फरीदकोट फर्जी मुठभेड़ केस में 4 पुलिसकर्मी तलब:कोर्ट ने खारिज की SIT की क्लीनचिट, कबड्डी खिलाड़ी की गई थी जान

फरीदकोट फर्जी मुठभेड़ केस में 4 पुलिसकर्मी तलब:कोर्ट ने खारिज की SIT की क्लीनचिट, कबड्डी खिलाड़ी की गई थी जान

पंजाब में फरीदकोट ने करीब 9 साल पुराने कथित हत्या के मामले में एसडीजेएम जैतो शमिंदरपाल सिंह की कोर्ट ने हत्या और आपराधिक साजिश के आरोपों के लिए चार पुलिस कर्मचारियों सहित छह लोगों को तलब किया है। मई 2016 के इस मामले में फरीदकोट पुलिस विवादों में घिर गई है। फरीदकोट की जैतो सब डिवीजन की कोर्ट में याचिका दायर करके मुक्तसर निवासी मनजीत कौर ने आरोप लगाया कि उसका बेटा अजमेर सिंह एक कबड्डी खिलाड़ी और शराब विक्रेता था और उसे गलत तरीके से गैंगस्टर के रूप में पेश किया गया और बाद में एक फर्जी मुठभेड़ में मार दिया गया। उसने आरोप लगाया कि बठिंडा के दो शराब ठेकेदारों धर्मपाल उर्फ ​​धम्मी और अमरजीत सिंह मेहता सहित प्रभावशाली व्यक्तियों ने व्यापारिक विवादों के कारण उसे खत्म करने के लिए पुलिस के साथ साजिश रची थी। 2021 में SIT ने की जांच
इस मामले में शिकायत के बाद 2021 में गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने घटना की जांच की और निष्कर्ष निकाला कि अजमेर सिंह को पुलिस ने आत्मरक्षा में गोली मारी थी। हालांकि, कोर्ट ने पुलिस के बयान में कई विसंगतियां पाई, गई जिससे आत्मरक्षा के दावे पर संदेह पैदा हुआ। प्रारंभिक सुनवाई के दौरान, मृतक के भाई-बहन सुखविंदर कौर और रणजीत सिंह सहित प्रमुख गवाहों ने गवाही दी कि अजमेर सिंह को निशाना बनाया गया और उसे आपराधिक गतिविधियों में झूठा फंसाया गया। कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 201 (साक्ष्यों को गायब करना), 120-बी (आपराधिक साजिश), 506 (आपराधिक धमकी), 148 और 149 के साथ-साथ आर्म्स एक्ट की धाराओं के तहत आरोप आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त आधार पाया है। आरोपियों में पुलिस अधिकारी सब इंस्पेक्टर लक्ष्मण सिंह, कांस्टेबल परमिंदर सिंह, कांस्टेबल धरमिंदर सिंह,होमगार्ड जवान काबल सिंह और दो शराब ठेकेदार धरमपाल उर्फ ​​धम्मी और अमरजीत सिंह मेहता शामिल हैं। अब आरोपियों को 6 मार्च, 2025 को न्यायालय में पेश होना है। पंजाब में फरीदकोट ने करीब 9 साल पुराने कथित हत्या के मामले में एसडीजेएम जैतो शमिंदरपाल सिंह की कोर्ट ने हत्या और आपराधिक साजिश के आरोपों के लिए चार पुलिस कर्मचारियों सहित छह लोगों को तलब किया है। मई 2016 के इस मामले में फरीदकोट पुलिस विवादों में घिर गई है। फरीदकोट की जैतो सब डिवीजन की कोर्ट में याचिका दायर करके मुक्तसर निवासी मनजीत कौर ने आरोप लगाया कि उसका बेटा अजमेर सिंह एक कबड्डी खिलाड़ी और शराब विक्रेता था और उसे गलत तरीके से गैंगस्टर के रूप में पेश किया गया और बाद में एक फर्जी मुठभेड़ में मार दिया गया। उसने आरोप लगाया कि बठिंडा के दो शराब ठेकेदारों धर्मपाल उर्फ ​​धम्मी और अमरजीत सिंह मेहता सहित प्रभावशाली व्यक्तियों ने व्यापारिक विवादों के कारण उसे खत्म करने के लिए पुलिस के साथ साजिश रची थी। 2021 में SIT ने की जांच
इस मामले में शिकायत के बाद 2021 में गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने घटना की जांच की और निष्कर्ष निकाला कि अजमेर सिंह को पुलिस ने आत्मरक्षा में गोली मारी थी। हालांकि, कोर्ट ने पुलिस के बयान में कई विसंगतियां पाई, गई जिससे आत्मरक्षा के दावे पर संदेह पैदा हुआ। प्रारंभिक सुनवाई के दौरान, मृतक के भाई-बहन सुखविंदर कौर और रणजीत सिंह सहित प्रमुख गवाहों ने गवाही दी कि अजमेर सिंह को निशाना बनाया गया और उसे आपराधिक गतिविधियों में झूठा फंसाया गया। कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 201 (साक्ष्यों को गायब करना), 120-बी (आपराधिक साजिश), 506 (आपराधिक धमकी), 148 और 149 के साथ-साथ आर्म्स एक्ट की धाराओं के तहत आरोप आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त आधार पाया है। आरोपियों में पुलिस अधिकारी सब इंस्पेक्टर लक्ष्मण सिंह, कांस्टेबल परमिंदर सिंह, कांस्टेबल धरमिंदर सिंह,होमगार्ड जवान काबल सिंह और दो शराब ठेकेदार धरमपाल उर्फ ​​धम्मी और अमरजीत सिंह मेहता शामिल हैं। अब आरोपियों को 6 मार्च, 2025 को न्यायालय में पेश होना है।   पंजाब | दैनिक भास्कर