कोलकाता में महिला डॉक्टर से रेप के बाद हत्या की घटना का विरोध तेज हो गया है। शुक्रवार की हड़ताल के बाद शनिवार सुबह ही जिले के डॉक्टर सड़कों पर उतरे। मेडिकल फील्ड से संबंधित सभी संगठन उनके साथ रहे। ज्योति स्वरूप चौक से डीसी ऑफिस तक रोष मार्च निकाला गया। हम सुरक्षित नहीं, सिक्योरिटी पर मांगा जवाब इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के जिलाध्यक्ष रवदीप सिंह संधू ने कहा कि कहने को डॉक्टर को भगवान का दूसरा रूप कहा जाता है। लेकिन इंडिया में हालात ये बन गए हैं कि पहले पढ़ाई के समय हम सेफ नहीं। फिर डॉक्टर बनकर अपना हॉस्पिटल खोलते हैं तो गुंडागर्दी होती है। सरकारी जॉब करते हैं तो इसका शिकार होते हैं। हमें सरकारें बताएं कि हम कहां सेफ हैं। जिले में मेडिकल फील्ड से जुड़े सभी लोगों की सेफ्टी के लिए उन्हें एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया जाए। केमिस्ट और लैब संचालक भी समर्थन में फतेहगढ़ साहिब में रोष मार्च में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए), पंजाब सिविल मेडिकल सर्विसेज (पीसीएमएस), नर्सिंग स्टाफ, केमिस्ट एसोसिएशन, लेबोरेटरी एसोसिएशन के नुमाइंदे भी शामिल हुए। सभी ने एकता का सबूत देते हुए कहा कि अगर डॉक्टर ही सेफ नहीं तो वे सभी खतरे में हैं। सरकारों को सख्त एक्शन लेने की जरूरत है। कोलकाता में महिला डॉक्टर से रेप के बाद हत्या की घटना का विरोध तेज हो गया है। शुक्रवार की हड़ताल के बाद शनिवार सुबह ही जिले के डॉक्टर सड़कों पर उतरे। मेडिकल फील्ड से संबंधित सभी संगठन उनके साथ रहे। ज्योति स्वरूप चौक से डीसी ऑफिस तक रोष मार्च निकाला गया। हम सुरक्षित नहीं, सिक्योरिटी पर मांगा जवाब इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के जिलाध्यक्ष रवदीप सिंह संधू ने कहा कि कहने को डॉक्टर को भगवान का दूसरा रूप कहा जाता है। लेकिन इंडिया में हालात ये बन गए हैं कि पहले पढ़ाई के समय हम सेफ नहीं। फिर डॉक्टर बनकर अपना हॉस्पिटल खोलते हैं तो गुंडागर्दी होती है। सरकारी जॉब करते हैं तो इसका शिकार होते हैं। हमें सरकारें बताएं कि हम कहां सेफ हैं। जिले में मेडिकल फील्ड से जुड़े सभी लोगों की सेफ्टी के लिए उन्हें एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया जाए। केमिस्ट और लैब संचालक भी समर्थन में फतेहगढ़ साहिब में रोष मार्च में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए), पंजाब सिविल मेडिकल सर्विसेज (पीसीएमएस), नर्सिंग स्टाफ, केमिस्ट एसोसिएशन, लेबोरेटरी एसोसिएशन के नुमाइंदे भी शामिल हुए। सभी ने एकता का सबूत देते हुए कहा कि अगर डॉक्टर ही सेफ नहीं तो वे सभी खतरे में हैं। सरकारों को सख्त एक्शन लेने की जरूरत है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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पंजाब में AAP का 13-0 मिशन फेल:सभी लोकसभा सीटों पर लड़ी, 3 ही जीत पाई; 4 मंत्री हारे, फेल्योर की 6 वजहें
पंजाब में AAP का 13-0 मिशन फेल:सभी लोकसभा सीटों पर लड़ी, 3 ही जीत पाई; 4 मंत्री हारे, फेल्योर की 6 वजहें लोकसभा चुनाव में राज्य की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी को करारी शिकस्त मिली है। 13-0 का मिशन लेकर सभी सीटों पर 5 मंत्री और 3 विधायकों समेत उतरी पार्टी केवल 3 सीटें ही जीत सकी। जबकि, पार्टी के 4 मंत्रियों को करारी शिकस्त मिली है। जीतने वालों में मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर प्रमुख हैं। उन्होंने संगरूर लोकसभा से जीत दर्ज की है। वहीं, होशियारपुर से राज कुमार चब्बेवाल चुनाव जीतने में कामयाब रहे। वह चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस छोड़कर AAP में शामिल हुए थे। इसके साथ आनंदपुर साहिब लोकसभा से मालविंदर सिंह कंग चुनाव जीतने में कामयाब रहे हैं। AAP के चुनाव में पिछड़ने की वजहें… मंत्रियों और विधायकों को नहीं मिला फ्री हैंड
2022 में जब राज्य के लोगों ने AAP को चुना, तो दावा किया गया था कि सरकार चंडीगढ़ से नहीं, बल्कि गांवों से चलेगी। इस वजह से लोगों ने AAP को चुना, लेकिन ढाई साल ऐसा नहीं हो पाया। किसी भी मंत्री और विधायक को फ्री हैंड नहीं दिया गया। लोगों के काम नहीं हो रहे थे। इस वजह से पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा है। दलबदलुओं को लोगों ने नकारा
AAP के पास लोकसभा चुनाव में उतरने के लिए मजबूत चेहरे नहीं थे। ऐसे में पार्टी की तरफ से दलबदलुओं पर दांव खेला गया। विशेषकर फतेहगढ़ साहिब में कांग्रेस के पूर्व विधायक गुरप्रीत सिंह जीपी और जालंधर में पवन कुमार टीनू को चुनावी मैदान में उतारा गया, लेकिन दोनों को ही हार का मुंह देखना पड़ा। टीनू तो जालंधर में तीसरे नंबर पर रहे हैं। राज्य सभा में भेजे गैर पंजाबी
जब AAP की सरकार बनी तो इनके नेताओं ने पंजाब के हक की आवाज उठाई, लेकिन जब राज्य सभा मेंबर बनाने की बात आई तो उसमें पंजाब से बाहर के लोगों को चुना गया। विरोधी दलों ने इस मुद्दे को भी चुनाव में जोर-शोर से उठाया। उनकी दलील थी कि सरकार दिल्ली से चल रही है। यह पंजाब के पक्ष में नहीं है। इस मुद्दे को भी चुनाव में खूब उठाया गया। एक हजार की गारंटी का असर
सरकार की तरफ से चुनाव के समय गारंटी दी गई थी कि एक हजार रुपए हर महिला को हर महीने दिए जाएंगे, लेकिन अभी तक सरकार यह वादा पूरा नहीं पाई है। चुनाव में विरोधी दलों की सभी पार्टियां इस मुद्दे को प्रमुखता से उठा रही थी। आखिर में CM भगवंत मान को कहना पड़ा कि वह चुनाव के तुरंत बाद महिलाओं को एक हजार की जगह 11 सौ रुपए की गांरटी को पूरा करेंगे। इससे गांव से लेकर शहरों तक पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा। जबकि, पंजाब में 2.14 लाख वोटरों में से 1.4 लाख वोटर सीधे महिला थीं। अमृतपाल व बेअदबी मामला
अमृतपाल मामले में केस दर्ज करने से लोग थोड़ा नाराज हुए थे, लेकिन जब अमृतपाल सिंह को पंजाब से बाहर डिब्रूगढ़ की जेल भेजा गया तो लोग ज्यादा नाराज हो गए। इस वजह से पंथक लोग पार्टी से अलग हो गए। इसी तरह बेअदबी मामले में भी तक कुछ नहीं हुआ है। जबकि, सरकार बनने से पहले AAP ने कई बड़े वादे किए थे। कानून व्यवस्था व लोकल इश्यू भी हावी
पंजाब में बिगड़ती कानून व्यवस्था और स्थानीय मुद्दों का असर भी इस चुनाव में दिखा है। सीमावर्ती क्षेत्रों और जिलों में नशा व बड़े शहरों में लोगों को फिरौती, रंगदारी की कॉल्स आ रही थीं। मामला विधानसभा में भी उठा था। कई विधायकों से लोग काफी नाराज थे। इसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा है।