हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के पांवटा साहिब के गुड़ की मिठास प्रदेश, देश लेकर विदेशों तक है। पांवटा साहिब का गुड़ कनाडा में भी काफी मशहूर है। यहां के किसान अधिकतर गन्ने की खेती करते हैं। यहां 40 प्रतिशत गन्ना सोसाइटी के माध्यम से उत्तराखंड के डोईवाला स्थित शुगर मिल पहुंचता है। लेकिन यहां की चरखियों में स्थानीय गन्ने का 60 प्रतिशत बेचा जाता है। पांवटा साहिब में 11 से ज्यादा चरखी हैं। जहां पर गुड़ बनता है। चरखी वाले अच्छी क्वालिटी और स्वाद से भरपूर गुड़ तैयार करते हैं। कुछ लोग ड्राई फ्रूट्स लेकर चरखी में जाते हैं और ड्राई फ्रूट्स से अलग से भी स्वादिष्ट गुड़ तैयार करवाते हैं। यहां का गुड़ 45 रुपए प्रति किलो बेचा जाता है। कनाडा तक गुड़ व शक्कर की सप्लाई पांवटा साहिब के शिवपुर , भुगरनी और अमरकोट में बनने वाले गुड की मांग हिमाचल ही नहीं विदेशों में भी है। यहां से कनाडा तक गुड़ व शक्कर की सप्लाई हो रही है। यहां के गुड़ की कनाडा में ज्यादा मांग है। क्योंकि यहां के ज्यादातर लोग जहां पर रहते हैं। अपने परिवार के माध्यम से गुड़ मंगाते हैं। गुड़ की शुद्धता से मांग ज्यादा शिवपुर पंचायत के पूर्व प्रधान मनजीत सिंह ने बताया कि आजकल बाजारों में नकली गुड़ की भरमार है। साफ और चिकना दिखाने के लिए गुड़ में खतरनाक कैमिकल्स मिलाए जाते हैं। यहां पर कोई भी केमिकल नहीं मिलाया जाता है। इसलिए पांवटा साहिब के गुड़ की शुद्धता बढ़ती है और इसलिए इसकी मांग भी ज्यादा है। हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के पांवटा साहिब के गुड़ की मिठास प्रदेश, देश लेकर विदेशों तक है। पांवटा साहिब का गुड़ कनाडा में भी काफी मशहूर है। यहां के किसान अधिकतर गन्ने की खेती करते हैं। यहां 40 प्रतिशत गन्ना सोसाइटी के माध्यम से उत्तराखंड के डोईवाला स्थित शुगर मिल पहुंचता है। लेकिन यहां की चरखियों में स्थानीय गन्ने का 60 प्रतिशत बेचा जाता है। पांवटा साहिब में 11 से ज्यादा चरखी हैं। जहां पर गुड़ बनता है। चरखी वाले अच्छी क्वालिटी और स्वाद से भरपूर गुड़ तैयार करते हैं। कुछ लोग ड्राई फ्रूट्स लेकर चरखी में जाते हैं और ड्राई फ्रूट्स से अलग से भी स्वादिष्ट गुड़ तैयार करवाते हैं। यहां का गुड़ 45 रुपए प्रति किलो बेचा जाता है। कनाडा तक गुड़ व शक्कर की सप्लाई पांवटा साहिब के शिवपुर , भुगरनी और अमरकोट में बनने वाले गुड की मांग हिमाचल ही नहीं विदेशों में भी है। यहां से कनाडा तक गुड़ व शक्कर की सप्लाई हो रही है। यहां के गुड़ की कनाडा में ज्यादा मांग है। क्योंकि यहां के ज्यादातर लोग जहां पर रहते हैं। अपने परिवार के माध्यम से गुड़ मंगाते हैं। गुड़ की शुद्धता से मांग ज्यादा शिवपुर पंचायत के पूर्व प्रधान मनजीत सिंह ने बताया कि आजकल बाजारों में नकली गुड़ की भरमार है। साफ और चिकना दिखाने के लिए गुड़ में खतरनाक कैमिकल्स मिलाए जाते हैं। यहां पर कोई भी केमिकल नहीं मिलाया जाता है। इसलिए पांवटा साहिब के गुड़ की शुद्धता बढ़ती है और इसलिए इसकी मांग भी ज्यादा है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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शिमला में पंजाब का युवक चिट्टे के साथ गिरफ्तार:पंजाब रोडवेज की बस में था सवार, सप्लाई के लिए आया था
शिमला में पंजाब का युवक चिट्टे के साथ गिरफ्तार:पंजाब रोडवेज की बस में था सवार, सप्लाई के लिए आया था हिमाचल प्रदेश के शोघी में शिमला पुलिस ने पंजाब के एक युवक को चिट्टे की बड़ी खेप के साथ गिरफ्तार किया। पुलिस ने मामला दर्ज कर आगामी कार्रवाई शुरू कर दी है। दरअसल, शिमला पुलिस ने मंगलवार को शिमला से करीब 15 किलोमीटर दूर शोघी में नाका लगाया था। इस दौरान पंजाब रोडवेज की बस में सवार यात्रियों की जब तलाशी ली तो बस में सवार पंजाब के युवक के पास 19.190 ग्राम चिट्टा मिला। पंजाब रोडवेज की बस में सवार था युवक यह युवक पंजाब रोडवेज की PB-07-CA-3603 नंबर बस में शिमला आ रहा था। बस में पंजाब के जोगा पट्टी पीपल मनसा का जसकरण दास (28) नाम का युवक भी सवार था। पुलिस को देख कर आरोपी घबरा गया। इससे पुलिस को शक हुआ और उसके बैग से पुलिस ने चिट्टा बरामद किया। पुलिस ने आरोपी को चिट्टे के साथ गिरफ्तार कर दिया है। आरोपी से पूछताछ जारी अब आरोपी से पूछताछ की जा रही है कि उसने यह चिट्टा कहां से लाया और किसे सप्लाई करने वाला था। दावा किया जा रहा है कि युवक से पूछताछ करके चिट्टा तस्कर गैंग का भंडाफोड़ किया जाएगा। पुलिस ने शिमला के बालूगंज थाना में मामला दर्ज कर आगामी कार्रवाई शुरू कर दी है।
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हिमाचल में 5 तारीख को सेलरी- 10 को पेंशन मिलेगी:विधानसभा में CM बोले- ब्याज से बचने को लिया निर्णय, 36 करोड़ की बचत होगी हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने विधानसभा में कहा कि कर्मचारियों को 5 सितंबर को सेलरी और पेंशनर को 10 सितंबर को पेंशन दी जाएगी। प्रदेश की आर्थिक स्थिति जब तक ठीक नहीं हो जाती, तब तक कर्मचारियों व पेंशनर को क्रमशः 5 व 10 तारीख को सेलरी-पेंशन मिलती रहेगी। मुख्यमंत्री ने कहा, यह निर्णय अनावश्यक ऋण पर खर्च होने वाले ब्याज से बचने के लिए लिया गया है। इससे सालाना 36 करोड़ रुपए की बचत होगी। उन्होंने कहा, राज्य में पहली तारीख को सेलरी-पेंशन दी जाती है, जबकि भारत सरकार से हमे 6 तारीख को रेवेन्यू डेफिसिएट ग्रांट में 520 करोड़ रुपए और 10 तारीख को केंद्र से सेंट्रल शेयर टैक्स में 740 करोड़ रुपए मिलते है। इस वजह से हमें 5 दिन के लिए ऋण लेना पड़ता है। हर महीने इसका 7.50 प्रतिशत ब्याज चुकाने पर 3 करोड़ ब्याज देना पड़ता है। इससे ब्याज का अनावश्यक बोझ कम होगा। उन्होंने कहा, कर्मचारियों की सेलरी पर हर महीने 1200 करोड़ रुपए और पेंशन पर 800 करोड़ खर्च होता है। कुल मिलाकर 2000 करोड़ कर्मचारी-पेंशनर को देते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, प्रदेश में यह व्यवस्था बोर्ड-निगमों पर लागू नहीं होगी। बोर्ड-निगम अपने हिसाब से कर्मचारियों को सैलरी-पेंशन देते रहेंगे। फाइनेंशियल डिसिप्लेन की तरफ बढ़ रहे: सुक्खू मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि, साल 2027 में हिमाचल आत्मनिर्भर होगा। साल 2032 में देश का सबसे समृद्धशाली राज्य होगा। प्रदेश में 11 दिसंबर 2022 को जब कांग्रेस सरकार बनी तो उस समय प्रदेश में आर्थिक संकट था। अब कोई आर्थिक संकट नहीं है। इसे ठीक करने में अड़चनें-तकलीफ आ रही है, लेकिन हमें फैसला करना होगा। समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलना होगा। अब हम फाइनेंशियल डिसिप्लेन की तरफ बढ़ रहे हैं। रेवेन्यू जब सरप्लस था- तब डीए क्यों नहीं दिया: CM मुख्यमंत्री ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा, साल 2018-19 और 2019-20 में रेवेन्यू सरप्लस था। बावजूद कर्मचारियों-पेंशनर को पूर्व सरकार ने डीए क्यों नहीं दिया। फिर चुनाव आए। चुनाव से छह महीने पहले आपने फ्री पानी, फ्री बिजली दिया। 