फेस्टिव सीजन में नही रहा कंट्रोल,मंडराया शुगर बढ़ने का खतरा:दिवाली पर मिठाई का इनटेक ज्यादा,अब कैसे रखें खुद को फिट? लखनऊ के एक्सपर्ट्स से जाने टिप्स

फेस्टिव सीजन में नही रहा कंट्रोल,मंडराया शुगर बढ़ने का खतरा:दिवाली पर मिठाई का इनटेक ज्यादा,अब कैसे रखें खुद को फिट? लखनऊ के एक्सपर्ट्स से जाने टिप्स

दीवाली के इस फेस्टिव सीजन में ज्यादा मिठाई खाने से हेल्थ पर बुरा असर पड़ सकता है। हाई शुगर और बीपी के मरीजों के लिए ये बेहद खतरनाक है। एक्सपर्ट्स ऐसे मरीजों को अब सधे हुए भोजन के साथ ज्यादा अलर्ट रहने पर जोर दे रहे। वहीं, पटाखों के कारण बढ़ते प्रदूषण से ब्रीदलेसनेस यानी सांस लेने में समस्या भी हो सकती हैं। दैनिक भास्कर ने यूपी के टॉप मेडिकल एक्सपर्ट्स से बात करके फेस्टिव सीजन की इन बेहद आम पर जरूरी सेहत से जुड़ी समस्याओं के बारे में जाना …. दवा लेने में न करे गैप, बेचैनी होने पर रहे अलर्ट SGPGI के इंडोक्राइनोलॉजी के पूर्व प्रमुख डॉ.सुशील गुप्ता का कहना है शुगर पेशेंट के लिए ये थोड़ा रिस्की फेज रहता है। आएम तौर पर 70 से 80% डायबिटीज के मरीजों की इस दौरान शुगर इन्टेक बढ़ जाती है। ऐसे में सतर्कता बेहद जरूरी है। किसी भी हालात में जो मेडिकेशन पहले से चल रहा है उसमें गैप न करे। बेहतर होगा कि इस दौरान अपने डॉक्टर से भी कंसल्ट करे। इंसुलिन वाले पेशेंट हाई रिस्क कैटेगरी में डॉ.सुशील कहते है ज्यादातर डायबिटीज के मरीजों में शुगर बढ़ने के लक्षण खुद से महसूस होने लगते है। पर जो रूटीन चेकअप कराते है उन्हें भी लापरवाही नही बरतनी चाहिए। यदि इस सीजन में अब तक शुगर लेवल चेक न कराया हो तो तत्काल चेक करा लें और रिपोर्ट आने के बाद डॉक्टर से कंसल्ट भी कर सकते है।इसके अलावा जो पेशेंट पहले से इन्सुलिन पर चल रहे है, उनके लिए तो ये समय पहले से ही ज्यादा सेंसिटिव रहना का है। किसी भी वहम में न रहे, मिठाई के सेवन में सबसे घातक यही करना है कि कई अहम बॉडी ऑर्गन इसके चपेट में आ जाते है। ज्यादातर मामलों में इन पेशेंट को किडनी, यूरीन और पेट से जुड़ी समस्या हो सकती है। इसके अलावा आंख से जुड़े कॉम्प्लिकेशन और हाथ-पैर में भी सूजन सहित कई समस्या आ सकती है। कुछ मामलों में ये गंभीर हालात भी पैदा कर सकती है। ऐसे में अलर्टनेस में फोकस करना जरूरी है,और बिना किसी लापरवाही के मेडिकल सलाह लेना ही बेहतर रहता है। शुगर का सबसे बुरा प्रभाव लिवर पर टॉप लिवर एक्सपर्ट और SGPGI लखनऊ के गैस्ट्रो इंट्रोलॉजिस्ट विभाग के पूर्व प्रमुख डॉ. यूसी घोषाल की माने तो मिठाई खाने से लिवर पर सबसे ज्यादा असर पड़ता हैं। ब्लड शुगर लेवल भी तेजी से बढ़ता हैं। ऐसे में ये कहा जा सकता हैं कि फेस्टिव सीजन में मिठाई के ज्यादा इन्टेक के बाद सतर्कता बरतनी और जरूरी हो जाती हैं। सबसे जरूरी हैं कि यदि दीवाली पर अब तक मिठाई का सेवन ज्यादा हो गया हो तो आगे के दिनों में इसका सेवन तत्काल बंद करे। इसके अलावा अब बॉडी के डेटॉक्सिफिकेशन पर फोकस करना चाहिए। इसके लिए सबसे पहले बाजार की बनी हुई चीजों से दूरी बनाए। घर का बना हुआ खाना ही खाए। इनमें हरी सब्जी, सलाद और फलों का सेवन करे तो बेहतर होगा। इसके अलावा अंकुरित अनाज और दालों का भी सेवन किया जा सकता हैं। अब जिन्हें पहले से डायबिटीज हैं, उन्हें समय से दवा के सेवन करने के साथ ज्यादा सतर्क रहना होगा। इसके अलावा थोड़ी बहुत एक्सरसाइज भी जरुरी हैं। ध्यान रहे ये एक्सरसाइज या वर्क आउट घर के अंदर करे तो ज्यादा बेहतर हैं, संभव हैं कि घर के बाहर AQI खराब हो सकता हैं इसलिए इनसाइड वर्क आउट में कोई हर्ज नही हैं। घर की बनी मिठाई ही सेफ डॉ.यूसी घोषाल कहते हैं कि बाजार की रंग बिरंगी मिठाई खाने से बचना चाहिए। त्योहार पर मिलावटी मिठाइयां ज्यादा बाजार में बिकती हैं। इसके खाने के बाद पेट संबंधी बीमारियां हो सकती हैं। उल्टी, दस्त अथवा अन्य किसी तरह की बेचैनी होने पर तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें। इस दौरान लापरवाही न करें। इनहेलर में गैप बढ़ा सकता है परेशानी KGMU के पल्मोनरी और क्रिटिकल केयर इमरजेंसी विभाग के प्रमुख डॉ. वेद प्रकाश कहते हैं कि दीवाली में सांस के रोगियों की समस्या बढ़ जाती है। ऐसे में सतर्कता बरतने पर ज्यादा फोकस करना चाहिए। जो पहले से इससे जुड़ी दवा या मेडिकेशन ले रहे हैं, उन्हें नियमित तरीके से लेते रहे। दवा या इनहेलर का गैप न करें। डॉ.वेद कहते हैं कि अलर्टनेस इसलिए भी जरूरी हैं कि क्योंकि धुंए से इरिटेशन भी बढ़ सकता हैं। इसके अलावा यदि ब्रीदलेसनेस जैसी समस्या हो तब लापरवाही बरतना ठीक नही हैं। यदि पहले से कोई दवा नही ले रहे तो बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी मेडिसिन न लें। प्राणायाम, अनुलोम और विलोम कर सकते हैं। धुंआ और तेज आवाज बढ़ा सकती हैं परेशानी सांस के रोगियों को दिवाली पर धुएं और तेज आवाज वाले पटाखों से दूरी बनानी चाहिए। सांस, हदय, मानसिक रोग के मरीजों, बुजुर्गों और बच्चों के लिए ये बेहद नुकसानदेह है। तेज आवाज से मानसिक रोगियों में बेचैनी होती है। सांस के मरीजों का भी दम घुटने लगता है। ऐसे सभी लोगों को अलर्ट रहना जरूरी हैं। दीवाली के इस फेस्टिव सीजन में ज्यादा मिठाई खाने से हेल्थ पर बुरा असर पड़ सकता है। हाई शुगर और बीपी के मरीजों के लिए ये बेहद खतरनाक है। एक्सपर्ट्स ऐसे मरीजों को अब सधे हुए भोजन के साथ ज्यादा अलर्ट रहने पर जोर दे रहे। वहीं, पटाखों के कारण बढ़ते प्रदूषण से ब्रीदलेसनेस यानी सांस लेने में समस्या भी हो सकती हैं। दैनिक भास्कर ने यूपी के टॉप मेडिकल एक्सपर्ट्स से बात करके फेस्टिव सीजन की इन बेहद आम पर जरूरी सेहत से जुड़ी समस्याओं के बारे में जाना …. दवा लेने में न करे गैप, बेचैनी होने पर रहे अलर्ट SGPGI के इंडोक्राइनोलॉजी के पूर्व प्रमुख डॉ.सुशील गुप्ता का कहना है शुगर पेशेंट के लिए ये थोड़ा रिस्की फेज रहता है। आएम तौर पर 70 से 80% डायबिटीज के मरीजों की इस दौरान शुगर इन्टेक बढ़ जाती है। ऐसे में सतर्कता बेहद जरूरी है। किसी भी हालात में जो मेडिकेशन पहले से चल रहा है उसमें गैप न करे। बेहतर होगा कि इस दौरान अपने डॉक्टर से भी कंसल्ट करे। इंसुलिन वाले पेशेंट हाई रिस्क कैटेगरी में डॉ.सुशील कहते है ज्यादातर डायबिटीज के मरीजों में शुगर बढ़ने के लक्षण खुद से महसूस होने लगते है। पर जो रूटीन चेकअप कराते है उन्हें भी लापरवाही नही बरतनी चाहिए। यदि इस सीजन में अब तक शुगर लेवल चेक न कराया हो तो तत्काल चेक करा लें और रिपोर्ट आने के बाद डॉक्टर से कंसल्ट भी कर सकते है।इसके अलावा जो पेशेंट पहले से इन्सुलिन पर चल रहे है, उनके लिए तो ये समय पहले से ही ज्यादा सेंसिटिव रहना का है। किसी भी वहम में न रहे, मिठाई के सेवन में सबसे घातक यही करना है कि कई अहम बॉडी ऑर्गन इसके चपेट में आ जाते है। ज्यादातर मामलों में इन पेशेंट को किडनी, यूरीन और पेट से जुड़ी समस्या हो सकती है। इसके अलावा आंख से जुड़े कॉम्प्लिकेशन और हाथ-पैर में भी सूजन सहित कई समस्या आ सकती है। कुछ मामलों में ये गंभीर हालात भी पैदा कर सकती है। ऐसे में अलर्टनेस में फोकस करना जरूरी है,और बिना किसी लापरवाही के मेडिकल सलाह लेना ही बेहतर रहता है। शुगर का सबसे बुरा प्रभाव लिवर पर टॉप लिवर एक्सपर्ट और SGPGI लखनऊ के गैस्ट्रो इंट्रोलॉजिस्ट विभाग के पूर्व प्रमुख डॉ. यूसी घोषाल की माने तो मिठाई खाने से लिवर पर सबसे ज्यादा असर पड़ता हैं। ब्लड शुगर लेवल भी तेजी से बढ़ता हैं। ऐसे में ये कहा जा सकता हैं कि फेस्टिव सीजन में मिठाई के ज्यादा इन्टेक के बाद सतर्कता बरतनी और जरूरी हो जाती हैं। सबसे जरूरी हैं कि यदि दीवाली पर अब तक मिठाई का सेवन ज्यादा हो गया हो तो आगे के दिनों में इसका सेवन तत्काल बंद करे। इसके अलावा अब बॉडी के डेटॉक्सिफिकेशन पर फोकस करना चाहिए। इसके लिए सबसे पहले बाजार की बनी हुई चीजों से दूरी बनाए। घर का बना हुआ खाना ही खाए। इनमें हरी सब्जी, सलाद और फलों का सेवन करे तो बेहतर होगा। इसके अलावा अंकुरित अनाज और दालों का भी सेवन किया जा सकता हैं। अब जिन्हें पहले से डायबिटीज हैं, उन्हें समय से दवा के सेवन करने के साथ ज्यादा सतर्क रहना होगा। इसके अलावा थोड़ी बहुत एक्सरसाइज भी जरुरी हैं। ध्यान रहे ये एक्सरसाइज या वर्क आउट घर के अंदर करे तो ज्यादा बेहतर हैं, संभव हैं कि घर के बाहर AQI खराब हो सकता हैं इसलिए इनसाइड वर्क आउट में कोई हर्ज नही हैं। घर की बनी मिठाई ही सेफ डॉ.यूसी घोषाल कहते हैं कि बाजार की रंग बिरंगी मिठाई खाने से बचना चाहिए। त्योहार पर मिलावटी मिठाइयां ज्यादा बाजार में बिकती हैं। इसके खाने के बाद पेट संबंधी बीमारियां हो सकती हैं। उल्टी, दस्त अथवा अन्य किसी तरह की बेचैनी होने पर तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें। इस दौरान लापरवाही न करें। इनहेलर में गैप बढ़ा सकता है परेशानी KGMU के पल्मोनरी और क्रिटिकल केयर इमरजेंसी विभाग के प्रमुख डॉ. वेद प्रकाश कहते हैं कि दीवाली में सांस के रोगियों की समस्या बढ़ जाती है। ऐसे में सतर्कता बरतने पर ज्यादा फोकस करना चाहिए। जो पहले से इससे जुड़ी दवा या मेडिकेशन ले रहे हैं, उन्हें नियमित तरीके से लेते रहे। दवा या इनहेलर का गैप न करें। डॉ.वेद कहते हैं कि अलर्टनेस इसलिए भी जरूरी हैं कि क्योंकि धुंए से इरिटेशन भी बढ़ सकता हैं। इसके अलावा यदि ब्रीदलेसनेस जैसी समस्या हो तब लापरवाही बरतना ठीक नही हैं। यदि पहले से कोई दवा नही ले रहे तो बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी मेडिसिन न लें। प्राणायाम, अनुलोम और विलोम कर सकते हैं। धुंआ और तेज आवाज बढ़ा सकती हैं परेशानी सांस के रोगियों को दिवाली पर धुएं और तेज आवाज वाले पटाखों से दूरी बनानी चाहिए। सांस, हदय, मानसिक रोग के मरीजों, बुजुर्गों और बच्चों के लिए ये बेहद नुकसानदेह है। तेज आवाज से मानसिक रोगियों में बेचैनी होती है। सांस के मरीजों का भी दम घुटने लगता है। ऐसे सभी लोगों को अलर्ट रहना जरूरी हैं।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर