कानपुर के व्यापारी मनीष गुप्ता हत्याकांड में एक नया मोड़ सामने आया है। इस केस में जमानत पर रिहा चल रहे गोरखपुर के पांचों पुलिस वालों की एक बार फिर मुश्किलें बढ़ गई हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में बड़ा फैसला देते हुए पांचों आरोपियों पर चार्ज फ्रेम करने के आदेश दे दिया है। 27 अगस्त को इन पर चार्ज फ्रेम किए जाएंगे। ये प्रक्रिया CBI की राउस एवेन्यू कोर्ट में होगी।मनीष गुप्ता की पत्नी मीनाक्षी गुप्ता के एडवोकेट केके शुक्ला ने बताया कि हाईकोर्ट ने यह फैसला 31 जुलाई को हाई कोर्ट में हुई सुनवाई के बाद सुनाया है। CBI ने की थी जांच
दरअसल, इस हत्याकांड में एक इंस्पेक्टर, तीन सब इंस्पेक्टर, एक मुख्य आरक्षी और एक आरक्षी दोषी पाए गए थे। सभी को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। मामला CBI कोर्ट में ट्रांसफर हुआ। ट्रायल के दौरान CBI ने भी चार्जशीट दाखिल कर दी, जिसके बाद सभी आरोपियों को गोरखपुर जेल से दिल्ली के तिहाड़ जेल भेज दिया गया था। मीनाक्षी गुप्ता ने दिल्ली हाईकोर्ट में दी थी चुनौती
सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट केके शुक्ला के मुताबिक, लेकिन, CBI की चार्जशीट के मुताबिक, केस की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सिर्फ इंस्पेक्टर जेएन सिंह को दोषी माना था, जिसके बाद सभी पांच आरोपियों के खिलाफ लगा हत्या का चार्ज हटा दिया गया था। इन सभी को मारपीट, सबूत मिटाने जैसे मामलों का दोषी बताया गया था। इसके बाद पीड़ित पक्ष ने हाईकोर्ट में सभी आरोपियों पर हत्या का चार्ज फ्रेम करने के लिए एप्लीकेशन दी थी। केके शुक्ला ने बताया, CBI कोर्ट के आदेश को उन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश अमित महाजन की कोर्ट ने इस मामले में 31 जुलाई को महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। हाईकोर्ट ने CBI कोर्ट से कहा है कि वह पांच पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या की धारा हटाए जाने के अपने फैसला की दोबारा समीक्षा करे। हाईकोर्ट को लगता है कि उक्त मामले में अन्य आरोपियों को हत्या के आरोपों से बरी नहीं किया जा सकता है। अब आइए आपको पूरी घटना बताते हैं… 27 सितंबर, 2021 की रात हुई थी मनीष गुप्ता की हत्या
कानपुर के प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता की गोरखपुर के रामगढ़ताल इलाके के होटल कृष्णा पैलेस में 27 सितंबर की रात पुलिस की पिटाई से मौत हो गई थी। परिवार वालों ने पुलिस की पिटाई से मौत का आरोप लगाया था। मनीष गुप्ता की पत्नी मीनाक्षी ने रामगढ़ताल थाने पर तैनात रहे इंस्पेक्टर जगत नारायण, दरोगा अक्षय मिश्र, राहुल दुबे, विजय यादव, कॉन्स्टेबल कमलेश यादव और आरक्षी प्रशांत सहित 6 पुलिसकर्मियों पर हत्या का केस दर्ज कराया है। CBI नहीं साबित कर सकी हत्या
पहले इस मामले की जांच कर रही कानपुर SIT हत्या और गैर-इरादतन हत्या में उलझी हुई थी। इस बीच मृतक के परिवार ने मामले की जांच CBI से कराने की मांग की थी। इसके बाद 2 नवंबर को CBI ने इस मामले में केस दर्ज कर जांच शुरू की। 7 जनवरी, 2022 को टीम ने इस मामले में हत्या की चार्जशीट दाखिल कर दी। इस मामले में हत्या का केस तो 28 सितंबर की रात को ही दर्ज हुआ था। पहली गिरफ्तारी 10 अक्टूबर को इंस्पेक्टर जगत नारायण और सब इंस्पेक्टर अक्षय मिश्रा की हुई थी। ऐसे में CBI के पास चार्जशीट दाखिल करने के लिए 90 दिन यानी कि 10 जनवरी तक का ही वक्त बचा था। तय समय में ही CBI ने मामले की जांच पूरी कर इस केस में चार्जशीट दाखिल कर दी। लेकिन, CBI इस मामले में कोर्ट में सभी पुलिस वालों पर हत्या साबित नहीं कर सकी। शायद यही वजह है कि इंस्पेक्टर जगत नारायण को छोड़कर अन्य सभी पुलिस वालों के खिलाफ हत्या की धारा कोर्ट में हटा दी गई। पहली फरवरी को हाईकोर्ट ने दिया स्टे
वहीं, बीते एक फरवरी को इस मामले में एक नया मोड़ सामने आया। 5 पुलिस वालों पर CBI के स्पेशल कोर्ट से हत्या का आरोप हटने और उनके जमानत पर रिहा होने के बाद इस मामले में हाईकोर्ट ने स्टे दे दिया। जिसके बाद इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में होने लगी। 10 जनवरी को जेल से रिहा हुए 5 पुलिस वाले
दरअसल, इस मामले में CBI कोर्ट में हत्या के मुकदमे में सिर्फ इंस्पेक्टर जेएन सिंह पर हत्या का आरोप तय होने के बाद 10 जनवरी 2023 को 5 पुलिसकर्मी तिहाड़ जेल से जमानत रिहा हो गए। क्योंकि, इन पांचों के खिलाफ सिर्फ मारपीट और धमकी देने की धाराओं में आरोप तय हुआ है। वहीं, इंस्पेक्टर जेएन सिंह अभी तिहाड़ जेल में ही बंद हैं। अब पॉइंट्स में समझें कब क्या हुआ? रोउज एवेन्यू कोर्ट में दोबारा से होगी सुनवाई
दरअसल, इस मामले में CBI कोर्ट ने 6 आरोपियों में से पांच पुलिस कर्मियों के खिलाफ हत्या की धारा हटा ली थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने CBI कोर्ट को आदेश दिया है कि वह अपने आदेश की दोबारा समीक्षा करे। हाईकोर्ट का मानना है कि पुलिस कर्मियों के खिलाफ हत्या की धारा हटाना सही नहीं है। मनीष गुप्ता पक्ष के एडवोकेट केके शुक्ला ने बताया कि 31 जुलाई को हाई कोर्ट से आदेश जारी किया गया कि एक्यूस्ड नंबर वन यानी इंस्पेक्टर जगत नारायण को छोड़कर जिन पुलिस कर्मियों पर हत्या का चार्ज हटाया गया है, उन पर चार्ज फ्रेम किया जाए। 27 अगस्त को CBI की रोउज एवेन्यू कोर्ट में सब-इंस्पेक्टर राहुल दुबे, सब इंस्पेक्टर विजय यादव, सब इंस्पेक्टर अक्षय मिश्रा, मुख्य आरक्षी कमलेश यादव, आरक्षी प्रशांत के खिलाफ हत्या का चार्ज रिफ्रेम किया जाएगा। कानपुर के व्यापारी मनीष गुप्ता हत्याकांड में एक नया मोड़ सामने आया है। इस केस में जमानत पर रिहा चल रहे गोरखपुर के पांचों पुलिस वालों की एक बार फिर मुश्किलें बढ़ गई हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में बड़ा फैसला देते हुए पांचों आरोपियों पर चार्ज फ्रेम करने के आदेश दे दिया है। 27 अगस्त को इन पर चार्ज फ्रेम किए जाएंगे। ये प्रक्रिया CBI की राउस एवेन्यू कोर्ट में होगी।मनीष गुप्ता की पत्नी मीनाक्षी गुप्ता के एडवोकेट केके शुक्ला ने बताया कि हाईकोर्ट ने यह फैसला 31 जुलाई को हाई कोर्ट में हुई सुनवाई के बाद सुनाया है। CBI ने की थी जांच
दरअसल, इस हत्याकांड में एक इंस्पेक्टर, तीन सब इंस्पेक्टर, एक मुख्य आरक्षी और एक आरक्षी दोषी पाए गए थे। सभी को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। मामला CBI कोर्ट में ट्रांसफर हुआ। ट्रायल के दौरान CBI ने भी चार्जशीट दाखिल कर दी, जिसके बाद सभी आरोपियों को गोरखपुर जेल से दिल्ली के तिहाड़ जेल भेज दिया गया था। मीनाक्षी गुप्ता ने दिल्ली हाईकोर्ट में दी थी चुनौती
सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट केके शुक्ला के मुताबिक, लेकिन, CBI की चार्जशीट के मुताबिक, केस की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सिर्फ इंस्पेक्टर जेएन सिंह को दोषी माना था, जिसके बाद सभी पांच आरोपियों के खिलाफ लगा हत्या का चार्ज हटा दिया गया था। इन सभी को मारपीट, सबूत मिटाने जैसे मामलों का दोषी बताया गया था। इसके बाद पीड़ित पक्ष ने हाईकोर्ट में सभी आरोपियों पर हत्या का चार्ज फ्रेम करने के लिए एप्लीकेशन दी थी। केके शुक्ला ने बताया, CBI कोर्ट के आदेश को उन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश अमित महाजन की कोर्ट ने इस मामले में 31 जुलाई को महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। हाईकोर्ट ने CBI कोर्ट से कहा है कि वह पांच पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या की धारा हटाए जाने के अपने फैसला की दोबारा समीक्षा करे। हाईकोर्ट को लगता है कि उक्त मामले में अन्य आरोपियों को हत्या के आरोपों से बरी नहीं किया जा सकता है। अब आइए आपको पूरी घटना बताते हैं… 27 सितंबर, 2021 की रात हुई थी मनीष गुप्ता की हत्या
कानपुर के प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता की गोरखपुर के रामगढ़ताल इलाके के होटल कृष्णा पैलेस में 27 सितंबर की रात पुलिस की पिटाई से मौत हो गई थी। परिवार वालों ने पुलिस की पिटाई से मौत का आरोप लगाया था। मनीष गुप्ता की पत्नी मीनाक्षी ने रामगढ़ताल थाने पर तैनात रहे इंस्पेक्टर जगत नारायण, दरोगा अक्षय मिश्र, राहुल दुबे, विजय यादव, कॉन्स्टेबल कमलेश यादव और आरक्षी प्रशांत सहित 6 पुलिसकर्मियों पर हत्या का केस दर्ज कराया है। CBI नहीं साबित कर सकी हत्या
पहले इस मामले की जांच कर रही कानपुर SIT हत्या और गैर-इरादतन हत्या में उलझी हुई थी। इस बीच मृतक के परिवार ने मामले की जांच CBI से कराने की मांग की थी। इसके बाद 2 नवंबर को CBI ने इस मामले में केस दर्ज कर जांच शुरू की। 7 जनवरी, 2022 को टीम ने इस मामले में हत्या की चार्जशीट दाखिल कर दी। इस मामले में हत्या का केस तो 28 सितंबर की रात को ही दर्ज हुआ था। पहली गिरफ्तारी 10 अक्टूबर को इंस्पेक्टर जगत नारायण और सब इंस्पेक्टर अक्षय मिश्रा की हुई थी। ऐसे में CBI के पास चार्जशीट दाखिल करने के लिए 90 दिन यानी कि 10 जनवरी तक का ही वक्त बचा था। तय समय में ही CBI ने मामले की जांच पूरी कर इस केस में चार्जशीट दाखिल कर दी। लेकिन, CBI इस मामले में कोर्ट में सभी पुलिस वालों पर हत्या साबित नहीं कर सकी। शायद यही वजह है कि इंस्पेक्टर जगत नारायण को छोड़कर अन्य सभी पुलिस वालों के खिलाफ हत्या की धारा कोर्ट में हटा दी गई। पहली फरवरी को हाईकोर्ट ने दिया स्टे
वहीं, बीते एक फरवरी को इस मामले में एक नया मोड़ सामने आया। 5 पुलिस वालों पर CBI के स्पेशल कोर्ट से हत्या का आरोप हटने और उनके जमानत पर रिहा होने के बाद इस मामले में हाईकोर्ट ने स्टे दे दिया। जिसके बाद इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में होने लगी। 10 जनवरी को जेल से रिहा हुए 5 पुलिस वाले
दरअसल, इस मामले में CBI कोर्ट में हत्या के मुकदमे में सिर्फ इंस्पेक्टर जेएन सिंह पर हत्या का आरोप तय होने के बाद 10 जनवरी 2023 को 5 पुलिसकर्मी तिहाड़ जेल से जमानत रिहा हो गए। क्योंकि, इन पांचों के खिलाफ सिर्फ मारपीट और धमकी देने की धाराओं में आरोप तय हुआ है। वहीं, इंस्पेक्टर जेएन सिंह अभी तिहाड़ जेल में ही बंद हैं। अब पॉइंट्स में समझें कब क्या हुआ? रोउज एवेन्यू कोर्ट में दोबारा से होगी सुनवाई
दरअसल, इस मामले में CBI कोर्ट ने 6 आरोपियों में से पांच पुलिस कर्मियों के खिलाफ हत्या की धारा हटा ली थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने CBI कोर्ट को आदेश दिया है कि वह अपने आदेश की दोबारा समीक्षा करे। हाईकोर्ट का मानना है कि पुलिस कर्मियों के खिलाफ हत्या की धारा हटाना सही नहीं है। मनीष गुप्ता पक्ष के एडवोकेट केके शुक्ला ने बताया कि 31 जुलाई को हाई कोर्ट से आदेश जारी किया गया कि एक्यूस्ड नंबर वन यानी इंस्पेक्टर जगत नारायण को छोड़कर जिन पुलिस कर्मियों पर हत्या का चार्ज हटाया गया है, उन पर चार्ज फ्रेम किया जाए। 27 अगस्त को CBI की रोउज एवेन्यू कोर्ट में सब-इंस्पेक्टर राहुल दुबे, सब इंस्पेक्टर विजय यादव, सब इंस्पेक्टर अक्षय मिश्रा, मुख्य आरक्षी कमलेश यादव, आरक्षी प्रशांत के खिलाफ हत्या का चार्ज रिफ्रेम किया जाएगा। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर