हरियाणा के जिले फरीदाबाद से लोकसभा सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर ने महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव को लेकर जीत का दावा किया है। केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर में कहा कि जहां पर भाजपा की सरकार है, वहां पर सुशासन और विकास दिखाई देगा। जहां पर कांग्रेस और इंडिया गठबंधन की सरकार हैं, वहां पर भ्रष्टाचार और भाई भतीजा बाद दिखाई देता है। हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ेगी कांग्रेस यही कारण है कि महाराष्ट्र और झारखंड में भी बीजेपी की सरकार बनेगी, लेकिन कांग्रेस अपनी हार का ठीकरा ईवीएम पर ही फोड़ेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की फितरत हो गई है, जहां पर चुनाव जीत जाती है, वहां पर ईवीएम मशीन ठीक है, लेकिन जहां पर चुनाव हार जाती है, वहां पर ईवीएम में गड़बड़ी बताती है। कांग्रेस की मनो स्थिति ठीक नहीं है। गड़बड़ी कांग्रेस की सोच और विचारधारा में उन्होंने कहा कि पार्लियामेंट में जॉइंट परियों के सामने एक्सपर्ट द्वारा गड़बड़ी करने का मौका दिया, लेकिन कोई भी ईवीएम में गड़बड़ी साबित नहीं कर पाया, इसलिए ईवीएम गड़बड़ी नहीं है, गड़बड़ी कांग्रेस की अपनी सोच और विचारधारा में है, जहां वह जीते हैं, वहां उन्हें एवं में गड़बड़ी नहीं नजर आती। घोटालों के कारण लगातार हार रही देश की जनता ने अब कांग्रेस को नकार दिया है, यह उन्हें स्वीकार करना पड़ेगा। अपने घोटालों के कारण भ्रष्टाचार के कारण लगातार देश में कांग्रेस हार रही है और कांग्रेस अपनी हर को स्वीकार नहीं कर रही है। हमेशा हारने के बाद ठीकरा ईवीएम पर ही थोड़ा जाता है। उन्हें आज भी विश्वास है कि झारखंड और महाराष्ट्र में भी उनके साथ यही होने वाला है और वहां भी वह ईवीएम को ही दोष देंगे। हरियाणा के जिले फरीदाबाद से लोकसभा सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर ने महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव को लेकर जीत का दावा किया है। केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर में कहा कि जहां पर भाजपा की सरकार है, वहां पर सुशासन और विकास दिखाई देगा। जहां पर कांग्रेस और इंडिया गठबंधन की सरकार हैं, वहां पर भ्रष्टाचार और भाई भतीजा बाद दिखाई देता है। हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ेगी कांग्रेस यही कारण है कि महाराष्ट्र और झारखंड में भी बीजेपी की सरकार बनेगी, लेकिन कांग्रेस अपनी हार का ठीकरा ईवीएम पर ही फोड़ेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की फितरत हो गई है, जहां पर चुनाव जीत जाती है, वहां पर ईवीएम मशीन ठीक है, लेकिन जहां पर चुनाव हार जाती है, वहां पर ईवीएम में गड़बड़ी बताती है। कांग्रेस की मनो स्थिति ठीक नहीं है। गड़बड़ी कांग्रेस की सोच और विचारधारा में उन्होंने कहा कि पार्लियामेंट में जॉइंट परियों के सामने एक्सपर्ट द्वारा गड़बड़ी करने का मौका दिया, लेकिन कोई भी ईवीएम में गड़बड़ी साबित नहीं कर पाया, इसलिए ईवीएम गड़बड़ी नहीं है, गड़बड़ी कांग्रेस की अपनी सोच और विचारधारा में है, जहां वह जीते हैं, वहां उन्हें एवं में गड़बड़ी नहीं नजर आती। घोटालों के कारण लगातार हार रही देश की जनता ने अब कांग्रेस को नकार दिया है, यह उन्हें स्वीकार करना पड़ेगा। अपने घोटालों के कारण भ्रष्टाचार के कारण लगातार देश में कांग्रेस हार रही है और कांग्रेस अपनी हर को स्वीकार नहीं कर रही है। हमेशा हारने के बाद ठीकरा ईवीएम पर ही थोड़ा जाता है। उन्हें आज भी विश्वास है कि झारखंड और महाराष्ट्र में भी उनके साथ यही होने वाला है और वहां भी वह ईवीएम को ही दोष देंगे। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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नारनौल में आई हॉस्पिटल पर रेड, बंद कराया:हेल्थ विभाग टीम को नहीं मिला लाइसेंस; अस्पताल की प्रदेश में चार ब्रांचें हरियाणा के नारनौल में बिना स्वास्थ्य विभाग के लाइसेंस के एक आंखों का अस्पताल चलता पाया गया। इस अस्पताल पर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने रेड की है। टीम ने जब अस्पताल संचालक से लाइसेंस मांगा तो उसके पास लाइसेंस नहीं मिला। वहीं अस्पताल के अंदर अनेक अनियमितताएं भी पाई गई। बताया जा रहा है कि अस्पताल में प्रशिक्षित स्टाफ भी नहीं है। स्वास्थ्य विभाग की छापामारी के बाद अस्पताल बंद कर दिया गया है। अस्पताल प्रबंधन ने जल्द रजिस्ट्रेशन कराने की बात कही है। जानकारी अनुसार नारनौल शहर के सिंघाना रोड स्थित राजा गार्डन के सामने कृष्णा आई केयर के नाम से अस्पताल चल रहा है। यह अस्पताल पहले महेंद्रगढ़ रोड पर चल रहा था। इस अस्पताल की हरियाणा में चार ब्रांच हैं। राजा गार्डन के सामने चल रहे इस अस्पताल के चिकित्सक ने हरियाणा मेडिकल काउंसिल से रजिस्ट्रेशन नही करवाया था। जिसकी शिकायत किसी ने स्वास्थ्य विभाग ने कर दी। शिकायत मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने वहां पर दो दिन पूर्व छापेमारी की। छापेमारी के दौरान अस्पताल में एक चिकित्सक आंखों का आपरेशन करता पाया गया। जिससे हरियाणा में प्रैक्टिस करने का लाइसेंस मांगा गया तो वह वैध लाइसेंस नहीं दिखा पाया। वहीं टीम को यह भी पाया गया कि अस्पताल में प्रशिक्षित स्टाफ भी नहीं था। जिसके बाद टीम ने अस्पताल संचालक को लाइसेंस आने तक अस्पताल बंद रखने के लिए कहा गया। इस पर अस्पताल को बंद कर दिया गया। वही इस बारे में अस्पताल के एचआर राजेश गिरी ने बताया कि हरियाणा में चिकित्सक को प्रैक्टिस करने के लिए हरियाणा मेडिकल काउंसिल से लाइसेंस लेना पड़ता है। लेकिन हमारे यहां काम करने वाले डॉक्टर ने अभी हरियाणा का लाइसेंस नहीं लिया था, जबकि उसके पास अन्य जगह का लाइसेंस है। उनकी किसी ने स्वास्थ्य विभाग को शिकायत की थी। जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने आकर वहां पर जांच की है। इसके बाद अस्पताल को कुछ दिनों के लिए बंद कर दिया गया है। वही इस बारे में सीएमओ रमेश आर्य ने बताया कि उनके पास अस्पताल की शिकायत आई थी। जिसके बाद उन्होंने वहां पर इंस्पेक्शन टीम को भेजा था। अभी उनके पास इंस्पेक्शन टीम की रिपोर्ट नहीं आई है। जब इंस्पेक्शन टीम की रिपोर्ट आएगी तब ही वे इस बारे में कुछ कह सकते हैं।
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हरियाणा में IAS की मां को BJP ने दिया टिकट:कांग्रेस ECI पहुंची; कहा- बेटा कुरुक्षेत्र का DC, विधानसभा क्षेत्र इनकी सीमा से लग रहा हरियाणा में आईएएस सुशील सारवान की मां संतोष सारवान को बीजेपी की टिकट दिए जाने पर विवाद हो गया है। कांग्रेस ने इसकी शिकायत भारतीय चुनाव आयोग (ECI) और हरियाणा मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) से की है। शिकायत में कहा गया है कि IAS सुशील सारवान की मां काे बीजेपी ने अंबाला लोकसभा क्षेत्र की मुलाना विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है। इस विधानसभा की सीमा कुरुक्षेत्र जिले की सीमा से लगती हुई है। दरअसल, शिकायत में लिखा है कि मुलाना विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा कुरुक्षेत्र जिले से लगता है और कुरुक्षेत्र में बीजेपी प्रत्याशी का बेटा यहां का डीसी है, ऐसे में वह चुनाव को प्रभावित कर सकते हैं। इस मामले में हस्तक्षेप कर कार्रवाई की जाए। आयोग को दी गई शिकायत में क्या? ECI में ये शिकायत हरियाणा कांग्रेस कमेटी के मेंबर सुरेश उनीसपुर ने की है। उन्होंने शिकायत में लिखा है कि ‘आपके संज्ञान में लाया जा रहा है कि सुशील सारवान IAS, जो संतोष सारवान BJP उम्मीदवार मुल्लाना (06) विधानसभा क्षेत्र का बेटा है, इनकी तुरंत प्रभाव से बदली की जाए। पिछले लोकसभा चुनाव में भी चुनाव आयोग के आदेश पर सुशील सारवान को पंचकूला DC पद से हटाया गया था। अब ये DC कुरुक्षेत्र में तैनात हैं, जिसकी सीमा मुलाना विधानसभा क्षेत्र से लगती है। शिकायत में ये गंभीर आरोप… शिकायत में कुछ गंभीर आरोप कांग्रेस की तरफ से लगाए गए हैं। आरोप है कि सुशील सारवान ने टिकट के ऐलान की रात से ही स्थानीय लोगों पर दबाव डालना शुरू कर दिया है। वह कह रहे हैं कि BJP को ही वोट करनी है। शिकायत में नियमों का हवाला देते हुए कांग्रेस ने लिखा है कि कि चुनाव आयोग के नियम है किसी भी पार्टी के उमीदवार के रिश्तेदार चुनाव ड्यूटी में तैनात नहीं हो सकता और जिसका पिछले चुनाव में ही बदली हुआ हो वह तो चुनाव ड्यूटी कैसे कर सकता है। इसलिए आपसे अनुरोध है कि हरियाणा में निष्पक्ष चुनाव करवाने के लिए सुशील सारवान DC कुरुक्षेत्र का तुरंत प्रभाव से तबादला किया जाए। ECI के ट्रांसफर के क्या है मापदंड लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय चुनाव आयोग की ओर से राज्यों को जारी निर्देश में किसी भी अधिकारी व कर्मचारी के तबादले का आधार संसदीय क्षेत्र को बनाया गया है। मसलन चुनाव के दौरान अपने गृह जिले वाले संसदीय क्षेत्र में अफसरों की तैनाती नहीं की जाएगी। इसी आधार पर ही चुनाव आयोग के पास अफसरों व कर्मचारियों की शिकायतें पहुंच रही हैं। RO के लिए ECI में स्पष्ट गाइडलाइन नहीं चुनावी प्रक्रिया में आरओ यानी रिटर्निंग अफसर की अहम भूमिका होती है। वह सीधे तौर से चुनाव से जुड़ा होता है। जबकि उपायुक्त यानी जिला चुनाव अधिकारी को लेकर आयोग की हिदायत स्पष्ट नहीं है। कांग्रेस की शिकायत के बाद अब चुनाव आयोग की ओर से जिस तरह का निर्देश आता है वैसे ही सरकार की ओर से कार्रवाई की जाएगी।
हरियाणा में कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाएंगे अमित शाह:पंचकूला में होगी बैठक, 4500 कार्यकर्ता होंगे शामिल, मंडल स्तर के वर्करों को भी निमंत्रण
हरियाणा में कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाएंगे अमित शाह:पंचकूला में होगी बैठक, 4500 कार्यकर्ता होंगे शामिल, मंडल स्तर के वर्करों को भी निमंत्रण हरियाणा लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का प्रदर्शन 2019 के मुकाबले काफी निराशाजनक रहा। भाजपा का वोट प्रतिशत भी पिछली बार से कम हुआ। ऐसे में कहीं न कहीं कार्यकर्ताओं के मनोबल पर असर पड़ा है। इसी को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भाजपा कार्यकर्ताओं में जान फूंकने के लिए हरियाणा आएंगे। अमित शाह का कार्यक्रम पहले कुरुक्षेत्र में तय था, लेकिन अब वह पंचकूला आएंगे। हरियाणा भाजपा ने शाह के कार्यक्रम का विस्तार किया है। पहले कार्यक्रम में 2500 कार्यकर्ताओं को शामिल होना था, लेकिन अब इनकी संख्या बढ़ाकर 4500 कर दी गई है। अब मंडल स्तर के कार्यकर्ताओं को आमंत्रित किया जा रहा है। इस बैठक में मंडल अध्यक्ष, मंडल महामंत्री, सभी मोर्चों के जिला पदाधिकारी, जिला पार्षद, नगर पार्षद और ब्लॉक कार्यसमिति को आमंत्रित किया गया है। कार्यकर्ताओं को आमंत्रित करने की जिम्मेदारी भाजपा के जिला अध्यक्षों को दी गई है। भाजपा ने ऐसी व्यवस्था की है, जिससे अमित शाह का संदेश बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं तक पहुंचे। हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए बनेगी रणनीति अमित शाह की बैठक में विधानसभा चुनाव के लिए रणनीति बनेगी। हरियाणा में तीसरी बार सरकार बनाने के लक्ष्य के साथ भाजपा आगे बढ़ेगी। इस बैठक में अमित शाह हरियाणा में कांग्रेस द्वारा फैलाए गए झूठ के खिलाफ ज्यादा से ज्यादा प्रचार करने पर जोर देंगे। फोटो खिंचवाने वाले कार्यकर्ताओं को फील्ड में मेहनत करने की सलाह दी जाएगी और काम न करने वाले कार्यकर्ताओं को पद छोड़ने की सलाह दी जाएगी। इसके अलावा 2014 और 2019 की तरह इस बार भी कार्यकर्ताओं को विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रेरित किया जाएगा। इस बैठक में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर के साथ ही प्रदेश भाजपा की कोर टीम के सदस्य ओपी धनखड़, सुधा यादव, कैप्टन अभिमन्यु, सुभाष बराला और रामबिलास शर्मा मौजूद रहेंगे। इसके साथ ही बैठक में हरियाणा के सभी मंत्री, विधायक और सांसद हिस्सा लेंगे। इतना ही नहीं इस बैठक में 2500 से ज्यादा भाजपा कार्यकर्ता हिस्सा लेंगे। शाह के कार्यक्रम से एक दिन पहले बैठक दूसरी ओर, अमित शाह की बैठक से पहले प्रदेश भाजपा की ओर से प्रदेश पदाधिकारियों, जिला अध्यक्षों और जिला प्रभारियों की बैठक आयोजित की जाएगी। इस बैठक में करीब 45 लोग भाग लेंगे। इस बैठक में अमित शाह के दौरे के दौरान एजेंडे तय किए जाएंगे। जिलों की क्या व्यवस्था होगी, इसकी पूरी रूपरेखा तैयार की जाएगी। आपको बता दें कि 2019 में जहां भाजपा ने लोकसभा में हरियाणा की 10 में से 10 सीटें जीती थीं, वहीं इस बार भाजपा लोकसभा में कांग्रेस से 5 सीटें हार गई। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस मजबूत होकर उभरी है और हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस गठबंधन में रहते हुए 46 विधानसभा सीटों पर आगे निकली, जबकि भाजपा 42 विधानसभा सीटों पर आगे रही। ऐसे में इस बार भाजपा के लिए मुकाबला कड़ा है। इन वजहों से भाजपा के सामने कड़ी चुनौती 1. सत्ता विरोधी लहर: भाजपा को हरियाणा में सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है। हरियाणा में भाजपा की सरकार 10 साल से है। हरियाणा की जनता राज्य में बदलाव चाह रही है। हालांकि भाजपा ने मुख्यमंत्री का चेहरा बदल दिया, लेकिन लोकसभा चुनाव में इसका कोई फायदा नहीं हुआ। लोकसभा चुनाव में भाजपा को मोदी के नाम पर वोट जरूर मिले, लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव की राह कठिन है। 2. जाट और एससी समुदाय की नाराजगी: भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती जाट और एससी समुदाय को खुश करना है। लोकसभा चुनाव में दोनों समुदायों ने एकजुट होकर भाजपा के खिलाफ वोट किया था। इसका नतीजा यह हुआ कि जिन विधानसभाओं में जाट समुदाय या एससी समुदाय का प्रभाव है, वहां भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है। भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती दोनों वर्गों को खुश करना है। 3. किसान आंदोलन और अग्निवीर योजना: भाजपा केंद्र सरकार की योजनाओं को लेकर लोगों से नाराज है। केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीन कृषि कानूनों को लेकर लंबे समय तक आंदोलन चला था। इसमें हरियाणा के किसानों ने अग्रणी भूमिका निभाई थी। हरियाणा सरकार ने किसानों के साथ कई मोर्चों पर बल प्रयोग किया और उनका साथ नहीं दिया। इससे किसान हरियाणा सरकार से नाराज हो गए। वहीं हरियाणा के युवा, खासकर ग्रामीण इलाकों से आने वाले युवा, केंद्र की अग्निवीर योजना से नाराज हैं। हरियाणा में युवा बड़े पैमाने पर सेना भर्ती की तैयारी करते हैं। अब यहां पढ़िए लोकसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन 11.06% वोट शेयर घटा हरियाणा में इस लोकसभा चुनाव में भाजपा को 46.06 वोट प्रतिशत मिले हैं। जबकि 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा का 58 प्रतिशत वोट शेयर था। 5 सालों में पार्टी का प्रदेश में 11.06 वोट प्रतिशत घटा है।वहीं, कांग्रेस का वोट शेयर देखें तो इस चुनाव में 43.73% वोट शेयर लेकर भाजपा को कड़ी टक्कर दी है। 2019 में कांग्रेस को सिर्फ 28.42% वोट शेयर मिला था। 5 साल में कांग्रेस के वोट शेयर में 15.31% वोट शेयर की बढ़ोतरी हुई है। रिजर्व सीटों पर BJP का बुरा हाल
हरियाणा में कुल 17 विधानसभा सीटें अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित हैं। इनमें से मात्र 4 सीटों पर ही BJP को जीत मिली है। वहीं, कांग्रेस को 11, आम आदमी पार्टी (AAP) के लिए भी बेहतर नतीजे आए हैं। AAP ने 2 सीटों पर लीड ली है। ये दोनों आरक्षित सीटें कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट में आती हैं। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 17 सीटों में से कांग्रेस ने मुलाना, सढौरा, खरखौदा, कलानौर, झज्जर, बवानीखेड़ा, उकलाना, कालांवाली, रतिया, नरवाना और होडल सीटें जीती हैं। AAP ने शाहाबाद और गुहला चीका, जबकि BJP ने नीलोखेड़ी, इसराना, पटौदी और बावल सीटें जीती हैं। इन मंत्रियों के गढ़ में पिछड़ी पार्टी
भाजपा विधायकों के अंबाला शहर से असीम गोयल (परिवहन मंत्री), जगाधरी से कंवरपाल गुर्जर (कृषि मंत्री), पिहोवा से संदीप सिंह (पूर्व खेल मंत्री), कलायत से कमलेश ढांडा (पूर्व मंत्री), आदमपुर से भव्य बिश्नोई, नलवा से रणबीर सिंह गंगवा, बवानीखेड़ा से बिशंबर वाल्मीकि (राज्य मंत्री), फतेहाबाद से दूडाराम, रतिया से लक्ष्मण नापा, लोहारू से जेपी दलाल (कृषि मंत्री), कोसली से लक्ष्मण यादव, हथीन से प्रवीण डागर, होडल से जगदीश नागर के विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा उम्मीदवार की हार हुई।