10-10 करोड़ का टैक्स देने वाले होटल को फ्री बिजली-पानी दे दिया। 600 संस्थान खोल दिए। मुफ्त रेवड़ियां इन्होंने बांटी। हमारी सरकार आर्थिक सुधार कर रही है। जयराम ने उठाया सैलरी-पेंशन नहीं मिलने का मामला अंत में स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा, आर्थिक स्थिति पर शुक्रवार को सदन में फिर चर्चा होगी। इससे पहले नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सदन में पॉइंट ऑफ ऑर्डर के तहत कर्मचारियों व पेंशनर को सेलरी-पेंशन नहीं मिलने का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि, कर्मचारी संकट के दौर से गुजर रहे हैं और डरे हुए हैं। क्या आर्थिक संकट इतना ज्यादा हो गया? लोगों के आंसू निकाल दिए। इस पर चर्चा होनी चाहिए।
हिमाचल में आज बारिश और फ्लैश फ्लड का अलर्ट:मानसून सीजन में सामान्य से 42% कम बारिश, संकट में सेब की फसल
हिमाचल में आज बारिश और फ्लैश फ्लड का अलर्ट:मानसून सीजन में सामान्य से 42% कम बारिश, संकट में सेब की फसल हिमाचल प्रदेश में आज भारी बारिश और अचानक बाढ़ (फ्लैश फ्लड) का अलर्ट जारी किया गया है। मौसम विभाग की ओर से जारी चेतावनी के बीच बीती रात कांगड़ा जिले में भारी बारिश हुई। मंडी और ऊना के कुछ इलाकों में भी बारिश हुई है। कांगड़ा में 151.8 मिमी और धर्मशाला में 136.6 मिमी बारिश हुई है। पालमपुर में 112.4 मिमी, नगरोटा सूरियां में 99.6 मिमी, धौलाकुंआ में 82.5 मिमी, जोगिंद्रनगर में 52.0 मिमी, गुलेड़ में 46.4 मिमी और सुंदरनगर में 44.7 मिमी बारिश हुई है। वहीं चेतावनी के बावजूद कुछ अन्य इलाकों में बारिश नहीं हुई है। इस बार मानसून की गति प्रदेश में प्रवेश के बाद से धीमी पड़ गई है। बार-बार अचानक बाढ़ और भारी बारिश की चेतावनी के बावजूद अच्छी बारिश नहीं हो रही है। प्रदेश में पूरे मानसून सीजन के दौरान सामान्य से 42 फीसदी कम बारिश हुई है। इसका असर सेब के साथ-साथ किसानों की नगदी फसलों पर भी पड़ रहा है। आज इन जिलों में चेतावनी मौसम विभाग ने आज मंडी, कांगड़ा और चंबा में भी अचानक बाढ़ की चेतावनी जारी की है। इस तरह मंडी, शिमला, सोलन और सिरमौर जिलों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया था। लेकिन पिछले 24 घंटों के दौरान कुछ जगहों पर ही हल्की बारिश हुई है। मौसम विभाग के अनुसार 28 मई तक राज्य में बारिश की संभावना है। 26 से 28 जुलाई तक भारी बारिश का पूर्वानुमान है। सभी जिलों में नॉर्मल से कम बरसात हिमाचल में एक भी जिला ऐसा नहीं है जहां नॉर्मल से ज्यादा बादल बरसे हों। चंबा, किन्नौर, लाहौल स्पीति, सिरमौर और ऊना जिला में तो 50 प्रतिशत से भी कम बारिश इस मानसून सीजन में हुई है। प्रदेश में एक जून से 23 जुलाई के बीच 275.4 मिलीमीटर नॉर्मल बारिश होती है। मगर इस बार 159.5 मिलीमीटर ही बादल बरसे है। लाहौल स्पीति जिला में तो नॉर्मल से 75 प्रतिशत, सिरमौर जिला में 58 प्रतिशत और चंबा में भी सामान्य से 54 प्रतिशत कम बादल बरसे हैं। 5500 करोड़ के सेब उद्योग पर संकट राज्य में बारिश की कमी के कारण 5500 करोड़ रुपये का सेब उद्योग खतरे में है। सेब के बगीचे विभिन्न बीमारियों की चपेट में आ गए हैं। सूखे के कारण सेब का आकार ठीक नहीं हो पा रहा है। इससे उत्पादन में गिरावट आएगी। मिट्टी में पर्याप्त नमी न होने के कारण सेब के दाने फटने लगे हैं। इसी तरह किसानों की टमाटर, फूलगोभी, पत्तागोभी, शिमला मिर्च जैसी नगदी फसलें सूखे से प्रभावित हो रही हैं।