पाकिस्तान में हमारी 50 साल पुरानी रिश्तेदारी है। मेरी 2 ननद कराची में हैं। यही सोचकर बेटी की शादी पाकिस्तान में कर दी। हमने कोई गुनाह थोड़े किया, जो अब हम परेशानी उठा रहे हैं। ये कहना है सना की मां जुबैदा का। वह भारत सरकार से सवाल पूछती हैं- हमारी बेटी भारत में रहे और उसके दुधमुंहे बच्चे पाकिस्तान भेज दिए जाएं…ये कैसे मुनासिब है? हम परेशान हैं, बस इतना चाहते हैं कि बेटी पाकिस्तान अपनी सुसराल लौट जाए। सरकार के नए फरमान के मुताबिक, सना पाकिस्तान जा नहीं सकती और उसके बच्चे भारत में रह नहीं सकते। सना की पाकिस्तान में शादी कब हुई थी, उसे बाघा बॉर्डर से क्यों लौटा दिया गया, क्यों बॉर्डर पर वो अपने पति से भी नहीं मिल पाई, अपने छोटे-छोटे बच्चों को लेकर सना अब कहां है? ये जानने के लिए दैनिक भास्कर ऐप की टीम मेरठ मुख्यालय से 30km दूर घोसियाना मोहल्ले में सना के मायके पहुंची। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… बच्चों के पास पाकिस्तानी पासपोर्ट, सना के पास इंडियन
दरअसल, मेरठ की सना 25 अप्रैल को बाघा बॉर्डर पहुंची थी। सना के पास भारतीय पासपोर्ट था। उसके बच्चों के पास पाकिस्तान का। भारतीय सेना ने सना से कहा- आप पाकिस्तान नहीं जा सकती हैं, मगर आपके बच्चों को पाकिस्तान भेजा जा सकता है। सना शादी के बाद 14 अप्रैल को 45 दिन के वीजा पर दो बच्चों को लेकर अपने मायका मेरठ के सरधना ब्लॉक के घोसियाना मुहल्ले आई थी। कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला होने के बाद भारत सरकार ने 48 घंटे में पाकिस्तान के नागरिकों को भारत छोड़ने के लिए कहा था। सना 11 दिन से मायके में थीं, आदेश जारी होने के बाद वह 480km दूर बाघा बॉर्डर पहुंची, मगर सेना ने उन्हें वापस भेज दिया। मां बोलीं- परेशान होकर सना को दिल्ली खाला के घर भेजा
सना के मायके में पिता पीरुद्दीन, मां जुबैदा, 2 भाई, भाभियां, उनके बच्चे और चाचा का पूरा परिवार रहता है। यहां हमारी बात सना की अम्मी, भाभी और कुछ पड़ोसियों से हुई। सना कहां है? पूछने पर परिवार ने पहले चुप्पी साध ली। बाद में बताया कि उसको खाला के घर दिल्ली भेज दिया है। सना की मां का कहना है- 2 दिन में हम बहुत परेशान हो चुके हैं, बेटी को यहां रखना मुश्किल हो रहा है। उसके दो छोटे बच्चे हैं, उन्हें भी पूरी देखभाल चाहिए, हम क्या करें। मां जुबैदा ने बताया कि 2020 में सना का निकाह उसके फूफो के बेटे डॉ. बिलाल से किया। वो पाकिस्तान के कराची में रहते हैं, होम्योपैथ के डॉक्टर हैं। निकाह के बाद 5 साल में सना दूसरी बाद 14 अप्रैल को मेरठ आई थी, वजह परिवार में एक शादी थी। हमने पूछा- फिर परेशान क्यों हुई? मां जुबैदा ने बताया, पाकिस्तान में शादी करने के 9 साल बाद ही पाकिस्तानी नागरिकता मिलती है। मौजूदा वक्त में सना के पास हिंदुस्तानी नागरिकता है। शादी को 5 साल हुए हैं, इसलिए नागरिकता मिलने में 4 साल और लगेंगे। जबकि उसके दोनों बच्चे 3 साल का बेटा और 1 साल की बेटी दोनों कराची में पैदा हुए हैं, उनके पास पाकिस्तानी नागरिकता है। इन बच्चों का उसने 45 दिन का वीजा लिया है, तब भारत आ सकी है। बच्चों के वीजा के कारण ही उसे मायके आने में ढाई साल का लंबा इंतजार करना पड़ा। हमने परिवार से गुजारिश करते हुए कहा कि दिल्ली में सना से हमारी फोन पर बात करवा दीजिए। सना की बातचीत… बाघा बॉर्डर पर मेरे शौहर भी आए थे, मैं उन्हें देख नहीं पाई
परिजनों ने टीम से सना की बात कराई। सना ने कहा- जैसे ही पहलगाम में अटैक हुआ, अचानक हमें पता चला कि पाकिस्तानी वीजा वालों को 2 दिन में भारत छोड़कर वापस अपने मुल्क लौटना पड़ेगा। मेरी अम्मी, अब्बू, भाई सोफियान ने मुझे और मेरे बच्चों को रातोंरात पाकिस्तान भेजने की तैयारी कर ली। हमारे घर में शादी का माहौल है, मैं लंबे समय बाद मायके आई थी। अभी घर पर ठीक से रही भी नहीं थी कि मुझे घर वापस जाने की तैयारी करनी पड़ी। किसी तरह हम लोग दूसरे दिन अमृतसर पहुंचे और बाघा बॉर्डर तक आ गए। वहां मेरे शौहर, ससुराल के सारे लोग हमें वापस लेने आए थे। मगर जैसे ही वहां आर्मी ऑफिसर ने मेरा कागज चेक किए तो कहा कि इन्हें रोक दो। इनको बॉर्डर पार पाकिस्तान नहीं भेज सकते, क्योंकि इनके पास भारत की नागरिकता है। सेना ने कहा- देखते हैं, क्या कर सकते हैं, अभी वापस जाएं
उन्होंने कहा कि दोनों बच्चों को पाकिस्तान जाने दो, क्योंकि वो पाकिस्तानी वीजा पर हैं। अब मैं अपने दो छोटे बच्चों को अकेले कैसे पाकिस्तान भेज सकती हूं। मेरी बेटी महज 1 साल की है, वो बेबी फीडिंग करती है। मां के बिना दो मासूम बच्चे कैसे रहेंगे? काफी देर तक बॉर्डर पर मेरे घरवालों की आर्मी आफिसर से बातचीत होती रही। उन्होंने कहा कि बच्चे पाकिस्तान जाएंगे, मगर आपको यहीं रुकना पड़ेगा। किसी तरह सीनियर ऑफिसर्स ने हमारी परेशानी को सुना और समझा। हमसे कहा कि ठीक है, अभी आप मेरठ घर वापस लौट जाएं, बच्चों को भी लेकर जाएं, आगे हम देखते हैं कि आपके लिए क्या कर सकते हैं। सना आगे कहती हैं कि वहां बॉर्डर पर मेरा पूरा परिवार हमे लेने आया था। उन्होंने भी जब ये सुना, तो सभी परेशान हो गए। वो हमसे मिल भी नहीं पाए, हम एक दूसरे की शक्ल भी नहीं देख सके। उन्हें वहां से खाली हाथ वापस कराची लौटना पड़ा। इधर हम लोगों को वापस मेरठ आना पड़ा। अब सना की मां की बात
बेटी हमसे मिलने आई, इसमें क्या गुनाह है?
