बड़े भाई के खिलाफ लिखवाया था फर्जी मुकदमा, हाई कोर्ट ने ‘कलयुगी भरत’ कहते हुए सुनाया ये फैसला

बड़े भाई के खिलाफ लिखवाया था फर्जी मुकदमा, हाई कोर्ट ने ‘कलयुगी भरत’ कहते हुए सुनाया ये फैसला

<p style=”text-align: justify;”><strong>Kanpur News:</strong> इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कानपुर में सगे भाइयों के बीच आपसी विवाद में रामायण का उदाहरण देते हुए अपना फैसला सुनाया है. अदालत ने बड़े भाई को परेशान करने के लिए उसके खिलाफ फर्जी एफआईआर कराने वाले छोटे भाई को कलयुगी भरत करार दिया है और उस पर पचीस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हाईकोर्ट ने अपने फैसले में टिप्पणी करते हुए कहा है कि हम हमेशा भगवान श्री राम के छोटे भाई भरत के त्याग व बलिदान की चर्चा करते हैं, लेकिन इस मामले में बड़े भाई के खिलाफ आचरण करने वाले को कलयुगी भरत कहा जा सकता है. अदालत ने इस टिप्पणी के आधार पर बड़े भाई के खिलाफ दर्ज एफआईआर की चार्जशीट और निचली अदालत के समान आदेश को रद्द कर दिया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>नवंबर 2017 में दर्ज कराई थी FIR<br /></strong>यह आदेश जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी की सिंगल बेंच ने कानपुर के किदवई नगर इलाके के रहने वाले संजीव चढ्ढा की याचिका को मंजूर करते हुए दिया है. मामले के मुताबिक संजीव चड्ढा के खिलाफ उनके छोटे भाई राजीव ने 12 नवंबर साल 2017 को एफआईआर दर्ज कराई कि उन्होंने उससे कुछ साल पहले बिजनेस के नाम पर दो लाख बीस हजार रुपये लिए थे, जिन्हें आज तक वापस नहीं किया गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके अलावा यह भी कहा गया कि बड़े भाई संजीव चड्ढा ने पिता की मौत के बाद जॉइंट अकाउंट से भी वसीयत के आधार पर बिना उसकी सहमति के पैसे निकाल लिए हैं. इस मामले में विवेचना पूरी होने के बाद पुलिस ने 28 जनवरी 2019 को बड़े भाई संजीव चड्ढा के खिलाफ कानपुर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी. कानपुर कोर्ट ने चार्जशीट के आधार पर बड़े भाई को समन आदेश जारी करते हुए तलब कर लिया. छोटा भाई राजीव &nbsp;पेशे से वकील है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बड़े भाई को सजा दिलवाना चाहता था छोटा भाई</strong><br />बड़े भाई संजीव चड्ढा ने चार्जशीट, समन आदेश और अपने खिलाफ चल रही आपराधिक कार्रवाई को रोकने के लिए साल 2020 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की. कोर्ट ने चाहा कि भाइयों के बीच चल रहा विवाद आपसी सहमति व सुलह समझौते से खत्म हो जाए, लेकिन छोटा भाई इसके लिए कतई राजी नहीं हो रहा था और वह बड़े भाई को सजा दिलाना चाहता था. इस सूरत में अदालत को इस मामले में सुनवाई कर अपना फैसला सुनाना पड़ा. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि छोटे भाई ने अपने बड़े भाई को परेशान करने के लिए उसके खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज कराया था. बड़े भाई के खिलाफ जो आरोप लगाए गए हैं वह कतई साबित नहीं हो रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हाईकोर्ट ने इस मामले में न सिर्फ अपीलकर्ता बड़े भाई &nbsp;संजीव चड्ढा को बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ कोर्ट में दाखिल की गई चार्जशीट, समन आदेश और आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया है, बल्कि रामायण का उदाहरण देते हुए एफआईआर दर्ज कराने वाले छोटे भाई को कलयुगी भरत भी करार दिया है. अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि हम हमेशा भगवान श्री राम के छोटे भाई भरत के त्याग व बलिदान पर चर्चा करते हैं, लेकिन मौजूदा मामले में छोटे भाई का जो रवैया है, उसके आधार पर उसे कलयुगी भरत कहा जा सकता है. हाईकोर्ट ने मुकदमे में होने वाले खर्च की भरपाई के लिए कलयुगी भरत यानी छोटे भाई को अपीलकर्ता बड़े भाई संजीव चड्ढा को चार हफ्ते में पचीस हजार रुपये का भुगतान करने को भी कहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ये भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/baghpat-conspiracy-to-kill-deputy-cmo-along-by-mixing-tb-patient-sample-in-food-ann-2801564″><strong>Baghpat: खाने में टीबी के मरीज का सैंपल! डिप्टी CMO को परिवार समेत मारने की खौफनाक साजिश</strong></a></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Kanpur News:</strong> इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कानपुर में सगे भाइयों के बीच आपसी विवाद में रामायण का उदाहरण देते हुए अपना फैसला सुनाया है. अदालत ने बड़े भाई को परेशान करने के लिए उसके खिलाफ फर्जी एफआईआर कराने वाले छोटे भाई को कलयुगी भरत करार दिया है और उस पर पचीस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हाईकोर्ट ने अपने फैसले में टिप्पणी करते हुए कहा है कि हम हमेशा भगवान श्री राम के छोटे भाई भरत के त्याग व बलिदान की चर्चा करते हैं, लेकिन इस मामले में बड़े भाई के खिलाफ आचरण करने वाले को कलयुगी भरत कहा जा सकता है. अदालत ने इस टिप्पणी के आधार पर बड़े भाई के खिलाफ दर्ज एफआईआर की चार्जशीट और निचली अदालत के समान आदेश को रद्द कर दिया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>नवंबर 2017 में दर्ज कराई थी FIR<br /></strong>यह आदेश जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी की सिंगल बेंच ने कानपुर के किदवई नगर इलाके के रहने वाले संजीव चढ्ढा की याचिका को मंजूर करते हुए दिया है. मामले के मुताबिक संजीव चड्ढा के खिलाफ उनके छोटे भाई राजीव ने 12 नवंबर साल 2017 को एफआईआर दर्ज कराई कि उन्होंने उससे कुछ साल पहले बिजनेस के नाम पर दो लाख बीस हजार रुपये लिए थे, जिन्हें आज तक वापस नहीं किया गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके अलावा यह भी कहा गया कि बड़े भाई संजीव चड्ढा ने पिता की मौत के बाद जॉइंट अकाउंट से भी वसीयत के आधार पर बिना उसकी सहमति के पैसे निकाल लिए हैं. इस मामले में विवेचना पूरी होने के बाद पुलिस ने 28 जनवरी 2019 को बड़े भाई संजीव चड्ढा के खिलाफ कानपुर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी. कानपुर कोर्ट ने चार्जशीट के आधार पर बड़े भाई को समन आदेश जारी करते हुए तलब कर लिया. छोटा भाई राजीव &nbsp;पेशे से वकील है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बड़े भाई को सजा दिलवाना चाहता था छोटा भाई</strong><br />बड़े भाई संजीव चड्ढा ने चार्जशीट, समन आदेश और अपने खिलाफ चल रही आपराधिक कार्रवाई को रोकने के लिए साल 2020 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की. कोर्ट ने चाहा कि भाइयों के बीच चल रहा विवाद आपसी सहमति व सुलह समझौते से खत्म हो जाए, लेकिन छोटा भाई इसके लिए कतई राजी नहीं हो रहा था और वह बड़े भाई को सजा दिलाना चाहता था. इस सूरत में अदालत को इस मामले में सुनवाई कर अपना फैसला सुनाना पड़ा. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि छोटे भाई ने अपने बड़े भाई को परेशान करने के लिए उसके खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज कराया था. बड़े भाई के खिलाफ जो आरोप लगाए गए हैं वह कतई साबित नहीं हो रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हाईकोर्ट ने इस मामले में न सिर्फ अपीलकर्ता बड़े भाई &nbsp;संजीव चड्ढा को बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ कोर्ट में दाखिल की गई चार्जशीट, समन आदेश और आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया है, बल्कि रामायण का उदाहरण देते हुए एफआईआर दर्ज कराने वाले छोटे भाई को कलयुगी भरत भी करार दिया है. अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि हम हमेशा भगवान श्री राम के छोटे भाई भरत के त्याग व बलिदान पर चर्चा करते हैं, लेकिन मौजूदा मामले में छोटे भाई का जो रवैया है, उसके आधार पर उसे कलयुगी भरत कहा जा सकता है. हाईकोर्ट ने मुकदमे में होने वाले खर्च की भरपाई के लिए कलयुगी भरत यानी छोटे भाई को अपीलकर्ता बड़े भाई संजीव चड्ढा को चार हफ्ते में पचीस हजार रुपये का भुगतान करने को भी कहा है.</p>
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