बदायूं में बुद्ध पर्यटन स्थल पर विवाद:बजरंग दल ने बताया राम वनवास केंद्र; बौद्ध बोले- बुद्ध ने यहां उपदेश दिए

बदायूं में बुद्ध पर्यटन स्थल पर विवाद:बजरंग दल ने बताया राम वनवास केंद्र; बौद्ध बोले- बुद्ध ने यहां उपदेश दिए

उत्तर प्रदेश के बदायूं में सम्राट अशोक बुद्ध पर्यटन स्थल को लेकर बौद्धिस्ट और हिंदू संगठनों के बीच विवाद है। करीब 54 बीघा जमीन पर बने इस स्थल को लेकर दोनों पक्ष के अपने-अपने दावे हैं। विवाद की शुरुआत 7 दिसंबर, 2024 से हुई, जब कुछ हिंदू संगठन यहां घुस आए। आरोप है, उन्होंने भगवान बुद्ध की मूर्ति को क्षति पहुंचाई। दीवारों पर लिखे शब्द मिटा दिए। इसके विरोध में यूपी के कई जिलों में बौद्धिस्ट ने प्रदर्शन किया। मामला दिल्ली तक पहुंच गया। समाजवादी पार्टी के 4 सांसदों ने केंद्रीय मंत्री को ज्ञापन देकर वहां से हटाए गए भंते (बौद्ध भिक्षु) को फिर वहीं भेजने की मांग की। दैनिक भास्कर ने ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर पिछले दो हफ्ते से चल रहे इस विवाद को गहराई से समझा। सबसे पहले दो बयान पढ़िए- विकास दीप (बौद्ध भिक्षु) ने कहा, बजरंगदल के लोकल कार्यकर्ता बुद्ध विहार सूर्यकुंड में घुस आए। उन्होंने तोड़फोड़ मचाई। जिसे वो शिवलिंग बता रहे हैं, वो सूखा हुआ सीमेंट है जो एक पत्थर जैसा बन चुका है। ये प्राचीन सूर्यकुंड है, जहां भगवान बुद्ध ने पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर अनुयायियों को उपदेश दिए थे। बजरंगदल के जिला संयोजक उज्जवल गुप्ता ने कहा, ये भगवान राम का वनवास केंद्र है। वहां यज्ञशालाएं हैं। वहां वेद पढ़े जाते थे। कुछ आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों ने अब इस जगह पर कब्जा कर लिया है। 54 बीघा जमीन पर है सूर्यकुंड, पांच प्राचीन स्तूप भी मौजूद
हम सबसे पहले उसी विवादित स्थल पर पहुंचे। बदायूं जिला मुख्यालय से करीब 4 किलोमीटर दूर दातागंज रोड पर गांव मझिया है। इसी गांव के एक छोर पर सम्राट अशोक बुद्ध पर्यटन स्थल है, जिसे सूर्यकुंड भी कहा जाता है। यह करीब 54 बीघा जमीन पर बना है। चारों तरफ बाउंड्री है। इसके अंदर पानी का बड़ा कुंड (सरोवर) है। 5 बेहद प्राचीन स्तूप बने हुए हैं, जो बुद्ध के समय के बताए जाते हैं। यहां एक पीपल का छोटा पेड़ भी है। लोग ऐसा कहते हैं कि पहले इस जगह पर विशाल पेड़ हुआ करता था। उसी के नीचे बुद्ध उपदेश दिया करते थे। बाद में वह पेड़ गिर गया। इस कैंपस में भगवान बुद्ध सहित डॉ. भीमराव अंबेडकर सहित कई मूर्तियां भी लगी हैं। बुद्ध को मानने वाले लोग और भंते इस जगह पर भ्रमण करने आते रहते हैं। इस कैंपस में पीपल का जो मौजूदा पेड़ है, उसके नीचे दो पत्थर जैसी वस्तुएं रखी हुई हैं। पास में ही एक गड्ढा खुदा हुआ है। हिंदू संगठन आरोप लगा रहे हैं कि पत्थर जैसी वस्तु शिवलिंग है, जिसे इस गड्ढे के नीचे दबा दिया गया था। विवाद के चलते कैंपस में PAC का एक ट्रक खड़ा है। 20 से ज्यादा PAC जवान मुस्तैद हैं। ये जवान इस पर नजर रखते हैं कि कैंपस में कोई विवाद न होने पाए। भंते बोले- 415 ईस्वी में यहां आए थे बुद्ध, पेड़ के नीचे दिए थे उपदेश
