अमृतसर | डीसी साक्षी साहनी ने प्रीगैबलिन दवा के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी किए हैं। जारी आदेशों में कहा है कि कैप्सूल/टैबलेट के रूप में 150 मिलीग्राम और 300 मिलीग्राम वाले प्रीगैबलिन के फॉर्मूले का दुरुपयोग किया जा रहा है। यह दवा डॉक्टरों द्वारा अकसर नहीं दी जाती है। यहां तक कि न्यूरोलॉजिस्ट/ऑर्थोप डिक्स भी प्रीगैबलिन दवा की केवल 75 मिलीग्राम ही लिख रहे। 75 मिलीग्राम से अधिक कैप्सूल/टैबलेट के भंडारण और बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। उसमें भी थोक विक्रेता, खुदरा विक्रेता, केमिस्ट/मेडिकल स्टोर के मालिक, अस्पतालों में फार्मेसी या कोई अन्य बिना डॉक्टर की लिखी पर्ची के नहीं बेचेगा। 75 मिलीग्राम तक की प्रीगैबलिन दवा के खरीद-बिक्री का सटीक रिकॉर्ड रखेंगे। अमृतसर | डीसी साक्षी साहनी ने प्रीगैबलिन दवा के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी किए हैं। जारी आदेशों में कहा है कि कैप्सूल/टैबलेट के रूप में 150 मिलीग्राम और 300 मिलीग्राम वाले प्रीगैबलिन के फॉर्मूले का दुरुपयोग किया जा रहा है। यह दवा डॉक्टरों द्वारा अकसर नहीं दी जाती है। यहां तक कि न्यूरोलॉजिस्ट/ऑर्थोप डिक्स भी प्रीगैबलिन दवा की केवल 75 मिलीग्राम ही लिख रहे। 75 मिलीग्राम से अधिक कैप्सूल/टैबलेट के भंडारण और बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। उसमें भी थोक विक्रेता, खुदरा विक्रेता, केमिस्ट/मेडिकल स्टोर के मालिक, अस्पतालों में फार्मेसी या कोई अन्य बिना डॉक्टर की लिखी पर्ची के नहीं बेचेगा। 75 मिलीग्राम तक की प्रीगैबलिन दवा के खरीद-बिक्री का सटीक रिकॉर्ड रखेंगे। पंजाब | दैनिक भास्कर
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बंदी छोड़ दिवस के लिए अकाल तख्त साहिब से आदेश:कहा- सिख नरसंहार की याद में घी के दीये जलाएं; बिजली की सजावट से बचें
बंदी छोड़ दिवस के लिए अकाल तख्त साहिब से आदेश:कहा- सिख नरसंहार की याद में घी के दीये जलाएं; बिजली की सजावट से बचें पंजाब के अमृतसर में गोल्डन टेंपल स्थित श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने सिख समुदाय के लिए बंदी छोड़ दिवस के अवसर पर एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है। उन्होंने 1 नवंबर 2024 को गुरु हरगोबिंद साहिब जी की याद में केवल घी के दीये जलाने की सलाह दी है और किसी भी प्रकार की बिजली की सजावट न करने का अनुरोध किया है। यह निर्देश 1 नवंबर 1984 को हुए सिख नरसंहार की 40वीं बरसी के मद्देनजर दिया गया है। ज्ञानी रघबीर सिंह ने घोषणा की है कि इस साल केवल गोल्डन टेंपल और श्री अकाल तख्त साहिब पर ही बिजली की सजावट की जाएगी। दुनिया भर की सिख संगत को सलाह दी गई है कि वे अपने घरों और गुरुद्वारों में केवल घी के दीये जलाएं और बिजली की सजावट से परहेज करें। अकाल तख्त साहिब के सचिवालय द्वारा जारी एक लिखित बयान में उन्होंने 1984 के सिख नरसंहार को याद किया, जो कांग्रेस सरकार के शासन के दौरान हुआ था। 