अमृतसर के मुख्य प्रवेश द्वार पर सारागढ़ी फाउंडेशन द्वारा स्थापित सारागढ़ी शहीद स्मारक का उद्घाटन करने पहुंचे पंजाब विधानसभा के स्पीकर कुलतार सिंह संधवां ने कहा कि सारागढ़ी के युद्ध का गौरवपूर्ण इतिहास स्कूल के बच्चों को पढ़ाया जाए। समारोह में मुख्य मेहमान के रुप में पूर्व आर्मी चीफ जनरल जेजे सिंह भी पहुंचे] वहीं यूके, कैनेडा और अमेरिका से डेलीगेशन के साथ ब्रिटिश आर्मी के अधिकारी भी पहुंचे। सारागढ़ी फाउंडेशन की ओर से आयोजित समारोह में विधानसभा स्पीकर कुलतार सिंह संधवां ने कहा कि दुनिया की शीर्ष लड़ाईयों में से एक सारागढ़ी की लड़ाई 21 बहादुर सिख सैनिकों द्वारा दिखाई गई बहादुरी का उदाहरण है। इसे आने वाली पीढ़ियों में जीवित रखना बहुत जरूरी है। उन्होंने सारागढ़ी फाउंडेशन द्वारा दुनियाभर में इन शहीदों के स्मारक स्थापित करने के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। इस अवसर पर विधायक इंद्रबीर सिंह निज्जर ने कहा कि यह हमारे लिए गर्व की बात है कि अमृतसर के दर्शनी गेट के नीचे इन शहीदों का स्मारक बनाया गया है, जो देशभर से आने वाले लोगों के लिए प्रेरणा का एक बड़ा स्रोत बनेगा। फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. गुरिंदर पाल सिंह जोसियन ने बताया कि कैसे 1984 से संस्था सारागढ़ी के शहीदों के लिए स्मारक बनाने और उन्हें दुनियाभर में प्रचारित करने के लिए काम कर रही है। इस मौके पर अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन से आए प्रतिनिधि मंडल के नेता मनदीप कोर गिल और ब्रिटिश सेना से अनुप्रीत सिंह ने कहा कि सारागढ़ी के 21 शहीदों की याद में शहादत देने के लिए सेना की टुकड़ी 12 सितंबर को यहां आती है और अब कैनेडियन आर्मी अनुमति मिलने के बाद एक स्मारक बनाकर दीवार बनाएगी और उन 21 वीर जवानों की तस्वीरें लगाएगी। इस अवसर पर अवतार सिंह मिन्हास ने कहा कि ब्रैम्पटन कनाडा में सारागढ़ी के शहीदों के लिए एक स्मारक स्थापित किया जा रहा है और आने वाले वर्ष में इसका उद्घाटन किया जाएगा।विधायक जीवनजोत कौर, सुखदेव सिंह भूरा कोहना, ब्रिगेडियर जेएस अरोड़ा, कर्नल कमलजीत सिंह, एस जगदीश सिंह, मेजर दिलबाग सिंह, कर्नल बलदेव सिंह चहल, ब्रिटिश सेना से अनुप्रीत सिंह कोरपाल आदि प्रमुख रुप से उपस्थित रहे। अमृतसर के मुख्य प्रवेश द्वार पर सारागढ़ी फाउंडेशन द्वारा स्थापित सारागढ़ी शहीद स्मारक का उद्घाटन करने पहुंचे पंजाब विधानसभा के स्पीकर कुलतार सिंह संधवां ने कहा कि सारागढ़ी के युद्ध का गौरवपूर्ण इतिहास स्कूल के बच्चों को पढ़ाया जाए। समारोह में मुख्य मेहमान के रुप में पूर्व आर्मी चीफ जनरल जेजे सिंह भी पहुंचे] वहीं यूके, कैनेडा और अमेरिका से डेलीगेशन के साथ ब्रिटिश आर्मी के अधिकारी भी पहुंचे। सारागढ़ी फाउंडेशन की ओर से आयोजित समारोह में विधानसभा स्पीकर कुलतार सिंह संधवां ने कहा कि दुनिया की शीर्ष लड़ाईयों में से एक सारागढ़ी की लड़ाई 21 बहादुर सिख सैनिकों द्वारा दिखाई गई बहादुरी का उदाहरण है। इसे आने वाली पीढ़ियों में जीवित रखना बहुत जरूरी है। उन्होंने सारागढ़ी फाउंडेशन द्वारा दुनियाभर में इन शहीदों के स्मारक स्थापित करने के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। इस अवसर पर विधायक इंद्रबीर सिंह निज्जर ने कहा कि यह हमारे लिए गर्व की बात है कि अमृतसर के दर्शनी गेट के नीचे इन शहीदों का स्मारक बनाया गया है, जो देशभर से आने वाले लोगों के लिए प्रेरणा का एक बड़ा स्रोत बनेगा। फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. गुरिंदर पाल सिंह जोसियन ने बताया कि कैसे 1984 से संस्था सारागढ़ी के शहीदों के लिए स्मारक बनाने और उन्हें दुनियाभर में प्रचारित करने के लिए काम कर रही है। इस मौके पर अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन से आए प्रतिनिधि मंडल के नेता मनदीप कोर गिल और ब्रिटिश सेना से अनुप्रीत सिंह ने कहा कि सारागढ़ी के 21 शहीदों की याद में शहादत देने के लिए सेना की टुकड़ी 12 सितंबर को यहां आती है और अब कैनेडियन आर्मी अनुमति मिलने के बाद एक स्मारक बनाकर दीवार बनाएगी और उन 21 वीर जवानों की तस्वीरें लगाएगी। इस अवसर पर अवतार सिंह मिन्हास ने कहा कि ब्रैम्पटन कनाडा में सारागढ़ी के शहीदों के लिए एक स्मारक स्थापित किया जा रहा है और आने वाले वर्ष में इसका उद्घाटन किया जाएगा।विधायक जीवनजोत कौर, सुखदेव सिंह भूरा कोहना, ब्रिगेडियर जेएस अरोड़ा, कर्नल कमलजीत सिंह, एस जगदीश सिंह, मेजर दिलबाग सिंह, कर्नल बलदेव सिंह चहल, ब्रिटिश सेना से अनुप्रीत सिंह कोरपाल आदि प्रमुख रुप से उपस्थित रहे। पंजाब | दैनिक भास्कर
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किसान नेता की 96 घंटे कस्टडी की कहानी:केबिन तोड़ घुसे पुलिसवाले, अस्पताल में अकेले रख दबाव बनाया, डॉक्टरों ने चेकअप पर झूठ बोला
किसान नेता की 96 घंटे कस्टडी की कहानी:केबिन तोड़ घुसे पुलिसवाले, अस्पताल में अकेले रख दबाव बनाया, डॉक्टरों ने चेकअप पर झूठ बोला पंजाब के किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को 26 नवंबर की सुबह पंजाब पुलिस ने खनौरी बॉर्डर से हिरासत में ले लिया था। वह करीब 96 घंटे पुलिस की हिरासत में लुधियाना के DMC अस्पताल में रहे। दैनिक भास्कर ने खनौरी बॉर्डर पहुंचकर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल से बातचीत कर जाना कि उनके ये 96 घंटे कैसे गुजरे। हिरासत में लेने से लेकर अस्पताल में उनके साथ क्या-क्या हुआ? डल्लेवाल ने दावा किया जब उन्हें पुलिस के अधिकारी हिरासत में लेने के लिए आए तो वे डरे हुए थे। उन्हें डर था कि कहीं यहां किसान न आ जाएं और उनकी झड़प न हो जाए। इसलिए उन्होंने मुझे कपड़े भी नहीं पहनने दिए और गाड़ी में बिठा लिया। अनशन तुड़वाने के लिए अस्पताल में पुलिस के अधिकारी चाय नाश्ता लेकर आते रहे, लेकिन मैंने अपना अनशन जारी रखा। वहां मेरा ब्लड प्रेशर तक चेक नहीं हुआ। मानसिक दबाव बनाने के लिए एक कमरे में रखा। किसी से मिलने नहीं दिया। सरकार को लगा था कि एक ही किसान मरणव्रत पर बैठेगा तो उसे उठा लेते हैं, लेकिन दूसरे किसान ने भी अनशन शुरू कर दिया। इससे सरकार को झुकना पड़ा। किसान नेता जगजीत