फाजिल्का में पंचायत चुनाव के दौरान अपने नामांकन पत्र दाखिल करने और उनके मंजूर होने के बाद आज जब चुनाव चिन्ह लेने के लिए गई सरपंच पद की उम्मीदवार महिला उस समय हैरान रह गई, जब उन्हें पता चला कि उसने अपना नामांकन वापस ले लिया है। उन्हें यह तर्क दिया जा रहा है कि उनके गांव में सर्वसम्मति से सरपंच बनाया जा चुका है l जानकारी देते हुए जलालाबाद के गांव सोहना सांदड़ की रहने वाली सरपंच पद की उम्मीदवार हरबंस कौर ने बताया कि पंचायत चुनाव के चलते उनके द्वारा नामांकन पत्र दाखिल किया गया था l इसके बाद मंजूर हुई लिस्ट में उनकी फाइल को योग्य करार भी दिया गया था। उनके द्वारा अपने गांव में वोट मांगने का काम शुरू कर दिया गया। आज वह चुनाव निशान लेने के लिए जलालाबाद बीडीपीओ कार्यालय में गई तो हैरान हो गए l क्योंकि अधिकारियों ने उन्हें तर्क दिया कि वह अपनी फाइल वापस ले जा चुकी है और उनके गांव में सर्वसम्मति से सरपंच चुना जा चुका है l लेकिन उनके लिए हैरानी की बात यह है कि उन्होंने अपना नामांकन वापस लिया ही नहीं है l फिर सर्वसमिति से सरपंच कैसे चुना गया l उन्होंने धक्केशाही का आरोप लगाते हुए चुनाव कमीशन से कार्रवाई की मांग की है। उधर, इस मामले को लेकर सियासत गरमा गई है l फाजिल्का से भाजपा के जिला अध्यक्ष सुखविंदर सिंह काका कंबोज ने इस मामले को लेकर हाईकोर्ट का रुख करने की चेतावनी दी है l उन्होंने कहा कि एक तरफ महिला का नामांकन योग्य करार दिया गया l फिर उसे चुनाव चिन्ह क्यों नहीं जारी किया गया l फाजिल्का के एडीसी डी सुभाष चंद्र से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि उनके पास यह शिकायत आई थी l जिसे चुनाव कमीशन को भेज दिया गया है l इस मामले में कार्रवाई चुनाव आयोग द्वारा ही की जानी है l फाजिल्का में पंचायत चुनाव के दौरान अपने नामांकन पत्र दाखिल करने और उनके मंजूर होने के बाद आज जब चुनाव चिन्ह लेने के लिए गई सरपंच पद की उम्मीदवार महिला उस समय हैरान रह गई, जब उन्हें पता चला कि उसने अपना नामांकन वापस ले लिया है। उन्हें यह तर्क दिया जा रहा है कि उनके गांव में सर्वसम्मति से सरपंच बनाया जा चुका है l जानकारी देते हुए जलालाबाद के गांव सोहना सांदड़ की रहने वाली सरपंच पद की उम्मीदवार हरबंस कौर ने बताया कि पंचायत चुनाव के चलते उनके द्वारा नामांकन पत्र दाखिल किया गया था l इसके बाद मंजूर हुई लिस्ट में उनकी फाइल को योग्य करार भी दिया गया था। उनके द्वारा अपने गांव में वोट मांगने का काम शुरू कर दिया गया। आज वह चुनाव निशान लेने के लिए जलालाबाद बीडीपीओ कार्यालय में गई तो हैरान हो गए l क्योंकि अधिकारियों ने उन्हें तर्क दिया कि वह अपनी फाइल वापस ले जा चुकी है और उनके गांव में सर्वसम्मति से सरपंच चुना जा चुका है l लेकिन उनके लिए हैरानी की बात यह है कि उन्होंने अपना नामांकन वापस लिया ही नहीं है l फिर सर्वसमिति से सरपंच कैसे चुना गया l उन्होंने धक्केशाही का आरोप लगाते हुए चुनाव कमीशन से कार्रवाई की मांग की है। उधर, इस मामले को लेकर सियासत गरमा गई है l फाजिल्का से भाजपा के जिला अध्यक्ष सुखविंदर सिंह काका कंबोज ने इस मामले को लेकर हाईकोर्ट का रुख करने की चेतावनी दी है l उन्होंने कहा कि एक तरफ महिला का नामांकन योग्य करार दिया गया l फिर उसे चुनाव चिन्ह क्यों नहीं जारी किया गया l फाजिल्का के एडीसी डी सुभाष चंद्र से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि उनके पास यह शिकायत आई थी l जिसे चुनाव कमीशन को भेज दिया गया है l इस मामले में कार्रवाई चुनाव आयोग द्वारा ही की जानी है l पंजाब | दैनिक भास्कर
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आकाशदीप सिंह का जन्म 2 दिसंबर 1994 को वेरोवाल गांव में हुआ था। उनके पिता सुरिंदर पाल सिंह पंजाब पुलिस में बतौर इंस्पेक्टर कार्यरत थे। जबकि उनके छोटे भाई प्रभदीप सिंह भी हॉकी खिलाड़ी हैं और वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व भी कर चुके हैं। आकाशदीप सिंह शुरुआत में गुरु अंगद देव स्पोर्ट्स क्लब के लिए भी खेलते थे। जहां उनके खेलने की बेहतरीन स्किल को देखते हुए माता-पिता ने उन्हें 12 साल की उम्र में लुधियाना में स्थित पीएयू हॉकी अकादमी में दाखिला करा दिया। इसके बाद आकाशदीप जालंधर के सुरजीत हॉकी अकादमी चले गए और वहां वो 4 साल तक रहे। इस दौरान उन्होंने खेल की हर बारिकियों को बखूबी से समझा और घरेलू व राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित प्रतियोगिताओं में शानदार प्रदर्शन करते हुए अपनी प्रतिभा दिखाई। साल 2011 में आकाशदीप सिंह को भारतीय जूनियर हॉकी टीम का कप्तान बनाया गया। जहां उन्होंने 2011 में मलेशिया में आयोजित जूनियर एशिया कप में भारत को कांस्य पदक दिलाया। 2012 में सीनियर हॉकी टीम में डेब्यू
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