बठिंडा में एयरपोर्ट पर दो यात्री खाली और जिंदा कारतूस के साथ पकड़े गए हैं। दोनों आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है। फिलहाल पुलिस आरोपियों से पूछताछ में जुटी है। बठिंडा जिले के गांव विरक कलां स्थित सिविल एयरपोर्ट पर दो यात्रियों की स्क्रीनिंग के दौरान उनके हैंडबैग से 32 बोर के दो खाली कारतूस और एक जिंदा कारतूस बरामद हुए। एयरपोर्ट अथॉरिटी की शिकायत पर पुलिस ने गुड़गांव के विक्रम सिंह और जिला फाजिल्का के गुरविंदर सिंह को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने दोनों युवकों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया। पुलिस गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ की कर रही है। थाना सदर में मामला दर्ज कर रहे जांच अधिकारी मंदिर सिंह ने बताया कि हमें शिकायत मिली थी। जिसके ऊपर हमारी तरफ से तुरंत करवाई करते हुए दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। उनसे पूछताछ की जा रही है कि वो कहां से कारतूस लेकर आए थे और कहां ले जाने वाले थे या किस वारदात को अंजाम देने की फिराक में थे। फिलहाल पुलिस मामले की जांच में जुटी है। बठिंडा में एयरपोर्ट पर दो यात्री खाली और जिंदा कारतूस के साथ पकड़े गए हैं। दोनों आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है। फिलहाल पुलिस आरोपियों से पूछताछ में जुटी है। बठिंडा जिले के गांव विरक कलां स्थित सिविल एयरपोर्ट पर दो यात्रियों की स्क्रीनिंग के दौरान उनके हैंडबैग से 32 बोर के दो खाली कारतूस और एक जिंदा कारतूस बरामद हुए। एयरपोर्ट अथॉरिटी की शिकायत पर पुलिस ने गुड़गांव के विक्रम सिंह और जिला फाजिल्का के गुरविंदर सिंह को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने दोनों युवकों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया। पुलिस गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ की कर रही है। थाना सदर में मामला दर्ज कर रहे जांच अधिकारी मंदिर सिंह ने बताया कि हमें शिकायत मिली थी। जिसके ऊपर हमारी तरफ से तुरंत करवाई करते हुए दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। उनसे पूछताछ की जा रही है कि वो कहां से कारतूस लेकर आए थे और कहां ले जाने वाले थे या किस वारदात को अंजाम देने की फिराक में थे। फिलहाल पुलिस मामले की जांच में जुटी है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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पंजाब में NHAI को जमीन की जरूरत:15 परियोजनाओं का काम होगा शुरू, 37 प्रोजेक्ट जारी, अमृतसर-कटरा एक्सप्रेस-वे का निर्माण रुका पंजाब में रोड नेटवर्क के लिए नेशनल हाईवे अथॉरिटी (NHAI) को राज्य में 15 प्रोजेक्ट को पूरा करने लिए 103 किलोमीटर जमीन की जरूरत है। इतना ही नहीं किसानों के विरोध के चलते अमृतसर कटरा एक्सप्रेस-वे तीन छोटे हिस्सों का काम भी रुका हुआ है। इसके लिए NHAI की तरफ से पंजाब सरकार को पत्र लिखा गया है। उम्मीद है कि जल्दी ही यह प्रोजेक्ट पूरे होंगे। 1344 किलोमीटर लंबे प्रोजेक्टों पर चल रहा काम राज्य में मौजूदा समय में 1,344 किलोमीटर लंबे 37 प्रोजेक्टों का काम चल रहा है। इनमें से कई प्रोजेक्ट जमीन की कमी और किसानों के विरोध के चलते रुके हुए हैं। हालांकि इससे पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी साफ कर चुके हैं कि जो राज्य सरकार हाईवे प्रोजेक्ट के लिए जमीन मुहैया नहीं करवाएगी। ऐसे राज्यों से प्रोजेक्ट वापस ले लिए जाएंगे। इसके बाद पंजाब सीएम भगवंत मान ने तत्कालीन मुख्य सचिव अनुराग वर्मा और डीजीपी अनुराग वर्मा को किसानों बातचीत के लिए कहा था। इसके बाद प्रशासन ने किसानों से बातचीत कर 94 फीसदी जमीन NHAI को मुहैया कराई थी। इन प्रोजेक्टों के लिए जमीन की जरूरत NHAI को अपने प्रोजेक्ट के लिए जमीन की जरूरत है। उनमें दिल्ली अमृतसर कटड़ा एक्सप्रेस वे, ब्यास डेरा बाबा नानक, अमृतसर, अबोहर, फाजिल्का, अमृतसर बाइपास, मोगा, बाजखाना, अमृतसर बठिंडा, दक्षिणी लुधियाना बाइपास, लुधियाना बठिंडा, लुधियाना रोपड़ मार्ग के लिए जमीन की जरूरत है। हालांकि सीएम भगवंत मान का कहना है कि पंजाब में अन्य जगह की अपेक्षा जमीन काफी उपजाऊ है। ऐसे में पंजाब की जमीन का अन्य राज्य की जमीन से तुलना न की जाए। साथ ही जमीन के उचित रेट दिए जाए।
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पटियाला में 7000 करोड़ के घोटाले का दावा:शिअद उम्मीदवार बोले- मान और केजरीवाल की जेब में जा रहा PSPCL का पैसा पटियाला लोकसभा हलके से शिरोमणि अकाली दल उम्मीदवार एनके शर्मा ने आज पंजाब राज्य बिजली निगम लिमेटिड (PSPCL) में हुए सात हजार करोड़ के घोटाले को बेनकाब किया है। एनके शर्मा तथा पूर्व मंत्री सुरजीत सिंह रखड़ा ने कहा कि किस तरह से आम जनता का पैसा पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान तथा आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल की जेब में जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस घोटाले की सीबीआई जांच की मांग राज्यपाल से मिलकर की जाएगी। आज यहां प्रेस कांफ्रेंस के दौरान एनके शर्मा, पूर्व मंत्री सुरजीत सिंह रखड़ा तथा पूर्व चेयरमैन तेजिंदरपाल सिंह संधू तथा पावरकॉम आउटसोर्स टैक्नीकल ऑफिस वर्कर्स एसोसिएशन पंजाब के प्रधान सिमरनजीत सिंह हिस्सोवाल ने बताया कि पीएसपीसीएल में दिल्ली की कंपनियों के माध्यम से आठ हजार कर्मचारियों को आउटसोर्सिंग के तहत रखा गया है। डीसी रेट पर बताकर कम वेतन दिया जा रहा इन कर्मचारियों का कागजों में वेतन डीसी रेट पर करीब 11 हजार 409 रुपए बताया गया है, जबकि इनको वास्तव में 7300 रुपए वेतन दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि कर्मचारियों के नाम पर पीएसपीसीएल से 4309 रुपए हाउसरेंट लिया जा रहा है। जो कंपनियों के माध्यम से केजरीवाल, भगवंत मान तथा बिजली मंत्री हरभजन सिंह ईटीओ व पॉवरकॉम प्रबंधकों के खाते में जा रहा है। इसी तरीके से तेल भत्ता 2500 रुपए प्रति कर्मचारी पीएसपीसीएल के खाते से लिया जा रहा है। अन्यों की तरह यह भत्ता भी कर्मचारियों को नहीं दिया जा रहा है। यह पैसा भी दिल्ली की कंपनियों के पास जा रहा है। नकली रसीदों पर पूरा वेतन लिया जा रहा अकाली नेताओं ने कहा कि इसी प्रकार से कर्मचारियों को ईपीएफ की राशि व उनका पूरा वेतन दिया जाना बनता है। इसके उलट कर्मचारियों को केवल 7300 रुपए वेतन ही दिया जा रहा है। पीएसपीसीएल से नकली रसीदों के माध्यम से पूरा वेतन लिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि यह पूरा घोटाला 426 करोड़ रुपए का बनता है। खंभों, बिजली की तारें खरीदने पर लूट हो रही उन्होंने बताया कि इसी तरीके से पीएसपीसीएल द्वारा खरीदे जाने वाले खंभे, बिजली की तार आदि खरीदने के नाम पर लूट की जा रही है। हरियाणा में जो 9 मीटर का खंभा 2500 रुपए का है, वह पंजाब में 5200 रुपए का लिया जा रहा है। इसी प्रकार 11 मीटर का खंभा हरियाणा में 5200 रुपए का लिया जा रहा है और पंजाब में यह खंभा 10 हजार 976 रुपए का लिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस खरीद-फरोख्त में सीधा छह हजार करोड़ रुपए की लूट की जा रही है। बिजली मीटर में भी घोटाला एनके शर्मा ने बताया कि बिजली के दो लाख स्मार्ट मीटर खरीदे गए हैं। जिसके बारे में एनफोर्समेंट बठिंडा की टीम ने तस्दीक किया है कि यह मीटर नौ प्रतिशत अधिक रफ्तार के साथ चलते हैं। इसका मतलब यह हुआ है कि जब उपभोक्ता 260 यूनिट की खपत करता है तो मीटर 300 यूनिट दर्शाता है। शिकायत करने पर होते हैं हमले इस अवसर पर कर्मचारी यूनियन के प्रधान सिमरनजीत सिंह हिस्सोवाल ने बताया कि घोटाले की शिकायत पीएसपीसीएल प्रबंधन से लेकर मुख्यमंत्री तक की जा चुकी है। कार्रवाई करने की बजाए उन पर जानलेवा हमला करवा दिया गया। नियमित कर्मचारियों की संख्या भी कम हुई एनके शर्मा ने बताया कि पीएसपीसीएल में नियमित कर्मचारियों की संख्या 32 हजार से कम होकर तीस हजार रह गई है। आउटसोर्स के माध्यम से आठ हजार कर्मचारी रखे गए हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान भगवंत मान ने कहा था कि केवल नियमित भर्तियां ही की जाएंगी। इसके बावजूद आउटसोर्स कर्मचारियों की संख्या को लगातार बढ़ाया जा रहा है।
अबोहर के अस्पताल में डॉक्टरों की कमी:कई विभागों में लटके ताले, बेहोशी का डॉक्टर न होने से परेशान है सैकड़ों मरीज
अबोहर के अस्पताल में डॉक्टरों की कमी:कई विभागों में लटके ताले, बेहोशी का डॉक्टर न होने से परेशान है सैकड़ों मरीज जहां एक ओर पंजाब की भगवंत मान सरकार द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं में लगातार सुधार करते हुए बड़ी संख्या में मोहल्ला क्लीनिक खोले जा रहे हैं।, वहीं दूसरी ओर बड़ी संख्या में डॉक्टरों की कमी के कारण अबोहर के सरकारी अस्पताल के कई विभागों में ताले लटके हुए है। जिससे मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों की संख्या दिनों-दिन बढ़ रही है। डॉक्टरों की कमी से परेशान मरीजों ने स्थानीय आप नेताओं और पंजाब सरकार से शीघ्र ही इस ओर ध्यान देने की मांग की है। डॉक्टरों की स्थाई रूप से नहीं हो रही नियुक्त जानकारी के अनुसार अबोहर के सरकारी अस्पताल में बेहोशी का कोई भी डॉक्टर स्थाई रूप से नियुक्त नहीं है। जिसके चलते फाजिल्का से एनथीसिया स्पेशलिस्ट डॉ. भूपेन की ड्यूटी सप्ताह में दो दिन अबोहर के अस्पताल में लगाई गई है। जिसमें वे जनरल ऑपरेशन के अलावा सिजेरियन डिलीवरी और मेजर ऑपरेशन करवाते थे। लेकिन पिछले तीन सप्ताह से अबोहर और फाजिल्का में उनकी ड्यूटी इमरजेंसी वार्ड में लगा दी जाती है। जिससे ऑपरेशन का कार्य पूरी तरह से बंद पड़ा है। परेशान होकर घर लौट रहे मरीज सरकारी अस्पताल में ऑपरेशन करवाने आने वाले मरीज दिन भर धक्के खाने के बाद अपने घरों को लौट जाते हैं। इस बारे में सरकारी अस्पताल के शल्य चिकित्सक डॉ. गगनदीप सिंह का कहना है कि उनके पास प्रतिदिन करीब 3 मरीज आपरेशन के लिए आते हैं। वहीं तीन सप्ताह में 60 से अधिक महिलाओं की सिजेरियन डिलीवरी के केस वे फाजिल्का, जलालबाद और फरीदकोट रेफर कर चुके हैं। इतना ही नहीं करीब 30 से अधिक नसबंदी व पित्त की पथरी आदि के रोगी ऑपरेशन के इंतजार में हैं। लेकिन एनथीसिया का डॉक्टर न होने के कारण ऑपरेशन का कार्य पूरी तरह से ठप्प पड़ा है। बेहोशी वाले डॉक्टर की कमी का शिकार हो रही गांव मम्मूखेड़ा निवासी वीरपाल कौर ने बताया कि वह पित्त की पथरी के ऑपरेशन के लिए पिछले तीन सप्ताह से अस्पताल के चक्कर लगा रही है। यहां कभी डॉक्टर नहीं होता तो कभी उसकी रिपोर्ट पुरानी हो जाती है। जबकि पैसों के अभाव में वह प्राइवेट अस्पताल में अपना उपचार नहीं करवा सकती। हड्डी ऑपरेशन के 100 मरीज पेंडिंग- डाॉ. माजी सरकारी अस्पताल के प्रमुख हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. सनमान माजी से बात करने पर उन्होंने बताया कि हड्डियों से संबंधित विभिन्न प्रकार के ऑपरेशन करवाने वाले करीब 80 मरीज पहले ही लाईन में थे। जबकि पिछले तीन सप्ताह से एनथीसिया का डॉक्टर न होने के कारण करीब 20 नए मरीजों की भी फाईलें जमा हो चुकी है। इनमें घुटनों, जोड़ों और कूल्हे आदि बदलने के मरीज शामिल हैं। उन्होंने कहा कि बेहोशी वाले डॉक्टर की कमी के कारण सिर्फ हड्डियों से संबंधित ही नहीं बल्कि सभी प्रकार के ऑपरेशन वाले मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने भी पंजाब सरकार और स्वास्थ्य विभाग से शीघ्र ही अबोहर में स्थाई तौर पर एनथीसिया डॉक्टर की नियुक्ति करने की मांग की है ताकि ऑपरेशन के लिए दर-दर की ठोकरें खाने वाले मरीजों को राहत मिल सके। निजी अस्पतालों में जा रहे डिलीवरी केस सरकारी अस्पताल में पिछले करीब दो वर्षों से महिला रोग विशेषज्ञ की कमी के कारण सिजेरियन डिलीवरी निजी अस्पतालों में जा रही है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने अबोहर के अस्पताल में महिला रोग विशेषज्ञ की नियुक्ति के बारे में कोई ध्यान नहीं दिया। इस बारे में आशा वर्कर यूनियन की प्रधान अंजू रानी व सीतो गुन्नों की प्रधान संतोष रानी का कहना है कि जच्चा-बच्चा विभाग की माहिर नर्सों द्वारा सभी प्रकार के प्रसव मामलों में नॉर्मल डिलीवरी करवाने का प्रयास किया जाता है जिसमें वे पूरी तरह से सफल भी हो रही है। लेकिन कई ऑपरेशन योग्य प्रसूताओं को जब फरीदकोट, फाजिल्का और जलालाबाद रेफर किया जाता है। बाहर जाने की परेशानियों से बचने के लिए वे स्थानीय निजी नर्सिंग होम में चली जाती हैं। जिसके लिए आशा वर्करों को दोषी ठहराया जाता है। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को अबोहर के सरकारी अस्पताल में एनथीसिया और महिला रोग विशेषज्ञ की नियुक्ति शीघ्र ही करनी चाहिए। क्या कहते हैं एनथीसिया स्पेशलिस्ट डॉ. भूपेन इस बारे में एनथीसिया स्पेशलिस्ट डा. भूपेन से बात करने पर उन्होंने बताया कि वे सप्ताह में दो दिन अबोहर के अस्पताल में ड्यूटी देते हैं। लेकिन इस दौरान उन्हें कभी इमरजेंसी वार्ड में तो कभी कहीं और नियुक्त कर दिया जाता है जिससे वे ऑपरेशन थिएटर तक नहीं पहुंच पाते। उन्होंने कहा कि अगर दोनों दिन उनकी ड्यूटी ऑपरेशन थिएटर में लगाई जाए तो काफी मरीजों के ऑपरेशन हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि वे अपनी ड्यूटी पूरी ईमानदारी से कर रहे हैं। लेकिन अन्य डॉक्टरों की कमी के कारण वे ऑपरेशन थिएटर में अपना समय नहीं दे पाते। जबकि वे दो दिनों में ही अधिकतर मरीजों के ऑपरेशन करवाने का प्रयास करते थे। नेताओं के आपसी तालमेल न होने का खामियाजा भुगत रहे लोग इसे अबोहर के लोगों का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि यहां पर कभी भी सत्ताधारी पार्टी का विधायक नहीं मिला। जिससे यह क्षेत्र हमेशा ही विकास कार्यों में पीछे रहा है। सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों की कमी के बारे में भी यहां के विधायक, सांसद और हल्का इंचार्ज का आपस में तालमेल नहीं है। क्योंकि विधायक संदीप जाखड़ कांग्रेस से जीत कर भाजपा के साथ मिल गए, सांसद शेर सिंह घुबाया कांग्रेस से हैं। जबकि हल्का इंचार्ज आम पार्टी के हैं। ऐसे में तीनों का तालमेल न होने का खामियाजा यहां की जनता को भुगतना पड़ रहा है। इधर लोगों ने पंजाब सरकार से मांग करते हुए कहा है कि अगर सही मायनों स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करना है तो मोहल्ला क्लिनिक की बजाए मुख्य अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी पूरी करवाई जाए ताकि हर वर्ग के लोगों को समय पर उचित उपचार मिल सके