच अधिकारियों को कमेटी ने बताया कि इस साल पढ़ने वाले बच्चे अपने घरों के लिए लौट चुके हैं। पिछले 5 सालों में भी औसतन 100-100 बच्चे पढ़ाई पूरी करते रहे हैं। इस मदरसा में यूपी के अलावा बिहार, ओडिशा, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल सहित 6 राज्यों के बच्चे पढ़ने आते हैं। इसी मदरसा में हॉस्टल बना है। यही पर उनके रहने और खाने की व्यवस्थाएं की जाती हैं। जाहिर खान नकली आधार कार्ड बनाने का एक्सपर्ट
मौलवी के साथ पकड़े गए जाहिर खान उर्फ अब्दुल जाहिर को लेकर भी नया खुलासा हुआ है। वह ओडिशा के चाना बाशुदेवपुर का रहने वाला है। उसके पास से कई आधार कार्ड मिले, जोकि फर्जी बताए जा रहे हैं। जाहिर खान फर्जी आधार कार्ड बनाने का काम भी करता था। IB के साथ पूछताछ में जाहिर ने स्वीकार किया है कि ओडिशा में उसका भाई भी फर्जी आधार कार्ड और पहचान के दस्तावेज बनाता है। प्रयागराज आने के बाद यहां कुछ लोगों के उसने फर्जी आधार कार्ड बनाए हैं। वह लोग कौन हैं? यह अभी नहीं पता चला है। बाद में इन लोगों ने मिलकर नकली नोट छापना शुरू कर दिया। मदरसा से जुड़े लोग विदेश भी आते-जाते रहे
इनपुट मिले हैं कि इस मदरसा से जुड़े लोग पिछले 5 साल में विदेश आते-जाते रहे हैं। वह किन लोगों से मिले। भारत के ही दूसरे राज्यों से कौन-कौन मदरसा में आया। ऐसे लोगों को भी ट्रेस किया जा रहा है। FSL रिकवर करेगा मौलवी के मोबाइल का डेटा
मदरसा में छापामारी के बाद पुलिस ने मौलवी मोहम्मद तफसीरुल आरीफीन, मोहम्मद अफजल, मोहम्मद जाहिर के मोबाइल कब्जे में लिए। पुलिस की जांच नकली नोटों तक रही। अब बच्चों के ब्रेनवाश का मामला भी सामने आया है। मोबाइल का डेटा को रिकवर करने के लिए फोरेंसिक साइंस लैब की जरूरत पड़ी है। FSL जांच के लिए इनके आरोपियों के मोबाइल भेजे जाने की तैयारी है। इसके बाद आरोपियों के विदेश कनेक्शन सामने आएंगे। IB और ATS से जुड़े लोगों से बात करने पर सामने आया कि एजेंसियां 4 सवाल के जवाब ढूंढ रही हैं… 1. जब हर महीने 4 लाख रुपए की फंडिंग हो रही थी। तो मौलवी और उसके साथ जुड़े लोग नकली नोट क्यों छापने लगे। 2. क्या मौलवी का मकसद देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाना ही था। 3. विदेश में बैठे किसी शख्स ने मौलवी को नकली करेंसी छापने के लिए मजबूर तो नहीं किया। 4. क्या महाकुंभ की वजह से प्रयागराज को नकली नोट छापने के लिए चुना गया। ये भी पढ़ें: प्रयागराज में मौलवी पढ़ाता था- RSS आतंकी संगठन, 70 बच्चों का ब्रेनवॉश करता था, मदरसे में मिलीं आपत्तिजनक किताबें; IB कर रही जांच प्रयागराज के मदरसा में जाली करेंसी छापने के साथ ही एक और खुलासा हुआ है। यहां का प्रिंसिपल मौलवी मोहम्मद तफसीरुल आरीफीन 70 बच्चों का ब्रेनवाश करता था। उन्हें पढ़ाता था- RSS देश का सबसे बड़ा आतंकी संगठन है। जाली करेंसी मामले की जांच के लिए IB की टीम 28 अगस्त को मदरसा पहुंची। मौलवी के कमरे की जांच में कई आपत्तिजनक किताबें और तस्वीरें बरामद कीं। RSS से जुड़े कुछ डॉक्युमेंट और किताबें भी मिली हैं। जिसमें ब्रेनवाश के मामले का खुलासा हुआ। पढ़िए पूरी खबर… प्रयागराज के मदरसा में जाली करेंसी छापने के मामले में नया खुलासा हुआ है। मदरसा से पढ़कर निकले 630 बच्चों को IB और ATS ढूंढ रही है। ये तलाश एजेंसियों को 6 राज्यों तक लेकर गई है। ये वही बच्चे हैं, जिनका मौलवी मोहम्मद तफसीरुल आरीफीन ने ब्रेनवाश किया है। जांच में सामने आया कि मदरसा को तुर्की, सऊदी अरब और दुबई में बैठे लोग पैसा भेज रहे हैं। हर साल करीब 48 लाख रुपए के ट्रांजैक्शन हो रहे थे। यह पैसा किन बैंक अकाउंट में आता है? कहां खर्च होता था? एजेंसियां जांच कर रही हैं। बुधवार को लखनऊ से ATS की स्पेशल टीम प्रयागराज पहुंचेगी। कमेटी ने कहा- लोग मदद के रूप में भेजते हैं पैसे
जाली करेंसी मामले की जांच के लिए IB की टीम 28 अगस्त को मदरसा पहुंची। मौलवी के कमरे की जांच में कई आपत्तिजनक किताबें और तस्वीरें बरामद कीं। IB की टीम को मदरसे से जो किताबें मिली हैं, उनमें एक किताब का नाम है- RSS देश का सबसे बड़ा आतंकवादी संगठन। इसके लेखक SM मुशर्रफ, पूर्व पुलिस महानिरीक्षक (महाराष्ट्र) हैं। मूल किताब उर्दू भाषा में लिखी गई है। इसके हिंदी और मराठी अनुवाद वाली भी किताबें हैं। यह किताब मदरसे के कार्यवाहक प्रिंसिपल मौलवी तफसीरुल आरीफीन के कमरे से मिली है। मौलवी यह किताब बच्चों को पढ़ाता था। अब IB और ATS मदरसा कमेटी को मिलने वाले फंड को ट्रेस कर रही है। कमेटी के मैनेजर शाहिद ने बताया – विदेश और देश के अलग-अलग शहरों के लोग हम इमदार (मदद) के रूप में पैसे भेजते हैं। यह पैसा बच्चों की तालीम, उनके रहने-खाने पर खर्च होता है। साथ ही, मदरसा चलाने के खर्च भी हैं। कमेटी ने IB और ATS के सामने खर्च को लेखा-जोखा रखा है। जब IB और ATS ने इस लेखा-जोखा के जरिए चंदा को ट्रेस करना शुरू किया, तब सऊदी अरब, दुबई और तुर्की के कनेक्शन सामने आए। बच्चों की पढ़ाई के लिए मिलने वाला चंदा विदेशी अकाउंट से आ रहा था। जांच कर रहे अधिकारियों ने पैसा भेजने वाले लोगों की पहचान तो उजागर नहीं की है। मगर इनका पाकिस्तान से कनेक्शन तलाशा जा रहा है। इन बैंक अकाउंट को हैंडल करने वाले लोगों की कुंडली एजेंसियां खंगाल रही हैं। 12 लोगों के बैंक अकाउंट टारगेट पर
मदरसा कमेटी के लोगों से करीब 3 घंटे पूछताछ की गई। सामने आया कि मौलवी मोहम्मद तफसीरुल आरीफीन प्रिंसिपल बनने के बाद चंदा के लिए विदेश में बैठे सभी लोगों के संपर्क में था। बताया गया कि भारत के ही जो लोग विदेशों में बस गए हैं, वहीं बच्चों की तालीम के लिए रुपए भेज रहे थे। जांच एजेंसी ने मदरसा चला रही कमेटी से जुड़े 12 लोगों के बैंक अकाउंट की डिटेल मांगी है। बैंक एडमिनिस्ट्रेशन ब्योरा जल्द ही एजेंसी के साथ साझा कर लेगा। इसके बाद सामने आएगा कि अलग-अलग तारीखों में किस तरह से पैसा आया है। सुरक्षा एजेंसी ने प्रिंसिपल मौलवी मोहम्मद तफसीरुल आरीफीन के परिवार और रिश्तेदारों के बैंक अकाउंट की डिटेल भी तलाश रही है। 80 साल पुराना है मदरसा, 6 साल से मौलवी पढ़ा रहा
प्रयागराज में यह मदरसा करीब 80 साल पुराना है। मौलवी मोहम्मद तफसीरुल आरीफीन 3 साल से प्रिंसिपल है। इससे पहले उसके पिता आशिकुल रहमान प्रिंसिपल थे। उनकी शहर में अच्छी पहचान थी। कोविड की वजह से उनकी मौत हो गई। इसके बाद उनके बेटे मौलवी मोहम्मद तफसीरुल आरीफीन को कार्यवाहक प्रिंसिपल बनाया गया। करीब 6 साल से वह मदरसा के बच्चों को पढ़ाता आ रहा है। हर साल औसतन करीब 105 बच्चे इस मदरसा से पढ़कर बाहर आते हैं। अब उन्हें ही जांच एजेंसी तलाश रही है। एजेंसियां मान रही है कि मौलवी ने उनके दिमाग में क्या फीड किया, यह पता करना बहुत जरूरी हो गया है। एजेंसी के पास कई बच्चों के नाम-पते हैं। वह इन बच्चों से संपर्क कर रही है। रजिस्टर में 105 बच्चों के नाम मिले, पढ़ने वाले 70 की पहचान हुई
जब जांच एजेंसियां मदरसा पहुंची। दस्तावेज में उन्हें 105 बच्चों के नाम रजिस्टर में लिखे हैं। जो 1 साल के लिए रजिस्टर्ड किए गए। 70 बच्चे तालीम हासिल कर रहे थे। जांच अधिकारियों को कमेटी ने बताया कि इस साल पढ़ने वाले बच्चे अपने घरों के लिए लौट चुके हैं। पिछले 5 सालों में भी औसतन 100-100 बच्चे पढ़ाई पूरी करते रहे हैं। इस मदरसा में यूपी के अलावा बिहार, ओडिशा, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल सहित 6 राज्यों के बच्चे पढ़ने आते हैं। इसी मदरसा में हॉस्टल बना है। यही पर उनके रहने और खाने की व्यवस्थाएं की जाती हैं। जाहिर खान नकली आधार कार्ड बनाने का एक्सपर्ट
मौलवी के साथ पकड़े गए जाहिर खान उर्फ अब्दुल जाहिर को लेकर भी नया खुलासा हुआ है। वह ओडिशा के चाना बाशुदेवपुर का रहने वाला है। उसके पास से कई आधार कार्ड मिले, जोकि फर्जी बताए जा रहे हैं। जाहिर खान फर्जी आधार कार्ड बनाने का काम भी करता था। IB के साथ पूछताछ में जाहिर ने स्वीकार किया है कि ओडिशा में उसका भाई भी फर्जी आधार कार्ड और पहचान के दस्तावेज बनाता है। प्रयागराज आने के बाद यहां कुछ लोगों के उसने फर्जी आधार कार्ड बनाए हैं। वह लोग कौन हैं? यह अभी नहीं पता चला है। बाद में इन लोगों ने मिलकर नकली नोट छापना शुरू कर दिया। मदरसा से जुड़े लोग विदेश भी आते-जाते रहे
इनपुट मिले हैं कि इस मदरसा से जुड़े लोग पिछले 5 साल में विदेश आते-जाते रहे हैं। वह किन लोगों से मिले। भारत के ही दूसरे राज्यों से कौन-कौन मदरसा में आया। ऐसे लोगों को भी ट्रेस किया जा रहा है। FSL रिकवर करेगा मौलवी के मोबाइल का डेटा
मदरसा में छापामारी के बाद पुलिस ने मौलवी मोहम्मद तफसीरुल आरीफीन, मोहम्मद अफजल, मोहम्मद जाहिर के मोबाइल कब्जे में लिए। पुलिस की जांच नकली नोटों तक रही। अब बच्चों के ब्रेनवाश का मामला भी सामने आया है। मोबाइल का डेटा को रिकवर करने के लिए फोरेंसिक साइंस लैब की जरूरत पड़ी है। FSL जांच के लिए इनके आरोपियों के मोबाइल भेजे जाने की तैयारी है। इसके बाद आरोपियों के विदेश कनेक्शन सामने आएंगे। IB और ATS से जुड़े लोगों से बात करने पर सामने आया कि एजेंसियां 4 सवाल के जवाब ढूंढ रही हैं… 1. जब हर महीने 4 लाख रुपए की फंडिंग हो रही थी। तो मौलवी और उसके साथ जुड़े लोग नकली नोट क्यों छापने लगे। 2. क्या मौलवी का मकसद देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाना ही था। 3. विदेश में बैठे किसी शख्स ने मौलवी को नकली करेंसी छापने के लिए मजबूर तो नहीं किया। 4. क्या महाकुंभ की वजह से प्रयागराज को नकली नोट छापने के लिए चुना गया। ये भी पढ़ें: प्रयागराज में मौलवी पढ़ाता था- RSS आतंकी संगठन, 70 बच्चों का ब्रेनवॉश करता था, मदरसे में मिलीं आपत्तिजनक किताबें; IB कर रही जांच प्रयागराज के मदरसा में जाली करेंसी छापने के साथ ही एक और खुलासा हुआ है। यहां का प्रिंसिपल मौलवी मोहम्मद तफसीरुल आरीफीन 70 बच्चों का ब्रेनवाश करता था। उन्हें पढ़ाता था- RSS देश का सबसे बड़ा आतंकी संगठन है। जाली करेंसी मामले की जांच के लिए IB की टीम 28 अगस्त को मदरसा पहुंची। मौलवी के कमरे की जांच में कई आपत्तिजनक किताबें और तस्वीरें बरामद कीं। RSS से जुड़े कुछ डॉक्युमेंट और किताबें भी मिली हैं। जिसमें ब्रेनवाश के मामले का खुलासा हुआ। पढ़िए पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर