फाजिल्का में हाईवे पर ट्रैफिक पुलिस ने स्पीडोमीटर लगा दिया है, यानी ओवर स्पीड में चलने वाले लोगों को अब सावधानी बरतनी होगी, क्योंकि ट्रैफिक पुलिस के स्पीडोमीटर में कैद होने वाले ओवर स्पीड वाहन नंबरों पर ऑन लाइन चालान किए जा रहे है l यही वजह है कि अबोहर रोड पर की गई नाकाबंदी दौरान एक घंटे 19 वाहन चालकों के चालान काट दिए गए। फाजिल्का सिटी थाना के एसएचओ लेखराज ने बताया कि फाजिल्का अबोहर रोड पर आत्मवल्लभ स्कूल के नजदीक ट्रैफिक पुलिस के साथ मिलकर उनकी अध्यक्षता में नाकाबंदी की गई l इस दौरान रोड पर स्पीडोमीटर लगाया गया और जिसके मुताबिक इस रोड पर चलने की स्पीड लिमिट 40 है l अगर कोई 40 की स्पीड से ज्यादा स्पीड में आ रहा है तो उसके खिलाफ जरुरी कार्रवाई करते हुए उनके ऑनलाइन चालान किए जा रहे हैं l उन्होंने बताया कि अब तक करीब 19 चालान कर दिए गए हैं l उन्होंने इलाके के लोगों से अपील की है कि ट्रैफिक नियमों की पालना करें अन्यथा बनती कार्रवाई की जाएगी l फाजिल्का में हाईवे पर ट्रैफिक पुलिस ने स्पीडोमीटर लगा दिया है, यानी ओवर स्पीड में चलने वाले लोगों को अब सावधानी बरतनी होगी, क्योंकि ट्रैफिक पुलिस के स्पीडोमीटर में कैद होने वाले ओवर स्पीड वाहन नंबरों पर ऑन लाइन चालान किए जा रहे है l यही वजह है कि अबोहर रोड पर की गई नाकाबंदी दौरान एक घंटे 19 वाहन चालकों के चालान काट दिए गए। फाजिल्का सिटी थाना के एसएचओ लेखराज ने बताया कि फाजिल्का अबोहर रोड पर आत्मवल्लभ स्कूल के नजदीक ट्रैफिक पुलिस के साथ मिलकर उनकी अध्यक्षता में नाकाबंदी की गई l इस दौरान रोड पर स्पीडोमीटर लगाया गया और जिसके मुताबिक इस रोड पर चलने की स्पीड लिमिट 40 है l अगर कोई 40 की स्पीड से ज्यादा स्पीड में आ रहा है तो उसके खिलाफ जरुरी कार्रवाई करते हुए उनके ऑनलाइन चालान किए जा रहे हैं l उन्होंने बताया कि अब तक करीब 19 चालान कर दिए गए हैं l उन्होंने इलाके के लोगों से अपील की है कि ट्रैफिक नियमों की पालना करें अन्यथा बनती कार्रवाई की जाएगी l पंजाब | दैनिक भास्कर
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पंजाब में पुराने वार्ड विभाजन पर होंगे नगर निगम चुनाव:हाईकोर्ट ने दिए आदेश, 15 दिन के अंदर प्रक्रिया शुरू करने को कहा पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को निर्देश दिया है कि वह उन सभी नगर पालिकाओं और नगर निगमों में चुनाव कार्यक्रम अधिसूचित कर चुनाव करवाने की प्रक्रिया शुरू करे, जहां लंबे समय से चुनाव होने बाकी हैं। हाईकोर्ट ने शनिवार को जारी अपने आदेश में राज्य में बिना परिसीमन के चुनाव करवाने के लिए 15 दिन की समय सीमा तय की है। इसके साथ ही राज्य के नगर निगमों फगवाड़ा, अमृतसर, पटियाला, जालंधर, लुधियाना और 42 नगर परिषदों-नगर पंचायतों के भी चुनाव होने हैं, जहां पांच साल की अवधि समाप्त होने के बाद चुनाव होने थे। हाईकोर्ट बोला- नए सिरे से नहीं होगा सीमांकन हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि इस न्यायालय को पंजाब राज्य चुनाव आयोग और पंजाब राज्य को संवैधानिक आदेश का पालन करने का आदेश देने में कोई हिचकिचाहट नहीं है और इस आदेश की तारीख से 15 दिनों के भीतर सभी नगर पालिकाओं और कस्बों द्वारा चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू करें। नए सिरे से परिसीमन प्रक्रिया शुरू किए बिना निगमों में चुनाव कार्यक्रम अधिसूचित करें। मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल की खंडपीठ ने यह आदेश एक याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया, जिसमें मुद्दा उठाया गया था कि क्या नगर पालिकाओं/नगर परिषदों/नगर निगमों/नगर पंचायतों के लंबित चुनाव के कारण होने चाहिए। बिना परिसीमन के चुनाव कराने का आदेश पीठ के समक्ष बहस करते हुए पंजाब के महाधिवक्ता (एजी) ने कहा कि विभाग को घर-घर सर्वेक्षण करने, कच्चा नक्शा तैयार करने और उसका परिसीमन करने के लिए प्रत्येक नगर पालिका के लिए एक परिसीमन बोर्ड का गठन करने की आवश्यकता है। बताया गया कि 47 में से 44 नगर पालिकाओं के लिए परिसीमन बोर्ड का गठन किया जा चुका है और तीन नगर पालिकाओं यानी नगर निगम जालंधर, नगर परिषद तलवाड़ा और नगर पंचायत भादसों के गठन की प्रक्रिया जल्द ही जारी की जाएगी। कार्यकाल समाप्त होने के कारण विकास कार्य ठप है एजी ने यह भी कहा कि वार्डों के परिसीमन की पूरी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए कुल 16 सप्ताह की अवधि की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि 17 अक्टूबर 2023 को परिसीमन का पिछला निर्णय रद्द कर दिया गया था, इसलिए वार्डों का नए सिरे से परिसीमन करना आवश्यक है। हालांकि, दलीलें सुनने के बाद हाई कोर्ट ने राज्य को बिना परिसीमन प्रक्रिया के चुनाव कराने का आदेश दिया। इस मामले में मालेरकोटला निवासी बेअंत सिंह ने हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका में कहा कि पंजाब की 42 नगर परिषदों का कार्यकाल कई महीने पहले खत्म हो चुका है। इनमें से कई का कार्यकाल समाप्त हुए दो साल से अधिक हो गया है, जिसके कारण यहां के सभी विकास कार्य ठप पड़े हैं। याचिका के अनुसार, राज्य में अधिकांश नगर परिषदों का कार्यकाल दिसंबर 2022 में समाप्त हो गया है। लेकिन अभी तक चुनाव नहीं हुए हैं। 2023 में चुनाव कराने की अधिसूचना जारी की गई कोर्ट को बताया गया कि 1 अगस्त 2023 को स्थानीय निकाय विभाग ने नगर परिषद चुनाव कराने की अधिसूचना जारी की थी, जो 1 नवंबर 2023 को होनी थी। लेकिन आज तक चुनाव नहीं हुए। याचिका के मुताबिक, उन्होंने चुनाव कराने के लिए 5 जुलाई को सरकार को कानूनी नोटिस भेजा था, लेकिन अभी तक उन्हें सरकार से कोई जवाब नहीं मिला है. इसलिए अब उन्हें हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सरकार से चुनाव कराने के निर्देश मांगने को मजबूर होना पड़ा है।
सुखबीर बादल के धार्मिक-राजनीतिक भविष्य पर आज विचार होगा:श्री अकाल तख्त साहिब पर बुद्धिजीवियों की बैठक बुलाई; SAD प्रमुख तनखैया घोषित हो चुके
सुखबीर बादल के धार्मिक-राजनीतिक भविष्य पर आज विचार होगा:श्री अकाल तख्त साहिब पर बुद्धिजीवियों की बैठक बुलाई; SAD प्रमुख तनखैया घोषित हो चुके शिरोमणि अकाली दल (SAD) के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल के धार्मिक और राजनीतिक भविष्य के फैसले पर आज विचार होगा। श्री अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने श्री अकाल तख्त कार्यालय में महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है, जिसमें सिख विद्वानों और बुद्धिजीवियों के साथ मिलकर सुखबीर बादल के “तनखैया” मामले पर चर्चा की जाएगी। इस बैठक में उन्हें दिए जाने वाली संभावित धार्मिक सजा पर विचार किया जाएगा। इस चर्चा में कुल 18 सिख विद्वान और बुद्धिजीवी भाग लेंगे। इन सदस्यों में अकाल तख्त के पूर्व जत्थेदार मंजीत सिंह, पंजाबी यूनिवर्सिटी के पूर्व VC जसपाल सिंह, इंद्रजीत सिंह गोगोआनी, अमरजीत सिंह, हरसिमरन सिंह, जसपाल सिंह सिद्धू और हमीर सिंह शामिल हैं। इनके अलावा कुछ वरिष्ठ पत्रकारों को भी आमंत्रित किया गया है। सुखबीर बादल पर लगे आरोप और “तनखैया” मामला
अकाली दल से जुड़े असंतुष्ट नेताओं ने अकाली सरकार के दौरान (2007-2017) हुए कुछ धार्मिक फैसलों पर सवाल उठाए थे, जिन्हें उन्होंने सिख धर्म के हितों के विरुद्ध बताया। इसके बाद अकाल तख्त ने 30 अगस्त 2024 को सुखबीर बादल को तनखैया घोषित किया था, लेकिन अब तक कोई सजा नहीं दी गई। तनखैया घोषित किए जाने के कारण सुखबीर सिंह बादल को विधानसभा उपचुनावों में प्रचार या भाग लेने की अनुमति नहीं मिली थी। इसके चलते अकाली दल ने उपचुनावों से दूरी बना ली थी। हालांकि, सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी (SGPC) चुनाव में अकाली दल समर्थित उम्मीदवार अध्यक्ष बने हैं। किस प्रकार की सजा मिल सकती है?
अकाल तख्त के दिशा-निर्देशों के तहत, तनखैया घोषित व्यक्ति को अक्सर गुरुद्वारे में सेवा करने जैसे कार्य सौंपे जाते हैं। जैसे कि जूते या फर्श साफ करना। आज की बैठक में इस बात पर विचार किया जाएगा कि सुखबीर बादल को किस प्रकार की धार्मिक सजा दी जा सकती है। इस फैसले से पहले जत्थेदारों की एक बैठक होगी, जिसमें सुखबीर बादल भी उपस्थित हो सकते हैं। इस निर्णय के आधार पर सुखबीर बादल के धार्मिक और राजनीतिक सफर पर बड़ा असर पड़ सकता है। क्या होता है तनखैया
सिख पंथ के अनुसार कोई भी सिख अगर धार्मिक तौर पर कुछ गलत करता है तो उसे तनखैया करार दिया जाता है। इसका फैसला सिखों के सर्वोच्च तख्त श्री अकाल तख्त साहिब करते हैं। तनखैया घोषित होने के बाद व्यक्ति सिख संगत के समक्ष उपस्थित होकर अपनी गलती के लिए क्षमा मांग सकता है। तब सिख संगत की ओर से पवित्र श्री गुरू ग्रंथ साहिब की हाजिरी में उसके गुनाह की समीक्षा की जाती है। फिर उसी के हिसाब से उसके लिए दंड तय किया जाता है। तनखैया की सजा मिलने पर ऐसे व्यक्ति से न तो कोई सिख संपर्क रखता है और न ही कोई संबंध। इनके यहां शादी जैसे कार्यक्रमों में भी कोई सिख आता-जाता नहीं है। अकाली दल के बागी गुट ने सौंपा था माफीनामा
अकाली दल का बागी गुट 1 जुलाई को श्री अकाल तख्त साहिब पहुंचा था। इस दौरान जत्थेदार को माफ़ीनामा सौंपा गया था, जिसमें सुखबीर बादल से हुई 4 गलतियों में सहयोग देने पर माफी मांगी गई। 1. डेरा सच्चा सौदा के खिलाफ शिकायत वापस ली गई थी
2007 में सलाबतपुरा में डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरुमीत राम रहीम ने 10वें गुरू श्री गुरू गोबिंद सिंह जी की परंपरा का अनुकरण करते हुए उन्हीं की तरह कपड़ों को पहनकर अमृत छकाने का स्वांग रचा था। उस वक्त इसके खिलाफ पुलिस केस भी दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में अकाली सरकार ने सजा देने की जगह इस मामले को ही वापस ले लिया। 2. डेरा मुखी को सुखबीर बादल ने दिलवाई थी माफी
श्री अकाल तख्त साहिब ने कार्रवाई करते हुए डेरा मुखी को सिख पंथ से निष्कासित कर दिया था। अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए डेरा मुखी को माफी दिलवा दी थी। इसके बाद अकाली दल और शिरोमणि कमेटी के नेतृत्व को सिख पंथ के गुस्से और नाराजगी का सामना करना पड़ा। अंत में श्री अकाल तख्त साहिब ने डेरा मुखी को माफी देने का फैसला वापस लिया। 3. बेअदबी की घटनाओं की सही जांच नहीं हुई
1 जून 2015 को कुछ तत्वों ने बुर्ज जवाहर सिंह वाला (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बीड़ चुराई। फिर 12 अक्टूबर 2015 को बरगाड़ी (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 110 अंग चुरा लिए व बाहर फेंक दिए। इससे सिख पंथ में भारी आक्रोश फैल गया। अकाली दल सरकार और तत्कालीन गृह मंत्री सुखबीर सिंह बादल ने इस मामले की समय रहते जांच नहीं की। दोषियों को सजा दिलाने में असफल रहे। इससे पंजाब में हालात बिगड़ गए और कोटकपूरा और बहबल कलां में दुखद घटनाएं हुईं। 4. झूठे केसों में मारे गए सिखों को नहीं दे पाए इंसाफ
अकाली दल सरकार ने सुमेध सैनी को पंजाब का DGP नियुक्त किया गया। राज्य में फर्जी पुलिस मुठभेड़ों को अंजाम देकर सिख युवाओं की हत्या करने के लिए उन्हें जाना जाता था। पूर्व DGP इजहार आलम, जिन्होंने आलम सेना का गठन किया, उनकी पत्नी को टिकट दिया और उन्हें मुख्य संसदीय सचिव बनाया।
पंजाब पुलिस के लिए नए आदेश:सुबह 11 से 1 बजे तक SHO से लेकर ऑफिसर तक बैठेंगे दफ्तरों में
पंजाब पुलिस के लिए नए आदेश:सुबह 11 से 1 बजे तक SHO से लेकर ऑफिसर तक बैठेंगे दफ्तरों में पंजाब के लोगों की सुविधा के लिए पुलिस ने बड़ा फैसला लिया है। SHO से लेकर उच्च अधिकारी तक अब रोजाना सुबह 11 बजे से एक बजे तक अपने आफिसों में बैठेंगे। इस पहल के आधार पर लोगों की दिक्कतों को सुनेंगे। इस संबंधी आदेश DGP पंजाब गौरव यादव की तरफ से दिए गए हैं। उन्होंने यह जानकारी अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर पोस्ट डालकर दी है। DGP की तरफ से यह फैसला लोगों की तरफ से आने वाली शिकायतों के तुरंत निपटाने के लिए लिया गया है। यह आदेश सभी रेंज के एडीजीपी/आईजीपी/डीआईजी, पुलिस आयुक्तों, जिला एसएसपी, उपमंडल डीएसपी और एसएचओ पर लागू होंगे। आदेश सभी वर्किंग दिवस पर लागू होगा। उन्होंने कहना है कि पुलिस का यह भी सबसे कर्तव्य है। लोगों को किसी भी तरह की दिक्कत नहीं आनी चाहिए। चंडीगढ़ मुख्यालय में भी आदेश होंगे लागू पुलिस के उक्त आदेश पंजाब पुलिस के चंडीगढ़ स्थित मुख्यालय में भी लागू होंगे। पुलिस मुख्यालय में विशेष डीजीपी/अतिरिक्त डीजीपी रैंक के वरिष्ठ अधिकारियों को लोगों से तय समय में मिलना होगा। डीजीपी ने साफ किया है कि सभी को उक्त आदेशों का पालन करना होगा। नागरिकों तक पहुंचने के लिए यह पुलिस का बड़ा कदम है। राज्य में कानून व्यवस्था में बनाए रखने के लिए यह प्रयास जारी रहेंगे। सीएम से मीटिंग बाद आए आदेश लोकसभा चुनाव में पंजाब के मुख्यमंत्री ने पूरे राज्य के दौरे किए थे। वह प्रत्येक विधानसभा हलके व गांव तक पहुंच थे। इस दौरान सीएम को कई सुझाव व शिकायतें मिली थी। जैसे ही चुनाव नतीजे आए थे। उसके बाद सीएम ने अपनी रिहायश पर डीजीपी गौरव यादव से मीटिंग भी की थी। सूत्रों से पता चला है कि उसके बाद ही इस दिशा में यह कार्रवाई हुई। इससे पहले सीएम ने अधिकारियों को साफ किया लोगों से जो भी फीडबैक उन्हें मिला है। उसे हर हाल में लागू किया जाएगा। लोगों को किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं आनी चाहिए। वहीं, विरोधी दल के नेताओं ने भी चुनाव में कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सरकार को घेरा था।