प्रयागराज में जन्माष्टमी पर बच्ची को कूड़े में फेंका:झाड़ियों के बीच रोती मिली, जन्म के बाद फेंका गया; शेल्टर होम में जी रही जिंदगी

प्रयागराज में जन्माष्टमी पर बच्ची को कूड़े में फेंका:झाड़ियों के बीच रोती मिली, जन्म के बाद फेंका गया; शेल्टर होम में जी रही जिंदगी

जन्माष्टमी के दिन बेटे-बेटियों के पैदा होने पर उन्हें भगवान का रूप मान खुशी मनाने की कई खबरें आईं। इसी बीच प्रयागराज में इंसानियत को शर्मसार करते हुए एक नवजात बच्ची को कूड़े के ढेर के पास फेंक दिया गया। झाड़ियों में बदनसीब बच्ची की रोने की आवाज सुनकर राहगीर ने पुलिस बुलाई। फूलपुर पुलिस ने नवजात बच्ची को हॉस्पिटल पहुंचाया। डॉक्टर ने चेकअप के बाद बच्ची को स्वस्थ बताया। अब बच्ची चाइल्ड वेलफेयर कमेटी की देखरेख में है। दुपट्टे मे लपेटकर बच्ची को फेंका
फूलपुर के चतुर्भुजपुर बरईतारा के रहने वाले सूरज पटेल सोमवार को रास्ते से गुजर रहे थे। उन्हें सरकारी ट्यूबवेल के पास झाड़ियों में बच्ची के रोने की आवाज सुनाई दी। वह रुके और आसपास देखा। कूड़े के ढेर के पास झाड़ियों के बीच एक बच्ची पड़ी थी। दुपट्‌टे में लिपटी बच्ची रो रही थी। गोद लेने की इच्छा जता रहे कई लोग
सूरज पटेल ने इसकी सूचना 112 नंबर पर पुलिस को दी। पीआरवी और फूलपुर थाने से पुलिस टीम पहुंची। फिर एंबुलेंस बुलाई गई। CHC फूलपुर में बच्ची को डॉक्टर ने देखा। बच्ची कौन है? उसे वहां लाकर किसने फेंका? इसका जवाब किसी के पास नहीं है। नवजात बच्ची के कूड़े में मिलने की चर्चा आसपास के गांवों में खूब रही है। कई परिवार बच्ची को गोद लेने की इच्छा जता रहे हैं। जन्म के बाद ही फेंका गया
CHC के डॉक्टरों के मुताबिक, बच्ची को जन्म के बाद फेंका गया है। बच्ची काफी भूखी थी। उसे दूध पिलाया गया। अब चाइल्ड वेलफेयर कमेटी बच्ची की अच्छी देखभाल कर रही है। उन्हें निर्देश दिया गया है कि बच्ची की सेहत में कुछ भी बदलाव हो तो तुरंत हॉस्पिटल लाया जाए। 4 दिन पहले बरेली में बच्ची को पोटली में बांधकर फेंका था चार दिन पहले शुक्रवार की शाम बरेली में भी बच्ची को फेंका गया था। कैंट क्षेत्र के ठिरिया निजावत खां में मनपुरिया रोड किनारे पोटली में बांधकर कब्रिस्तान के पास बच्ची को फेंका गया था। बच्ची के रोने की आवाज सुनकर एक व्यक्ति ने उठाकर निसंतान दंपती को सौंप दिया, लेकिन किसी ने चाइल्ड हेल्पलाइन पर सूचना दे दी। हेल्पलाइन के सुपरवाइजर ने बच्ची को दंपती से लेकर जिला अस्पताल में भर्ती कराया है। डॉक्टरों के अनुसार, बच्ची के ब्लड में इन्फेक्शन है। कबिस्तान के पास मिली बच्ची की उम्र 2 दिन
ठिरिया निजावत खां निवासी कौसर अली ने बताया- शुक्रवार शाम करीब 6 बजे वह कब्रिस्तान के पास से गुजर रहे थे। वहां रोड पर झाड़ियों के बीच में बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी। देखा तो एकग पोटली में बच्ची बंधी रो रही थी। उन्होंने अपने गमछे में बच्ची को उठाया और ठिरिया वार्ड-7 में रहने वाले मैसर अली और उनकी पत्नी निशा को सौंप दिया। इसी बीच शनिवार को किसी ने चाइल्ड हेल्पलाइन को सूचना दे दी। शनिवार देर रात चाइल्ड हेल्पलाइन की सुपरवाइजर मेघना शर्मा, रवि गंगवार ने थाने पहुंचकर बच्ची को मंगा लिया। इसके बाद बच्ची को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने बताया कि बच्ची की उम्र अभी दो दिन है। उसके खून में इंफेक्शन है। इस हालत में मिली बच्चियों को कई कपल गोद लेना चाहते हैं, आगे गोद लेने के नियम बताते हैं… ये भी पढ़ें:- सुप्रीम कोर्ट ने कहा- केंद्र बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया आसान बनाए: इसकी प्रक्रिया 3-4 साल तक लंबी करीब 10 महीने पहले सुप्रीम कोर्ट ने देश में बच्चा गोद लेने की लंबी प्रक्रिया पर सवाल उठाए। एक याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि कोई भी युवा कपल बच्चा गोद लेने के लिए 3-4 साल का इंतजार नहीं कर सकता है। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने भारत में अनाथ बच्चों की संख्या पर चिंता जताई। कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस पूरी प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए कहा है। दरअसल, देश में लाखों की संख्या में अनाथ बच्चे हैं और चिंता की बात यह है कि ऐसे बच्चों को गोद लेने के इच्छुक मां-बाप और सिंगल मदर-फादर की संख्या भी लाखों में है। मगर समस्या देश में कानूनी तौर पर गोद लेने की तीन चार चलती लंबी प्रक्रिया है। जानिए देश में बच्चा गोद लेने की पूरी प्रक्रिया क्या है और भारतीय बच्चे को कौन गोद ले सकते हैं? पढ़ें पूरी खबर… जन्माष्टमी के दिन बेटे-बेटियों के पैदा होने पर उन्हें भगवान का रूप मान खुशी मनाने की कई खबरें आईं। इसी बीच प्रयागराज में इंसानियत को शर्मसार करते हुए एक नवजात बच्ची को कूड़े के ढेर के पास फेंक दिया गया। झाड़ियों में बदनसीब बच्ची की रोने की आवाज सुनकर राहगीर ने पुलिस बुलाई। फूलपुर पुलिस ने नवजात बच्ची को हॉस्पिटल पहुंचाया। डॉक्टर ने चेकअप के बाद बच्ची को स्वस्थ बताया। अब बच्ची चाइल्ड वेलफेयर कमेटी की देखरेख में है। दुपट्टे मे लपेटकर बच्ची को फेंका
फूलपुर के चतुर्भुजपुर बरईतारा के रहने वाले सूरज पटेल सोमवार को रास्ते से गुजर रहे थे। उन्हें सरकारी ट्यूबवेल के पास झाड़ियों में बच्ची के रोने की आवाज सुनाई दी। वह रुके और आसपास देखा। कूड़े के ढेर के पास झाड़ियों के बीच एक बच्ची पड़ी थी। दुपट्‌टे में लिपटी बच्ची रो रही थी। गोद लेने की इच्छा जता रहे कई लोग
सूरज पटेल ने इसकी सूचना 112 नंबर पर पुलिस को दी। पीआरवी और फूलपुर थाने से पुलिस टीम पहुंची। फिर एंबुलेंस बुलाई गई। CHC फूलपुर में बच्ची को डॉक्टर ने देखा। बच्ची कौन है? उसे वहां लाकर किसने फेंका? इसका जवाब किसी के पास नहीं है। नवजात बच्ची के कूड़े में मिलने की चर्चा आसपास के गांवों में खूब रही है। कई परिवार बच्ची को गोद लेने की इच्छा जता रहे हैं। जन्म के बाद ही फेंका गया
CHC के डॉक्टरों के मुताबिक, बच्ची को जन्म के बाद फेंका गया है। बच्ची काफी भूखी थी। उसे दूध पिलाया गया। अब चाइल्ड वेलफेयर कमेटी बच्ची की अच्छी देखभाल कर रही है। उन्हें निर्देश दिया गया है कि बच्ची की सेहत में कुछ भी बदलाव हो तो तुरंत हॉस्पिटल लाया जाए। 4 दिन पहले बरेली में बच्ची को पोटली में बांधकर फेंका था चार दिन पहले शुक्रवार की शाम बरेली में भी बच्ची को फेंका गया था। कैंट क्षेत्र के ठिरिया निजावत खां में मनपुरिया रोड किनारे पोटली में बांधकर कब्रिस्तान के पास बच्ची को फेंका गया था। बच्ची के रोने की आवाज सुनकर एक व्यक्ति ने उठाकर निसंतान दंपती को सौंप दिया, लेकिन किसी ने चाइल्ड हेल्पलाइन पर सूचना दे दी। हेल्पलाइन के सुपरवाइजर ने बच्ची को दंपती से लेकर जिला अस्पताल में भर्ती कराया है। डॉक्टरों के अनुसार, बच्ची के ब्लड में इन्फेक्शन है। कबिस्तान के पास मिली बच्ची की उम्र 2 दिन
ठिरिया निजावत खां निवासी कौसर अली ने बताया- शुक्रवार शाम करीब 6 बजे वह कब्रिस्तान के पास से गुजर रहे थे। वहां रोड पर झाड़ियों के बीच में बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी। देखा तो एकग पोटली में बच्ची बंधी रो रही थी। उन्होंने अपने गमछे में बच्ची को उठाया और ठिरिया वार्ड-7 में रहने वाले मैसर अली और उनकी पत्नी निशा को सौंप दिया। इसी बीच शनिवार को किसी ने चाइल्ड हेल्पलाइन को सूचना दे दी। शनिवार देर रात चाइल्ड हेल्पलाइन की सुपरवाइजर मेघना शर्मा, रवि गंगवार ने थाने पहुंचकर बच्ची को मंगा लिया। इसके बाद बच्ची को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने बताया कि बच्ची की उम्र अभी दो दिन है। उसके खून में इंफेक्शन है। इस हालत में मिली बच्चियों को कई कपल गोद लेना चाहते हैं, आगे गोद लेने के नियम बताते हैं… ये भी पढ़ें:- सुप्रीम कोर्ट ने कहा- केंद्र बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया आसान बनाए: इसकी प्रक्रिया 3-4 साल तक लंबी करीब 10 महीने पहले सुप्रीम कोर्ट ने देश में बच्चा गोद लेने की लंबी प्रक्रिया पर सवाल उठाए। एक याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि कोई भी युवा कपल बच्चा गोद लेने के लिए 3-4 साल का इंतजार नहीं कर सकता है। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने भारत में अनाथ बच्चों की संख्या पर चिंता जताई। कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस पूरी प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए कहा है। दरअसल, देश में लाखों की संख्या में अनाथ बच्चे हैं और चिंता की बात यह है कि ऐसे बच्चों को गोद लेने के इच्छुक मां-बाप और सिंगल मदर-फादर की संख्या भी लाखों में है। मगर समस्या देश में कानूनी तौर पर गोद लेने की तीन चार चलती लंबी प्रक्रिया है। जानिए देश में बच्चा गोद लेने की पूरी प्रक्रिया क्या है और भारतीय बच्चे को कौन गोद ले सकते हैं? पढ़ें पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर