<p style=”text-align: justify;”><strong>Premchand Aggarwal Resignation:</strong> उत्तराखंड की राजनीति में प्रेमचंद अग्रवाल एक बड़ा नाम हैं. ऋषिकेश विधानसभा क्षेत्र से चार बार विधायक रहने के साथ ही वह विधानसभा अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं. लेकिन, उनकी राजनीतिक यात्रा हमेशा सुर्खियों में रही, और अक्सर विवादों से उनका गहरा नाता बना रहा. चाहे विधानसभा नियुक्तियों का मामला हो, सरकारी नौकरी में बेटे की नियुक्ति को लेकर उठे सवाल हों या फिर सार्वजनिक रूप से हुई बहस और हाथापाई—अग्रवाल कई मौकों पर विवादों में घिरते रहे हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>उत्तराखंड विधानसभा में पहाड़ियों को लेकर दिए बयान के बाद वो विवादों में आ गए और उन्हें असहज स्थिति का सामना करना पड़ा. क्षेत्रवाद से जुड़े इस बयान के बाद लगातार उनके इस्तीफे की मांग उठने लगी, जिसके बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. उनके सियासी जीवन में कई तरह के विवाद रहे हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>विवादों से घिरा रहा सियासी सफर</strong><br />प्रेमचंद अग्रवाल ने 2007 में पहली बार ऋषिकेश विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इसके बाद 2012, 2017 और 2022 में भी उन्होंने जीत दर्ज की. 2017 से 2022 तक वह उत्तराखंड विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे। वर्तमान में उनके पास वित्त, राज्य कर और संसदीय कार्य जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी थी. </p>
<p style=”text-align: justify;”>अग्रवाल का सबसे बड़ा विवाद विधानसभा सचिवालय में तदर्थ (संविदा) नियुक्तियों से जुड़ा रहा. जब वह विधानसभा अध्यक्ष थे, तब 2016 से 2021 के बीच 228 नियुक्तियां की गईं. आरोप लगे कि ये नियुक्तियां बैकडोर से और नियमों को दरकिनार करके की गई थीं. जांच में भी ये नियुक्तियां अवैध मिली जिसके बाद सभी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया. प्रेमचंद अग्रवाल पर भी इस्तीफे का दबाव बना लेकिन, उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया.</p>
<p><iframe title=”YouTube video player” src=”https://www.youtube.com/embed/s8Fw1rviAqQ?si=yxWKsBk_h6_ZANWs” width=”560″ height=”315″ frameborder=”0″ allowfullscreen=”allowfullscreen”></iframe></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बेटे की नियुक्ति को लेकर भी उठे सवाल</strong><br />2018 में जब प्रेमचंद अग्रवाल विधानसभा अध्यक्ष थे, तब उनके बेटे की उपनल के माध्यम से जल संस्थान में सहायक अभियंता के पद पर नियुक्ति कर दी गई. इस नियुक्ति पर सवाल उठने लगे, क्योंकि उपनल (उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम लिमिटेड) के जरिए आमतौर पर पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों को नौकरियां दी जाती हैं. ये मामला विपक्ष ने उठाया, तो विवाद बढ़ गया. जिसके बाद उनके बेटे को जल संस्थान से हटा दिया गया. </p>
<p style=”text-align: justify;”>13 जून 2019 को केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत उत्तराखंड के ऋषिकेश में नमामि गंगे परियोजना की समीक्षा के लिए पहुंचे थे. इस दौरान प्रेमचंद अग्रवाल और तत्कालीन दर्जा प्राप्त मंत्री भगतराम कोठारी के बीच किसी मुद्दे को लेकर विवाद हो गया. बात इतनी बढ़ गई कि दोनों के बीच गाली-गलौज तक की नौबत आ गई. हालांकि, बाद में दोनों नेताओं ने सार्वजनिक रूप से इस विवाद को तूल न देने की बात कही. </p>
<p style=”text-align: justify;”><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/ayodhya-ram-mandir-who-will-be-new-chief-priest-after-acharya-satyendra-das-2905376″><strong>Ram Mandir: राम मंदिर में अब कोई नहीं होगा मुख्य पुजारी, श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट का बड़ा फैसला</strong></a></p>
<p style=”text-align: justify;”>2 मई 2023 को ऋषिकेश के कोयलघाटी क्षेत्र में प्रेमचंद अग्रवाल का एक युवक के साथ हाथापाई करते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. वीडियो में मंत्री अग्रवाल सड़क पर एक युवक के साथ बहस करते दिखे, जो बाद में हाथापाई में बदल गई. इस घटना के वीडियो वायरल होने के बाद, जनता में उनकी छवि को लेकर फिर से सवाल खड़े हुए. </p>
<p style=”text-align: justify;”>कैबिनेट मंत्री रहते हुए प्रेमचंद अग्रवाल ने सदन में एक बयान दिया, जिसे पहाड़ी समुदाय के खिलाफ बताया गया. इस बयान के बाद उत्तराखंड में भारी विरोध शुरू हो गया. विपक्षी दलों के साथ-साथ आम जनता ने भी उनके इस्तीफे की मांग की. जिसके बाद रविवार 16 मार्च 2025 को उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. </p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Premchand Aggarwal Resignation:</strong> उत्तराखंड की राजनीति में प्रेमचंद अग्रवाल एक बड़ा नाम हैं. ऋषिकेश विधानसभा क्षेत्र से चार बार विधायक रहने के साथ ही वह विधानसभा अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं. लेकिन, उनकी राजनीतिक यात्रा हमेशा सुर्खियों में रही, और अक्सर विवादों से उनका गहरा नाता बना रहा. चाहे विधानसभा नियुक्तियों का मामला हो, सरकारी नौकरी में बेटे की नियुक्ति को लेकर उठे सवाल हों या फिर सार्वजनिक रूप से हुई बहस और हाथापाई—अग्रवाल कई मौकों पर विवादों में घिरते रहे हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>उत्तराखंड विधानसभा में पहाड़ियों को लेकर दिए बयान के बाद वो विवादों में आ गए और उन्हें असहज स्थिति का सामना करना पड़ा. क्षेत्रवाद से जुड़े इस बयान के बाद लगातार उनके इस्तीफे की मांग उठने लगी, जिसके बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. उनके सियासी जीवन में कई तरह के विवाद रहे हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>विवादों से घिरा रहा सियासी सफर</strong><br />प्रेमचंद अग्रवाल ने 2007 में पहली बार ऋषिकेश विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इसके बाद 2012, 2017 और 2022 में भी उन्होंने जीत दर्ज की. 2017 से 2022 तक वह उत्तराखंड विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे। वर्तमान में उनके पास वित्त, राज्य कर और संसदीय कार्य जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी थी. </p>
<p style=”text-align: justify;”>अग्रवाल का सबसे बड़ा विवाद विधानसभा सचिवालय में तदर्थ (संविदा) नियुक्तियों से जुड़ा रहा. जब वह विधानसभा अध्यक्ष थे, तब 2016 से 2021 के बीच 228 नियुक्तियां की गईं. आरोप लगे कि ये नियुक्तियां बैकडोर से और नियमों को दरकिनार करके की गई थीं. जांच में भी ये नियुक्तियां अवैध मिली जिसके बाद सभी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया. प्रेमचंद अग्रवाल पर भी इस्तीफे का दबाव बना लेकिन, उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया.</p>
<p><iframe title=”YouTube video player” src=”https://www.youtube.com/embed/s8Fw1rviAqQ?si=yxWKsBk_h6_ZANWs” width=”560″ height=”315″ frameborder=”0″ allowfullscreen=”allowfullscreen”></iframe></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बेटे की नियुक्ति को लेकर भी उठे सवाल</strong><br />2018 में जब प्रेमचंद अग्रवाल विधानसभा अध्यक्ष थे, तब उनके बेटे की उपनल के माध्यम से जल संस्थान में सहायक अभियंता के पद पर नियुक्ति कर दी गई. इस नियुक्ति पर सवाल उठने लगे, क्योंकि उपनल (उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम लिमिटेड) के जरिए आमतौर पर पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों को नौकरियां दी जाती हैं. ये मामला विपक्ष ने उठाया, तो विवाद बढ़ गया. जिसके बाद उनके बेटे को जल संस्थान से हटा दिया गया. </p>
<p style=”text-align: justify;”>13 जून 2019 को केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत उत्तराखंड के ऋषिकेश में नमामि गंगे परियोजना की समीक्षा के लिए पहुंचे थे. इस दौरान प्रेमचंद अग्रवाल और तत्कालीन दर्जा प्राप्त मंत्री भगतराम कोठारी के बीच किसी मुद्दे को लेकर विवाद हो गया. बात इतनी बढ़ गई कि दोनों के बीच गाली-गलौज तक की नौबत आ गई. हालांकि, बाद में दोनों नेताओं ने सार्वजनिक रूप से इस विवाद को तूल न देने की बात कही. </p>
<p style=”text-align: justify;”><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/ayodhya-ram-mandir-who-will-be-new-chief-priest-after-acharya-satyendra-das-2905376″><strong>Ram Mandir: राम मंदिर में अब कोई नहीं होगा मुख्य पुजारी, श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट का बड़ा फैसला</strong></a></p>
<p style=”text-align: justify;”>2 मई 2023 को ऋषिकेश के कोयलघाटी क्षेत्र में प्रेमचंद अग्रवाल का एक युवक के साथ हाथापाई करते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. वीडियो में मंत्री अग्रवाल सड़क पर एक युवक के साथ बहस करते दिखे, जो बाद में हाथापाई में बदल गई. इस घटना के वीडियो वायरल होने के बाद, जनता में उनकी छवि को लेकर फिर से सवाल खड़े हुए. </p>
<p style=”text-align: justify;”>कैबिनेट मंत्री रहते हुए प्रेमचंद अग्रवाल ने सदन में एक बयान दिया, जिसे पहाड़ी समुदाय के खिलाफ बताया गया. इस बयान के बाद उत्तराखंड में भारी विरोध शुरू हो गया. विपक्षी दलों के साथ-साथ आम जनता ने भी उनके इस्तीफे की मांग की. जिसके बाद रविवार 16 मार्च 2025 को उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. </p> उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड Sirohi: बीजेपी के होली मिलन में झूमे सांसद, गेर नृत्य के बीच हुआ कुछ ऐसा कि वीडियो हो गया वायरल!
प्रेमचंद अग्रवाल का विवादों रहा पुराना नाता, अवैध नियुक्तियों से लेकर मारपीट तक के लगे आरोप
