फतेहाबाद के टोहाना में देर शाम निजी बस के नीचे आने से स्कूटी सवार युवक की मौत हो गई। मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए टोहाना अस्पताल लाया गया है। ग्राम शकरपुर के ग्रामीणों ने बताया कि शाम को गांव में बरसात हो रही थी। इसी दौरान गांव का 16 साल का साहिल किसी परिचित को ढाणी में छोड़ने के लिए स्कूटी पर गया था और वापस गांव लौट रहा था। उन्होंने बताया कि गांव की तरफ आ रही निजी बस के सामने अचानक साहिल की स्कूटी बरसात के पानी के कारण फिसल गई और साहिल बस के नीचे आ गया। गांव का ही रहने वाला एक टैक्सी चालक मौके पर पीछे-पीछे चल रहा था, उसने तुरंत साहिल को उठाकर टोहाना अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। फतेहाबाद के टोहाना में देर शाम निजी बस के नीचे आने से स्कूटी सवार युवक की मौत हो गई। मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए टोहाना अस्पताल लाया गया है। ग्राम शकरपुर के ग्रामीणों ने बताया कि शाम को गांव में बरसात हो रही थी। इसी दौरान गांव का 16 साल का साहिल किसी परिचित को ढाणी में छोड़ने के लिए स्कूटी पर गया था और वापस गांव लौट रहा था। उन्होंने बताया कि गांव की तरफ आ रही निजी बस के सामने अचानक साहिल की स्कूटी बरसात के पानी के कारण फिसल गई और साहिल बस के नीचे आ गया। गांव का ही रहने वाला एक टैक्सी चालक मौके पर पीछे-पीछे चल रहा था, उसने तुरंत साहिल को उठाकर टोहाना अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा में पार्टियों के लोकसभा चुनाव में जीत-हार का गणित:कांग्रेस 4 और BJP 3 सीटों पर जीत पक्की मान रही; बाकी सीटों पर टफ फाइट कबूली
हरियाणा में पार्टियों के लोकसभा चुनाव में जीत-हार का गणित:कांग्रेस 4 और BJP 3 सीटों पर जीत पक्की मान रही; बाकी सीटों पर टफ फाइट कबूली हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों पर BJP और कांग्रेस ने जीत-हार का गणित तैयार कर लिया है। औपचारिक तौर पर तो दोनों पार्टियां सभी 10 सीटों पर जीत का दावा ठोक रही हैं। हालांकि पार्टियों की इंटरनल रिपोर्ट में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। यह रिपोर्ट मतदान के बाद पार्टियों की समीक्षा बैठक में आई। सबसे पहले BJP की बात करें तो उन्हें 3 सीट पर जीत पक्की लग रही है। वहीं कांग्रेस को 4 सीटों पर जीत का पक्का भरोसा है। बाकी सीटों पर दोनों की पार्टियां टफ फाइट कबूल कर रही हैं। BJP और कांग्रेस की जीत के दावे का आधार क्या, 2 पाइंट में जानिए 1. बड़े चेहरों पर BJP को भरोसा
BJP ने करनाल, हिसार और गुरुग्राम सीट पर जीत तय मानी है। इसकी वजह यहां के उम्मीदवार हैं। करनाल से भाजपा ने CM कुर्सी से हटा मनोहर लाल खट्टर को उम्मीदवार बनाया था। खट्टर साढ़े 9 साल हरियाणा के सीएम रहे। हिसार से भाजपा को पूर्व डिप्टी पीएम चौधरी देवीलाल और पूर्व CM भजनलाल परिवार से उम्मीद है। भाजपा ने यहां से चौधरी देवीलाल के बेटे रणजीत चौटाला को टिकट दी। वहीं पूर्व सीएम भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई ने उनके लिए प्रचार किया। गुरुग्राम में भाजपा ने 5 बार के सांसद राव इंद्रजीत को टिकट दी। जो कांग्रेस से भाजपा में आने के बाद भी लगातार 2 बार चुनाव जीते। हालांकि कांग्रेस ने यहां से राज बब्बर को टिकट देकर समीकरण बिगाड़े लेकिन भाजपा को केंद्रीय मंत्री राव के चेहरे पर ही भरोसा है। इसके अलावा भाजपा को अंबाला, भिवानी-महेंद्रगढ़, रोहतक, सोनीपत, सिरसा, फरीदाबाद और कुरूक्षेत्र में कांग्रेस से सीधी टक्कर होने की उम्मीद है। हालांकि भाजपा का दावा है कि यहां जीत जरूर होगी, हालांकि इसका मार्जिन कम रह सकता है। 2. कांग्रेस को दिग्गजों पर भरोसा
कांग्रेस की बात करें तो उन्हें 4 सीटों पर जीत पक्की लग रही है। इनमें भिवानी-महेंद्रगढ़, रोहतक, सोनीपत और सिरसा शामिल हैं। भिवानी-महेंद्रगढ़ में कांग्रेस को विधायक राव दान सिंह पर भरोसा है। वहीं रोहतक में कांग्रेस पूर्व CM भूपेंद्र हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा की जीत का भरोसा है। पिछली बार वे भाजपा के उम्मीदवार डॉ. अरविंद शर्मा से करीब 7 हजार वोटों से ही हारे थे। सोनीपत में कांग्रेस को सतपाल ब्रह्मचारी पर भरोसा है, इसकी बड़ी वजह जींद जिले की 3 जींद, सफीदों और जुलाना विधानसभा सीटें हैं, जहां से कांग्रेस को एकतरफा लीड की उम्मीद है। सिरसा से कांग्रेस की दिग्गज कुमारी सैलजा की बदौलत जीत नजर आ रही है। करनाल और गुरुग्राम सीट पर कांग्रेस की इंटरनल रिपोर्ट अच्छी नहीं है। करनाल से युवा नेता दिव्यांशु बुद्धिराजा और गुरुग्राम से राज बब्बर को टिकट दी गई थी। यहां कांग्रेस खुद को पिछड़ा हुआ मान रही है। वहीं अंबाला, फरीदाबाद और हिसार सीट पर कांग्रेस BJP से कड़ी टक्कर मान रही है। अंबाला में बंतो कटारिया के खिलाफ वरूण मुलाना, फरीदाबाद से केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर के खिलाफ महेंद्र प्रताप और हिसार से रणजीत चौटाला के खिलाफ जयप्रकाश जेपी को टिकट दी गई थी। BJP अकेले चुनाव लड़ रही, कांग्रेस ने AAP से गठजोड़ किया
हरियाणा में BJP अकेले लोकसभा चुनाव लड़ रही है। हालांकि पहले उनका जननायक जनता पार्टी (JJP) से गठबंधन था, जो सीट शेयरिंग न होने पर टूट गया। वहीं कांग्रेस I.N.D.I.A. ब्लॉक के तहत आम आदमी पार्टी (AAP) से मिलकर चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस ने AAP को कुरूक्षेत्र लोकसभा सीट दी है। जहां से सुशील गुप्ता उम्मीदवार हैं। इस सीट पर भाजपा ने उद्योगपति नवीन जिंदल को उम्मीदवार बनाया है। दोनों ही पार्टियां यहां टफ फाइट मानकर चल रही हैं। सिलसिलेवार ढंग से पढ़ें BJP और कांग्रेस की इंटरनल रिपोर्ट का ब्यौरा… हरियाणा की 6 लोकसभा सीटों पर भाजपा की टेंशन:2 पर हालत खराब, 4 में टफ फाइट हरियाणा में लोकसभा चुनाव की वोटिंग के बाद अब राजनीतिक दलों ने समीक्षा शुरू कर दी है। 27 मई को पंचकूला में भाजपा की रिव्यू मीटिंग हुई, जिसमें इंटरनल रिपोर्ट पेश की गई। रिपोर्ट के मुताबिक, 2 सीटें सिरसा और रोहतक की रिपोर्ट खराब मिली है। वहीं, 4 सीटें सोनीपत, अंबाला, कुरुक्षेत्र और भिवानी-महेंद्रगढ़ पर टफ फाइट निकलकर सामने आई है। हालांकि, समीक्षकों ने यह भी कहा है कि जीत पार्टी उम्मीदवार की ही होगी, लेकिन जीत का मार्जिन कम हो जाएगा। पूरी खबर पढ़ें… हरियाणा में कांग्रेस को 2 सीटों पर हार का डर:इंटरनल रिपोर्ट में 8 सीटों पर जीत का भरोसा हरियाणा लोकसभा चुनाव में भाजपा के बाद अब कांग्रेस की इंटरनल रिपोर्ट काफी चौंकाने वाली आई है। अब तक के मंथन में 4 सीटों पर पार्टी जीत मान रही है। वहीं, 3 लोकसभा सीटों पर टक्कर कड़ी है। रिपोर्ट में सामने आया है कि 2 सीटों पर कांग्रेस हारने वाली है। इसके साथ ही AAP के साथ गठबंधन वाली कुरुक्षेत्र सीट की रिपोर्ट अच्छी मानी जा रही है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि यहां भाजपा, इंडी गठबंधन और INLD में त्रिकोणीय मुकाबला है। भाजपा ने यहां से उद्योगपति नवीन जिंदल, AAP-कांग्रेस ने डॉ. सुशील गुप्ता और इनेलो ने अभय सिंह चौटाला को उम्मीदवार बनाया है। पूरी खबर पढ़ें…
हरियाणा कांग्रेस प्रदेश प्रभारी का लोकसभा चुनाव पर मंथन:8 उम्मीदवार ही पहुंचे, सैलजा ने बनाई दूरी, 3 जगह से भीतरघात की रिपोर्ट
हरियाणा कांग्रेस प्रदेश प्रभारी का लोकसभा चुनाव पर मंथन:8 उम्मीदवार ही पहुंचे, सैलजा ने बनाई दूरी, 3 जगह से भीतरघात की रिपोर्ट हरियाणा कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया ने आज लोकसभा चुनाव को लेकर प्रत्याशियों के साथ मंथन किया। इस बैठक में हरियाणा से 9 प्रत्याशियों को बुलाया गया था और एक सीट गठबंधन की होने के कारण उस पर फीडबैक नहीं मिल पाया। कुल 9 प्रत्याशियों को विचार-विमर्श के लिए बुलाया गया था। बाबरिया ने बैठक तो नहीं की, लेकिन प्रत्याशियों और जीते हुए सांसदों से एक-एक कर बात की। खास बात यह रही कि सिरसा से कांग्रेस सांसद कुमारी शैलजा दीपक बाबरिया के साथ विचार-विमर्श में शामिल नहीं हुईं। प्रदेश प्रभारी ने सिरसा को छोड़कर सभी जगहों से रिपोर्ट ली। सबसे खराब रिपोर्ट भिवानी और करनाल से मिली है, यहां के उम्मीदवारों ने भीतरघात की रिपोर्ट दी। वहीं हिसार के सांसद जयप्रकाश जेपी ने भी भीतरघात की बात स्वीकार की है। उन्होंने कहा कि हिसार के बड़े नेताओं ने साथ नहीं दिया अगर साथ दिया होता तो जीत का मार्जन और बड़ा होता। इतना ही नहीं कुछ नेताओं के भाजपा प्रत्याशी की मदद करने की बात रिपोर्ट में कही गई है। इसी तरह गुरुग्राम में भी स्थानीय नेताओं के अहीरवाल क्षेत्र में साथ नहीं देने की बात सामने आई है। हाईकमान को सौंपी जाएगी रिपोर्ट कांग्रेस प्रदेश प्रभारी की ओर से बनाई गई रिपोर्ट कल कांग्रेस हाई कमान को सौंपी जाएगी। बाबरिया ने उम्मीदवारों से आगामी विधानसभा के संभावित नामों पर चर्चा भी की ओर उनकी तरफ से हर विधानसभा में कौन बेहतर उम्मीदवार हो सकता है। इसके नाम भी पूछे। वहीं चुनाव में बढ़चढ़ कर काम करने वाले नेताओं और काम न करने वाले नेताओं व भीतरघात करने वालों के नाम भी उम्मीदवारों ने बताए। अब इसकी रिपोर्ट प्रदेश प्रभारी कल हाईकमान से होनी वाली बैठक में रखेंगे। हाई कमान आज करेगा बैठक, 30 नेताओं को बुलाया कांग्रेस हाई कमान आज दिल्ली में हरियाणा लोकसभा चुनाव को लेकर मंथन करेगा। इसमें खास तौर पर हारने वाली सीटों पर ज्यादा फोकस किया जाएगा। इसमें गुरुग्राम, फरीदाबाद, भिवानी-महेंद्रगढ़, करनाल और कुरूक्षेत्र सीट पर विस्तृत चर्चा होगी। इस बैठक में 10 लोकसभा क्षेत्र के प्रत्याशी, सांसद, 3 बार के विधायक, 3 बार के पूर्व विधायक, कांग्रेस के प्रदेश सचिव सहित कुल 30 नेताओं को बुलाया गया है। इस बैठक में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे शामिल होंगे। खास बात यह है कि इस बैठक में बीरेंद्र सिंह और उनके बेटे बृजेंद्र सिंह को आमंत्रित नहीं किया गया है। कांग्रेस इन कारणों से 5 सीटों पर हार गई… 1. करनाल में कमजोर कैंडिडेट
कांग्रेस ने करनाल लोकसभा सीट पर अपने यूथ विंग के नेता दिव्यांशु बुद्धिराजा को टिकट दिया। दिव्यांशु के नाम का ऐलान होते ही क्लियर हो गया था कि कांग्रेस ने इस सीट पर BJP के मनोहर लाल खट्टर को एक तरह से वॉकओवर दे दिया है। करनाल के कांग्रेसी नेताओं के तमाम तरह के असहयोग के बावजूद दिव्यांशु 4 लाख 79 हजार से ज्यादा वोट लेने में कामयाब रहे। अगर कांग्रेस इस सीट पर किसी बड़े चेहरे को उतारती और करनाल के नेता उसका साथ देते तो भाजपा को यहां परेशानी हो सकती थी। 2. गुटबाजी भारी पड़ी
हरियाणा में कांग्रेसी नेताओं की धड़ेबंदी जगजाहिर है और पार्टी ने इसका नुकसान कम से कम 2 सीटें गवांकर चुकाया। भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट पर पूर्व मंत्री किरण चौधरी और गुरुग्राम में पूर्व कैबिनेट मंत्री कैप्टन अजय यादव ने टिकट कटने के बाद अपनी नाराजगी खुलकर जताई। किरण चौधरी ने तो हुड्डा कैंप पर उनकी सियासी हत्या की साजिश रचने जैसे आरोप तक लगा डाले। इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार राव दान सिंह की हार का अंतर 41 हजार 510 वोट रहा। भिवानी जिले की 3 में से 2 सीटों पर भाजपा को लीड मिली। इनमें किरण चौधरी की तोशाम सीट शामिल रही। अगर पार्टी के नेता एकजुटता दिखाते तो यहां रिजल्ट कांग्रेस के पक्ष में भी आ सकता था। गुरुग्राम सीट पर भी यही कहानी रही। यहां कांग्रेस कैंडिडेट राज बब्बर 75 हजार वोट से हारे। लालू यादव के समधी कैप्टन अजय यादव इस सीट पर लंबे अर्से से एक्टिव थे लेकिन पार्टी ने ऐन मौके पर उनकी जगह राज बब्बर को टिकट थमा दिया। इससे कैप्टन नाराज हो गए। राज बब्बर की इलेक्शन कैंपेनिंग के दौरान अजय यादव बहुत कम मौकों पर नजर आए। फरीदाबाद सीट पर भी टिकट न मिलने के कारण पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समधी करण दलाल की नाराजगी देखने को मिली। 3. पार्टी के भीतर चौधर की लड़ाई लोकसभा चुनाव में कांग्रेसी नेताओं के बीच चलने वाली चौधर की लड़ाई भी जमकर देखने को मिली। पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह शुरू से आखिर तक बांगर बेल्ट में हिसार के उम्मीदवार जयप्रकाश जेपी को नीचा दिखाने की कोशिश करते नजर आए। हालांकि चुनाव नतीजों में जेपी को सबसे बड़ी लीड बीरेंद्र सिंह के गढ़ उचाना से ही मिली। जयप्रकाश जेपी के हुड्डा कैंप से जुड़े होने के कारण सैलजा, किरण चौधरी और रणदीप सुरजेवाला की तिकड़ी ने हिसार में एक सभा तक नहीं की। सैलजा सिरसा तक सिमटी रही तो रणदीप सिरसा के अलावा कुरुक्षेत्र एरिया में एक्टिव रहे। 4. चुनाव चिन्ह गायब होने से गठबंधन की कीमत चुकाई कांग्रेस ने I.N.D.I.A. अलायंस के तहत कुरूक्षेत्र सीट आम आदमी पार्टी (AAP) को दी। इसलिए यहां कांग्रेस का चुनाव चिन्ह गायब रहा। आम आदमी पार्टी से उसकी हरियाणा इकाई के प्रदेशाध्यक्ष सुशील गुप्ता कुरूक्षेत्र के रण में उतरे तो पार्टी की पूरी लीडरशिप यहां डट गई। कांग्रेस से भूपेंद्र हुड्डा और रणदीप सुरजेवाला ने सुशील गुप्ता के लिए प्रचार किया लेकिन राज्य की दूसरी किसी सीट पर AAP नेताओं ने कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए ऐसा जोर नहीं लगाया। ऐसे में कहा नहीं जा सकता कि AAP ने बाकी 9 सीटों पर अपना कितना वोट बैंक कांग्रेस के पक्ष में शिफ्ट कराया? हां, कुरूक्षेत्र में सुशील गुप्ता को कांग्रेसी कैडर के वोट जरूर मिले।
हरियाणा में फिर राजनीति के ट्रेजेडी किंग साबित हुए बीरेंद्र:सिंह ने कहा था- 75% वोटर BJP विरोधी; भाजपा बहुमत ले आई, उनका बेटा हारा
हरियाणा में फिर राजनीति के ट्रेजेडी किंग साबित हुए बीरेंद्र:सिंह ने कहा था- 75% वोटर BJP विरोधी; भाजपा बहुमत ले आई, उनका बेटा हारा तारीख: 12 जुलाई 2024 स्थान: कांग्रेस भवन, चंडीगढ़ कांग्रेस हरियाणा चुनाव के लिए कैंपेन लॉन्च करने जा रही थी। मंच पर पूर्व CM भूपेंद्र हुड्डा और प्रदेश अध्यक्ष उदयभान बैठे थे। यहीं पूर्व मंत्री बीरेंद्र सिंह ने कहा- ”मैं एक्टिव पॉलिटिशियन के तौर पर कह रहा हूं, मेरा अपना असेसमेंट है कि हरियाणा में आज के दिन 70 से 75% मतदाता BJP का विरोधी है। BJP नंबर 2 पर भी नहीं रहेगी” तारीख: 8 अक्टूबर हरियाणा चुनाव के नतीजे आए। BJP 48 सीटें जीतकर नंबर वन पार्टी बनी। 39.94% वोट शेयर मिला। पार्टी भी सत्ता में आ गई। बीरेंद्र सिंह के पूर्व सांसद बेटे बृजेंद्र सिंह भी जींद की उचाना सीट से चुनाव हार गए। ऊपर लिखी बातें इसलिए अहम हैं क्योंकि बीरेंद्र सिंह हरियाणा से लेकर देश की राजनीति तक को जानने का दावा करते हैं। हालांकि हरियाणा चुनाव में उनका असेसमेंट इतना उल्टा पड़ा कि न कांग्रेस जीती और न ही उनका बेटा। इससे अब बीरेंद्र के BJP छोड़कर कांग्रेस में जाने की वजह से सियासी समझ-बूझ पर सवाल खड़े हो रहे हैं। कांग्रेस ने लोकसभा टिकट नहीं दी, विधानसभा हार गए
पूर्व मंत्री बीरेंद्र सिंह के बेटे 2019 में हिसार लोकसभा सीट से BJP की टिकट पर सांसद चुने गए। इस बार लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने कांग्रेस जॉइन कर ली। वह हिसार और सोनीपत सीट से लोकसभा टिकट की दावेदारी जताते रहे। हालांकि हिसार में जयप्रकाश जेपी और सोनीपत से सतपाल ब्रह्मचारी को टिकट दे दी। इसके बाद बीरेंद्र के बेटे को उचाना से विधानसभा की टिकट दी गई लेकिन वह भाजपा के देवेंद्र अत्री से चुनाव हार गए। 43 साल कांग्रेस और 10 साल भाजपा में रहे
बीरेंद्र सिंह 43 साल तक कांग्रेस में रहे। 16 अगस्त 2014 को बीरेंद्र सिंह ने कांग्रेस छोड़कर BJP का दामन थाम लिया। जींद में अमित शाह की रैली के दौरान वे BJP में शामिल हो गए। प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें अपनी कैबिनेट में शामिल किया। 2016 में BJP ने बीरेंद्र सिंह को राज्यसभा भेजा। उनकी पत्नी प्रेमलता उचाना कलां सीट से दुष्यंत चौटाला को हराकर विधायक बनीं। हालांकि, 2019 लोकसभा चुनाव से पहले बीरेंद्र सिंह ने सक्रिय राजनीति से दूर होकर अपने IAS बेटे बृजेंद्र सिंह को हिसार सीट से चुनाव में उतारा। बृजेंद्र सिंह जीत गए। इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में JJP के दुष्यंत चौटाला ने उचाना सीट पर बीरेंद्र सिंह की पत्नी को हरा दिया। BJP को पूर्ण बहुमत न मिलने से 10 सीट जीतने वाली JJP से गठबंधन करना पड़ा। यहीं से बीरेंद्र सिंह की BJP से खटपट शुरू हो गई। बीरेंद्र सिंह को अपनी मजबूत पकड़ वाले इलाके बांगर बेल्ट में JJP की सेंधमारी रास नहीं आ रही थी। इसके चलते वे JJP के खिलाफ खुलकर बयानबाजी करते रहे। आखिरकार 2024 लोकसभा चुनाव से पहले मार्च में उनके बेटे बृजेंद्र सिंह ने BJP छोड़ कांग्रेस जॉइन कर ली। इसी के साथ बीरेंद्र सिंह के भी कांग्रेस में वापसी का रास्ता साफ हो गया। कुछ दिनों बाद बीरेंद्र भी कांग्रेस में शामिल हो गए। इन 2 वजहों से राजनीति के ट्रेजेडी किंग बने बीरेंद्र सिंह 1. CM बनना तय था, राजीव गांधी की हत्या हो गई
बीरेंद्र सिंह के प्रदेशाध्यक्ष रहते हुए वर्ष 1991 में हरियाणा विधानसभा के चुनाव हुए जिसमें कांग्रेस ने बहुमत हासिल किया। बीरेंद्र सिंह का CM बनना तय था लेकिन उसी समय राजीव गांधी की हत्या हो गई। इसके साथ ही बीरेंद्र सिंह के सितारे गर्दिश में चले गए और कांग्रेस हाईकमान ने 23 जुलाई 1991 को उनकी जगह भजनलाल को CM बना दिया। 2. केंद्रीय मंत्री बनना तय था, सूट भी सिलवाया लेकिन लिस्ट से नाम कट गया
इसके अलावा बीरेंद्र सिंह खुद अपने इंटरव्यू में कई बार कह चुके हैं कि उनका 2009 में मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली यूपीए-2 सरकार में मंत्री बनना तय हो चुका था। उन्हें पार्टी का ऑफिशियली इन्विटेशन भी मिल गया कि कल सुबह मंत्रिपद की शपथ लेनी है। उन्होंने नया सूट सिलवा लिया लेकिन सुबह पता चला कि केंद्रीय मंत्रियों वाली लिस्ट से उनका नाम कट चुका है। 1991 में हुड्डा को अपनी गारंटी पर सीधे राजीव गांधी से दिलवाया टिकट
बीरेंद्र सिंह बेशक खुद कभी हरियाणा का CM नहीं बन पाए लेकिन कई नेताओं को उनके शुरुआती करियर में आगे बढ़ाने में उनका अहम रोल रहा। ऐसा ही एक किस्सा भूपेंद्र सिंह हुड्डा से जुड़ा है। वर्ष 1991 के लोकसभा चुनाव के समय बीरेंद्र सिंह कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष थे और भूपेंद्र सिंह हुड्डा पार्टी के उभरते हुए नेता थे। बीरेंद्र सिंह ने सीधे राजीव गांधी से पैरवी करके हुड्डा को रोहतक लोकसभा सीट से टिकट दिलवाया। बीरेंद्र सिंह ने उस समय कांग्रेस हाईकमान से यहां तक कह दिया कि रोहतक से हुड्डा को जितवाने की गारंटी वह खुद लेते है। वो हुड्डा के सियासी करियर का पहला ही बड़ा इलेक्शन था और वह साढ़े 30 हजार से ज्यादा वोटों से जीते (बीरेंद्र सिंह के ट्रेजेडी किंग के किस्से पढ़ें)