यहां पर हमें बौद्ध भिक्षु (भंते) विकास दीप मिले। उन्होंने बताया- DM ने साल 2016 में इस जगह को सम्राट अशोक बुद्ध पर्यटन स्थल घोषित किया था। उस वक्त यूपी में अखिलेश यादव की सरकार थी। उन्होंने इस जगह की बाउंड्री कराई और सौंदर्यीकरण के कई काम कराए। इस कैंपस में 84 मठ बने हैं। उनमें कुछ जीर्ण-शीर्ण हो गए हैं, कुछ बाकी हैं। भगवान बुद्ध ने मझयम निकाय का उपदेश दिया था, इसलिए इस गांव का नाम मझिया पड़ा। इसके बगल में एक गांव है बुद्धाई। ये गांव इस बात का प्रतीक है कि बुद्ध यहां आए थे। जहां पर बुद्ध ने वर्षावास किया, उस समय बदायूं का नाम राजा गढ़ हुआ करता था। उस समय गढ़ का जिलाधिकारी भी बुद्ध नाम से यादव वंश का होता था। इसलिए इसको बुद्ध की संपत्ति कहते हैं। ‘RSS वाले जिसे शिवलिंग बता रहे, वो सूखा हुआ सीमेंट है’
भंते विकास दीप बताते हैं- यहां पर कुल 4 भिक्षु रह रहे थे। आरएसएस, बजरंगदल के लोगों ने 7 दिसंबर, 2024 को आकर हमला कर दिया। वो कह रहे थे कि यहां शंकरजी (शिवलिंग) निकले हैं, नंदी जी निकले हैं। जबकि यहां कुछ था ही नहीं। उन्होंने इस जगह पर अपना वर्चस्व बनाना चाहा। वो अपने साथ एक दरोगा लेकर आए थे। यहां उन्होंने सभी भिक्षुओं को बंदी बना लिया। अंदर जो बुद्ध की मूर्ति रखी थी, उस पर प्रहार किए। सारे कागजात फाड़ दिए। भगवान बुद्ध ने यहां आकर वर्षावास किया था। विकास दीप बताते हैं- हम वैसे भी किसी को पूजा के लिए नहीं रोकते। लेकिन यहां कोई शिवलिंग नहीं है। हिंदू संगठन जिसे शिवलिंग बता रहे हैं, वो सूखा हुआ सीमेंट है, जो बोरी में रखे-रखे सूख जाता है। फिर पत्थर जैसा बन जाता है। ये जगह भगवान बुद्ध का उपदेश स्थल है। यहां पर हमें कई और लोग मिले, जो अलग-अलग गांव-शहरों से आए थे। उनमें इस बात को लेकर रोष था कि मंदिर-मस्जिद की तरह हिंदू संगठन इस जगह पर भी कब्जा करने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं, बजरंगदल का कहना है- राम रामलीला मंचन में वनवास यहीं पर बिताते हैं। बौद्ध भिक्षुओं के दावे के उलट बजरंगदल के जिला संयोजक उज्जवल गुप्ता कहते हैं- दातागंज रोड पर सूर्यकुंड है, जो भगवान राम का वनवास केंद्र है। जब बदायूं में रामलीला होती है, तो मंचन के दौरान एक दृश्य वनवास का भी आता है। भगवान राम अपना वनवास इसी सूर्यकुंड पर जाकर बिताते हैं। ये अब से नहीं, 70-80 साल से होता चला आया है। वहां पर यज्ञशालाएं हैं, वेद भी पढ़े जाते थे। वहां पर एक तालाब है, जिसे सूरजकुंड कहते हैं। उज्जवल गुप्ता कहते हैं- वहां पर एक तालाब है, जिसे सूरजकुंड कहते हैं। अब कुछ आपराधिक प्रवृत्ति के भंते लोग, जो खुद को बौद्धिस्ट कहते हैं, उन्होंने उसको बुद्ध विहार बना लिया। धीरे-धीरे पूरी जगह कब्जा कर ली। गांववालों को डरा दिया। वो चरस, गांजा भी पीते हैं। शिवलिंग और मूर्तियों को चबूतरे के नीचे दबाया
उज्जवल गुप्ता ने बताया- बौद्धिस्ट लोगों ने बड़े-बड़े शिवलिंग, नंदी महाराज को एक चबूतरे की सीढ़ियों के 4-5 फीट नीचे दबा दिया था। वहां के हमारे संगठन के कार्यकर्ताओं को इस बात की जानकारी हुई। इसके बाद हमारी पूरी टीम वहां गई। खुदाई कराई तो शिवलिंग, नंदी महाराज और हनुमान जी की मूर्तियां निकलीं। दिल्ली तक पहुंचा मामला, सपा सांसदों ने ज्ञापन सौंपा
इस पूरे प्रकरण को लेकर 20 दिसंबर को यूपी के 4 सांसदों धर्मेंद्र यादव, आदित्य यादव, नीरज मौर्य और देवेश शाक्य ने दिल्ली में संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू से मुलाकात की। बदायूं के सांसद आदित्य यादव ने उन्हें बताया- इस जगह की स्थापना 11वीं शताब्दी में राजा महिपाल ने की थी। दस्तावेजों में इसका प्रूफ भी है। इसी स्थल पर भगवान बुद्ध ने पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर उपदेश दिए थे। यहां प्राचीन काल के कई स्तूप भी बने हैं। 7 दिसंबर को कुछ असामाजिक तत्वों ने बुद्ध विहार पहुंचकर भंते लोगों से अभद्र व्यवहार किया। अफवाह फैलाई कि वहां पर शिवलिंग निकला है। उनका आरोप है कि इलाके के सब-इंस्पेक्टर ने भी असामाजिक तत्वों का साथ दिया। सांसद ने मंत्री से मांग की है कि वहां से हटाए गए बौद्ध भिक्षुओं को फिर बुद्ध विहार में भेजा जाए और आरोपी सब-इंस्पेक्टर को सस्पेंड किया जाए। भाजपा ने किया डैमेज कंट्रोल
इस प्रकरण को लेकर जब अलग-अलग जिलों में बौद्ध भिक्षुओं ने प्रदर्शन शुरू किए, तो अफसर बैकफुट पर आ गए। जिन बौद्ध भिक्षुओं को बुद्ध विहार से हटाया गया था, उच्च अफसरों के निर्देश पर 20 दिसंबर को वापस उन्हें बुद्ध विहार में भेज दिया गया। दरअसल, मौर्य बिरादरी के लोग मौजूदा सरकार के खिलाफ जाने लगे थे। हर जिले में प्रदर्शन होने लगे थे। इसके बाद बदायूं के स्थानीय भाजपा पदाधिकारियों ने पूरे प्रकरण की जानकारी शीर्ष नेतृत्व को दी। बताया, डैमेज कंट्रोल नहीं किया गया तो चुनाव में नुकसान हो सकता है। भाजपा पदाधिकारियों ने ये भी बताया कि सपा इस केस में बौद्ध भिक्षुओं का पक्ष रख रही है। इसके बाद 20 दिसंबर को आनन-फानन में बौद्ध भिक्षुओं को वापस बुद्ध विहार में भेजने की कार्रवाई हुई। अब स्थानीय भाजपा विधायक इसका श्रेय ले रहे हैं। ————————- ये खबर भी पढ़ें… संभल में कुएं की खुदाई में सुरंग मिली, पुरानी इमारत में तहखाना होने की संभावना, ASI ने कल्कि मंदिर का सर्वे किया संभल के चंदौसी में शनिवार शाम कुएं की खुदाई के दौरान सुरंग मिली है। 2 जेसीबी लगाकर प्राचीन बाबली कुएं की खुदाई शुरू की गई। इस दौरान जमीन के नीचे प्राचीन इमारत भी निकली। तहखाना होने का भी अनुमान लगाया जा रहा है। इससे पहले भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) की टीम ने सुबह कल्कि मंदिर का सर्वे किया। टीम ने गुंबद की तस्वीरें खींचीं। दीवारों पर नक्काशी के वीडियो बनाए। इसके अलावा, मंदिर परिसर में स्थित कृष्ण कूप यानी कुएं का भी सर्वे किया। पढ़ें पूरी खबर… उत्तर प्रदेश के बदायूं में सम्राट अशोक बुद्ध पर्यटन स्थल को लेकर बौद्धिस्ट और हिंदू संगठनों के बीच विवाद है। करीब 54 बीघा जमीन पर बने इस स्थल को लेकर दोनों पक्ष के अपने-अपने दावे हैं। विवाद की शुरुआत 7 दिसंबर, 2024 से हुई, जब कुछ हिंदू संगठन यहां घुस आए। आरोप है, उन्होंने भगवान बुद्ध की मूर्ति को क्षति पहुंचाई। दीवारों पर लिखे शब्द मिटा दिए। इसके विरोध में यूपी के कई जिलों में बौद्धिस्ट ने प्रदर्शन किया। मामला दिल्ली तक पहुंच गया। समाजवादी पार्टी के 4 सांसदों ने केंद्रीय मंत्री को ज्ञापन देकर वहां से हटाए गए भंते (बौद्ध भिक्षु) को फिर वहीं भेजने की मांग की। दैनिक भास्कर ने ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर पिछले दो हफ्ते से चल रहे इस विवाद को गहराई से समझा। सबसे पहले दो बयान पढ़िए- विकास दीप (बौद्ध भिक्षु) ने कहा, बजरंगदल के लोकल कार्यकर्ता बुद्ध विहार सूर्यकुंड में घुस आए। उन्होंने तोड़फोड़ मचाई। जिसे वो शिवलिंग बता रहे हैं, वो सूखा हुआ सीमेंट है जो एक पत्थर जैसा बन चुका है। ये प्राचीन सूर्यकुंड है, जहां भगवान बुद्ध ने पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर अनुयायियों को उपदेश दिए थे। बजरंगदल के जिला संयोजक उज्जवल गुप्ता ने कहा, ये भगवान राम का वनवास केंद्र है। वहां यज्ञशालाएं हैं। वहां वेद पढ़े जाते थे। कुछ आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों ने अब इस जगह पर कब्जा कर लिया है। 54 बीघा जमीन पर है सूर्यकुंड, पांच प्राचीन स्तूप भी मौजूद
हम सबसे पहले उसी विवादित स्थल पर पहुंचे। बदायूं जिला मुख्यालय से करीब 4 किलोमीटर दूर दातागंज रोड पर गांव मझिया है। इसी गांव के एक छोर पर सम्राट अशोक बुद्ध पर्यटन स्थल है, जिसे सूर्यकुंड भी कहा जाता है। यह करीब 54 बीघा जमीन पर बना है। चारों तरफ बाउंड्री है। इसके अंदर पानी का बड़ा कुंड (सरोवर) है। 5 बेहद प्राचीन स्तूप बने हुए हैं, जो बुद्ध के समय के बताए जाते हैं। यहां एक पीपल का छोटा पेड़ भी है। लोग ऐसा कहते हैं कि पहले इस जगह पर विशाल पेड़ हुआ करता था। उसी के नीचे बुद्ध उपदेश दिया करते थे। बाद में वह पेड़ गिर गया। इस कैंपस में भगवान बुद्ध सहित डॉ. भीमराव अंबेडकर सहित कई मूर्तियां भी लगी हैं। बुद्ध को मानने वाले लोग और भंते इस जगह पर भ्रमण करने आते रहते हैं। इस कैंपस में पीपल का जो मौजूदा पेड़ है, उसके नीचे दो पत्थर जैसी वस्तुएं रखी हुई हैं। पास में ही एक गड्ढा खुदा हुआ है। हिंदू संगठन आरोप लगा रहे हैं कि पत्थर जैसी वस्तु शिवलिंग है, जिसे इस गड्ढे के नीचे दबा दिया गया था। विवाद के चलते कैंपस में PAC का एक ट्रक खड़ा है। 20 से ज्यादा PAC जवान मुस्तैद हैं। ये जवान इस पर नजर रखते हैं कि कैंपस में कोई विवाद न होने पाए। भंते बोले- 415 ईस्वी में यहां आए थे बुद्ध, पेड़ के नीचे दिए थे उपदेश
यहां पर हमें बौद्ध भिक्षु (भंते) विकास दीप मिले। उन्होंने बताया- DM ने साल 2016 में इस जगह को सम्राट अशोक बुद्ध पर्यटन स्थल घोषित किया था। उस वक्त यूपी में अखिलेश यादव की सरकार थी। उन्होंने इस जगह की बाउंड्री कराई और सौंदर्यीकरण के कई काम कराए। इस कैंपस में 84 मठ बने हैं। उनमें कुछ जीर्ण-शीर्ण हो गए हैं, कुछ बाकी हैं। भगवान बुद्ध ने मझयम निकाय का उपदेश दिया था, इसलिए इस गांव का नाम मझिया पड़ा। इसके बगल में एक गांव है बुद्धाई। ये गांव इस बात का प्रतीक है कि बुद्ध यहां आए थे। जहां पर बुद्ध ने वर्षावास किया, उस समय बदायूं का नाम राजा गढ़ हुआ करता था। उस समय गढ़ का जिलाधिकारी भी बुद्ध नाम से यादव वंश का होता था। इसलिए इसको बुद्ध की संपत्ति कहते हैं। ‘RSS वाले जिसे शिवलिंग बता रहे, वो सूखा हुआ सीमेंट है’
भंते विकास दीप बताते हैं- यहां पर कुल 4 भिक्षु रह रहे थे। आरएसएस, बजरंगदल के लोगों ने 7 दिसंबर, 2024 को आकर हमला कर दिया। वो कह रहे थे कि यहां शंकरजी (शिवलिंग) निकले हैं, नंदी जी निकले हैं। जबकि यहां कुछ था ही नहीं। उन्होंने इस जगह पर अपना वर्चस्व बनाना चाहा। वो अपने साथ एक दरोगा लेकर आए थे। यहां उन्होंने सभी भिक्षुओं को बंदी बना लिया। अंदर जो बुद्ध की मूर्ति रखी थी, उस पर प्रहार किए। सारे कागजात फाड़ दिए। भगवान बुद्ध ने यहां आकर वर्षावास किया था। विकास दीप बताते हैं- हम वैसे भी किसी को पूजा के लिए नहीं रोकते। लेकिन यहां कोई शिवलिंग नहीं है। हिंदू संगठन जिसे शिवलिंग बता रहे हैं, वो सूखा हुआ सीमेंट है, जो बोरी में रखे-रखे सूख जाता है। फिर पत्थर जैसा बन जाता है। ये जगह भगवान बुद्ध का उपदेश स्थल है। यहां पर हमें कई और लोग मिले, जो अलग-अलग गांव-शहरों से आए थे। उनमें इस बात को लेकर रोष था कि मंदिर-मस्जिद की तरह हिंदू संगठन इस जगह पर भी कब्जा करने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं, बजरंगदल का कहना है- राम रामलीला मंचन में वनवास यहीं पर बिताते हैं। बौद्ध भिक्षुओं के दावे के उलट बजरंगदल के जिला संयोजक उज्जवल गुप्ता कहते हैं- दातागंज रोड पर सूर्यकुंड है, जो भगवान राम का वनवास केंद्र है। जब बदायूं में रामलीला होती है, तो मंचन के दौरान एक दृश्य वनवास का भी आता है। भगवान राम अपना वनवास इसी सूर्यकुंड पर जाकर बिताते हैं। ये अब से नहीं, 70-80 साल से होता चला आया है। वहां पर यज्ञशालाएं हैं, वेद भी पढ़े जाते थे। वहां पर एक तालाब है, जिसे सूरजकुंड कहते हैं। उज्जवल गुप्ता कहते हैं- वहां पर एक तालाब है, जिसे सूरजकुंड कहते हैं। अब कुछ आपराधिक प्रवृत्ति के भंते लोग, जो खुद को बौद्धिस्ट कहते हैं, उन्होंने उसको बुद्ध विहार बना लिया। धीरे-धीरे पूरी जगह कब्जा कर ली। गांववालों को डरा दिया। वो चरस, गांजा भी पीते हैं। शिवलिंग और मूर्तियों को चबूतरे के नीचे दबाया
उज्जवल गुप्ता ने बताया- बौद्धिस्ट लोगों ने बड़े-बड़े शिवलिंग, नंदी महाराज को एक चबूतरे की सीढ़ियों के 4-5 फीट नीचे दबा दिया था। वहां के हमारे संगठन के कार्यकर्ताओं को इस बात की जानकारी हुई। इसके बाद हमारी पूरी टीम वहां गई। खुदाई कराई तो शिवलिंग, नंदी महाराज और हनुमान जी की मूर्तियां निकलीं। दिल्ली तक पहुंचा मामला, सपा सांसदों ने ज्ञापन सौंपा
इस पूरे प्रकरण को लेकर 20 दिसंबर को यूपी के 4 सांसदों धर्मेंद्र यादव, आदित्य यादव, नीरज मौर्य और देवेश शाक्य ने दिल्ली में संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू से मुलाकात की। बदायूं के सांसद आदित्य यादव ने उन्हें बताया- इस जगह की स्थापना 11वीं शताब्दी में राजा महिपाल ने की थी। दस्तावेजों में इसका प्रूफ भी है। इसी स्थल पर भगवान बुद्ध ने पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर उपदेश दिए थे। यहां प्राचीन काल के कई स्तूप भी बने हैं। 7 दिसंबर को कुछ असामाजिक तत्वों ने बुद्ध विहार पहुंचकर भंते लोगों से अभद्र व्यवहार किया। अफवाह फैलाई कि वहां पर शिवलिंग निकला है। उनका आरोप है कि इलाके के सब-इंस्पेक्टर ने भी असामाजिक तत्वों का साथ दिया। सांसद ने मंत्री से मांग की है कि वहां से हटाए गए बौद्ध भिक्षुओं को फिर बुद्ध विहार में भेजा जाए और आरोपी सब-इंस्पेक्टर को सस्पेंड किया जाए। भाजपा ने किया डैमेज कंट्रोल
इस प्रकरण को लेकर जब अलग-अलग जिलों में बौद्ध भिक्षुओं ने प्रदर्शन शुरू किए, तो अफसर बैकफुट पर आ गए। जिन बौद्ध भिक्षुओं को बुद्ध विहार से हटाया गया था, उच्च अफसरों के निर्देश पर 20 दिसंबर को वापस उन्हें बुद्ध विहार में भेज दिया गया। दरअसल, मौर्य बिरादरी के लोग मौजूदा सरकार के खिलाफ जाने लगे थे। हर जिले में प्रदर्शन होने लगे थे। इसके बाद बदायूं के स्थानीय भाजपा पदाधिकारियों ने पूरे प्रकरण की जानकारी शीर्ष नेतृत्व को दी। बताया, डैमेज कंट्रोल नहीं किया गया तो चुनाव में नुकसान हो सकता है। भाजपा पदाधिकारियों ने ये भी बताया कि सपा इस केस में बौद्ध भिक्षुओं का पक्ष रख रही है। इसके बाद 20 दिसंबर को आनन-फानन में बौद्ध भिक्षुओं को वापस बुद्ध विहार में भेजने की कार्रवाई हुई। अब स्थानीय भाजपा विधायक इसका श्रेय ले रहे हैं। ————————- ये खबर भी पढ़ें… संभल में कुएं की खुदाई में सुरंग मिली, पुरानी इमारत में तहखाना होने की संभावना, ASI ने कल्कि मंदिर का सर्वे किया संभल के चंदौसी में शनिवार शाम कुएं की खुदाई के दौरान सुरंग मिली है। 2 जेसीबी लगाकर प्राचीन बाबली कुएं की खुदाई शुरू की गई। इस दौरान जमीन के नीचे प्राचीन इमारत भी निकली। तहखाना होने का भी अनुमान लगाया जा रहा है। इससे पहले भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) की टीम ने सुबह कल्कि मंदिर का सर्वे किया। टीम ने गुंबद की तस्वीरें खींचीं। दीवारों पर नक्काशी के वीडियो बनाए। इसके अलावा, मंदिर परिसर में स्थित कृष्ण कूप यानी कुएं का भी सर्वे किया। पढ़ें पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर