नशे के मामले में बदनाम बठिंडा की बीड़ तालब बस्ती 2 के राम बाग में सरेआम नशा करते नौजवान की वीडियो तेजी से वायरल हो रही है। नशा करते नौजवान की वीडियो वायरल के होने के बाद पुलिस की कारगुजारी पर सवाल उठने लगे है। क्योंकि नशे के कारोबार को बंद करने के लिया पुलिस द्वारा लगातार कासो ऑपरेशन और सर्च अभियान चलाया जा रहे है। वहीं दूसरी तरफ सरेआम राम बाग में बैठ कर नौजवान नशा कर रहे है। पुलिस ने 5 को हिरासत में लिया वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने बीड़ तलब बस्ती में छापेमारी कर 5 लोगों हिरासत में ले लिया है। मामले की जानकारी देते हुए एसपी सिटी नरेंद्र सिंह ने बताया की वायरल वीडियो में नशे कर रहे नौजवान से पुलिस ने बातचीत की गई तो उसने नशे का कारोबार करने वाले कुछ लोगों के नाम पुलिस को बताए हैं। जिसके आधार पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 5 नशा तस्करों को हिरासत में ले लिया है। नशे के मामले में बदनाम बठिंडा की बीड़ तालब बस्ती 2 के राम बाग में सरेआम नशा करते नौजवान की वीडियो तेजी से वायरल हो रही है। नशा करते नौजवान की वीडियो वायरल के होने के बाद पुलिस की कारगुजारी पर सवाल उठने लगे है। क्योंकि नशे के कारोबार को बंद करने के लिया पुलिस द्वारा लगातार कासो ऑपरेशन और सर्च अभियान चलाया जा रहे है। वहीं दूसरी तरफ सरेआम राम बाग में बैठ कर नौजवान नशा कर रहे है। पुलिस ने 5 को हिरासत में लिया वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने बीड़ तलब बस्ती में छापेमारी कर 5 लोगों हिरासत में ले लिया है। मामले की जानकारी देते हुए एसपी सिटी नरेंद्र सिंह ने बताया की वायरल वीडियो में नशे कर रहे नौजवान से पुलिस ने बातचीत की गई तो उसने नशे का कारोबार करने वाले कुछ लोगों के नाम पुलिस को बताए हैं। जिसके आधार पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 5 नशा तस्करों को हिरासत में ले लिया है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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लुधियाना देश के 100 प्रदूषित शहरों में शामिल:CREA रिपोर्ट में हुआ खुलासा, प्रदेश में दूसरे नंबर पर, मंडी गोबिंदगढ़ पहले स्थान पर
लुधियाना देश के 100 प्रदूषित शहरों में शामिल:CREA रिपोर्ट में हुआ खुलासा, प्रदेश में दूसरे नंबर पर, मंडी गोबिंदगढ़ पहले स्थान पर देश के 100 प्रदूषित शहरों में लुधियाना 51वें नंबर पर है। पंजाब प्रदेश के प्रदूषित शहरों में मंडी गोबिंदगढ़ पहले नंबर है तो लुधियाना दूसरे नंबर है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, 6 जुलाई को लुधियाना में AQI 40 दर्ज किया गया था, जो स्वास्थ्य पर न्यूनतम प्रभाव के साथ अच्छी वायु गुणवत्ता श्रेणी में आता है। सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) द्वारा किए गए एक अध्ययन ने लुधियाना को 2024 की पहली छमाही में देश के शीर्ष 100 सबसे प्रदूषित शहरों में रखा। लुधियाना की वायु गुणवत्ता का आंकलन PM 2.5 मान के आधार पर किया गया, जो माइक्रोन (हवा के प्रति घन मीटर माइक्रोग्राम) का एक माप है। CREA अध्ययन में सीपीसीबी (केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) से पीएम 2.5 मान का इस्तेमाल किया गया। देश के 256 शहरों में लुधियाना का 51वां नंबर CREA के अनुसार, 1 जनवरी से 30 जून 2024 तक लुधियाना में पीएम 2.5 का औसत मान 61 माइक्रोन था, जिसने देश के 256 शहरों में लुधियाना को 51वें स्थान पर रखा। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के शीर्ष पांच सबसे प्रदूषित शहर बर्नीहाट (मेघालय), फरीदाबाद, दिल्ली, गुड़गांव और भागलपुर (बिहार) हैं। CREA रिपोर्ट प्रदूषण के मामले में शहर की एक बेहत चिंताजन तस्वीर पेश करती है। यह रिपोर्ट दर्शाती है कि लुधियाना ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दैनिक पीएम 2.5 दिशा निर्देश 15 माइक्रोन को पार कर लिया है। लुधियाना में पीएम 2.5 का मान 82 दिनों के लिए राष्ट्रीय परिवेश वायु गुणवत्ता मानकों (एनएएक्यूएस) के तहत 60 माइक्रोन की दैनिक सीमा से भी अधिक हो गया। पंजाब में दूसरे नंबर पर लुधियाना वायु प्रदूषण के मामले में पंजाब में मंडी गोबिंदगढ़ पहले और मंडी गोबिंदगढ़ दूसरे नंबर पर है। बठिंडा प्रदेश में आठवें स्थान पर रहा। 2018 के बाद से जनवरी से जून तक पीएम 2.5 के औसत पर CREA डेटा के अनुसार, लुधियाना में 2018 में 64 माइक्रोन का उच्चतम मूल्य था, जबकि 2023 और 2024 में मान 61 माइक्रोन था। 35 माइक्रोन का न्यूनतम मूल्य जनवरी और जून, 2020 के बीच दर्ज किया गया था। औद्योगिक प्रदूषण, परिवहन और बायोमास को ठहराया जिम्मेवार लुधियाना के छह महीने में 182 दिनों में से प्रत्येक पर दैनिक पीएम 2.5 का मूल्य डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों से अधिक था, जबकि 40% से अधिक दिनों में, ऐसा मूल्य एनएएक्यूएस सीमा से अधिक था।
उन्होंने इसके लिए औद्योगिक प्रदूषण, परिवहन और बायोमास (सर्दियों में गांवों में इसका उपयोग खाना पकाने और अपशिष्ट जलाने के लिए किया जाता है) को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि उच्च पीएम 2.5 मान का मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और इसके परिणामस्वरूप उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और सांस रोग आदि होते हैं।
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जालंधर की एके मैन्युफेक्चरिंग कंपनी के केस में आया फैसला:फर्म के पक्ष में आईटी ट्रिब्यूनल का फैसला टीसीएस जमा न कराने को प्रॉफिट मानना गलत जालंधर| सिटी की एके मेन्युफैक्चरिंग कंपनी के केस (आईटीए नंबर 319) में अमृतसर के इनकम टैक्स ट्रिब्यूनल ने ऐतिहासिक फैसला दिया है। इस फर्म ने इनकम टैक्स रिटर्न भरते हुए 4,83,000 का टीसीएस जमा नहीं कराया था। उनकी रिटर्न की एसेसमेंट करने के बाद इनकम टैक्स अफसरों ने ये रकम जमा न कराने पर इसे फर्म की आमदनी में दर्ज कर दिया। ऐसा इनकम टैक्स के सेक्शन 43 बी के तहत किया गया। इस सेक्शन के घेरे में आने वाली फर्में अगर किसी का पैसा नहीं चुकाती हैं तो इसे उनकी कमाई में शामिल माना जाता है। जालंधर की फर्म की तरफ से एडवोकेट अमित बजाज 6 मई को इनकम टैक्स ट्रिब्यूनल में पेश हुए। उन्होंने दलील दी कि टीसीएस को फर्म की कमाई नहीं माना जा सकता है। वजह – ये टैक्स की रकम है जो लोगों ने फर्म के साथ लेनदेन के दौरान बिल के साथ जमा कराया, फर्म तो केवल इस पैसे की कस्टोडियन है, ये पैसा सरकार का है। फर्म ने केवल ग्राहक से लेकर सरकार को देना है। ऐसे में इसे फर्म की कमाई नहीं माना जा सकता। ट्रिब्यूनल का फैसला 4 जून को आया है। इसके अनुसार टैक्स की रकम को प्रॉफिट नहीं माना गया। सेक्शन 43 बी के अनुसार 4,83,000 रुपए को कमाई नहीं माना जा सकता है।
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