110 शहरों में हुआ था सिख नरसंहार ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि दिल्ली सहित देश के 110 शहरों में सिखों का नरसंहार किया गया और इसे एक “सिख नरसंहार” के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए। ज्ञानी रघबीर सिंह ने इस घटना को सिख समुदाय के लिए एक गहरे घाव के रूप में याद किया जो आने वाली पीढ़ियों तक उनके मन में रहेगा। उन्होंने कहा कि 1 नवंबर का दिन बंदी छोड़ दिवस के रूप में भी मनाया जाता है, जो श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी के ग्वालियर किले से रिहाई और श्री अमृतसर साहिब आगमन की याद में मनाया जाता है। दिल्ली में बिगड़े थे हालात 1984 का सिख नरसंहार भारत के इतिहास का एक ऐसा काला अध्याय है जो सिख समुदाय के लिए गहरे दर्द और त्रासदी के रूप में आज भी ताजा है। यह नरसंहार 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके दो सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या के बाद शुरू हुआ था। इंदिरा गांधी की हत्या की खबर फैलते ही दिल्ली और अन्य प्रमुख शहरों में सिख समुदाय के खिलाफ हिंसा की आग भड़क उठी। भीड़ ने घरों, गुरुद्वारों, दुकानों और संपत्तियों को निशाना बनाना शुरू किया, सिख पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को मार डाला और संपत्तियों को जला दिया। कई जगहों पर ट्रेन के डिब्बों में सिखों को जलाया गया और उनके घरों को तबाह कर दिया गया। जान-माल का भारी नुकसान और भय का माहौल अधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में लगभग 3000 से अधिक सिखों की हत्या कर दी गई थी, जबकि अन्य शहरों में भी हिंसा फैल गई। हालांकि, अनौपचारिक आंकड़े इससे कहीं अधिक हैं, क्योंकि हिंसा के बाद के कई वर्षों तक सटीक आंकड़ों का अभाव रहा। सिख समुदाय के घरों, गुरुद्वारों, दुकानों और अन्य संपत्तियों को भी बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा।
44 घंटे बाद किसान नेता की पहली तस्वीर सामने आई:DMC अस्पताल के अंदर जाते दिखे डल्लेवाल; पुलिस ने हिरासत में ले रखा
44 घंटे बाद किसान नेता की पहली तस्वीर सामने आई:DMC अस्पताल के अंदर जाते दिखे डल्लेवाल; पुलिस ने हिरासत में ले रखा पंजाब पुलिस के खनौरी बॉर्डर से हिरासत में लिए गए किसान नेता जगजीत डल्लेवाल की 44 घंटे बाद लुधियाना के DMC अस्पताल से पहली तस्वीर सामने आई है। इसमें वह डीएमसी के अंदर जाते हुए नजर आ रहे हैं, लेकिन उनके साथ पुलिसवाले भी मौजूद हैं। किसानों की तरफ से लगातार डल्लेवाल की हालत को लेकर चिंता जताई जा रही थी। हालांकि अभी भी डल्लेवाल से मुलाकात को लेकर पुलिस की तरफ से सख्ती है। वहीं बुधवार को खनौरी बॉर्डर पर पंजाब पुलिस के DIG मनदीप सिद्धू, पटियाला SSP नानक सिंह और इंटेलिजेंस के अधिकारी किसानों से मीटिंग करने पहुंचे। पुलिस चाहती थी कि किसान मरणव्रत पर न बैठें। मगर इसका कोई नतीजा नहीं निकला। किसान नेता काका सिंह कोटड़ा ने कहा कि मीटिंग में डल्लेवाल का मुद्दा उठाया। इसमें साफ किया कि जब तक डल्लेवाल मोर्चे पर नहीं आते हैं, तब तक आगे की बातचीत नहीं होगी। इस पर पुलिस अधिकारियों ने कहा कि उनकी बात सुन ली है। ये मैसेज उच्च अधिकारियों व सरकार तक पहुंचाया जाएगा। जल्दी ही इस बारे में सूचित किया जाएगा। किसानों ने साफ किया है कि अगर मरणव्रत के दौरान किसी नेता की मौत होती है तो उनका संस्कार नहीं होगा। दूसरा साथी आगे मरणव्रत पर बैठेगा। यह मरणव्रत उस समय तक चलेगा, जब तक मांगे पूरी नहीं की जाती हैं। वहीं हरियाणा BJP के अध्यक्ष मोहनलाल बड़ौली ने दिल्ली कूच पर कहा कि यह किसानों का फैसला है। किसानों को दिल्ली जाना चाहिए। दिल्ली किसानों की है। दिल्ली में भी किसान हैं। पंधेर बोले- सीएम भगवंत मान जवाब दें
उधर, किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा- केंद्र सरकार ने स्पष्टीकरण दिया है कि ये उनका हाथ नहीं है। अब पंजाब सरकार अपनी स्थिति साफ करे। सीएम भगवंत मान जवाब दें। एक सांसद डल्लेवाल से मिलने गए, लेकिन उन्हें मिलने नहीं दिया गया। हमें नजर आ रहा है कि दाल में कुछ काला है। किसान नेता सुखजीत सिंह हरदो झंडे ने मरणव्रत शुरू किया है सरकार डल्लेवाल को बांधकर, उनके नाक में नली लगाकर खुराक दे रही होगी, क्योंकि उन्होंने खुद कह रखा है कि मैं कुछ खाऊंगा-पिऊंगा नहीं। उनकी मौजूदा स्थिति के बारे में न अस्पताल बता रहा है और न ही कोई सरकार का प्रवक्ता बता रहा है। यह मानव अधिकारों का उल्लंघन है। जिस तरह के हालात पैदा किए जा रहे हैं, वह टकराव वाले हैं। इसी के साथ हम लगातार पूरे पंजाब में तैयारी कर रहे हैं। मोर्चे से अन्य नेताओं को उठाया जा सकता है। ऐसे में अधिक से अधिक संख्या में लोग मोर्चों पर पहुंचे। लुधियाना के DMC अस्पताल में भर्ती डल्लेवाल
पुलिस ने डल्लेवाल को खनौरी बॉर्डर से उठाकर लुधियाना के DMC अस्पताल में भर्ती कराया है। अस्पताल में डल्लेवाल कुछ नहीं खा रहे हैं। उन्होंने सिर्फ पानी और कैंसर की दवा ली है। बुधवार सुबह उनका ब्लड शुगर का लेवल बढ़ गया। डॉक्टरों की टीम जांच करने के लिए आई तो उन्होंने मना कर दिया। मंगलवार रात को फरीदकोट से निर्दलीय सांसद सर्बजीत सिंह खालसा उनसे मिलने के लिए अस्पताल पहुंचे थे। यहां पुलिस अधिकारियों ने उन्हें मिलने नहीं दिया। वहीं शंभू बॉर्डर पर 4 फुट रास्ता खोलने की तैयारी है, क्योंकि किसानों ने 6 दिसंबर को दिल्ली कूच का ऐलान किया है। किसानों ने मंगलवार को एक वीडियो भी शेयर किया, जिसमें कुछ लोग सीमेंट की बैरिकेडिंग पर हथौड़ा मार रहे हैं। हालांकि, अभी काम रुका हुआ है। वहीं, आम आदमी पार्टी के प्रधान अमन अरोड़ा ने कहा कि डल्लेवाल की गिरफ्तारी को लेकर मुख्यमंत्री से बात नहीं हो पाई है। रवनीत सिंह बिट्टू को किसानों और किसानी के संदर्भ में बोलने का अधिकार नहीं है। वह पिछले लंबे समय से किसानी, किसानों के प्रति अपशब्द बोलते आ रहे हैं। वह चुप्पी का दान दें। DIG बोले- प्रशासन को डल्लेवाल की उम्र-सेहत की चिंता
पटियाला रेंज के DIG मनदीप सिंह सिद्धू ने कहा कि डल्लेवाल ने मरणव्रत की घोषणा की थी। उनकी उम्र और सेहत की वजह से प्रशासन चिंतित था। मरणव्रत के ऐलान के बाद भीड़ हो जाती है, जिससे स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं पहुंच पाती। इसी वजह से प्रशासन ने फैसला किया कि उनकी मेडिकल जांच कराई जाए। इसके लिए उन्हें लुधियाना डीएमसी लेकर आए हैं। सरकार को 10 दिन का दिया समय
जैसे ही मंगलवार सुबह किसान नेता डल्लेवाल को उठाया गया तो किसान भड़क गए। किसान नेता सरवन पंधेर ने मीटिंग कर अगली रणनीति बनाई। किसान नेताओं ने कहा है कि इस आंदोलन का यह दूसरा चरण है। उन्होंने केंद्र सरकार को 10 दिन का समय बातचीत के लिए दिया है। अगर इसमें कोई सहमति नहीं बनी तो किसान 6 दिसंबर को दिल्ली की तरफ कूच करेंगे। किसानों का कहना है कि हमारे सुरक्षा पहरे में कोई कमी रह गई थी, जो पुलिस हमारे किसान नेता को उठाकर ले गई। इस बार उनका सुरक्षा पहरा मजबूत रहेगा। पुलिस मरणव्रत पर बैठे साथी तक नहीं पहुंच पाएगी। डल्लेवाल ने जमीन परिवार के नाम की
डल्लेवाल ने 4 नवंबर को ऐलान किया था कि पार्लियामेंट सेशन शुरू होते ही वह भूख हड़ताल पर बैठेंगे। इसके बाद 6 दिसंबर को किसान दिल्ली कूच करेंगे। 25 नवंबर को फरीदकोट में जगजीत सिंह डल्लेवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा है कि वह सिर पर कफन बांधकर आमरण अनशन पर बैठने जा रहे हैं। केंद्र सरकार को उनकी मांगें पूरी करनी होंगी या फिर वह अपनी जान कुर्बान कर देंगे। उनकी मौत से भी आंदोलन नहीं रुकेगा। मौत के बाद दूसरे नेता आमरण अनशन शुरू करेंगे। इसलिए अपनी जमीन को पुत्र, पुत्रवधू और पौत्र के नाम करवा दिया है, ताकि कोई विवाद न रहे। बिना ट्रैक्टर-ट्रॉली दिल्ली जाएंगे किसान
इधर, किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने 18 नवंबर को ऐलान किया था कि किसान 6 दिसंबर को दिल्ली कूच करेंगे। उन्होंने कहा था कि 9 महीने से किसान चुप बैठे हैं, लेकिन सरकारों की ओर से हमारी उपेक्षा की जा रही है। इस कारण दिल्ली जाने का फैसला लिया है। इस बार किसान ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के बजाय पैदल मार्च करेंगे। इसमें पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों के किसान शामिल होंगे। सरकार के पास 10 दिन का समय है। 13 फरवरी को दिल्ली कूच करने निकले थे
फसलों पर MSP की गारंटी समेत दूसरी मांगों को लेकर पंजाब के किसान 13 फरवरी 2024 को दिल्ली कूच करने के लिए निकले थे। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हरियाणा सरकार ने हरियाणा और पंजाब के शंभू बॉर्डर, खनौरी बॉर्डर और डबवाली बॉर्डर को बैरिकेड्स लगाकर बंद कर दिया था। इसके बाद लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो गई। शंभू बॉर्डर पर किसानों ने पंजाब की तरफ स्थायी मोर्चा बना लिया। ऐसे में वहां से आवाजाही बंद है। इससे अंबाला के व्यापारियों को परेशानी हो रही है। इस कारण उन्होंने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को बॉर्डर खोलने के आदेश दिए थे, लेकिन सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई।
बरनाला उपचुनाव में एक्टिव हुए सांसद मीत हेयर:डेंगू को हराया; कांग्रेस नेताओं को पार्टी में शामिल कराया, बाठ निर्दलीय दे रहे चुनौती
बरनाला उपचुनाव में एक्टिव हुए सांसद मीत हेयर:डेंगू को हराया; कांग्रेस नेताओं को पार्टी में शामिल कराया, बाठ निर्दलीय दे रहे चुनौती डेंगू को मात देने के बाद सांसद गुरमीत सिंह मीत हेयर 13 नवंबर को बरनाला में होने वाले विधानसभा उपचुनाव के लिए फिर से एक्टिव हो गए हैं। उन्होंने खुद हलके की कमान संभाल ली है। इसके साथ ही उन्होंने कई कांग्रेस नेताओं को आम आदमी पार्टी (AAP) में शामिल करवाया है। साथ ही वह लगातार पार्टी की गतिविधियों में हिस्सा ले रहे हैं। वह इससे जुड़ी तमाम जानकारियां अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर लगातार शेयर कर रहे हैं। हालांकि, AAP में सालों से मजबूत आधार रखने वाले गुरदीप सिंह बाठ इस बार टिकट न मिलने पर आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में उतरे हैं। आप ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया है। दो दिन से कर रहे हैं बैठकें करीब 20 घंटे पहले सांसद ने एक पोस्ट शेयर कर लिखा था कि भदलवड में कांग्रेस नेता और पूर्व सरपंच राजवंत सिंह गिल अपने साथियों के साथ आम आदमी पार्टी में शामिल हुए। आप प्रत्याशी हरिंदर सिंह धालीवाल के चुनाव प्रचार को पूरे विधानसभा क्षेत्र से जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। इससे पहले 30 अक्टूबर को भी उन्होंने पोस्ट किया था कि – कांग्रेस पार्षद जगजीत जग्गू मोर अपने साथियों के साथ आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए हैं। 26 अक्टूबर डेंगू पॉजिटिव होने बारे बताया गुरमीत सिंह मीत हेयर गत दिनों डेंगू पॉजिटिव हुए थे। उनका मोहाली के एक निजी अस्पताल में इलजा चल रहा था। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा था- मैं पिछले एक सप्ताह से डेंगू पॉजिटिव होने के कारण अस्पताल में भर्ती हूं। मैं अपने बरनाला निवासियों से उप चुनाव के लिए हमारे उम्मीदवार हरिंदर सिंह धालीवाल के चुनाव अभियान में सक्रिय रूप से भाग लेने का अनुरोध करता हूं। ठीक होने के बाद मैं जल्द ही चुनाव प्रचार में शामिल होऊंगा। बरनाला विधानसभा चुनाव इस बार जबरदस्त टक्कर गुरमीत सिंह मीत हेयर 2017 से 2022 तक दो बार बरनाला के विधायक रहे हैं। 2024 वह रिकॉर्ड एक लाख मतों से जीतकर संगरूर से सांसद बने थे। 2017 में उन्होंने कांग्रेस के तत्कालीन नेता केवल सिंह ढिल्लों को हराया था। इस दौरान गुरमीत सिंह मीत हेयर काे 47606 वोट मिले थे। जबकि केवल ढिल्लों को 45174 मत मिले थे। 2022 में चुनाव में गुरमीत सिंह मीत हेयर 64800 वोट मिले थे। जबकि दूसरे नंबर पर अकाली उम्मीदवार कुलवंत सिंह कीटू 25174 वोट मिले थे। उस समय कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय पवन बंसल के बेटे मनीष बंसल को चुनावी मैदान उन्हें 16853 वोट मिले थे। लेकिन इस बार केवल सिंह ढिल्लों कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आ गए है। साथ ही चुनावी मैदान में है।