जेंडर चेंज कराकर पहले पुरुष, फिर पिता बनी:क्या संभव है जैविक पिता बनना; फिर शाहजहांपुर के शरद की पत्नी कैसे मां बनीं? शाहजहांपुर के शरद सिंह की 2 साल पहले तक पहचान सरिता सिंह के रूप में थी। उन्होंने जेंडर चेंज कराया। सर्जरी के बाद महिला से पुरुष बन गए। अब उनकी पत्नी सविता ने बच्चे को जन्म दिया है। चर्चा हो रही है कि जेंडर चेंज के बाद क्या कोई जैविक पिता बन सकता है? सेक्स रि-असाइनमेंट सर्जरी क्या है? क्यों पुरुष जेंडर चेंज कराते हैं? क्या प्रोसेस है? खर्च कितना आता है? भास्कर एक्सप्लेनर में पढ़िए- सवाल 1- शाहजहांपुर की सरिता के शरद बनने की कहानी क्या है? जवाब- शाहजहांपुर के नवादा दारोबस्त गांव की रहने वाली सरिता (अब शरद) का कमर के नीचे का हिस्सा बचपन से ही पोलियोग्रस्त है। उसे लड़कों की तरह कपड़े पहनना, लड़कों के साथ रहना पसंद था। भाई-बहन भी उसके साथ भाइयों की तरह ही व्यवहार करते थे। सरकारी शिक्षक शरद का कहना है कि 15-16 साल की उम्र में उनकी आवाज थोड़ी भारी हो गई। उसके बाद लगने लगा कि वह अपने शरीर में कंफर्टेबल (सहज) नहीं हैं। पढ़ाई के दौरान लखनऊ में रहना हुआ। वहां सविता जैसी दोस्त मिली। लखनऊ में ही समझ आया कि सर्जरी से सब कुछ संभव है। बीएड करने के बाद साल 2020 में सरिता ने शिक्षक पात्रता परीक्षा पास की। इसके बाद 2022 में एक्सपर्ट डॉक्टरों से लिंग परिवर्तन कराने को लेकर राय ली। फिर सेक्स चेंज कराने का फैसला किया। शरद ने बताया- भाई लोग पढ़े लिखे हैं, इसलिए तुरंत मान गए। लेकिन, मां को मनाने में थोड़ा वक्त लगा। मां की हां के बाद साल 2021-2022 में काउंसलिंग आदि की प्रक्रिया शुरू कराई गई। लखनऊ में हार्मोन थेरेपी करवाई, जिससे चेहरे पर दाढ़ी आ गई। आवाज भी ज्यादा भारी हो गई। 2023 में इंदौर में सेक्स रि-असाइनमेंट सर्जरी कराई। इसके बाद कानूनी मान्यता के लिए डीएम कार्यालय में आवेदन किया। वहां से पुरुष होने का सर्टिफिकेट हासिल किया। 2023 में ही मैंने अपनी बचपन की दोस्त सविता सिंह से शादी कर ली। अब कुछ दिन पहले ही पिता बना हूं। सवाल 2- सेक्स रि-असाइनमेंट सर्जरी क्या होती है? जवाब- दुनिया में तो यह सर्जरी 1930 में ही शुरू हो गई थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पहली बार जर्मनी में एक शख्स ने सेक्स रि-असाइनमेंट सर्जरी करवाई थी। तब से लेकर अब तक इसके ट्रीटमेंट में काफी बदलाव आ चुका है। नई टेक्नोलॉजी में तो खर्च भी कम हो चुका है। मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. आशुतोष सिंह के मुताबिक, जिन लोगों को जेंडर आइडेंटिटी डिसऑर्डर या जेंडर डिस्फोरिया होता है, उनका ही लिंग परिवर्तन किया जाता है। मनोरोग विशेषज्ञ की अनुमति के बिना कोई भी सर्जन किसी का लिंग परिवर्तन नहीं करता। सवाल 3- यह सर्जरी कौन करा सकता है? जवाब- जेंडर डिस्फोरिया होने पर एक लड़का, लड़की की तरह और एक लड़की, लड़के की तरह जीना चाहती है। यानी वे अपोजिट सेक्स में खुद को ज्यादा सहज पाते हैं। कई पुरुषों में बचपन से ही महिलाओं जैसी और कई महिलाओं में पुरुषों जैसी आदतें होती हैं। ये लक्षण 10-12 साल से दिखना शुरू हो जाते हैं। जैसे कोई पुरुष है, तो वह महिलाओं जैसे कपड़े पहनना पसंद करने लगेगा। महिलाओं की तरह चलने की कोशिश करेगा। उन्हीं की तरह इशारे करेगा। ऐसा ही महिलाओं के साथ होता है, जिसमें वे पुरुष की तरह जीना चाहती हैं। ऐसी स्थिति में इन लोगों को सेक्स चेंज करना होता है। जिन लोगों को जेंडर डिस्फोरिया होता है, उनका बाकायदा डिटेल असेसमेंट किया जाता है। यह पता लगाया जाता है कि इसे वाकई जेंडर डिस्फोरिया है या नहीं। यह काम मनोरोग विशेषज्ञ करते हैं। 18 साल की उम्र के बाद ही यह असेसमेंट किया जाता है। क्योंकि, इसके कम उम्र के शख्स को मानसिक तौर पर तैयार नहीं माना जाता। बालिग होने के बाद भी कोई ऐसे लक्षण, आदतें दिखाए तो फिर मनोरोग विशेषज्ञ डिटेल असेसमेंट करते हैं। सवाल 4- इस सर्जरी का प्रोसेस क्या है? खर्च कितना आता है? जवाब- ऐसी सर्जरी करने वाले अपोलो अस्पताल, इंदौर के डॉ. अश्विनी दास से हमने बात की। वह बताते हैं- पुरुष से महिला बनने के लिए करीब 18 और महिला से पुरुष बनने के लिए करीब 33 चरणों से गुजरना पड़ता है। इसमें संबंधित व्यक्ति के लिंग के साथ ही उसके चेहरे, बाल, नाखून, हाव-भाव, हार्मोंस, कान का शेप तक बदल दिया जाता है। हालांकि यह प्रोसेस काफी खर्चीला है। 10 से 15 लाख रुपए खर्च होते हैं। इसलिए ज्यादातर लोग इन सभी को करवाने की बजाय इनमें से प्रमुख चरणों को करवा लेते हैं, जिसमें दो से ढाई लाख का खर्च आता है। महिला से पुरुष बनने के मुकाबले पुरुष से महिला बनना आसान होता है। अगर कोई पुरुष से महिला बनता है, तो उसके शरीर के भागों से ही सर्जरी के जरिए महिलाओं के अंग बना दिए जाते हैं। इन्हें बनाने में करीब 4 घंटे का समय लगता है। वहीं ब्रेस्ट के लिए अलग से दो घंटे का ऑपरेशन होता है। ये दोनों ऑपरेशन 3 से 4 महीने के अंतराल में किए जाते हैं। अगर कोई 18 प्रोसेस फॉलो कर पूरी तरह से खुद में बदलाव चाहता है, तो उसे ढाई से तीन साल देने होते हैं। इसमें खर्च भी बढ़ जाता है। लिंग परिवर्तन में हार्मोन थेरेपी बहुत अहम होती है। इसके तहत ही पुरुष में महिला के और महिला में पुरुष के हार्मोन बॉडी में पहुंचाए जाते हैं। सवाल 5- क्या सर्जरी के बाद पुरुष बना व्यक्ति संतान पैदा कर सकता है? जवाब- अपोलो हॉस्पिटल (इंदौर) के डॉ. अश्विनी दास (प्लास्टिक सर्जन) इस बारे में बड़ा खुलासा करते हैं। वह कहते हैं- लिंग परिवर्तन के बाद कोई पुरुष महिला से शारीरिक संबंध तो बना सकता है, लेकिन जैविक रूप से पिता नहीं बन सकता। क्योंकि, उसकी जैविक क्षमता में बदलाव नहीं होता। हालांकि गर्भाधान के लिए कृत्रिम गर्भाधान (आईवीएफ) या सरोगेसी के जरिए पिता बन सकता है। उनके मुताबिक, इस पूरे प्रोसेस में कुदरती चीजें नहीं होतीं। जैसे ट्रांसवुमन को पीरियड्स नहीं होते। वह मां नहीं बन सकतीं। ऐसे ही ट्रांसमैन में स्पर्म नहीं बनते। वह पिता नहीं बन सकते। शरद के मामले में भी ऐसा ही है। सवाल 5- क्या सेक्स रि-असाइनमेंट सर्जरी कराने में जान जाने का भी खतरा है? जवाब- नहीं, ऐसा नहीं है। इस सर्जरी में जान जाने का कोई जोखिम नहीं। लेकिन फिर भी मनोचिकित्सक से क्लीयरेंस के बाद डॉक्टर ब्लड प्रेशर, वजन, हीमोग्लोबिन, फैमिली में शुगर, बीपी, कैंसर, लिवर जैसी बीमारियों की हिस्ट्री पूछते हैं। सर्जरी से पहले कुछ टेस्ट करवाए जाते हैं- जैसे लिवर फंक्शनिंग टेस्ट, किडनी फंक्शन टेस्ट, थायराइड टेस्ट, ब्लड शुगर टेस्ट। इनकी रिपोर्ट नॉर्मल आने पर सर्जरी की जाती है। अगर सेक्स चेंज ऑपरेशन के दौरान डॉक्टर की लापरवाही से किसी की मौत हो जाती है, तो संबंधित धारा में केस दर्ज होता है। इस मामले में यह देखा जाता है कि किस तरह की सर्जरी की जा रही थी? इसे कौन कर रहा था? क्या इसमें लापरवाही बरती गई? सवाल 6- जेंडर बदलने को लेकर देश में क्या कानून है? जवाब- जेंडर चेंज के लिए देश में किसी तरह की कोई कानूनी बाध्यता नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ वकील के मुताबिक, सेक्स चेंज कराना ‘राइट ऑफ चॉइस’ के अंतर्गत आता है। सेक्स में बदलाव की आजादी जस्टिस केएस पुट्टास्वामी वर्सेज यूनियन ऑफ इंडिया में 11 जजों की खंडपीठ में दी गई है। इस अधिकार को ‘राइट ऑफ डिग्निटी’ माना गया। यह अधिकार हर व्यक्ति को सम्मान के साथ जिंदगी जीने का अधिकार देता है। हां, अगर कोई व्यक्ति लिंग परिवर्तन करवाना चाहता है तो उससे कानूनी लिखा-पढ़ी जरूर करवाई जाती है। उसे सहमति पत्र (एफिडेविट) देना होता है कि वह लिंग परिवर्तन करवाना चाहता है। सर्जरी से पहले व्यक्ति के परिवार की सहमति भी जरूरी होती है। मनोरोग विशेषज्ञ की अप्रूवल भी लगती है। इससे यह पता चल चलता है कि उसे वाकई जेंडर डिस्फोरिया है और वह अपने मौजूदा लिंग के साथ सहज नहीं है। इसके बाद वह सर्जरी करा सकता है। ———————– ये खबर भी पढ़ें मुस्कान की प्रेग्नेंसी रिपोर्ट पॉजिटिव, अब आगे क्या, बच्चा किसका, किसके साथ रहेगा; प्रेग्नेंसी के बाद क्या हैं अधिकार मेरठ में पति सौरभ के टुकड़े करके ड्रम में सीमेंट से जमाने की आरोपी मुस्कान की प्रेग्नेंसी रिपोर्ट पॉजिटिव है। कानून के जानकारों का कहना है कि अगर मुस्कान प्रेग्नेंट है, तो उसे प्रेग्नेंट महिला कैदियों को मिलने वाले सारे लाभ मिलेंगे। लेकिन जहां तक जमानत की बात है, उसके लिए आसान नहीं होगी। पढ़ें पूरी खबर