मां जुबैदा कहती हैं- हमें अचानक पता चला कि कश्मीर में आतंकी अटैक हो गया है। बेटी को 48 घंटों में पाकिस्तान भेजना है। हम तुरंत उसका वीजा लेने दिल्ली भागे। वीजा लेकर हम उसे बॉर्डर पर छोड़ने गए। शादी करने के बाद तो ससुराल ही बेटी का घर है, हम उसे यहां कितने दिन रख सकते हैं। 50 साल पहले मेरी ननद की पाकिस्तान में शादी हुई थी। वहीं रिश्तेदारी में हमने बेटी की शादी कर दी। इसमें क्या गलत किया? अपने मां-बाप से मिलने का मन तो बेटी का करता ही है, इसमें उसका क्या गुनाह है? हम तो ये चाहते हैं कि वो अपने बच्चों संग घर लौट जाए। मगर अब जो स्थितियां हैं, उससे पूरा परिवार परेशान है, समझ नहीं आ रहा कि क्या करें? अब मोबाइल पर ही दामाद से बात हो पाती है, एक-दूसरे को तसल्ली देते रहते हैं कि सब ठीक हो जाएगा, जल्दी सना घर लौटेगी। चाचा ने कहा- हम यही चाहते हैं, बच्ची सलामती से पाकिस्तान पहुंचे
घर में हमें सना के चाचा सिराजुद्दीन भी मिले। सिराजुद्दीन कहते हैं- हमारी बेटी सही सलामत अपने बच्चों के साथ पाकिस्तान भेज दी जाए, हम तो यही चाहते हैं। वह कहते हैं पहलगाम में जो हमला हुआ, वो बहुत बुरा हुआ। सरकार को इस मामले में डिसीजन लेना चाहिए। हम तो यहीं के रहने वाले हैं, इस हमले के पीछे जिन लोगों की साजिश है, उनके बारे में सबको पता चलना चाहिए। मगर मैं कहना चाहता हूं कि ऐसे मसले दोनों मुल्कों के लिए अच्छे नहीं हैं। मेरी दो बहनों की भी शादी पाकिस्तान में हुई है। किसी का भी बच्चा अपनी मां से अलग कैसे रह पाएगा? या तो इन लोगों को यहां रहने की छूट दी जाए या फिर सलामती से वापस भेजे दें। हमने पूछा- सीमा हैदर भी तो पाकिस्तान से आकर यहां रह रही है? उन्होंने कहा- इस पर हम कुछ नहीं कह सकते। हम सिर्फ अपनी बेटी के लिए कह सुन सकते हैं। हमारे दामाद भी यहां नहीं आ सकते, पूरा परिवार बिखरा हुआ है। अब पड़ोसियों की बात… बॉर्डर पर खड़ी बेटियों के बारे में सरकार सोचे
सना के पड़ोसी साबिर ने कहा- जहां बेटी का घर है, उसकी शादी हुई है, वहां उसको भेजा जाना चाहिए। बच्ची ही नहीं, उसका पूरा परिवार बहुत परेशान है। उन्हें बॉर्डर से लौटा दिया गया। इसमें इन लोगों का कसूर नहीं है। वह उस काम की सजा भुगत रहे हैं, जो उन्होंने किया ही नहीं है। फूलबानों ने कहा- पूरा परिवार ही बिखर गया
पड़ोसी फूलबानो ने कहा- मां और बच्चे का रिश्ता सब समझते हैं। ऐसे में बच्चों को मां के बिना ही पाकिस्तान भेजना क्या सही है? सरकार को चाहिए सना को पाकिस्तान पहुंचा दे। हमने तो सना को बचपन से देखा है। वो हमारे ही पड़ोस में रहती थी। ये बहुत अच्छा परिवार है। सबके सुख-दुख में शामिल होते हैं। ऐसे में उन्हें इस तरह से परेशान होते हुए देखकर हमें भी अच्छा नहीं लग रहा है। …………………. यह भी पढ़ें :
मेरठ की सना को पाकिस्तानी सैनिकों ने बॉर्डर से लौटाया:कहा- तुम इंडियन, बच्चे पाकिस्तानी….वो जा सकते हैं ‘मैं भारतीय हूं। मेरा निकाह पाकिस्तान में हुआ है। भारत सरकार के आदेश के बाद मैं अपने पति के पास पाकिस्तान जा रही थी, लेकिन पाकिस्तानी सैनिकों ने मुझे बाघा बॉर्डर से यह कहकर लौटा दिया कि तुम इंडियन हो, इसलिए पाकिस्तान नहीं जा सकती। मगर तुम्हारे दोनों बच्चे पाकिस्तान जा सकते हैं।’ यह कहना है मेरठ की बेटी और पाकिस्तान की बहू सना का। पढ़िए पूरी खबर… पाकिस्तान में हमारी 50 साल पुरानी रिश्तेदारी है। मेरी 2 ननद कराची में हैं। यही सोचकर बेटी की शादी पाकिस्तान में कर दी। हमने कोई गुनाह थोड़े किया, जो अब हम परेशानी उठा रहे हैं। ये कहना है सना की मां जुबैदा का। वह भारत सरकार से सवाल पूछती हैं- हमारी बेटी भारत में रहे और उसके दुधमुंहे बच्चे पाकिस्तान भेज दिए जाएं…ये कैसे मुनासिब है? हम परेशान हैं, बस इतना चाहते हैं कि बेटी पाकिस्तान अपनी सुसराल लौट जाए। सरकार के नए फरमान के मुताबिक, सना पाकिस्तान जा नहीं सकती और उसके बच्चे भारत में रह नहीं सकते। सना की पाकिस्तान में शादी कब हुई थी, उसे बाघा बॉर्डर से क्यों लौटा दिया गया, क्यों बॉर्डर पर वो अपने पति से भी नहीं मिल पाई, अपने छोटे-छोटे बच्चों को लेकर सना अब कहां है? ये जानने के लिए दैनिक भास्कर ऐप की टीम मेरठ मुख्यालय से 30km दूर घोसियाना मोहल्ले में सना के मायके पहुंची। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… बच्चों के पास पाकिस्तानी पासपोर्ट, सना के पास इंडियन
दरअसल, मेरठ की सना 25 अप्रैल को बाघा बॉर्डर पहुंची थी। सना के पास भारतीय पासपोर्ट था। उसके बच्चों के पास पाकिस्तान का। भारतीय सेना ने सना से कहा- आप पाकिस्तान नहीं जा सकती हैं, मगर आपके बच्चों को पाकिस्तान भेजा जा सकता है। सना शादी के बाद 14 अप्रैल को 45 दिन के वीजा पर दो बच्चों को लेकर अपने मायका मेरठ के सरधना ब्लॉक के घोसियाना मुहल्ले आई थी। कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला होने के बाद भारत सरकार ने 48 घंटे में पाकिस्तान के नागरिकों को भारत छोड़ने के लिए कहा था। सना 11 दिन से मायके में थीं, आदेश जारी होने के बाद वह 480km दूर बाघा बॉर्डर पहुंची, मगर सेना ने उन्हें वापस भेज दिया। मां बोलीं- परेशान होकर सना को दिल्ली खाला के घर भेजा
सना के मायके में पिता पीरुद्दीन, मां जुबैदा, 2 भाई, भाभियां, उनके बच्चे और चाचा का पूरा परिवार रहता है। यहां हमारी बात सना की अम्मी, भाभी और कुछ पड़ोसियों से हुई। सना कहां है? पूछने पर परिवार ने पहले चुप्पी साध ली। बाद में बताया कि उसको खाला के घर दिल्ली भेज दिया है। सना की मां का कहना है- 2 दिन में हम बहुत परेशान हो चुके हैं, बेटी को यहां रखना मुश्किल हो रहा है। उसके दो छोटे बच्चे हैं, उन्हें भी पूरी देखभाल चाहिए, हम क्या करें। मां जुबैदा ने बताया कि 2020 में सना का निकाह उसके फूफो के बेटे डॉ. बिलाल से किया। वो