बठिंडा जिले के कसबा मौड़ मंडी में ट्रक यूनियन आफिस के पास एक युवक पर कुछ युवकों ने तेजधार हथियारों से ताबड़तोड़ हमला कर गंभीर रूप से जख्मी कर दिया। इस दौरान आसपास सैकड़ों लोग इकट्ठा हो गए, लेकिन किसी ने युवक को अस्पताल नहीं पहुंचाया। घायल नौजवान काफी देर तक सड़क पर पड़ा तड़पता रहा। बाद में घायल युवक को बचाते कुछ लोगों ने एक प्राइवेट अस्पताल में दाखिल करवाया जहां उसकी हालत गंभीर बनी है। घायल की पहचान जसपाल सिंह चनवी निवासी मौड़ के तौर पर हुई है। घायल जसपाल सिंह तलवंडी साबों में हुए एक मर्डर के केस में आरोपी था और कुछ दिन पहले ही जमानत पर बाहर आया था। माना जा रहा है कि हमला करने वाले लोग पहले मरे व्यक्ति के जानकार व परिजन थे, जिन्होंने पुरानी रंजिश में बदला लेने के लिए युवक पर जानलेवा हमला किया। पुरानी रंजिश में बोला हमला इस घटना की वायरल हो रही वीडियों में दो युवक जसपाल सिंह पर ताबड़तोड़ हथियारों से बीच सड़क में हमला कर रहे हैं। इस दौरान आसपास के कुछ लोग युवक को बचाने की कोशिश करते हैं। इस दौरान हमलावरों ने जसपाल की टांगों व बाजू पर वार किए जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। इसके बाद बचाने वाले लोगों ने ही युवक को सिविल अस्पताल पहुंचाया, जहां से उसे बठिंडा सरकारी अस्पताल में रेफर कर दिया गया है। घायल युवक जसपाल सिंह के भाई सुखपाल सिंह ने बताया कि कुछ समय पहले एक हत्या हुई थी। इस हत्याकांड के आरोपी जेल में हैं। रविवार को इसी हत्याकांड की रंजिश में उनके भाई को बुरी तरह पीटा गया है और एक हाथ तोड़ दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह घटना के बाद पुलिस को जानकारी दी, लेकिन कोई भी पुलिस कर्मी मौके पर नहीं पहुंचा। एसएसपी दीप पारिक ने कहा कि घटना के बाद पुलिस जांच कर रही है। इस मामले में आरोपी लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है और जल्द ही सभी आरोपियों की गिरफ्तारी हो जाएगी। बठिंडा जिले के कसबा मौड़ मंडी में ट्रक यूनियन आफिस के पास एक युवक पर कुछ युवकों ने तेजधार हथियारों से ताबड़तोड़ हमला कर गंभीर रूप से जख्मी कर दिया। इस दौरान आसपास सैकड़ों लोग इकट्ठा हो गए, लेकिन किसी ने युवक को अस्पताल नहीं पहुंचाया। घायल नौजवान काफी देर तक सड़क पर पड़ा तड़पता रहा। बाद में घायल युवक को बचाते कुछ लोगों ने एक प्राइवेट अस्पताल में दाखिल करवाया जहां उसकी हालत गंभीर बनी है। घायल की पहचान जसपाल सिंह चनवी निवासी मौड़ के तौर पर हुई है। घायल जसपाल सिंह तलवंडी साबों में हुए एक मर्डर के केस में आरोपी था और कुछ दिन पहले ही जमानत पर बाहर आया था। माना जा रहा है कि हमला करने वाले लोग पहले मरे व्यक्ति के जानकार व परिजन थे, जिन्होंने पुरानी रंजिश में बदला लेने के लिए युवक पर जानलेवा हमला किया। पुरानी रंजिश में बोला हमला इस घटना की वायरल हो रही वीडियों में दो युवक जसपाल सिंह पर ताबड़तोड़ हथियारों से बीच सड़क में हमला कर रहे हैं। इस दौरान आसपास के कुछ लोग युवक को बचाने की कोशिश करते हैं। इस दौरान हमलावरों ने जसपाल की टांगों व बाजू पर वार किए जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। इसके बाद बचाने वाले लोगों ने ही युवक को सिविल अस्पताल पहुंचाया, जहां से उसे बठिंडा सरकारी अस्पताल में रेफर कर दिया गया है। घायल युवक जसपाल सिंह के भाई सुखपाल सिंह ने बताया कि कुछ समय पहले एक हत्या हुई थी। इस हत्याकांड के आरोपी जेल में हैं। रविवार को इसी हत्याकांड की रंजिश में उनके भाई को बुरी तरह पीटा गया है और एक हाथ तोड़ दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह घटना के बाद पुलिस को जानकारी दी, लेकिन कोई भी पुलिस कर्मी मौके पर नहीं पहुंचा। एसएसपी दीप पारिक ने कहा कि घटना के बाद पुलिस जांच कर रही है। इस मामले में आरोपी लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है और जल्द ही सभी आरोपियों की गिरफ्तारी हो जाएगी। पंजाब | दैनिक भास्कर
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सांसद औजला ने लोकसभा में उठाया तुंग ढाब ड्रेन का मुद्दा भास्कर न्यूज|अमृतसर सांसद गुरजीत सिंह औजला ने लोकसभा तुंगढाब ड्रेन और बुड्ढे नाले पर फैली गंदगी का मुद्दा उठाया। उन्होंने सरकार से मांग किया कि एक कमेटी बनाई जाए और दोनों स्थानों पर दौरा कर हालातों का जायजा लिया जाए। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इन नालों की गंदगी की वजह से लोगों की जिंदगी जीना दुश्वार हो गया है। पीठासीन जगदंबिका पाल के समक्ष बोलते हुए कहा कि पंजाब में इस समय गंदे पानी की समस्या चरम पर है। गुरुनगरी तुंगढाब ड्रेन और लुधियाना के बुड्ढा नाले में कारपोरेशन-डेयरी-इंडस ्ट्री का गंदा पानी जा रहा है। पानी का स्तर इस कदर गंदा है कि उसका ट्रीटमेंट भी नहीं हो सकता। गंदा पानी से कई शहरों में कैंसर के मरीज बढ़ रहे हैं। खास तौर पर फाजिल्का, मोगा, अबोहर जैसे शहरों में कैंसर मरीजों की लगातार बढ़ोत्तरी हो रही। पॉल्यूशन विभाग कुछ नहीं कर रही, ड्रेनेज विभाग भी चुप है। कार्पोरेशन भी इस मुद्दे को गंभीर रुप से नहीं ले रही। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इसे स्टेट का मुद्दा कहकर पल्ला झाड़ रही लेकिन लोग त्राहि त्राहि कर रहे हैं। लोग सड़कों पर उतर आए हैं लेकिन राज्य सरकार भी कुछ नहीं कर रही। उन्होंने मांग की कि केंद्र सरकार इस मसले के लिए एक कमेटी बनाएं और उस कमेटी से दोनों स्थानों पर दौरा करवाएं। उसके बाद ऐसा प्रोजेक्ट तैयार करें कि लोगों को साफ सुथरा पानी मिले और लोगों की जिंदगी बच सके।
पंजाब में SAD बागी गुट ने लॉबिंग की शुरू:नाराज सीनियर अकाली लीडर्स से गुपचुप मुलाकात जारी; सुखबीर बादल होंगे अकाल तख्त साहिब पर पेश
पंजाब में SAD बागी गुट ने लॉबिंग की शुरू:नाराज सीनियर अकाली लीडर्स से गुपचुप मुलाकात जारी; सुखबीर बादल होंगे अकाल तख्त साहिब पर पेश शिरोमणि अकाली दल में फूट के बाद श्री अकाल तख्त साहिब की तरफ से जारी हुकमों ने अध्यक्ष सुखबीर बादल की मुश्किलों को बढ़ा दिया है। सुखबीर बादल ने ऐलान कर दिया है कि वे श्री अकाल तख्त साहिब पर जरूर पेश होंगे। वहीं दूसरी तरफ, विरोधी गुट अपने आप को मजबूत करने के लिए नाराज, सस्पेंड, एसजीपीसी व पूर्व जत्थेदारों से लॉबिंग में जुट गया है। सुखबीर बादल ने अपने सोशल मीडिया पर जानकारी दी है कि वे श्री अकाल तख्त साहिब पर विनम्रता के साथ पेश होंगे। उन्होंने सोशल मीडिया X पर लिखा- एक धर्मनिष्ठ और विनम्र सिख के रूप में, मैं श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी महाराज और मिरी पीरी के सर्वोच्च मंदिर, श्री अकाल तख्त साहिब के प्रति समर्पित हूं। श्री अकाल तख्त साहिब के आदेश के अनुसार, दास अपार श्रद्धा और विनम्रता के साथ सर्वोच्च तीर्थ पर मत्था टेकेंगे। बादल ने खुद दी प्रतिक्रिया बागी गुट की तरफ से शुरू की गई कोशिशों के बाद ये पहला मौका है जब अध्यक्ष सुखबीर बादल ने खुद कोई प्रतिक्रिया दी है। बागी गुट के विरोध और श्री अकाल तख्त साहिब पर माफीनामा सौंपने के बाद भी सुखबीर बादल ने अपनी तरफ से कोई बयान जारी नहीं किया था। बागी गुट नाराज अकाली नेताओं से कर रहा मुलाकात प्रेम सिंह चंदूमाजरा की अध्यक्षता में अकाली दल बचाओ लहर के तहत सभी बागी लीडर लगातार नाराज नेताओं से मिल रहे हैं। मिली जानकारी के अनुसार, अकाली दल के बागी गुट ने उन नेताओं से भी मुलाकात की है, जिन्हें बीते दिनों किसी ना किसी कारणवश सुखबीर बादल ने सस्पेंड किया था। इनमें उनके अपने जीजा आदेश प्रताप सिंह कैरों, रविकरण सिंह काहलों और मलूका परिवार भी शामिल है। लेकिन अभी तक उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। वहीं, बागी गुट पहले ही कह चुका है कि वे हर नाराज अकाली लीडर से संपर्क करेंगे। इसके अलावा अकाली दल लगातार एसजीपीसी सदस्यों और पूर्व जत्थेदारों से मुलाकात कर रहा है। एक इंटरव्यू में पूर्व जत्थेदार रणजीत सिंह ने कहा कि उनसे भी संपर्क साधा गया था। लेकिन उन्होंने इससे मना कर दिया। उनका कहना था कि वे धर्म की सेवा में लगे हैं, राजसी सेवा वह नहीं करेंगे। जालंधर चुनावों के दौरान शुरू हुई थी बगावत अकाली दल के बीच बगावत जालंधर चुनावों के दौरान ही शुरू हो गई थी। सीनियर अकाली नेता चंदूमाजरा, ढींढसा परिवार, बीबी जगीर कौर व कई सीनियर अकाली नेताओं ने सुखबीर बादल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और अकाली दल को बादल परिवार से मुक्त करवाने की मांग उठने लगी। अकाली दल के नेताओं ने 2022 में सामने आई झूंदा रिपोर्ट को अमल में लाने की मांग की। जिसमें प्रधान को उतारने के लिए सीधे तौर पर नहीं लिखा गया था, लेकिन कहा गया था कि दो टर्म के बाद प्रधान रिपीट नहीं होना चाहिए। बागी श्री अकाल तख्त साहिब का रुख बागी गुट ने इस बगावत को अकाली दल बचाओ लहर नाम दिया। प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए बागी गुट ने अपना विरोध तो जता दिया था, लेकिन दूसरी तरफ उन्होंने 1 जुलाई को श्री अकाल तख्त साहिब का रुख कर सभी का ध्यान पुराने मुद्दे राम रहीम की माफी, बेअदबी की घटनाओं आदि की तरफ केंद्रित कर दिया। बागी गुट ने सीधे तौर पर सुखबीर बादल के खिलाफ शिकायत नहीं दी, उन्होंने इसे माफीनामा नाम दिया। जिसमें उन्होंने कहा कि वे पार्टी की तरफ से हुई गलतियों का विरोध नहीं कर पाए, इसके लिए वे माफी मांगते हैं। चार आरोप, जो माफीनामा में सुखबीर के खिलाफ लिखे गए 1. वापस ली गई थी डेरा सच्चा सौदा के खिलाफ शिकायत 2007 में सलाबतपुरा में सच्चा सौदा डेरा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने दसवें गुरू श्री गुरू गोबिंद सिंह जी की परंपरा का अनुकरण करते हुए उन्हीं कपड़ों को पहनकर अमृत छकाने का स्वांग रचाया था। उस वक्त इसके खिलाफ पुलिस केस भी दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में SAD सरकार ने सजा देने की जगह इस मामले को ही वापस ले लिया। 2. डेरा मुखी को सुखबीर बादल ने दिलवाई थी माफी श्री अकाल तख्त साहिब ने कार्रवाई करते हुए डेरा मुखी को सिख पंथ से निष्कासित कर दिया था। शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए डेरा मुखी को माफी दिलवा दी थी। इसके बाद शिरोमणि अकाली दल और शिरोमणि कमेटी के नेतृत्व को सिख पंथ के गुस्से और नाराजगी को ध्यान में रखते हुए इस फैसले से पीछे हटना पड़ा। 3. बेअदबी की घटनाओं की सही जांच नहीं हुई 1 जून 2015 को कुछ तत्वों ने बुर्ज जवाहर सिंह वाला (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बीड़ चुराई। फिर 12 अक्टूबर 2015 को बरगाड़ी (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 110 अंग चुरा लिए व बाहर फेंक दिए। इससे सिख पंथ में भारी आक्रोश फैल गया। शिरोमणि अकाली दल सरकार और तत्कालीन गृह मंत्री सुखबीर सिंह बादल ने इस मामले की समय रहते जांच नहीं की। दोषियों को सजा दिलाने में सफल नहीं हुए। इससे पंजाब में हालात बिगड़ गए और कोटकपूरा और बहबल कलां में दुखद घटनाएं हुईं। 4. झूठे केसों में मारे गए सिखों को नहीं दे पाए इंसाफ SAD सरकार ने सुमेध सैनी को पंजाब का DGP नियुक्त किया था। राज्य में फर्जी पुलिस मुठभेड़ों को अंजाम देकर सिख युवाओं की हत्या करने के लिए उन्हें जाना जाता था। पुलिसकर्मी इजहार आलम, जिन्होंने आलम सेना का गठन किया, उनकी पत्नी को टिकट दिया और उन्हें मुख्य संसदीय सचिव बनाया। बताना चाहते हैं कि 2012 में बनी SAD सरकार और पिछली अकाली सरकारों ने भी राज्य में झूठे पुलिस मुठभेड़ों की निष्पक्ष जांच करने और पीड़ितों को राहत देने के लिए एक आयोग बनाकर लोगों से किए वादे विफल रहे। बागी गुट झूंदा कमेटी की रिपोर्ट लागू करने की कर रहा मांग बागी गुट लगातार झूंदा कमेटी, जिसे 2022 में भी लागू करने की मांग उठी थी, पर विचार करने का दबाव बना रहे हैं। हालांकि इसमें पार्टी प्रधान बदलने का प्रस्ताव नहीं है, लेकिन ये लिखा गया है कि पार्टी अध्यक्ष 10 साल के बाद रिपीट नहीं होगा। झूंदा रिपोर्ट पर जब अमल नहीं हुआ तो इसे सार्वजनिक नहीं किया गया था। झूंदा ने सार्वजनिक तौर पर बयान जारी किया था कि 117 विधानसभा हलकों में 100 में जाकर उन्होंने इस रिपोर्ट को तैयार किया है। इस रिपोर्ट में कुछ जानकारियां 2022 में सांझी की थी। तब अकाली नेताओं ने कहा था कि झूंदा रिपोर्ट में 42 सुझाव दिए गए हैं। पार्टी प्रधान को बदले जाने का रिपोर्ट में कहीं जिक्र नहीं है। लेकिन, भविष्य में पार्टी प्रधान के चुने जाने की तय सीमा जरूर तय की गई है। ये भी बात उठाई गई कि अकाली दल अपने मूल सिद्धांतों से भटका है और राज्य सत्ता में रहने के मकसद से कई कमियां आई हैं। सुखबीर बादल का शक्ति प्रदर्शन पूरे घटनाक्रम में सुखबीर बादल ने एक भी शब्द अपनी सफाई व विरोधी गुट के लिए नहीं कहा। लेकिन अकाल तख्त साहिब से सम्मन पर उन्होंने पहली बार कुछ कहा है। वहीं, दूसरी तरफ सुखबीर बादल लगातार बिना कुछ कहे अपना शक्ति प्रदर्शन करते रहे। बागी गुट एक तरफ विरोध तेज कर रहा था, वहीं सुखबीर बादल लगातार बैठकें बुलाकर समर्थन अपने पक्ष में कर रहे थे।
पंजाब उपचुनाव- SAD के 4 पूर्व नेता चुनाव लड़ रहे:पूर्व मंत्री और बादल परिवार के सदस्य शामिल, 1 बागी होकर निर्दलीय मैदान में
पंजाब उपचुनाव- SAD के 4 पूर्व नेता चुनाव लड़ रहे:पूर्व मंत्री और बादल परिवार के सदस्य शामिल, 1 बागी होकर निर्दलीय मैदान में पंजाब में हो रहे उपचुनाव से भले ही शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने दूरी बना ली हो, लेकिन पार्टी के 4 पूर्व नेता और एक बागी नेता इस चुनाव में उतर चुके हैं। 4 नेताओं ने अलग अलग पार्टियों से नामांकन भरा है, जबकि एक नेता निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। SAD से निकले नेताओं पर सबसे ज्यादा भरोसा भाजपा ने जताया है क्योंकि 4 में से 3 सीटों पर भाजपा ने उन नेताओं को उतारा है जो कभी अकाली दल में रह चुके हैं। इन नेताओं में चब्बेवाल सीट से भाजपा उम्मीदवार सोहन सिंह ठंडल, गिद्दड़बाहा से मनप्रीत सिंह बादल और डेरा बाबा से रविकरण काहलों शामिल हैं। इन नेताओं के अलावा गिद्दड़बाहा से आम आदमी पार्टी (AAP) की टिकट पर मैदान में उतरे हरदीप सिंह ढिल्लों भी SAD में रह चुके हैं। उधर गिद्दड़बाहा से ही निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरे जगमीत बराड़ ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन पर बगावत करदी है। खास बात है कि तकरीबन साढ़े 4 साल पहले भाजपा और अकाली दल का गठबंधन था। लेकिन किसान आंदोलन के बाद ही इन दोनों के बीच का गठबंधन टूट गया था। गिद्दड़बाहा से 3 पूर्व अकाली नेता आमने सामने 1. मनप्रीत सिंह बादल गिद्दड़बाहा में अकाली दल के 3 पूर्व नेता मैदान में हैं। इस सीट पर पूर्व अकाली नेता मनप्रीत सिंह बादल जो भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। इन्होंने 1995 में अकाली दल को गिद्दड़बाहा से तब जीत दिलाई थी, जब अकाली दल का ग्राफ काफी नीचे गिर चुका था। हालांकि उन्होंने अकाली दल छोड़, अपनी अलग पार्टी ‘पीपुल्स पार्टी ऑफ पंजाब’ बनाई थी। कुछ ही समय बाद ये कांग्रेस में शामिल हो गए थे। फिर 2023 में कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे उनके करियर का सबसे लंबा अरसा अकाली दल के साथ ही निकला है। मनप्रीत पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के भाई गुरदास सिंह बादल के बेटे हैं। 2. हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों दूसरा बड़ा नाम हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों का है। इन्होंने AAP की टिकट पर गिद्दड़बाहा से नामांकन भरा है। डिंपी ढिल्लों भी खुद अकाली दल में रहे हैं। उपचुनावों की घोषणा के कुछ समय पहले ही उन्होंने अकाली दल पर परिवारवाद के आरोप लगाते हुए पार्टी को अलविदा कहा था। डिंपी ढिल्लों को एक समय में सुखबीर बादल का कंधा माना जाता था। 3. जगमीत सिंह बराड़ गिद्दड़बाहा से तीसरा नाम जगमीत सिंह बराड़ का है। यह काफी समय तक कांग्रेस में रहे और बादल परिवार के विरोधी माना जाते थे। लेकिन 19 अप्रैल 2019 को उन्होंने प्रकाश सिंह बादल, सुखबीर सिंह बादल और हरसिमरत कौर बादल की मौजूदगी में शिरोमणि अकाली दल जॉइन की थी। पार्टी ने इन्हें वरिष्ठ उपाध्यक्ष भी नियुक्त किया। साथ ही 2022 के चुनावों के लिए मौर विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार भी घोषित किया गया था। इन दो नेताओं पर भी भाजपा ने जताया विश्वास 1- सोहन सिंह ठंडल
नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख से एक दिन पहले अकाली दल में तब हलचल मच गई, जब अकाली दल के सीनियर नेता व पूर्व मंत्री रहे सोहन सिंह ठंडल ने इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे देने के 4 घंटों में ही उनके लिए होशियारपुर में विशेष कार्यक्रम रखा गया, जहां सीनियर भाजपा नेताओं ने उन्हें पार्टी जॉइन करवा दी। साथ ही भाजपा ने चब्बेवाल सीट से सोहन सिंह ठंडल को उम्मीदवार घोषित कर दिया। 2-करण सिंह काहलों
पंजाब की सियासत में अकाली दल से जुड़े रहे काहलों परिवार के बेटे रवि करण ने लोकसभा चुनाव 2024 के पहले ही बगावत की थी और भाजपा में शामिल हो गए। उन्होंने सुखबीर बादल की प्रधानगी को चुनौती देते हुए पार्टी पर कई सवाल उठाए थे। रवि करण सिंह काहलों को भाजपा ने डेरा बाबा नानक से उम्मीदवार बनाया है।