फर्राटेदार अंग्रेजी, M.Tech इंजीनियर और यूनिवर्सिटी के टॉपर, महाकुंभ में सबसे अलग हैं यह नागा संत

फर्राटेदार अंग्रेजी, M.Tech इंजीनियर और यूनिवर्सिटी के टॉपर, महाकुंभ में सबसे अलग हैं यह नागा संत

<p style=”text-align: justify;”><strong>Maha Kumbh 2025 News:</strong> प्रयागराज महाकुंभ में वैसे तो हजारों की संख्या में नागा संन्यासियों ने डेरा जमा लिया है, लेकिन निरंजनी अखाड़े के नागा संत दिगंबर कृष्ण गिरि इस भीड़ में सबसे अलग हैं. वह अखाड़े के बाहर सड़क किनारे छोटे से तंबू में धूनी रमाकर साधना करते हुए नजर आते हैं, लेकिन जब फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं तो सुनने वाले दांतों तले उंगलियां दबा लेते हैं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>दरअसल दिगंबर कृष्ण गिरि एम टेक इंजीनियर है, कर्नाटक यूनिवर्सिटी के टॉपर रहे हैं, लेकिन पंद्रह साल पहले हरिद्वार में नागा साधुओं के वैभव और उनकी आध्यात्मिकता से प्रभावित होकर मल्टीनेशनल कंपनी के सालाना 40 लाख रुपए पैकेज वाली नौकरी को छोड़ दिया और संन्यास की दीक्षा ले ली.</p>
<p style=”text-align: justify;”>55 साल के नागा संन्यासी दिगंबर कृष्ण गिरि मूल रूप से कर्नाटक के रहने वाले हैं. कर्नाटक यूनिवर्सिटी से ही उन्होंने इंजीनियरिंग की डिग्री ली थी. वह एम टेक में टॉपर थे, उन्होंने कई बड़ी कंपनियों में नौकरी की. साल 2010 में उन्हें सालाना 40 लाख रुपये का पैकेज मिला हुआ था. यानी हर महीने तकरीबन साढ़े तीन लाख रुपए तनख्वाह मिलती थी.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अपने हाथों से किया अपना पिंडदान</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>साल 2010 में जब हरिद्वार में कुंभ का आयोजन हो रहा था, तब उन्हें एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में वहां जाने का मौका मिला था. यहां वह नागा संन्यासियों के धर्म के प्रति उनके समर्पण से इतना प्रभावित हुए कि इन्होंने सुख सुविधा और वैभव वाली नौकरी को छोड़कर बाकी का बचा हुआ जीवन सनातन को समर्पित करने का फैसला कर लिया. पहले उन्होंने कुछ दिनों शैव संप्रदाय के निरंजनी अखाड़े के नागा संतो के बीच उनकी सेवा करते हुए बिताया, फिर खुद भी सब कुछ त्याग कर जीते जी अपने हाथों अपना पिंडदान करते हुए संन्यास की दीक्षा ले ली.</p>
<p style=”text-align: justify;”>दिगंबर कृष्ण गिरि महाकुंभ में अपने निरंजनी अखाड़े के साथ ही कई दूसरे अखाड़ों की पेशवाई में भी शामिल हो चुके हैं. उन्होंने जिस जगह अपना डेरा जमाया है, वहां हर वक्त धूनी जमी रहती हैं. धूनी में हर वक्त भगवान भोलेनाथ का अस्त्र त्रिशूल गड़ा रहता है. दिगंबर कृष्ण गिरि के मुताबिक नौकरी में रहते हुए उनके पास तमाम सुख सुविधा थी. पैसों की कोई कमी नहीं थी, लेकिन शांति और सुकून नहीं था.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>सन्यास धारण करने के बाद उन्हें फक्कड़ जिंदगी बितानी पड़ रही है, लेकिन जिंदगी पूरी तरह आनंदित और उल्लासित करती है. अब ना तो कुछ पाने की लालसा है और ना ही कुछ खोने का गम. उनके मुताबिक परिवार वालों से संबंध सिर्फ सोशल मीडिया तक ही सीमित रह गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>साधुओं की भीड़ में आम नागाओं की तरह आते हैं नजर&nbsp;</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>बहरहाल दिगंबर कृष्ण गिरि महाकुंभ में नागा साधुओं की भीड़ में आम नागाओं की तरह ही नजर आते हैं. पूरा दिन भगवान भोलेनाथ की आराधना में बीतता है. खुद के बीते हुए जीवन के बारे में ना तो किसी को बताते हैं और ना ही उस बारे में ज्यादा चर्चा करना पसंद करते हैं. उनका कहना है कि वह शस्त्र और शास्त्र दोनों में पारंगत हैं. बाकी का बचा हुआ जीवन भी सनातन की सेवा और उसकी रक्षा करने में बिताना चाहते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>महाकुंभ में होने वाले तीनों शाही स्नान का बेसब्री से इंतजार</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>उनके मुताबिक बीता हुआ जीवन छोड़ने को लेकर उन्हें कोई पछतावा नहीं है. उन्हें महाकुंभ में होने वाले तीनों शाही स्नान का बेसब्री से इंतजार है. दिगंबर कृष्ण गिरि के पुराने जीवन के बारे में जो लोग जानते हैं, वह उनके साथ फोटो खिंचाना चाहते हैं. सेल्फी लेते हैं और उनके बारे में चर्चा करते हैं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/lucknow-family-murder-case-police-releases-poster-accused-mohammad-badr-and-announced-reward-2859103″>लखनऊ हत्याकांड: 5 हत्याओं के आरोपी मोहम्मद बदर का पुलिस ने जारी किया पोस्टर, इनाम की भी घोषणा</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Maha Kumbh 2025 News:</strong> प्रयागराज महाकुंभ में वैसे तो हजारों की संख्या में नागा संन्यासियों ने डेरा जमा लिया है, लेकिन निरंजनी अखाड़े के नागा संत दिगंबर कृष्ण गिरि इस भीड़ में सबसे अलग हैं. वह अखाड़े के बाहर सड़क किनारे छोटे से तंबू में धूनी रमाकर साधना करते हुए नजर आते हैं, लेकिन जब फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं तो सुनने वाले दांतों तले उंगलियां दबा लेते हैं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>दरअसल दिगंबर कृष्ण गिरि एम टेक इंजीनियर है, कर्नाटक यूनिवर्सिटी के टॉपर रहे हैं, लेकिन पंद्रह साल पहले हरिद्वार में नागा साधुओं के वैभव और उनकी आध्यात्मिकता से प्रभावित होकर मल्टीनेशनल कंपनी के सालाना 40 लाख रुपए पैकेज वाली नौकरी को छोड़ दिया और संन्यास की दीक्षा ले ली.</p>
<p style=”text-align: justify;”>55 साल के नागा संन्यासी दिगंबर कृष्ण गिरि मूल रूप से कर्नाटक के रहने वाले हैं. कर्नाटक यूनिवर्सिटी से ही उन्होंने इंजीनियरिंग की डिग्री ली थी. वह एम टेक में टॉपर थे, उन्होंने कई बड़ी कंपनियों में नौकरी की. साल 2010 में उन्हें सालाना 40 लाख रुपये का पैकेज मिला हुआ था. यानी हर महीने तकरीबन साढ़े तीन लाख रुपए तनख्वाह मिलती थी.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अपने हाथों से किया अपना पिंडदान</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>साल 2010 में जब हरिद्वार में कुंभ का आयोजन हो रहा था, तब उन्हें एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में वहां जाने का मौका मिला था. यहां वह नागा संन्यासियों के धर्म के प्रति उनके समर्पण से इतना प्रभावित हुए कि इन्होंने सुख सुविधा और वैभव वाली नौकरी को छोड़कर बाकी का बचा हुआ जीवन सनातन को समर्पित करने का फैसला कर लिया. पहले उन्होंने कुछ दिनों शैव संप्रदाय के निरंजनी अखाड़े के नागा संतो के बीच उनकी सेवा करते हुए बिताया, फिर खुद भी सब कुछ त्याग कर जीते जी अपने हाथों अपना पिंडदान करते हुए संन्यास की दीक्षा ले ली.</p>
<p style=”text-align: justify;”>दिगंबर कृष्ण गिरि महाकुंभ में अपने निरंजनी अखाड़े के साथ ही कई दूसरे अखाड़ों की पेशवाई में भी शामिल हो चुके हैं. उन्होंने जिस जगह अपना डेरा जमाया है, वहां हर वक्त धूनी जमी रहती हैं. धूनी में हर वक्त भगवान भोलेनाथ का अस्त्र त्रिशूल गड़ा रहता है. दिगंबर कृष्ण गिरि के मुताबिक नौकरी में रहते हुए उनके पास तमाम सुख सुविधा थी. पैसों की कोई कमी नहीं थी, लेकिन शांति और सुकून नहीं था.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>सन्यास धारण करने के बाद उन्हें फक्कड़ जिंदगी बितानी पड़ रही है, लेकिन जिंदगी पूरी तरह आनंदित और उल्लासित करती है. अब ना तो कुछ पाने की लालसा है और ना ही कुछ खोने का गम. उनके मुताबिक परिवार वालों से संबंध सिर्फ सोशल मीडिया तक ही सीमित रह गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>साधुओं की भीड़ में आम नागाओं की तरह आते हैं नजर&nbsp;</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>बहरहाल दिगंबर कृष्ण गिरि महाकुंभ में नागा साधुओं की भीड़ में आम नागाओं की तरह ही नजर आते हैं. पूरा दिन भगवान भोलेनाथ की आराधना में बीतता है. खुद के बीते हुए जीवन के बारे में ना तो किसी को बताते हैं और ना ही उस बारे में ज्यादा चर्चा करना पसंद करते हैं. उनका कहना है कि वह शस्त्र और शास्त्र दोनों में पारंगत हैं. बाकी का बचा हुआ जीवन भी सनातन की सेवा और उसकी रक्षा करने में बिताना चाहते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>महाकुंभ में होने वाले तीनों शाही स्नान का बेसब्री से इंतजार</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>उनके मुताबिक बीता हुआ जीवन छोड़ने को लेकर उन्हें कोई पछतावा नहीं है. उन्हें महाकुंभ में होने वाले तीनों शाही स्नान का बेसब्री से इंतजार है. दिगंबर कृष्ण गिरि के पुराने जीवन के बारे में जो लोग जानते हैं, वह उनके साथ फोटो खिंचाना चाहते हैं. सेल्फी लेते हैं और उनके बारे में चर्चा करते हैं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/lucknow-family-murder-case-police-releases-poster-accused-mohammad-badr-and-announced-reward-2859103″>लखनऊ हत्याकांड: 5 हत्याओं के आरोपी मोहम्मद बदर का पुलिस ने जारी किया पोस्टर, इनाम की भी घोषणा</a></strong></p>  उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड महाराष्ट्र के इन सीटों पर दोबारा होंगे चुनाव? MVA के 6 उम्मीदवारों ने महायुति की जीत को हाई कोर्ट में दी चुनौती