पंजाब के फरीदकोट में पाकिस्तानी तस्करों द्वारा भारतीय सीमा में चाइना निर्मित ड्रोन के साथ भेजा गया। हेरोइन नशा व पिस्तौल की खाली मैगजीन बीएसएफ के चौकस जवानों ने बरामद कर लिया है। फिरोजपुर जिले के सीमावर्ती गांव राजा राय के पास 11 अक्टूबर 2024 की रात्रि ढ़ाई बजे के लगभग पाकिस्तान की ओर से भारतीय सीमा में एक ड्रोन की गतिविधि दिखाई दी। तकनीकी जवाबी उपायों को किया सक्रिय जिसके बाद बीएसएफ सैनिकों ने बेअसर करने के लिए तुरंत तकनीकी जवाबी उपायों को सक्रिय कर दिया। इसके बाद बीएसएफ द्वारा संदिग्ध ड्रॉपिंग जोन में तलाशी अभियान शुरू किया गया। लगभग 2.40 बजे, सैनिकों ने फिरोजपुर जिले के राजा राय गांव से सटे क्षेत्र में संदिग्ध हेरोइन के 1 पैकेट और 1 खाली पिस्तौल मैगजीन के साथ गिरे हुए ड्रोन को सफलतापूर्वक ढूंढ लिया और बरामद कर लिया। चीन निर्मित रूप में हुई ड्रोन की पहचान बरामद ड्रोन की पहचान चीन में निर्मित DJI MAVIC 3 Classic के रूप में की गई है। यह बरामदगी पाक स्थित तस्करों की तस्करी की रणनीति और बीएसएफ सैनिकों की उपयुक्त प्रतिक्रिया के बारे में बीएसएफ खुफिया विंग की विश्लेषणात्मक क्षमता को उजागर करती है, जिसने सीमा पार से प्रतिबंधित सामग्री के साथ अवैध ड्रोन घुसपैठ के एक और प्रयास को विफल कर दिया। फोटो-बरामद ड्रोन व पिस्तौल की मैगजिन के साथ बीएसएफ जवान, पंजाब के फरीदकोट में पाकिस्तानी तस्करों द्वारा भारतीय सीमा में चाइना निर्मित ड्रोन के साथ भेजा गया। हेरोइन नशा व पिस्तौल की खाली मैगजीन बीएसएफ के चौकस जवानों ने बरामद कर लिया है। फिरोजपुर जिले के सीमावर्ती गांव राजा राय के पास 11 अक्टूबर 2024 की रात्रि ढ़ाई बजे के लगभग पाकिस्तान की ओर से भारतीय सीमा में एक ड्रोन की गतिविधि दिखाई दी। तकनीकी जवाबी उपायों को किया सक्रिय जिसके बाद बीएसएफ सैनिकों ने बेअसर करने के लिए तुरंत तकनीकी जवाबी उपायों को सक्रिय कर दिया। इसके बाद बीएसएफ द्वारा संदिग्ध ड्रॉपिंग जोन में तलाशी अभियान शुरू किया गया। लगभग 2.40 बजे, सैनिकों ने फिरोजपुर जिले के राजा राय गांव से सटे क्षेत्र में संदिग्ध हेरोइन के 1 पैकेट और 1 खाली पिस्तौल मैगजीन के साथ गिरे हुए ड्रोन को सफलतापूर्वक ढूंढ लिया और बरामद कर लिया। चीन निर्मित रूप में हुई ड्रोन की पहचान बरामद ड्रोन की पहचान चीन में निर्मित DJI MAVIC 3 Classic के रूप में की गई है। यह बरामदगी पाक स्थित तस्करों की तस्करी की रणनीति और बीएसएफ सैनिकों की उपयुक्त प्रतिक्रिया के बारे में बीएसएफ खुफिया विंग की विश्लेषणात्मक क्षमता को उजागर करती है, जिसने सीमा पार से प्रतिबंधित सामग्री के साथ अवैध ड्रोन घुसपैठ के एक और प्रयास को विफल कर दिया। फोटो-बरामद ड्रोन व पिस्तौल की मैगजिन के साथ बीएसएफ जवान, पंजाब | दैनिक भास्कर
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20.05 लाख रुपए जुर्माना दोषियों से पहले भी वसूला जा चूका भास्कर न्यूज | जालंधर डिप्टी कमिश्नर डॉ.हिमांशु अग्रवाल की तरफ से माइनिंग और पुलिस विभाग के अधिकारियों को जिले में नाजायज माइनिंग करने वालों खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए है। जीरो-टालरैंस नीति पर जोर देते हुए डीसी ने गैर-कानूनी गतिविधि को रोकने की तत्काल जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पंजाब माइनिंग एंड मिनरल एक्ट-2013 की धारा 21 के अंतर्गत गैर- कानूनी माइनिंग में शामिल व्यक्तियों के विरुद्ध इस साल कुल 19 एफआईआर दर्ज की गई है। जिसके तहत पांच साल तक की सजा, 5 लाख रुपए तक का जुर्माना या फिर दोनों की व्यवस्था है। इसके अलावा उल्लंघन करने वालों से कुल 20.05 लाख रुपए जुर्माना पहले भी वसूल किया जा चुका है। उन्होंने गैर-कानूनी माइनिंग वालों विरुद्ध पेंडिंग मामलों के बारे में संबंधित विभागों से विस्थारित रिपोर्ट की मांग भी की। डीसी ने गैर-कानूनी माइनिंग करने वालों से बकाया जुर्माने की वसूली में तेजी लाने की महत्ता पर भी जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि जिले में गैर-कानूनी माइनिंग सामने आने पर संबंधित अधिकारियों की निजी जिम्मेदारी तय की जाएगी। डिप्टी कमिश्नर ने अधिकारियों को जब्त किए वाहनों की नीलामी पॉलिसी के दिशा-निर्देशों अनुसार जल्द से जल्द करने के आदेश दिए। उन्होंने कहा कि इस प्रयास का उद्देश्य जब्त किए सामान का नियमों अनुसार तुरंत और पारदर्शी ढंग से निपटारा यकीनी बना कर गैर-कानूनी गतिविधियों को रोकना है। बैठक में एसडीएम फिल्लौर अमनपाल सिंह, एसडीएम शाहकोट ऋषभ बांसल, एसडीएम-1 डॉ. जयइंद्र सिंह, एसडीएम-2 बलबीर राज सिंह और पुलिस और माइनिंग विभाग के अन्य प्रतिनिधि मौजूद थे। गौर है कि बैठक में गैर-कानूनी माइनिंग विरुद्ध कानूनों को सख़्ती के साथ लागू करने और क्षेत्र के प्राकृतिक स्रोतों की सुरक्षा के लिए ज़िला प्रशासन की सामूहिक वचनबद्धता को रेखांकित किया गया। डॉ. अग्रवाल के निर्देश जालंधर में गैर-कानूनी माइनिंग के खत्म करने की तरफ एक महत्वपूर्ण कदम की निशानदेही करते है, जिससे वातावरण के बढिय़ा स्तर को कायम रखने के लिए जिले के यत्नों को और मज़बूती मिलेगी।
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फतेहगढ़ साहिब रेल दुर्घटना पर रिपोर्ट जारी:लोको पायलट को आ गई थी नींद, पैसेंजर ट्रेन भी आई थी चपेट में पंजाब के फतेहगढ़ साहिब में चार दिन पहले दो मालगाड़ियों की टक्कर की जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि लोको पायलट और उनके सहायक को गाड़ी चलाते समय नींद आ गई थी। जिसके चलते वे रेड सिग्नल पर ब्रेक नहीं लगा पाए। इसी वजह से यह हादसा हुआ। हालांकि, जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि इसकी चपेट में पैसेंजर ट्रेन के दो डिब्बे भी आए थे। अब इस संबंध में रेलवे की ओर से आगे की कार्रवाई की जानी है। ऐसे हुआ हादसा जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि यह हादसा 2 जून को सुबह करीब 3:15 बजे पंजाब के सरहिंद जंक्शन और साधुगढ़ स्टेशन के बीच हुआ। जब इंजन यूपी जीवीजीएन ने पहले खड़ी मालगाड़ी को टक्कर मारी। इसके बाद यह पटरी से उतर गई और सीधे मेन पैसेंजर लाइन पर जा गिरी। हालांकि, उस समय कोलकाता जम्मू तवी स्पेशल ट्रेन वहां से गुजर रही थी। इसकी स्पीड कम थी। यह करीब 46 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही थी। इसके आखिरी दो डिब्बे भी इसकी चपेट में आ गए। उस समय ट्रेन के पायलट ने ब्रेक लगा दिए थे। जिसके चलते कई लोग हादसे का शिकार होने से बच गए। दोनों पायलट इंजन में फंस गए थे हादसे के बाद लोको पायलट और सहायक लोको पायलट पलटे हुए इंजन के अंदर फंस गए थे। मौके पर मौजूद रेलवे कर्मचारियों को उन्हें विंडशील्ड तोड़कर निकाला था। दोनों को घायल अवस्था में अस्पताल में भर्ती कराया गया। तीन यात्रियों को मामूली चोटें आईं। हालांकि जांच दल ने कहा है कि उन्होंने दोनों ड्राइवरों का बयान नहीं लिया क्योंकि वे घायल थे और अस्पताल में भर्ती थे। जबकि ट्रेन मैनेजर ने अपने लिखित बयान में उल्लेख किया है कि जब उन्हें इंजन से बचाया गया, तो उन्होंने कबूल लिया था कि वे गाड़ी चलाते समय सो गए थे। करीब 22 लोगों के बयान जांच टीम ने लिए हैं। आराम करके आए होते तो नहीं होता हादसा ट्रेन मैनेजर ने जांच टीम को लिखित में कहा कि अगर एलपी (लोको पायलट) और एएलपी (सहायक लोको पायलट) पूरी तरह से आराम करने के बाद ड्यूटी पर आते और गाड़ी चलाते समय सतर्क रहते, तो यह घटना टल सकती थी। लोको पायलटों के संगठन ने रेलवे पर आरोप लगाया कि उनकी कमी के कारण ट्रेन ड्राइवरों से अधिक काम करवाया जा रहा है। इन ड्राइवरों के रोस्टर चार्ट से पता चलता है कि उन्होंने अतीत में लगातार कई रात की ड्यूटी की है जो रेलवे के मानदंडों के खिलाफ है।
पंजाब मंत्रिमंडल फेरबदल के चार कारण:लोकसभा नतीजों की परफॉर्मेंस, जातीय समीकरण और सीएम का वायदा
पंजाब मंत्रिमंडल फेरबदल के चार कारण:लोकसभा नतीजों की परफॉर्मेंस, जातीय समीकरण और सीएम का वायदा पंजाब सरकार के मंत्रिमंडल में फेरबदल तो करीब तीन महीने पहले लोकसभा चुनाव के नतीजों के ठीक बाद ही तय माना जा रहा था। लेकिन जालंधर विधानसभा उपचुनाव के चलते यह टलता रहा। हालांकि हरियाणा विधानसभा चुनाव के बीच और पंचायत चुनाव से ठीक पहले इस बदलाव ने सबको चौंका दिया। मंत्रिमंडल में फेरबदल मंत्रियों की परफॉरमेंस और उनके इलाकों की रिपोर्ट को देखकर भी यह फैसला लिया गया है। वहीं, नए चेहरे शामिल करते हुए जातीय समीकरण और बड़े जिलों को अगुवाई दी गई है। इसके अलावा मोहिंदर भगत को मंत्री बनाकर सीएम ने जालंधर को रिटर्न गिफ्ट दिया है। क्योंकि उन्होंने कहा था कि आप इन्हें विधायक बनाओं, मंत्री तो खुद बना देंगे। आज शाम को पांच नए मंत्री राजभवन में शपथ लेंगे। मंत्रिमंडल में फेरबदल की वजह सिर्फ बेदाग छवि वाले चेहरों को प्राथमिकता पंजाब मंत्रिमंडल से जिन चार मंत्रियों की छुट्टी हुई है। उसमें बलकार सिंह, अनमोल गगन मान, चेतन सिंह जोड़माजरा और ब्रहम शंकर जिंपा शामिल है। जहां तक बलकार सिंह का अश्लील वीडियो वायरल होने की प्रमुख वजह मानी जा रही है। क्योंकि इस वजह से विपक्षी दल लगातार सरकार पर हमला कर रहे थे। दूसरा उनके पास लोकल बॉडी जैसा प्रमुख विभाग था। लेकिन अपने मंत्री और विधायक विभाग उनके विभाग से खुश नहीं थे। विधानसभा में अमृतसर के विधायक कुंवर विजय प्रताप ने सवाल उठाए थे। जबकि आगे निगम चुनाव भी होने है। इसी तरह अनमोल गगन भी हलके में एक्टिव भी नहीं थी। हलके में उनको लेकर गुस्सा भी है। वहीं, गत दिनों ने उन्होंने यह बयान देकर चौंका दिया था अफसर उनके नाम पर पैसे लेते हैं। जबकि हलका उनके परिजन संभाल रहे थे। वहीं, चेतन सिंह जोड़माजरा और ब्रहम शंकर जिंपा को बदलना चौंकाने वाला है। क्योंकि जोड़माजरा सीएम के करीबियों में माने जाते है। जबकि जिंपा काफी सक्रिय मंत्री थे। दोनों पर कोई सवाल नहीं था। हालांकि माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें संगठन में शामिल करना चाहती है। जातिगत समीकरण साधने की कोशिश मंत्रिमंडल में नए चेहरे शामिल कर सीएम मान ने जातिगत समीकरण साधने की कोशिश की है। क्योंकि अब सरकार के कार्यकाल को ढाई साल शेष हैं। ऐसे में सरकार की कोशिश यही है कि हर वर्ग को साधा जाए। इसी कड़ी में लहरा के विधायक बरिंदर गोयल को शामिल किया गया है। वह पेशे से एडवोकेट है। भ्रष्टाचार के आरोपों में विजय सिंगला को स्वास्थ्य मंत्री के पद से बर्खास्त करने कोई बनिया समुदाय से मंत्री नहीं था। इसी तरह जालंधर वेस्ट के विधायक मोहिंदर भगत को मंत्री बनाया गया है। जबकि शाम चौरासी के विधायक डॉ. रवजोत के नाम की चर्चा है। इनके बहाने सरकार की कोशिश अनुसूचित जाति के वोट बैंक को साधने और दोआबा में पार्टी को मजबूत करने की है। सूत्र बताते हैं कि जिंपा को इसी कड़ी में रिप्लेस किया गया। लुधियाना को ढाई साल बाद कैबिनेट में एंट्री लुधियाना और फतेहगढ़ साहिब जिले पंजाब के अहम जिलों में से एक है। लेकिन लोकसभा चुनावों में इन हलकों में पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा था। ऐसे में पार्टी ने करीब ढाई साल बाद इन हलकों में मंत्रिमंडल में प्राथमिकता दी है। साहनेवाल के विधायक हरदीप सिंह मुंडिया और खन्ना के विधायक तरुण प्रीत सिंह शामिल किया है। दोनों पेशे से बिजनेसमैन और सिख चेहरा है। कोशिश यही है कि आने वाले समय में पार्टी को मजबूत किया जा सकें। इन सभी हलकों कांग्रेस मजबूत है। सीएम ने दिया वायदा निभाने का संदेश सीएम का मोहिंदर भगत को मंत्रिमंडल में शामिल शामिल करने के साथ साफ संदेश है कि जो उन्होंने वायदा किया वह पूरा किया है। ऐसे में भविष्य में आप से जुड़ने वाले नेताओं को एक संदेश उन्होंने दिया है। चुनाव के समय सीएम ने कहा था कि मोहिंदर भगत को एक सीढ़ी चढ़ा दें, दूसरी सीढ़ी वह खुद चढ़ा देंगे। यहां सीएम मान के कहने का मकसद मोहिंदर भगत को मंत्री बनाने से जोड़ा गया था। पांच अनुसूचित मंत्री हो जाएंगे कैबिनेट में पंजाब सरकार के मंत्रिमंडल का यह चाैथी बार विस्तार होने जा रहा है। अगर मोहिंदर भगत के साथ डॉ. रवजोत की एंट्री हो जाती है तो अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाले पांच मंत्री कैबिनेट में हो जाएंगे। अन्य कैबिनेट सदस्यों में वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा, महिला एवं बाल विकास मंत्री डॉ. बलजीत कौर और खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री लाल चंद कटारूचक शामिल हैं। 4 जुलाई 2022 को उन्होंने अमन अरोड़ा, डॉ. इंदरबीर सिंह निज्जर, फौजा सिंह सरारी, चेतन सिंह जौरामाजरा और अनमोल गगन मान को मंत्री बनाया था। बाद में 7 जनवरी 2023 को सरारी ने इस्तीफा दे दिया और डॉ. बलबीर सिंह को स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया।