बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू, आज आदि केदारेश्वर भगवान को अन्नकूट भोग अर्पित

बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू, आज आदि केदारेश्वर भगवान को अन्नकूट भोग अर्पित

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<p style=”text-align: justify;”><strong>Badrinath Dham:&nbsp;</strong>उत्तराखंड के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक बद्रीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद होने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. इस क्रम में आज धार्मिक रीति-रिवाजों और वेद मंत्रोच्चारण के बीच भगवान आदि केदारेश्वर को अन्नकूट भोग अर्पित किया गया. इस विशेष पूजा-अर्चना में मुख्य पुजारी रावल अमरनाथ नंबूदरी द्वारा आदि केदारेश्वर भगवान को पके चावल का भोग लगाया गया, जो इस प्रक्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा है. इस दौरान भगवान की विशेष पूजा की गई और विधिवत गरम चावल का लेपन किया गया.<br /><br />धार्मिक परंपराओं के अनुसार, बद्रीनाथ धाम के कपाट हर वर्ष शीतकाल के आगमन के साथ बंद कर दिए जाते हैं. इस वर्ष 17 नवंबर को रात 9 बजकर 07 मिनट पर बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद कर दिए जाएंगे.कपाट बंद करने की प्रक्रिया की शुरुआत 13 नवंबर से ही पंच पूजाओं के साथ हो गई थी. इन पंच पूजाओं में पहले दिन गणेश पूजा का आयोजन हुआ था और उसी दिन गणेश मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए थे. आज दूसरे दिन आदि केदारेश्वर मंदिर और आदि गुरु शंकराचार्य मंदिर के कपाट भी विधिवत बंद कर दिए गए.<br /><br /><strong>पूजा में विशेष आयोजन</strong><br />पूजा में आदि केदारेश्वर भगवान को अन्नकूट भोग लगाया गया जो शीतकाल के आगमन से पहले की एक प्रमुख धार्मिक प्रक्रिया है. मुख्य पुजारी रावल अमरनाथ नंबूदरी और धर्माधिकारी राधा कृष्ण थपलियाल ने मिलकर भगवान की पूजा-अर्चना संपन्न की. इस अवसर पर वेद मंत्रोच्चारण के बीच भगवान आदि केदारेश्वर और नंदी की मूर्तियों पर गरम चावल का लेपन किया गया. इस पूजा में भाग लेकर श्रद्धालु भी भावविभोर हो उठे जो इस खास पल के साक्षी बने.<br /><br /><strong>मां लक्ष्मी को चढ़ाया जाएगा कढ़ाई भोग</strong> <br />धाम के कपाट बंद करने की प्रक्रिया में 16 नवंबर को मां लक्ष्मी को कढ़ाई भोग चढ़ाया जाएगा. इसके बाद, 17 नवंबर की रात 9 बजकर 7 मिनट पर बद्रीनाथ धाम के मुख्य कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे. इसके बाद भगवान कुबेर,उद्धव, और आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी अगले दिन पांडुकेश्वर के लिए प्रस्थान करेगी. इसके साथ ही 19 नवंबर को आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी नृसिंह मंदिर, ज्योतिर्मठ के लिए रवाना होगी. जहां शीतकालीन पूजाओं का आयोजन होगा. <br /><br /><strong>धार्मिक अनुष्ठानों का विशेष महत्व</strong><br />बद्रीनाथ धाम में कपाट बंद होने की प्रक्रिया हर साल नवंबर महीने में की जाती है और इसे अत्यंत विधिपूर्वक संपन्न किया जाता है. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और इसमें पंच पूजाओं का विशेष महत्व है, जो मंदिर की शीतकालीन सुरक्षा और देवताओं की शीतकालीन यात्रा का प्रतीक हैं. बीकेटीसी के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि सभी अनुष्ठान पूरी धार्मिक श्रद्धा और नियमों का पालन करते हुए संपन्न किए जा रहे हैं. इन पूजाओं में भक्तों और तीर्थयात्रियों की भी विशेष उपस्थिति रहती है जो अपने आराध्य देव के इस अंतिम दर्शन का सौभाग्य प्राप्त करने आते हैं.<br /><br /><strong>बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा में होंगे शामिल</strong><br />कपाट बंद होने के इस अवसर पर भक्तों में एक भावनात्मक जुड़ाव देखने को मिलता है. बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस विशेष पूजा में सम्मिलित होते हैं, क्योंकि यह अवसर उन्हें भगवान के करीब आने और विशेष पूजा-अर्चना का हिस्सा बनने का अनूठा मौका प्रदान करता है. बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद शीतकालीन पूजाएं पांडुकेश्वर और ज्योतिर्मठ में संपन्न की जाएंगी. बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने की यह प्रक्रिया उत्तराखंड के धार्मिक इतिहास और परंपराओं का प्रतीक है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ये भी पढ़ें: <strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/shri-krishna-janmbhoomi-case-petitioner-ashutosh-got-death-threat-from-pakistan-2823497″>श्रीकृष्ण जन्मभूमि केस के पक्षकार आशुतोष को जान से मारने की धमकी, पाकिस्तान से आया फोन</a></strong></p>
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<p style=”text-align: justify;”><strong>Badrinath Dham:&nbsp;</strong>उत्तराखंड के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक बद्रीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद होने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. इस क्रम में आज धार्मिक रीति-रिवाजों और वेद मंत्रोच्चारण के बीच भगवान आदि केदारेश्वर को अन्नकूट भोग अर्पित किया गया. इस विशेष पूजा-अर्चना में मुख्य पुजारी रावल अमरनाथ नंबूदरी द्वारा आदि केदारेश्वर भगवान को पके चावल का भोग लगाया गया, जो इस प्रक्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा है. इस दौरान भगवान की विशेष पूजा की गई और विधिवत गरम चावल का लेपन किया गया.<br /><br />धार्मिक परंपराओं के अनुसार, बद्रीनाथ धाम के कपाट हर वर्ष शीतकाल के आगमन के साथ बंद कर दिए जाते हैं. इस वर्ष 17 नवंबर को रात 9 बजकर 07 मिनट पर बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद कर दिए जाएंगे.कपाट बंद करने की प्रक्रिया की शुरुआत 13 नवंबर से ही पंच पूजाओं के साथ हो गई थी. इन पंच पूजाओं में पहले दिन गणेश पूजा का आयोजन हुआ था और उसी दिन गणेश मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए थे. आज दूसरे दिन आदि केदारेश्वर मंदिर और आदि गुरु शंकराचार्य मंदिर के कपाट भी विधिवत बंद कर दिए गए.<br /><br /><strong>पूजा में विशेष आयोजन</strong><br />पूजा में आदि केदारेश्वर भगवान को अन्नकूट भोग लगाया गया जो शीतकाल के आगमन से पहले की एक प्रमुख धार्मिक प्रक्रिया है. मुख्य पुजारी रावल अमरनाथ नंबूदरी और धर्माधिकारी राधा कृष्ण थपलियाल ने मिलकर भगवान की पूजा-अर्चना संपन्न की. इस अवसर पर वेद मंत्रोच्चारण के बीच भगवान आदि केदारेश्वर और नंदी की मूर्तियों पर गरम चावल का लेपन किया गया. इस पूजा में भाग लेकर श्रद्धालु भी भावविभोर हो उठे जो इस खास पल के साक्षी बने.<br /><br /><strong>मां लक्ष्मी को चढ़ाया जाएगा कढ़ाई भोग</strong> <br />धाम के कपाट बंद करने की प्रक्रिया में 16 नवंबर को मां लक्ष्मी को कढ़ाई भोग चढ़ाया जाएगा. इसके बाद, 17 नवंबर की रात 9 बजकर 7 मिनट पर बद्रीनाथ धाम के मुख्य कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे. इसके बाद भगवान कुबेर,उद्धव, और आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी अगले दिन पांडुकेश्वर के लिए प्रस्थान करेगी. इसके साथ ही 19 नवंबर को आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी नृसिंह मंदिर, ज्योतिर्मठ के लिए रवाना होगी. जहां शीतकालीन पूजाओं का आयोजन होगा. <br /><br /><strong>धार्मिक अनुष्ठानों का विशेष महत्व</strong><br />बद्रीनाथ धाम में कपाट बंद होने की प्रक्रिया हर साल नवंबर महीने में की जाती है और इसे अत्यंत विधिपूर्वक संपन्न किया जाता है. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और इसमें पंच पूजाओं का विशेष महत्व है, जो मंदिर की शीतकालीन सुरक्षा और देवताओं की शीतकालीन यात्रा का प्रतीक हैं. बीकेटीसी के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि सभी अनुष्ठान पूरी धार्मिक श्रद्धा और नियमों का पालन करते हुए संपन्न किए जा रहे हैं. इन पूजाओं में भक्तों और तीर्थयात्रियों की भी विशेष उपस्थिति रहती है जो अपने आराध्य देव के इस अंतिम दर्शन का सौभाग्य प्राप्त करने आते हैं.<br /><br /><strong>बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा में होंगे शामिल</strong><br />कपाट बंद होने के इस अवसर पर भक्तों में एक भावनात्मक जुड़ाव देखने को मिलता है. बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस विशेष पूजा में सम्मिलित होते हैं, क्योंकि यह अवसर उन्हें भगवान के करीब आने और विशेष पूजा-अर्चना का हिस्सा बनने का अनूठा मौका प्रदान करता है. बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद शीतकालीन पूजाएं पांडुकेश्वर और ज्योतिर्मठ में संपन्न की जाएंगी. बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने की यह प्रक्रिया उत्तराखंड के धार्मिक इतिहास और परंपराओं का प्रतीक है.</p>
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