पाकिस्तान के कराची में रहते हैं, होम्योपैथ के डॉक्टर हैं। निकाह के बाद 5 साल में सना दूसरी बाद 14 अप्रैल को मेरठ आई थी, वजह परिवार में एक शादी थी। हमने पूछा- फिर परेशान क्यों हुई? मां जुबैदा ने बताया, पाकिस्तान में शादी करने के 9 साल बाद ही पाकिस्तानी नागरिकता मिलती है। मौजूदा वक्त में सना के पास हिंदुस्तानी नागरिकता है। शादी को 5 साल हुए हैं, इसलिए नागरिकता मिलने में 4 साल और लगेंगे। जबकि उसके दोनों बच्चे 3 साल का बेटा और 1 साल की बेटी दोनों कराची में पैदा हुए हैं, उनके पास पाकिस्तानी नागरिकता है। इन बच्चों का उसने 45 दिन का वीजा लिया है, तब भारत आ सकी है। बच्चों के वीजा के कारण ही उसे मायके आने में ढाई साल का लंबा इंतजार करना पड़ा। हमने परिवार से गुजारिश करते हुए कहा कि दिल्ली में सना से हमारी फोन पर बात करवा दीजिए। सना की बातचीत… बाघा बॉर्डर पर मेरे शौहर भी आए थे, मैं उन्हें देख नहीं पाई
परिजनों ने टीम से सना की बात कराई। सना ने कहा- जैसे ही पहलगाम में अटैक हुआ, अचानक हमें पता चला कि पाकिस्तानी वीजा वालों को 2 दिन में भारत छोड़कर वापस अपने मुल्क लौटना पड़ेगा। मेरी अम्मी, अब्बू, भाई सोफियान ने मुझे और मेरे बच्चों को रातोंरात पाकिस्तान भेजने की तैयारी कर ली। हमारे घर में शादी का माहौल है, मैं लंबे समय बाद मायके आई थी। अभी घर पर ठीक से रही भी नहीं थी कि मुझे घर वापस जाने की तैयारी करनी पड़ी। किसी तरह हम लोग दूसरे दिन अमृतसर पहुंचे और बाघा बॉर्डर तक आ गए। वहां मेरे शौहर, ससुराल के सारे लोग हमें वापस लेने आए थे। मगर जैसे ही वहां आर्मी ऑफिसर ने मेरा कागज चेक किए तो कहा कि इन्हें रोक दो। इनको बॉर्डर पार पाकिस्तान नहीं भेज सकते, क्योंकि इनके पास भारत की नागरिकता है। सेना ने कहा- देखते हैं, क्या कर सकते हैं, अभी वापस जाएं
उन्होंने कहा कि दोनों बच्चों को पाकिस्तान जाने दो, क्योंकि वो पाकिस्तानी वीजा पर हैं। अब मैं अपने दो छोटे बच्चों को अकेले कैसे पाकिस्तान भेज सकती हूं। मेरी बेटी महज 1 साल की है, वो बेबी फीडिंग करती है। मां के बिना दो मासूम बच्चे कैसे रहेंगे? काफी देर तक बॉर्डर पर मेरे घरवालों की आर्मी आफिसर से बातचीत होती रही। उन्होंने कहा कि बच्चे पाकिस्तान जाएंगे, मगर आपको यहीं रुकना पड़ेगा। किसी तरह सीनियर ऑफिसर्स ने हमारी परेशानी को सुना और समझा। हमसे कहा कि ठीक है, अभी आप मेरठ घर वापस लौट जाएं, बच्चों को भी लेकर जाएं, आगे हम देखते हैं कि आपके लिए क्या कर सकते हैं। सना आगे कहती हैं कि वहां बॉर्डर पर मेरा पूरा परिवार हमे लेने आया था। उन्होंने भी जब ये सुना, तो सभी परेशान हो गए। वो हमसे मिल भी नहीं पाए, हम एक दूसरे की शक्ल भी नहीं देख सके। उन्हें वहां से खाली हाथ वापस कराची लौटना पड़ा। इधर हम लोगों को वापस मेरठ आना पड़ा। अब सना की मां की बात
बेटी हमसे मिलने आई, इसमें क्या गुनाह है?
मां जुबैदा कहती हैं- हमें अचानक पता चला कि कश्मीर में आतंकी अटैक हो गया है। बेटी को 48 घंटों में पाकिस्तान भेजना है। हम तुरंत उसका वीजा लेने दिल्ली भागे। वीजा लेकर हम उसे बॉर्डर पर छोड़ने गए। शादी करने के बाद तो ससुराल ही बेटी का घर है, हम उसे यहां कितने दिन रख सकते हैं। 50 साल पहले मेरी ननद की पाकिस्तान में शादी हुई थी। वहीं रिश्तेदारी में हमने बेटी की शादी कर दी। इसमें क्या गलत किया? अपने मां-बाप से मिलने का मन तो बेटी का करता ही है, इसमें उसका क्या गुनाह है? हम तो ये चाहते हैं कि वो अपने बच्चों संग घर लौट जाए। मगर अब जो स्थितियां हैं, उससे पूरा परिवार परेशान है, समझ नहीं आ रहा कि क्या करें? अब मोबाइल पर ही दामाद से बात हो पाती है, एक-दूसरे को तसल्ली देते रहते हैं कि सब ठीक हो जाएगा, जल्दी सना घर लौटेगी। चाचा ने कहा- हम यही चाहते हैं, बच्ची सलामती से पाकिस्तान पहुंचे
घर में हमें सना के चाचा सिराजुद्दीन भी मिले। सिराजुद्दीन कहते हैं- हमारी बेटी सही सलामत अपने बच्चों के साथ पाकिस्तान भेज दी जाए, हम तो यही चाहते हैं। वह कहते हैं पहलगाम में जो हमला हुआ, वो बहुत बुरा हुआ। सरकार को इस मामले में डिसीजन लेना चाहिए। हम तो यहीं के रहने वाले हैं, इस हमले के पीछे जिन लोगों की साजिश है, उनके बारे में सबको पता चलना चाहिए। मगर मैं कहना चाहता हूं कि ऐसे मसले दोनों मुल्कों के लिए अच्छे नहीं हैं। मेरी दो बहनों की भी शादी पाकिस्तान में हुई है। किसी का भी बच्चा अपनी मां से अलग कैसे रह पाएगा? या तो इन लोगों को यहां रहने की छूट दी जाए या फिर सलामती से वापस भेजे दें। हमने पूछा- सीमा हैदर भी तो पाकिस्तान से आकर यहां रह रही है? उन्होंने कहा- इस पर हम कुछ नहीं कह सकते। हम सिर्फ अपनी बेटी के लिए कह सुन सकते हैं। हमारे दामाद भी यहां नहीं आ सकते, पूरा परिवार बिखरा हुआ है। अब पड़ोसियों की बात… बॉर्डर पर खड़ी बेटियों के बारे में सरकार सोचे
सना के पड़ोसी साबिर ने कहा- जहां बेटी का घर है, उसकी शादी हुई है, वहां उसको भेजा जाना चाहिए। बच्ची ही नहीं, उसका पूरा परिवार बहुत परेशान है। उन्हें बॉर्डर से लौटा दिया गया। इसमें इन लोगों का कसूर नहीं है। वह उस काम की सजा भुगत रहे हैं, जो उन्होंने किया ही नहीं है। फूलबानों ने कहा- पूरा परिवार ही बिखर गया
पड़ोसी फूलबानो ने कहा- मां और बच्चे का रिश्ता सब समझते हैं। ऐसे में बच्चों को मां के बिना ही पाकिस्तान भेजना क्या सही है? सरकार को चाहिए सना को पाकिस्तान पहुंचा दे। हमने तो सना को बचपन से देखा है। वो हमारे ही पड़ोस में रहती थी। ये बहुत अच्छा परिवार है। सबके सुख-दुख में शामिल होते हैं। ऐसे में उन्हें इस तरह से परेशान होते हुए देखकर हमें भी अच्छा नहीं लग रहा है। …………………. यह भी पढ़ें :
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