<p style=”text-align: justify;”><strong>UP News:</strong> उत्तर प्रदेश में बहराइच में मूर्ति विसर्जन के दौरान दो समुदायों में विवाद हो गया. डीजे बजाने को लेकर दो पक्षों में हुए विवाद के बाद एक पक्ष ने गोली चलाई, जानकारी के अनुसार प्रतिमा विसर्जन के दौरान दो पक्षों में गालीगलौज हुआ था. इस विवाद में एक युवक की मौत हो गई और फिर युवक की मौत के बाद ग्रामीणों ने किया जमकर हंगामा किया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यह पूरा मामला हरदी थाना क्षेत्र के महसी महराजगंज का है और इस विवाद के बाद मौके पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात है.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>UP News:</strong> उत्तर प्रदेश में बहराइच में मूर्ति विसर्जन के दौरान दो समुदायों में विवाद हो गया. डीजे बजाने को लेकर दो पक्षों में हुए विवाद के बाद एक पक्ष ने गोली चलाई, जानकारी के अनुसार प्रतिमा विसर्जन के दौरान दो पक्षों में गालीगलौज हुआ था. इस विवाद में एक युवक की मौत हो गई और फिर युवक की मौत के बाद ग्रामीणों ने किया जमकर हंगामा किया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यह पूरा मामला हरदी थाना क्षेत्र के महसी महराजगंज का है और इस विवाद के बाद मौके पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात है.</p> उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड नोएडा में रिटायर्ड मेजर जनरल को लगाया दो करोड़ का चूना, 3 साइबर ठग गिरफ्तार
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हिमाचल में चौथी-पांचवीं की 4 छात्राओं से छेड़छाड़:51 वर्षीय हेड टीचर गिरफ्तार, 2023 से कर रहा था वारदात, कल कोर्ट में पेशी हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के जोगेंद्रनगर क्षेत्र के एक सरकारी प्राइमरी स्कूल की 4 छात्राओं ने टीचर पर छेड़छाड़ के आरोप लगाए हैं। मामला सामने आने के बाद पुलिस ने स्कूल के मुख्य शिक्षक को हिरासत में ले लिया है। इसकी पुष्टि SHO जोगेंद्रनगर अश्वनी ने की है। पुलिस ने नाबालिग छात्राओं की शिकायत पर मामला दर्ज कर आगामी कार्रवाई शुरू कर दी है। छात्राओं से छेड़छाड़ के आरोप 51 वर्षीय के हेड टीचर हरीश पर लगे हैं, जो कि लड़भड़ोल क्षेत्र का रहने वाला बताया जा रहा है। हरीश शिक्षक दिसंबर 2021 से स्कूल में तैनात है। साल 2023 से नाबालिग छात्राओं के साथ छेड़छाड़ को अंजाम दे रहा था। चौथी-पांचवीं की छात्राओं से छेड़छाड़ जिन छात्राओं से छेड़छाड़ की गई, वह चौथी व पांचवीं कक्षा में पढ़ाई करती है। इसकी शिकायत चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 नंबर पर की गई। इसके बाद जिला बाल संरक्षण विभाग ने स्कूल पहुंचकर छात्राओं के बयान लिए। इसके बाद मामला पुलिस को दिया गया। पुलिस ने मामला दर्ज कर शुक्रवार शाम के वक्त आरोपी टीचर को गिरफ्तार कर दिया है। कल कोर्ट में पेश कर रिमांड की करेंगे मांग SHO जोगेंद्रनगर अश्वनी ने बताया कि छात्राओं के बयान कलमबद्ध करने के बाद आरोपी को गिरफ्तार कर दिया गया है। इस मामले में आगामी कार्रवाई की जा रही है। आरोपी को कल कोर्ट में पेश कर रिमांड की मांग की जाएगी।
शराब तस्करों ने बदले की भावना से चौकीदार को मारा, 24 घंटे में गोपालगंज पुलिस का खुलासा
शराब तस्करों ने बदले की भावना से चौकीदार को मारा, 24 घंटे में गोपालगंज पुलिस का खुलासा <p style=”text-align: justify;”><strong>Police Disclose Chowkidar Murder Case:</strong> बिहार के गोपालगंज जिले के बैकुंठपुर थाना क्षेत्र के एक चौकीदार को शराब तस्करों को जेल भेजने की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी. पुलिस ने बुधवार को चौकीदार की हत्या मामले का 24 घंटे के अंदर खुलासा करते हुए दावा किया कि जेल भेजने के प्रतिशोध में शराब तस्करों ने चौकीदार की चाकू से गोदकर हत्या कर दी. दरअसल, बैकुंठपुर थाना क्षेत्र में तैनात चौकीदार झमिंद्र राय का शव मंगलवार को सोनवलिया गांव के पास से बरामद किया गया था. राय एक शादी समारोह से अपने घर लौट रहे थे कि रास्ते में अपराधियों ने उनकी चाकू से गोदकर हत्या कर दी थी. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बाप बेटे ने बनाई थी हत्या की प्लानिंग</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>इस मामले में पुलिस अधीक्षक अवधेश दीक्षित ने तत्काल एक विशेष जांच टीम का गठन किया और पुलिस ने जांच शुरू कर दी. दीक्षित ने बताया कि गम्हरिया गांव निवासी सुरेंद्र राय को पुलिस ने अगस्त महीने में शराब के साथ गिरफ्तार किया था. अक्टूबर माह में जेल से बाहर निकलने के बाद उसने बेटे विकेश के साथ मिलकर चौकीदार की हत्या की प्लानिंग बनाई थी. उसे आशंका थी कि चौकीदार राय की सूचना के बाद ही उसकी गिरफ्तारी हुई. इसके बाद वह इससे बदला लेने के फिराक में था. </p>
<p style=”text-align: justify;”>पुलिस अधीक्षक ने बताया कि सोमवार की रात झमिंद्र राय एक शादी समारोह से जब लौट रहे थे तब सुरेंद्र राय और उनके पुत्र विकेश कुमार ने चाकू मारकर उनकी हत्या कर दी. इस मामले में पिता और पुत्र को गिरफ्तार कर लिया गया है. उन्होंने बताया कि पुलिस ने चौकीदार से लूटी गई बाइक, मोबाइल फोन और हत्या में प्रयुक्त चाकू के अलावा एक देसी कट्टा भी बरामद कर लिया है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>आरोपियों ने की पुलिस पर फायरिंग</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>मंगलवार की देर रात जब पुलिस छापेमारी करने गम्हरिया गांव में पहुंची, तब विकेश कुमार ने पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी. पुलिस ने आत्मरक्षा में फायरिंग की, जिसमें विकेश को पैर में गोली लगी और वह घायल हो गया. एसपी दीक्षित ने कहा कि न्यायालय में शीघ्र ही चार्जशीट सौंपते हुए स्पीडी ट्रायल चलाने के लिए पुलिस की ओर से अनुशंसा की जाएगी और जांच टीम में शामिल पुलिसकर्मियों को पुरस्कृत किया जाएगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ेंः <a href=”https://www.abplive.com/states/bihar/bihar-jdu-supports-vice-president-jagdeep-dhankhar-statement-on-farmers-protest-prem-kumar-ann-2836142″>Bihar News: JDU ने भी मिलाए उपराष्ट्रपति के सुर में सुर, केंद्र सरकार को दे दी CM नीतीश से सीख लेने की नसीहत</a></strong></p>
अखिलेश ने योगी को दिया बुलडोजर बाबा नाम:कानपुर के बिकरू से फेमस हुआ, यूपी से निकलकर एमपी-राजस्थान पहुंचा; अब लगा ब्रेक
अखिलेश ने योगी को दिया बुलडोजर बाबा नाम:कानपुर के बिकरू से फेमस हुआ, यूपी से निकलकर एमपी-राजस्थान पहुंचा; अब लगा ब्रेक सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को 1 अक्टूबर तक बुलडोजर एक्शन पर रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा- अगली सुनवाई तक देश में एक भी बुलडोजर कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। बुलडोजर एक्शन के खिलाफ जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने 22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इसमें यूपी के मुरादाबाद, बरेली और प्रयागराज में हुए बुलडोजर एक्शन का भी जिक्र किया गया था। यूपी में बुलडोजर एक्शन की शुरुआत कैसे, कब और कहां से हुई? योगी का नाम कैसे बुलडोजर बाबा पड़ा? कैसे योगी सरकार ने इसे राजनीतिक हथियार बना लिया? कब-कब इसे लेकर विवाद हुए? भास्कर एक्सप्लेनर में जानिए… यूपी में बुलडोजर एक्शन की शुरुआत
2017 के मार्च महीने में योगी की एंट्री हुई। पहले कार्यकाल में 13 से ज्यादा बाहुबलियों के घरों पर बुलडोजर चले। इस कार्यकाल में कुल 15 हजार लोगों के खिलाफ प्रदेश में गैंगस्टर और एंटी-सोशल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ। इन्हीं में से कई के घर पर प्रशासन ने बुलडोजर चलाया। तब इन कार्रवाईयों को भाजपा ने सुरक्षा, अपराध मुक्त प्रदेश जैसे टैग-लाइंस से जोड़ना शुरू कर दिया। इसे योगी आदित्यनाथ सरकार ने समाजवादी पार्टी के कार्यकाल के समय में कानून की बिगड़ी स्थिति को सुधारने का रास्ता भी बताया। बुलडोजर सबसे ज्यादा कब चर्चा में आया?
2 जुलाई, 2020 की रात को कानपुर के बिकरू गांव में गैंगस्टर विकास दुबे ने साथियों के साथ मिलकर 8 पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतार दिया था। पुलिस ने गैंग को मिटाने की शपथ ले ली। विकास दुबे गैंग के एक-एक आदमी को एनकाउंटर में मारकर गिराया जाने लगा। 40 थानों की पुलिस फोर्स और उत्तर प्रदेश के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार, एसएसपी कानपुर दिनेश पी., आईजी कानपुर जेएन सिंह की मौजूदगी में विकास दुबे के उस घर पर बुलडोजर का एक्शन हुआ, जिसकी छत से चढ़कर बदमाशों ने डिप्टी एसपी देवेंद्र मिश्रा समेत 8 पुलिसकर्मियों को गोलियों से छलनी कर दिया था। 4 बुलडोजर लगाकर विकास दुबे की अपराध से अर्जित संपत्ति, वो फिर चाहे मकान हो या फिर उसकी गाड़ियां, सभी को तहस-नहस कर दिया गया। इस दृश्य को पूरे देश ने टीवी पर देखा। सीएम योगी को सबसे पहले ‘बाबा बुलडोजर’ नाम किसने दिया?
यूपी विधानसभा चुनाव-2022 की घोषणा के 50 दिन पहले से योगी आदित्यनाथ प्रचार में लग गए थे। 8 जनवरी को चुनाव ऐलान से पहले वो 68 रैलियां कर चुके थे। एक भी जगह उन्होंने बुलडोजर का प्रचार नहीं किया था। 20 जनवरी को कन्नौज-इटावा समेत 16 जिलों में तीसरे चरण के वोट पड़ रहे थे। अखिलेश बगल के जिले अयोध्या में चौथे चरण के लिए रैली कर रहे थे। उन्होंने मंच से कहा- जो जगहों का नाम बदलते थे, आज एक अखबार ने उनका ही नाम बदल दिया। अखबार अभी गांवों में नहीं पहुंचा होगा। हम बता देते हैं, उनका नया नाम रखा है, बाबा बुलडोजर। अखिलेश के बाबा बुलडोजर कहते ही योगी आदित्यनाथ और BJP ने बुलडोजर का बेतहाशा प्रचार शुरू किया। अगले दिन योगी ने कहा- बुलडोजर हाईवे भी बनाता है, बाढ़ रोकने का काम भी करता है। साथ ही माफिया से अवैध कब्जे को भी मुक्त करता है। 25 फरवरी को जब योगी रैली के लिए निकले तो उन्होंने हेलिकॉप्टर की एक फोटो शेयर की। उन्हें अपनी रैली में कई बुलडोजर खड़े नजर आए। बुलडोजर एक्शन से क्या क्राइम कंट्रोल होता है?
कोर्ट के फैसले को लेकर वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक आनंद राय कहते हैं- यह सच है कि यूपी में शातिर अपराधियों और माफिया में बुलडोजर की दहशत रही। कई बार अधिकारियों ने इसका दुरुपयोग भी किया। लेकिन, गुंडे-माफिया पर नियंत्रण के लिए बुलडोजर ने सकारात्मक काम किया। यूपी के पूर्व पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह कहते हैं- मेरे कार्यकाल में माफिया के खिलाफ बुलडोजर की कार्रवाई हुई। वे माफिया, जिन्होंने सरकारी संपत्ति या सरकारी जमीन पर कब्जा कर रखा था। किसी सामान्य अपराधी के खिलाफ बुलडोजर की कार्रवाई नहीं हो सकती। प्रदेश में पहली बार विकास दुबे की संपत्ति पर बुलडोजर चला, वह भी इसलिए कि विकास दुबे ने पुलिस पर अंधाधुंध फायरिंग कर 8 पुलिस वालों की हत्या की थी। यह सही है कि बुलडोजर की कार्रवाई से अपराधियों में दहशत होती है। इससे अपराध को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। लेकिन, हमें रूल ऑफ लॉ से ही चलना होगा। किस एक्ट के तहत बुलडोजर की कार्रवाई?
राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्रनाथ भट्ट कहते हैं- यूपी में जितनी भी बुलडोजर की कार्रवाई हुई, यूपी अरबन डेवलपमेंट एक्ट- 1974 के तहत की गई। नगरीय निकायों और विकास प्राधिकरणों को अधिकार है कि जहां भी नियमों का उल्लंघन कर निर्माण किया जाता है, तो उसे ध्वस्त करें। सुप्रीम कोर्ट के अंतिम आदेश के बाद स्थिति साफ हो जाएगी। क्या जाति-मजहब देखकर यूपी में बुलडोजर चलता है?
विपक्षी पार्टियां का कहना है, बुलडोजर की कार्रवाई जाति-धर्म देखकर की जाती है। अखिलेश यादव इस पर कई बार सवाल खड़े कर चुके हैं। मुस्लिम संगठन भी योगी सरकार पर आरोप लगा चुके हैं। हालांकि, वीरेंद्रनाथ भट्ट कहते हैं- बुलडोजर के बारे में यह भ्रम फैलाया गया कि सरकार अपने स्तर पर दंड दे रही है। सरकार की कार्रवाई का प्रदेश में अपराध को नियंत्रित करने में बहुत सकारात्मक परिणाम सामने आया। पहले आरोप लगाए गए कि यह एक मजहब या जाति के खिलाफ ही की जा रही है। लेकिन, जब आंकड़े सामने आए तो पता चला कि हर जाति धर्म के लोगों की अवैध संपत्ति या कब्जा युक्त संपत्ति पर बुलडोजर चला है। लखनऊ के अकबरनगर में सरकार ने बुलडोजर चलाया, उससे पहले संबंधित पक्ष हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक गया। शीर्ष अदालत ने भी माना था कि अकबरनगर अवैध बसा है। यूपी के बाद 2022 में एमपी में हुई थी बुलडोजर की एंट्री
साल, 2022 में मध्यप्रदेश के खरगोन में रामनवमी जुलूस के दौरान दंगे हुए। इसके मात्र 24 घंटे बाद तब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुलडोजर से 45 मकानों और दुकानों को ध्वस्त करने का आदेश दिया था। आरोपियों की गिरफ्तारी से पहले ही बुलडोजर चला दिए गए। राजनीतिक गलियारों में उन्हें योगी के ‘बुलडोजर बाबा’ के बाद ‘बुलडोजर मामा’ कहा जाने लगा। इसके बाद भी शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में कई बुलडोजर एक्शन हुए। हालांकि, कमलनाथ सरकार में भी माफियों के अवैध कब्जे गिराने के लिए बुलडोजर का उपयोग किया गया। यूपी के बाद बुलडोजर का प्रयोग हरियाणा, बिहार, राजस्थान में भी किया गया है। अब जानिए बुलडोजर का पूरा इतिहास
बुलडोजर अंग्रेजी के दो शब्द बुल और डोजर से मिलकर बना है। डोजर का मतलब है, एक ऐसा ट्रैक्टर, जिसमें चौड़ा ब्लेड लगा होता है। बुल-डोजिंग का मतलब जबरदस्ती करना या डराना भी होता है। 19वीं सदी के अंत में बुलडोजिंग का मतलब किसी बाधा को पार करना था। चाहे वो तरीका बेहद क्रूर ही क्यों न हो। मशीनों के मामले में इसका मतलब जबरदस्त ताकत से किसी काम को करना है। नाले की सफाई से लेकर खुदाई और जमीन समतल करने से लेकर सड़क निर्माण तक में बुलडोजर का इस्तेमाल होता है। बर्फीले इलाकों में इससे रास्ते की बर्फ और लैंड-स्लाइड होने पर चट्टानों को हटाया जाता है। बुलडोजर उबड़-खाबड़ इलाकों में भी चलता है। इसके पहिए में लड़ाकू टैंक की तरह चेन की पट्टी टाइप का ट्रैकर लगा होता है। इसकी वजह से ये जमीन में धंसता नहीं है। 18वीं सदी में सबसे पहले खेती के लिए इस्तेमाल हुआ था बुलडोजर
18वीं सदी में भी किसान लकड़ी के बने बुलडोजर को खेती के लिए इस्तेमाल करते थे। दो पहियों के साथ इसमें आगे की तरफ एक चौड़ी पट्टी के आकार में ब्लेड लगा होता था, जो मोटर से चलता था। पहले किसान खच्चर या घोड़े की मदद से इसका इस्तेमाल अपनी खेती की जमीन को समतल करने में करते थे। मशीनी बुलडोजर का आविष्कार 1904 में अमेरिकी इन्वेंटर बेंजामिन होल्ट ने किया था। यह स्टीम इंजन से चलने वाला क्रॉलर ट्रेड टैक्टर था। उसी समय इंग्लैंड की हॉर्नस्बी कंपनी ने भी एक बुलडोजर बनाया था। प्रथम विश्व युद्ध 1914-18 में होल्ट क्रॉलर ट्रैक्टरों का इस्तेमाल अमेरिकी और ब्रिटिश, दोनों सेनाओं ने भारी तोपखाने और सामानों को ढोने में किया था। इसका इस्तेमाल ऐसे वक्त में किया गया था, जब कोई अन्य वाहन कीचड़ में नहीं संभाला जा सकता था। 1916 में ब्रिटिश सेना ने सबसे पहले युद्ध में इसका इस्तेमाल किया था। दावा ये भी किया जाता है कि आधुनिक बुलडोजर के आविष्कार का श्रेय कैनसस के किसान जेम्स कमिंग्स और ड्राफ्ट्समैन जे. अर्ल मैकलियोड को है। दरअसल, उन्होंने 1923 में एक धारदार, खुरचनी ब्लेड बनाई थी। “खुरचनी ब्लेड” को ट्रैक्टर के आगे की ओर लगाया गया था। यह ट्रैक्टर के किनारे से दोनों तरफ से जुड़ी हुई थी। सेकेंड वर्ल्ड वॉर में भी बुलडोजर का उपयोग हाईवे, रनवे और किलेबंदी के निर्माण के लिए किया गया था। US के एडमिरल विलियम हैल्सी ने कहा था कि चार चीजें, जिन्होंने प्रशांत क्षेत्र में युद्ध जीतने में मदद की, वो हवाई जहाज, टैंक, पनडुब्बी और बुलडोजर थे। बुलडोजर बनाने वाली कुछ फेमस कंपनियां
कैटरपिलर बुलडोजर: कैटरपिलर जमीन पर रेंगने वाले एक कीड़े का नाम है। यही सोचकर सी. एल. बेस्ट ने अपनी कंपनी का नाम कैटरपिलर रखा था। 1925 में इसकी स्थापना की गई। दुनियाभर में इसकी 110 से ज्यादा मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी हैं और यह अलग-अलग तरह के 24 प्रकार के व्हीकल्स बनाती है। कंपनी का शॉर्ट फॉर्म CAT है। लिबहेर ग्रुप: स्विस कंपनी लिबहेर ग्रुप को Hans Liebherr ने 1949 में स्थापित किया था। इस कंपनी ने पहले हवाई जहाज के पार्ट और टावर क्रेन का निर्माण शुरू किया था। फिर उसके बाद कंपनी ने खुदाई और खनन करने वाली बुलडोजर मशीनें बनानी शुरू कर दीं। कोमात्सु: कोमात्सु की स्थापना 1917 में जापान में की गई थी। जापान के होकुरिकु क्षेत्र में कोमात्सु शहर है। उसी के नाम पर कंपनी का नाम रखा गया था। कोमात्सु का अंग्रेजी में मतलब छोटा पाइन ट्री होता है। बाद में 1970 में ये कंपनी उत्तरी अमेरिका में शिफ्ट हो गई। यह खबर भी पढ़ें बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट की रोक, केंद्र का एतराज, हमारे हाथ न बांधें; कोर्ट बोला-15 दिन में आसमान नहीं फट पड़ेगा सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को 1 अक्टूबर तक बुलडोजर एक्शन पर रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा- अगली सुनवाई तक देश में एक भी बुलडोजर कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। हम स्पष्ट कर दें कि इस ऑर्डर में सड़क, रेलवे लाइन जैसी सार्वजनिक जगहों के अवैध अतिक्रमण शामिल नहीं हैं। अगली सुनवाई 1 अक्टूबर को है। यहां पढ़ें पूरी खबर