मेरठ के मोदीपुरम में घर के बाहर से अगवा कर नौ साल के लकी की हत्या में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। लकी की हत्या उसके घर से 10 कदम दूर रहने वाले अंकित जैन (34) ने की थी। अनिल हिस्ट्रीशीटर है। उसके खिलाफ 10 मुकदमे हैं। अंकित 28 दिसंबर की देर शाम शराब के नशे में लकी के घर के बाहर पहुंचा तो वह खेल रहा था। उसने अंकित से अंकल मुझे टॉफी दिला दो। इस पर अंकित ने उसको चांटा मार दिया। जिसके बाद लकी शिकायत करने की बात करने लगा। अंकित उसे टॉफी देने के बहाने अपने घर ले गया। वहां पर शराब के नशे में लकी का मुंह भींच दिया। इस पर लकी बेहोश हो गया। काफी देर तक भी जब उसे होश नहीं आया तो अंकित ने देखा कि उसकी सांसे थम चुकीं थीं। इसके बाद उसने अंकित के शव को बिलिंकिट के बैग में रखा और रात को माेदी फैक्ट्री के पास कूड़े के पास कुंए में लाश को फेंक दिया। पुलिस ने इस मामले में 30 से ज्यादा सीसीटीवी की फुटेज चेक की तो एक कैमरे में अनिल बैग लेकर जाते नजर आया। जिसके बाद पुलिस काे उस पर शक हुआ। लकी के चाचा के साथ पी थी एक बर्थडे पार्टी में शराब अंकित जैन 1 महीने पहले तक बिलिंकिट में लकी के चाचा अनिल सक्सेना के साथ काम करता था। आजकल वह कोई काम नहीं कर रहा था। 28 दिसंबर को उनके साथ बिलिंकिट में काम करने वाले एक युवक की बर्थडे पार्टी थी। इस पार्टी में अंकित जैन और लकी के चाचा अनिल एवं दूसरे दोस्त भी थे। सभी ने साथ में शराब पी। लकी का चाचा अनिल वहीं रुक गया था। अंकित जैन घर आ गया था। लकी के गायब होने के बाद कराई उसकी तलाश लकी जब गायब हो गया तो रात में अंकित जैन ने चाचा अनिल के साथ मिलकर उसकी तलाश भी कराई। यहां तक की अंकित की लाश मिलने के बाद पुलिस ने जब उससे पूछताछ की तो लकी के परिजनों ने पुलिस से कहा कि अंकित पर बेवजह शक किया जा रहा है। ये है पूरी घटना मोदीपुरम फेस टू के रहने वाले आकाश सक्सेना एक ढाबे पर काम करते हैं। उनका 9 साल का बेटा लकी कक्षा 1 का छात्र था। 28 दिसंबर को लकी घर के बाहर खेल रहा था। शाम साढ़े छह बजे वह संदिग्ध हालात में लापता हो गया। काफी तलाश के बाद भी बच्चे के नहीं मिलने पर परिजनों ने पल्लवपुरम थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई थी। परिजनों ने बच्चे की जानकारी देने वाले को 10 हजार रुपये का इनाम देने की घोषणा की थी। 7 जनवरी की दोपहर को परिजनों ने एसएसपी ऑफिस पहुंचकर बच्चे की बरामदगी की मांग की थी। उसी शाम बच्चे का शव घर से तकरीबन 700 मीटर दूर एक कुंए में पड़ा मिला था। छह-सात लोगों से हो रही थी पूछताछ बच्चे का जहां शव मिला वहां पर बिलिंकिट कंपनी का एक बैग मिला था। लकी के चाचा अनिल भी बिलिंकिट में काम करते हैं। पुलिस ने उनके साथ बिलिंकिट में काम करने वाले कई युवकों को हिरासत में लिया था। उनसे पूछताछ की जा रही थी। मां से विवाद के बाद दोनों बच्चे चाचा-पिता के साथ रहते थे आकाश सक्सेना ढाबे पर काम करते हैं। आकाश की शादी 16 साल पहले पूजा से हुई थी। शादी के बाद दो बच्चे देव और लकी हो गए। पति-पत्नी में विवाद होने के चलते कई साल पहले वे अलग हो गए। बच्चों को लेकर आकाश अपने भाई अनिल और मां के घर मोदीपुरम ले जाकर रहने लगा था। पत्नी किसी दूसरे व्यक्ति के साथ रहने लगी थी। मेरठ के मोदीपुरम में घर के बाहर से अगवा कर नौ साल के लकी की हत्या में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। लकी की हत्या उसके घर से 10 कदम दूर रहने वाले अंकित जैन (34) ने की थी। अनिल हिस्ट्रीशीटर है। उसके खिलाफ 10 मुकदमे हैं। अंकित 28 दिसंबर की देर शाम शराब के नशे में लकी के घर के बाहर पहुंचा तो वह खेल रहा था। उसने अंकित से अंकल मुझे टॉफी दिला दो। इस पर अंकित ने उसको चांटा मार दिया। जिसके बाद लकी शिकायत करने की बात करने लगा। अंकित उसे टॉफी देने के बहाने अपने घर ले गया। वहां पर शराब के नशे में लकी का मुंह भींच दिया। इस पर लकी बेहोश हो गया। काफी देर तक भी जब उसे होश नहीं आया तो अंकित ने देखा कि उसकी सांसे थम चुकीं थीं। इसके बाद उसने अंकित के शव को बिलिंकिट के बैग में रखा और रात को माेदी फैक्ट्री के पास कूड़े के पास कुंए में लाश को फेंक दिया। पुलिस ने इस मामले में 30 से ज्यादा सीसीटीवी की फुटेज चेक की तो एक कैमरे में अनिल बैग लेकर जाते नजर आया। जिसके बाद पुलिस काे उस पर शक हुआ। लकी के चाचा के साथ पी थी एक बर्थडे पार्टी में शराब अंकित जैन 1 महीने पहले तक बिलिंकिट में लकी के चाचा अनिल सक्सेना के साथ काम करता था। आजकल वह कोई काम नहीं कर रहा था। 28 दिसंबर को उनके साथ बिलिंकिट में काम करने वाले एक युवक की बर्थडे पार्टी थी। इस पार्टी में अंकित जैन और लकी के चाचा अनिल एवं दूसरे दोस्त भी थे। सभी ने साथ में शराब पी। लकी का चाचा अनिल वहीं रुक गया था। अंकित जैन घर आ गया था। लकी के गायब होने के बाद कराई उसकी तलाश लकी जब गायब हो गया तो रात में अंकित जैन ने चाचा अनिल के साथ मिलकर उसकी तलाश भी कराई। यहां तक की अंकित की लाश मिलने के बाद पुलिस ने जब उससे पूछताछ की तो लकी के परिजनों ने पुलिस से कहा कि अंकित पर बेवजह शक किया जा रहा है। ये है पूरी घटना मोदीपुरम फेस टू के रहने वाले आकाश सक्सेना एक ढाबे पर काम करते हैं। उनका 9 साल का बेटा लकी कक्षा 1 का छात्र था। 28 दिसंबर को लकी घर के बाहर खेल रहा था। शाम साढ़े छह बजे वह संदिग्ध हालात में लापता हो गया। काफी तलाश के बाद भी बच्चे के नहीं मिलने पर परिजनों ने पल्लवपुरम थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई थी। परिजनों ने बच्चे की जानकारी देने वाले को 10 हजार रुपये का इनाम देने की घोषणा की थी। 7 जनवरी की दोपहर को परिजनों ने एसएसपी ऑफिस पहुंचकर बच्चे की बरामदगी की मांग की थी। उसी शाम बच्चे का शव घर से तकरीबन 700 मीटर दूर एक कुंए में पड़ा मिला था। छह-सात लोगों से हो रही थी पूछताछ बच्चे का जहां शव मिला वहां पर बिलिंकिट कंपनी का एक बैग मिला था। लकी के चाचा अनिल भी बिलिंकिट में काम करते हैं। पुलिस ने उनके साथ बिलिंकिट में काम करने वाले कई युवकों को हिरासत में लिया था। उनसे पूछताछ की जा रही थी। मां से विवाद के बाद दोनों बच्चे चाचा-पिता के साथ रहते थे आकाश सक्सेना ढाबे पर काम करते हैं। आकाश की शादी 16 साल पहले पूजा से हुई थी। शादी के बाद दो बच्चे देव और लकी हो गए। पति-पत्नी में विवाद होने के चलते कई साल पहले वे अलग हो गए। बच्चों को लेकर आकाश अपने भाई अनिल और मां के घर मोदीपुरम ले जाकर रहने लगा था। पत्नी किसी दूसरे व्यक्ति के साथ रहने लगी थी। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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सर्राफा कारोबारी के कर्मचारियों से लूट की जांच कर रही पुलिस की सर्विलांस टीम के हाथ लोकेशन खंगालने में एक नंबर लगा। जिसे ट्रैस किया तो दरोगा का नंबर था, उसकी तैनाती कैंट की एक मशहूर चौकी पर थी। वारदात में उठते सवालों के बीच पुलिस कमिश्नर ने अपनी स्पेशल टीम लगाई तो कहानी कुछ और ही निकली। टीम ने दरोगा की कुंडली खंगाली तो सुई उस पर जाकर रुक गई। बातचीत में दरोगा ने अपने काम के लिए जाने की बात कही लेकिन सही जवाब नहीं दे पाया। उधर, 22 जून की घटना को 21 दिन बाद 13 जुलाई को दर्ज करने वाले इंस्पेक्टर रामनगर की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। पुलिस टीम से केस का बार-बार अपडेट लेने में बढ़ा शक
वारदात के बाद दरोगा बड़ी रकम और व्यापारियों का मामला होने के चलते सतर्क था। वहीं घटना के बाद रामनगर और सैय्यदराजा थाने से लगातार अपडेट भी ले रहा था। उसने रामनगर थाने में केस के विवेचक से भी बात की, हालांकि केस में कोई प्रगति नहीं होने के कारण उसे अपडेट नहीं मिल सका। मामले की जानकारी के बाद सोमवार दोपहर को सीपी की टीम ने चौकी के बाहर दरोगा को बुलाया और कार में लेकर आवास पहुंची। सीपी की निगरानी में दरोगा से पूछताछ की गई, इसके बाद जोन के एक अफसर को बुलाया गया। सीपी ने जोन के राजपत्रित अधिकारी से दरोगा और उसके दोस्तों की पूरी जानकारी जुटाने का निर्देश दिया, तब से लेकर लगभग 40 घंटे तक अनवरत पूछताछ और दरोगा के दो अन्य साथियों की तलाश जारी है। कैंट की मुख्य चौकी का बना इंचार्ज
लूट की वारदातों को अंजाम देने वाले दरोगा का नेटवर्क भी बहुत मजबूत है। उसके संपर्क केवल पुलिस महकमे में ही नहीं राजनीतिक गलियारों में भी हैं। दरोगा पहले गोमती जोन के प्रमुख थाने पर तैनात था फिर उसने अपना तबादला वरुणा जोन में करवा लिया। पिछले दिनों कैंट की एक चौकी पर सेकंड अफसर था तो सिस्टम लगाकर पिछले दिनों चौकी इंचार्ज बन गया। दरोगा ने चौकी पाते ही बड़ा हाथ मारा और पहले झटके में 42.50 लाख की लूट कर डाली और खामोशी की चादर ओढ़ ली। वर्दी की हनक में चला रहा था गिरोह
दरोगा वर्दी की आड़ में अपना एक गिरोह संचालित कर रहा था और यह लूटकांड उसकी पहली वारदात नहीं थी। उसने इससे पहले भी लूट की कई वारदातों को अंजाम दिया है। दरोगा के मोबाइल से घटना संबंधी फोटो वीडियो सहित चैटिंग भी मिले है, जो उसे जेल भेजने के लिए पर्याप्त साक्ष्य हैं। दरोगा हमेशा बिना नंबर के वाहन का उपयोग करता था और वर्दी की हनक में वारदात को अंजाम देता था। वर्दी पहनकर लूट करने वाले दरोगा ने वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस की छवि को पलीता लगा दिया है। जनता की सुरक्षा करने और साफ छवि का दावा करने वाली पुलिस पर सवाल उठने लगे हैं। वहीं सच्चाई से मुंह फेरते हुए आला अधिकारी अभी कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं। पहले बताते हैं वो पूरा घटनाक्रम, जिससे जुड़े दरोगा के तार
26 जून की रात नीचीबाग कूड़ाखाना गली निवासी सर्राफ कारोबारी जयपाल कुमार के 2 कर्मचारी 93 लाख रुपए का पेमेंट लेकर वाराणसी से कोलकाता रवाना हुए। जयपाल ने दोनों कर्मचारी अविनाश और धनंजय को भुल्लनपुर से बस में बैठाया और खुद घर आ गए। कुछ देर बाद कर्मचारी ने फोन कर कहा कि पुलिस ने कैश पकड़ लिया है और बताया कि क्राइम ब्रांच की स्पेशल टीम 42.50 लाख रुपए लेकर गई है। हम दोनों को बस से उतार दिया है। सर्राफ ने सोना खरीद के लिए जा रही धनराशि के दस्तावेज साथ होने की बात कही,लेकिन तब तक कार सवार जा चुके थे। सूचना पाकर सर्राफ आनन फानन सैय्यदराजा पहुंचे तो पुलिस ने ऐसी किसी कार्रवाई से इनकार कर दिया। मामले में दोनों कर्मचारियों को आरोपी मानते हुए कारोबारी ने तहरीर दी, पुलिस ने पूछताछ भी की लेकिन कुछ खास पता नहीं चला। सैयदराजा क्राइम टीम बताकर लूटे 42.50 लाख
दोनों कर्मचारियों के अनुसार वाराणसी कोलकाता हाईवे पर पहुंचने पर बस में एक व्यक्ति पुलिस की वर्दी में और दो व्यक्ति सादे कपड़े में चढ़े। तीनों ने खुद को चंदौली जिले के सैयदराजा थाना की क्राइम टीम बताया। इसके बाद तीनों बैग के साथ कर्मचारी अविनाश और धनंजय को नीचे उतारकर बस रवाना कर दी और उन्हें बिना नंबर प्लेट की कार में बैठा लिया। अविनाश का मोबाइल स्विच ऑफ कर दिया, फिर दोनों को रोककर पुलिसिया अंदाज में पूछताछ की। दोनों को डराकर उसके बैंग से 42 लाख 50 हजार रुपए ले लिए और बनारस रवाना हो गए। दरोगा ने अपने दो साथियों को बड़ागांव तक छोड़ा इसके बाद तीसरे को कैंट क्षेत्र में छोड़कर नगदी लेकर कमरे पर जाकर सो गया। रामनगर थाने में दी थी तहरीर, केस की जारी है विवेचना
अविनाश गुप्ता और धनंजय यादव ने 42 लाख 50 हजार रुपए के छीने जाने की सूचना देर रात लगभग 1.30 बजे मालिक को दी। जयपाल कुमार ने कटरिया बॉर्डर स्थित बनारस ढाबा पहुंचे। अविनाश ने जयपाल कुमार को बताया कि पुलिस वाले 50 लाख 50 हजार रुपए छोड़ दिए हैं। 42 लाख 50 हजार रुपए वह अपने साथ ले गए हैं। घटनास्थल को लेकर असमंजस में थे और 26 जून को घटना के कई दिन बाद में उन्होंने रामनगर थाने में तहरीर दी। बाद में घटनास्थल चंदौली जिले का चंदरखा निकला, जांच चंदौली पुलिस को हस्तांतरित कर दी गई। तब सर्राफ का आरोप था कि अविनाश गुप्ता और धनंजय यादव ने ही उनके 42.50 लाख रुपए गायब किए हैं।