पंजाब में कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रताप सिंह बाजवा द्वारा 50 बमों को लेकर दायर मामले की आज (22 मई) को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। इस दौरान पुलिस द्वारा अपनी विस्तृत जांच रिपोर्ट पेश की जाएगी। हालांकि अदालत ने साफ किया था कि जांच की आड़ में बाजवा को परेशान न किया जाए। इससे पहले बाजवा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आरएस चीमा ने हाईकोर्ट को बताया कि बाजवा इस मामले की जांच में सहयोग कर रहे हैं, लेकिन पुलिस उन्हें बार-बार नोटिस भेजकर परेशान कर रही है।
पहले पूछताछ, फिर मांगा फोन का पासवर्ड
प्रताप सिंह बाजवा से अब तक इस मामले की जांच कमेटी मोहाली स्थित साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में जांच कर चुकी है। एक बार उनसे 19 अप्रैल और दूसरी बार 25 अप्रैल को पूछताछ हुई थी। 25 अप्रैल को करीब साढ़े 6 घंटे पूछताछ हुई थी। जबकि पता चला है कि 6 मई को भी पूछताछ के लिए बुलाया गया था, लेकिन वह पेश नहीं हुए। दूसरी तरफ बाजवा ने मोबाइल फोन जमा करवा लिया था। साथ ही अब उन्हें फोन का पासवर्ड बताने के लिए नोटिस दिया गया था। इस दौरान दो साल में प्रयोग किए सभी मोबाइल फोन व सिम का ब्योरा मांगा गया। इस चीज का बाजवा ने एतराज किया था। उन्होंने दलील दी थी कि वह जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं। यह उनकी निजता का उल्लंघन है। ऐसे चला रहा यह सारा मामला
टीवी इंटरव्यू के बाद उठा विवाद
बाजवा ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था, “पंजाब में 50 ग्रेनेड आए थे, जिनमें से 18 इस्तेमाल हो चुके हैं, जबकि 32 बाकी हैं।” इस बयान के बाद 13 अप्रैल को मोहाली के साइबर क्राइम थाने में उनके खिलाफ एक महिला पुलिस कर्मचारी की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई। एफआईआर दर्ज होने के बाद करीब 6 घंटे तक उनसे पूछताछ भी की गई थी।
पुलिस पहुंच गई बाजवा के घर
13 अप्रैल को इंटरव्यू का टीजर जारी होते ही विवाद शुरू हो गया। उसी दिन दोपहर 12 बजे एआईजी काउंटर इंटेलिजेंस रवजोत ग्रेवाल, बाजवा के घर पहुंचीं और उनसे ग्रेनेड की जानकारी का स्रोत पूछा, लेकिन बाजवा ने जांच में सहयोग नहीं किया। इसके बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक वीडियो जारी कर बाजवा से सवाल किया कि उन्हें यह जानकारी कहां से मिली? क्या उनके पाकिस्तान से संबंध हैं, जो आतंकवादी उन्हें सीधे फोन कर जानकारी दे रहे हैं? मुख्यमंत्री ने यह भी पूछा कि जब यह जानकारी न राज्य इंटेलिजेंस के पास है और न ही केंद्रीय एजेंसियों के पास, तो क्या बाजवा इन बम धमाकों का इंतजार कर रहे थे ताकि राजनीति कर सकें। एफआईआर और कोर्ट की प्रक्रिया
13 अप्रैल की शाम को पुलिस ने बाजवा को पूछताछ के लिए समन भेजा और 14 अप्रैल को दोपहर 12 बजे पेश होने को कहा। बाजवा उस दिन पेश नहीं हुए और उनके वकीलों ने एक दिन का समय मांगा। इसके बाद उन्हें 15 अप्रैल को दोपहर 2 बजे बुलाया गया। उसी दिन बाजवा के वकीलों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की और उन्हें शाम 4 बजे एफआईआर की कॉपी सौंपी गई।
थाने बुलाकर पूछताछ की गई
15 अप्रैल को प्रताप सिंह बाजवा ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में उनके खिलाफ दर्ज केस को रद्द करने के लिए याचिका दाखिल की। उसी दिन दोपहर में कांग्रेसी नेता और उनके समर्थक चंडीगढ़ में इकट्ठा हुए। इसके बाद दोपहर 2:30 बजे से रात 8 बजे तक मोहाली पुलिस ने बाजवा से पूछताछ की। इस दौरान कांग्रेसी नेताओं ने साइबर थाने के बाहर प्रदर्शन भी किया। इसके बाद 25 अप्रैल को उनसे करीब साढ़े छह घंटे तक पूछताछ हुई थी पंजाब में कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रताप सिंह बाजवा द्वारा 50 बमों को लेकर दायर मामले की आज (22 मई) को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। इस दौरान पुलिस द्वारा अपनी विस्तृत जांच रिपोर्ट पेश की जाएगी। हालांकि अदालत ने साफ किया था कि जांच की आड़ में बाजवा को परेशान न किया जाए। इससे पहले बाजवा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आरएस चीमा ने हाईकोर्ट को बताया कि बाजवा इस मामले की जांच में सहयोग कर रहे हैं, लेकिन पुलिस उन्हें बार-बार नोटिस भेजकर परेशान कर रही है।
पहले पूछताछ, फिर मांगा फोन का पासवर्ड
प्रताप सिंह बाजवा से अब तक इस मामले की जांच कमेटी मोहाली स्थित साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में जांच कर चुकी है। एक बार उनसे 19 अप्रैल और दूसरी बार 25 अप्रैल को पूछताछ हुई थी। 25 अप्रैल को करीब साढ़े 6 घंटे पूछताछ हुई थी। जबकि पता चला है कि 6 मई को भी पूछताछ के लिए बुलाया गया था, लेकिन वह पेश नहीं हुए। दूसरी तरफ बाजवा ने मोबाइल फोन जमा करवा लिया था। साथ ही अब उन्हें फोन का पासवर्ड बताने के लिए नोटिस दिया गया था। इस दौरान दो साल में प्रयोग किए सभी मोबाइल फोन व सिम का ब्योरा मांगा गया। इस चीज का बाजवा ने एतराज किया था। उन्होंने दलील दी थी कि वह जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं। यह उनकी निजता का उल्लंघन है। ऐसे चला रहा यह सारा मामला
टीवी इंटरव्यू के बाद उठा विवाद
बाजवा ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था, “पंजाब में 50 ग्रेनेड आए थे, जिनमें से 18 इस्तेमाल हो चुके हैं, जबकि 32 बाकी हैं।” इस बयान के बाद 13 अप्रैल को मोहाली के साइबर क्राइम थाने में उनके खिलाफ एक महिला पुलिस कर्मचारी की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई। एफआईआर दर्ज होने के बाद करीब 6 घंटे तक उनसे पूछताछ भी की गई थी।
पुलिस पहुंच गई बाजवा के घर
13 अप्रैल को इंटरव्यू का टीजर जारी होते ही विवाद शुरू हो गया। उसी दिन दोपहर 12 बजे एआईजी काउंटर इंटेलिजेंस रवजोत ग्रेवाल, बाजवा के घर पहुंचीं और उनसे ग्रेनेड की जानकारी का स्रोत पूछा, लेकिन बाजवा ने जांच में सहयोग नहीं किया। इसके बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक वीडियो जारी कर बाजवा से सवाल किया कि उन्हें यह जानकारी कहां से मिली? क्या उनके पाकिस्तान से संबंध हैं, जो आतंकवादी उन्हें सीधे फोन कर जानकारी दे रहे हैं? मुख्यमंत्री ने यह भी पूछा कि जब यह जानकारी न राज्य इंटेलिजेंस के पास है और न ही केंद्रीय एजेंसियों के पास, तो क्या बाजवा इन बम धमाकों का इंतजार कर रहे थे ताकि राजनीति कर सकें। एफआईआर और कोर्ट की प्रक्रिया
13 अप्रैल की शाम को पुलिस ने बाजवा को पूछताछ के लिए समन भेजा और 14 अप्रैल को दोपहर 12 बजे पेश होने को कहा। बाजवा उस दिन पेश नहीं हुए और उनके वकीलों ने एक दिन का समय मांगा। इसके बाद उन्हें 15 अप्रैल को दोपहर 2 बजे बुलाया गया। उसी दिन बाजवा के वकीलों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की और उन्हें शाम 4 बजे एफआईआर की कॉपी सौंपी गई।
थाने बुलाकर पूछताछ की गई
15 अप्रैल को प्रताप सिंह बाजवा ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में उनके खिलाफ दर्ज केस को रद्द करने के लिए याचिका दाखिल की। उसी दिन दोपहर में कांग्रेसी नेता और उनके समर्थक चंडीगढ़ में इकट्ठा हुए। इसके बाद दोपहर 2:30 बजे से रात 8 बजे तक मोहाली पुलिस ने बाजवा से पूछताछ की। इस दौरान कांग्रेसी नेताओं ने साइबर थाने के बाहर प्रदर्शन भी किया। इसके बाद 25 अप्रैल को उनसे करीब साढ़े छह घंटे तक पूछताछ हुई थी पंजाब | दैनिक भास्कर