डल्लेवाल से पूरी बातचीत पढ़ें… सवाल : पुलिस ने जब आपको हिरासत में लिया तो उस वक्त क्या हुआ था? डल्लेवाल : रात एक बजे तक हमारी बैठक चली थी। इसलिए मैं देरी से अपनी ट्रॉली में पहुंचा। सभी लोग थके हुए थे। जब सब लोग सो गए तब पुलिसवाले आए। उन्होंने टेंटों के बाहर कुंडी लगा दी, ताकि कोई बाहर न निकल सके। उसके बाद पुलिसवाले मेरे केबिन में आए। मेरा केबिन नॉर्मल था, ताकि हवा और सर्दी से बचा जा सके। उस केबिन को पुलिसकर्मियों ने 2 मिनट में तोड़ दिया। ज्यादा दुख मुझे इस बात का हुआ कि मुझे जूते और पजामा तक पहनने नहीं दिया। मुझे बाद में पता चला कि पुलिस किसानों से डरी हुई थी। पुलिस के मन में डर था कि यदि थोड़ा समय भी उन्हें और लग जाता तो किसान वहां आ जाते। पुलिस और किसानों की झड़प हो सकती थी। मैंने खुद सुना कि पुलिस के सीनियर अधिकारी अपने छोटे कर्मचारियों को डांट रहे थे कि जल्दी गाड़ियों में बैठो, समय न लगाओ। जितनी जल्दी यहां से निकला जा सकता है, निकलो। मैं खुद हैरान रह गया कि ट्रॉली से उठाते समय पुलिस का व्यवहार कुछ और था। गाड़ी में बैठाने के बाद उनका व्यवहार बदल गया। सवाल : खनौरी बॉर्डर से पटियाला का राजिंदरा अस्पताल करीब था, फिर लुधियाना DMC क्यों लाए?
डल्लेवाल : देखो, जब मुझे खनौरी बॉर्डर से लेकर गए तो पुलिस के पास ऑर्डर आ गए थे कि पटियाला की जगह लुधियाना के DMC अस्पताल लेकर जाना है। यहां से संगरूर गए और फिर DMC अस्पताल पहुंचे। रास्ते में सभी पुलिसकर्मी बातें करते हुए गए। मुझसे ये कमी रह गई कि मैं अपने साथियों को मैसेज नहीं दे पाया कि मुझे पुलिस हिरासत में लेकर DMC अस्पताल लेकर गई है। मेरे पास मोबाइल भी नहीं था। किसान साथियों को सुबह 6 बजे पता चला कि मैं DMC अस्पताल में हूं। अधिकारियों ने सुबह 6 बजे मेरे किसान साथी काका से बात करवाई। मैंने उनसे कह दिया था कि आप लोग चिंता न करो, मेरा अनशन जारी है। मैं अनशन नहीं तोड़ूंगा। मुझे दुख है कि पत्रकारों को मुझसे मिलने नहीं दिया, जबकि पत्रकारों को मिलने से कोई नहीं रोक सकता। कोई मेरा साथी या रिश्तेदार मुझे मिलने आया तो उसे बाहर से ही लौटा दिया। इमरजेंसी में ऐसे हालात बना दिए थे कि किसी दूसरे मरीज का रिश्तेदार भी अंदर आता तो उसे मोबाइल अंदर लाने की इजाजत नहीं थी। पुलिस घबराहट में थी। सवाल : आखिर पंजाब पुलिस को आधी रात में आपको हिरासत में लेने की जरूरत क्यों पड़ी?
डल्लेवाल : हमने जो अनशन पर बैठने की कॉल दी हुई थी, ये हमारा मजबूत एक्शन है। इसकी खास बात यह भी है कि जो अनशन पर बैठने वाले साथी के मरने के बाद दूसरा साथी तुरंत अनशन पर बैठ जाएगा। जब तक हमारी मांग नहीं मानी जाती, मरने वाले किसान का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा। इसी घोषणा से सरकार बुरी तरह घबराई हुई है। ये हमारी मांग केंद्र सरकार के साथ है। इससे प्रदेश सरकार का कोई लेना देना नहीं है। मेरा मानना है कि केंद्र के कहने पर पंजाब सरकार ने ये कार्रवाई की है जो अति निंदनीय है। सवाल : आपने कहा कि पंजाब सरकार भाजपा संग मिलकर काम कर रही है, ऐसा क्यों?
डल्लेवाल : पंजाब सरकार एक बार नहीं, कई बार इस बात को साबित कर चुकी है। सबसे पहले जब खनौरी बॉर्डर पर युवा किसान शुभकरण शहीद हुए तो 6 दिन डेडबॉडी सड़क पर रखने के बाद FIR हुई। सरकार का तो पहले से पता चल गया था कि सरकार हमें मारने वालों के साथ खड़ी हुई है, लेकिन अब इस घटना के बाद और भी क्लियर हो गया। पंजाब और हरियाणा सरकार यदि सच में किसान हितैषी है तो उन्हें केंद्र सरकार पर दबाव डालना चाहिए था कि किसानों को MSP दी जाए, नहीं तो धरती का जल स्तर लगातार गिर जाएगा। भविष्य में लोगों को पीने के लिए पानी नहीं मिलेगा। सरकार ने हमारे आंदोलन को डैमेज करने की कोशिश की। सवाल : DMC अस्पताल में आपके लिए कुछ खाने-पीने को दिया गया या नहीं?
डल्लेवाल : ये बहुत बार हुआ है कि जब मैं इमरजेंसी के केबिन में था तो पहले दिन ही पुलिस अधिकारी चाय लेकर आए। उन्होंने कहा कि प्रधानजी चाय ले लो। मैंने उनसे कहा कि देखो मैं अनशन पर हूं। वह दबाव डाल कर कह रहे थे कि प्रधान जी अभी अनशन शुरू नहीं हुआ। मैंने पुलिस अधिकारियों से कहा कि जिस समय आपने मुझे मोर्चे से उठाया, उसी समय मेरा अनशन शुरू हो गया था। पुलिसकर्मी कुछ न कुछ खाने और पीने के लिए लाते रहे। कई बड़े अधिकारी भी चाय पिलाने के लिए चक्कर लगाते रहे, लेकिन मैंने उनसे क्लियर कह दिया था कि मैं कुछ नहीं खाऊंगा और न ही पिऊंगा। सवाल : DMC अस्पताल के डॉक्टरों का दावा था कि आपका चेकअप करते रहे?
डल्लेवाल : मेरा उन डॉक्टरों से सवाल है कि यदि आपने मेरा चेकअप ही करना था तो वहां पत्रकारों को क्यों नहीं पहुंचने दिया। ऐसी क्या दिक्कत थी कि प्रेस को मेरे पास नहीं आने दिया। मेरे साथियों को मेरे तक नहीं पहुंचने दिया। डॉक्टर सब झूठ बोल रहे हैं। मेरा निवेदन है कि जिस डॉक्टर ने मेरी सेहत के बारे में बयान जारी किया और पुलिस अधिकारियों को भी लाइव डिबेट में जोड़ा जाए। हम उस बात को भी क्लियर करेंगे। वहां मेरा बीपी चेक करने के लिए नर्सें आती थीं। वे कहती थी कि बापूजी बीपी चेक कर दें। मैं उनसे यही कहता था कि मेरा बीपी चेक करने की जरूरत नहीं है, मैं बिल्कुल ठीक हूं। अस्पताल में मेरा बीपी तक चेक नहीं हुआ। सवाल : 4 दिन अस्पताल में एक ही केबिन में रहे, उस समय कैसा महसूस किया?
डल्लेवाल : देखिए, मैं आइसोलेशन वार्ड में था। उस वार्ड में भेजने का मकसद यही होता है कि वहां अकेला आदमी रहेगा। तभी वो कहीं न कहीं अंदर से कमजोर होगा। पुलिस को शायद इस बात का अंदाजा नहीं था कि वह जिस आदमी को उठाकर लाए हैं, उसकी पूरी जिंदगी इन्हीं कामों में निकल गई। ऐसे आदमी पर क्या मानसिक दबाव बना पाएंगे। 5 पुलिसवाले मेरे पास केबिन में बैठकर खुद इस बात को महसूस कर रहे थे कि गलत हो रहा है। पुलिस में भी जो काम करते हैं, सभी किसान और मजदूरों के बच्चे हैं। सभी की भावनाएं हमारे आंदोलन के साथ जुड़ी है। सभी ऑर्डर के दबाव में थे। किसी पुलिसवाले की रात को डयूटी हुआ करती थी तो किसी की दिन के समय डयूटी थी। कई-कई घंटे उनके साथ मेरी बात होती रही। जब मैं सो जाता था, तब उनकी बातें मेरे साथ समाप्त होती थी। पुलिस वाले खुद कह रहे थे कि बाबा जी ये कब तक समाप्त होगा। ये कब आपको छोड़ेगे। मैंने उनसे कहा कि ये बात आप अपने अधिकारियों से पूछें। ये आंदोलन हमारा आखिरी सांस तक चलेगा। सवाल : पंजाब सरकार को आपको हिरासत से छोड़ना पड़ा, इसकी क्या वजह मानते हैं?
डल्लेवाल : किसानों की तरफ से बड़ी कॉल दी जा चुकी थी। पूरे देश में भगवंत सिंह मान और अरविंद केजरीवाल के पुतले जलाने का ऐलान कर दिया था। भगवंत मान के घर का घेराव करने की घोषणा कर दी थी। एक-एक ब्लॉक से 30-40 बसें तैयार थी। अगर मेरे एक ब्लॉक से 30 बसें भी आती तो अंदाजा लगाएं कि हमारे साथ 18 जिले हैं। हमारे साथ हर जिले में 4 से 5 ब्लॉक काम करते हैं। हमारे साथियों ने मोर्चा संभाले रखा। मेरे साथियों ने हौसले के साथ अनशन को बढ़ाया। सुखजीत जब अनशन पर बैठ गया तो सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा। सवाल : पैदल दिल्ली जाते समय आंसू गैस के गोले दागे गए तो क्या करेंगे?
डल्लेवाल : अब सरकार के मंत्री कह रहे हैं कि किसान शांतिपूर्ण ढंग से दिल्ली जा सकते हैं। वह कह रहे हैं कि अगर पैदल जाना चाहते हैं तो जा सकते हैं। दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट की कमेटी भी हमें कह रही है कि आप पैदल जा सकते हैं। अगर फिर भी किसानों पर अत्याचार हुआ या आंसू गैस के गोले या गोलियां चलाई गईं तो सरकार की किसानों के प्रति नीयत क्लियर हो जाएगी। रास्ते में यदि राशन या किसी दूसरी चीज की जरूरत पड़ी तो कोई चिंता की बात नहीं है। हरियाणा के किसान और लोग हमारे साथ हैं। खाने की किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं है। लगातार मोर्चे पर किसानों की संख्या अब बढ़ रही है। ********************** किसानों से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें :- दिल्ली कूच के लिए किसानों के हरियाणा में 4 पड़ाव शंभू बॉर्डर से दिल्ली कूच के लिए किसानों ने पूरी तैयारी कर ली है। रविवार को चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर किसान नेताओं ने कहा है कि 6 दिसंबर को किसान पैदल ही दिल्ली के लिए रवाना होंगे। किसानों का नेतृत्व कर रहे नेता मरजीवड़ों (मरने को तैयार) के जत्थों के तौर पर पहली पंक्ति में चलेंगे। उनके पीछे अन्य किसान आएंगे। पढ़ें पूरी खबर
जालंधर वेस्ट में उप-चुनाव घोषित, 10 जुलाई को होगी वोटिंग:21 जून नामांकन की आखिरी तारीख; EX-MLA अंगुराल लाइव होकर पंजाब सरकार पर भड़के
जालंधर वेस्ट में उप-चुनाव घोषित, 10 जुलाई को होगी वोटिंग:21 जून नामांकन की आखिरी तारीख; EX-MLA अंगुराल लाइव होकर पंजाब सरकार पर भड़के पंजाब में जालंधर के वेस्ट हलके में चुनावों की तारीख अनाउंस कर दी गई है। पंजाब के मुख्य निर्वाचन अधिकारी सिबिन सी ने जानकारी दी है कि जालंधर पश्चिम (एससी) उपचुनाव के लिए 10 जुलाई को मतदान होगा। इस संबंध में भारत निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव कार्यक्रम जारी कर दिया गया है। जालंधर वेस्ट हलके से आम आदमी पार्टी के विधायक रहे शीतल अंगुराल ने उप चुनावों की घोषणा होते ही जमकर पंजाब सरकार पर भड़ास निकाली। अंगुराल ने कहा- पंजाब की पांच सीटों पर उप चुनाव होने हैं। मगर सरकार सिर्फ जालंधर वेस्ट सीट पर उप चुनाव करवा रही है। बाकी किसी भी सीट के विधायक का इस्तीफा मंजूर नहीं किया गया। अंगुराल ने कहा- इससे पता चलता है कि सरकार किन नीतियों पर काम कर रही है। अंगुराल ने कहा- मेरे इलाके के लोग फिर से तैयार हैं सच और झूठ की लड़ाई के लिए। उन्हें उप चुनाव में अपनी स्थिति का पता चल जाएगा। सिबिन सी बोले- आज से शहर में आचार सहिता लागू सिबिन सी ने कहा- नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 21 जून (शुक्रवार) होगी। नामांकन पत्रों की जांच 24 जून (सोमवार) को होगी जबकि नामांकन पत्र वापस लेने की अंतिम तिथि 26 जून (बुधवार) है। उन्होंने कहा कि मतदान 10 जुलाई (बुधवार) को होगा और 13 जुलाई (शनिवार) को मतगणना के बाद परिणाम घोषित किया जाएगा। उपचुनाव की घोषणा के साथ ही सोमवार को जालंधर जिले में चुनाव संहिता लागू हो गई है। यह संहिता 15 जुलाई (सोमवार) को चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक लागू रहेगी। चुनाव आयोग द्वारा विभिन्न राज्यों में उप चुनाव को लेकर लेटर जारी गई है। जिसमें जालंधर के बारे में भी जानकारी दी गई। चुनाव आयोग द्वारा जारी की गई लेटर… शीतल अंगुराल के इस्तीफा देने पर सीट हुई थी खाली साल 2022 विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के विधायक रहे शीतल अंगुराल (बीजेपी जॉइंन कर चुके) लोकसभा चुनावों से पहले आप सांसद रहे सुशील कुमार रिंकू (अब बीजेपी में) के साथ इसी साल 27 मार्च को भारतीय जनता पार्टी जॉइंन कर ली थी। पार्टी जॉइंन करने से पहले शीतल अंगुराल ने अपने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। लोकसभा चुनाव की वोटिंग संपन्न होने तक उक्त इस्तीफा मंजूर नहीं किया गया था। मगर वोटिंग से दो दिन पहले अंगुराल का इस्तीफा पंजाब के विधानसभा के स्पीकर संधवां ने मंजूर कर दिया था। इसे लेकर अब उक्त सीट पर उप चुनाव होने जा रहे हैं। 3 जून को विधानसभा अध्यक्ष ने वेरिफिकेशन के लिए शीतल अंगुराल को बुलाया था। इससे पहले ही उनका इस्तीफा स्पीकर ने मंजूर कर दिया था। अंगुराल ने कहा था कि मैं कोर्ट जाऊंगा विधायक जब 3 जून को स्पीकर से मिलने के लिए पहुंचे तो उन्हें पता चला कि 30 मई को ही उनका इस्तीफा मंजूर हो चुका था। इस पर अंगुराल ने आरोप लगाए थे कि उनके साथ राजनीति की जा रही है। वह उप चुनाव को लेकर कोर्ट जाएंगे। इस्तीफा वापस लेने की बात पर शीतल अंगुराल ने कहा था कि अगर लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा हलके में चुनाव हो जाते तो सरकार का खर्च बच जाना था। मगर जब यहां पर दोबारा चुनाव करवाए जाने हैं। यही वजह है कि वह अपना इस्तीफा वापस ले रहे हैं। उसी दिन शीतल अंगुराल ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से मोदी का परिवार भी हटा लिया था। ऑपरेशन लोटस के मुख्य शिकायतकर्ता पंजाब की राजनीति में भूचाल लाने वाले ऑपरेशन लोटस के मुख्य शिकायतकर्ता शीतल अगुंराल ही है। करीब डेढ़ साल पहले ऑपरेशन लोटस मामले में आम आदमी पार्टी के 2 विधायक शीतल अंगुराल और रमन अरोड़ा ने बयान दर्ज करवाए थे। मोहाली थाने में केस दर्ज होने के बाद इस मामले की जांच विजिलेंस ब्यूरो को सौंपी गई थी। लेकिन विजिलेंस की जांच में कोई ऐसा तथ्य सामने नहीं आया, जिससे किसी को इस केस में नामजद किया जा सके।
पंजाबी सिंगर के शो में हंगामा:बाउंसरों ने किसान की पगड़ी उतारी, स्टेज से धक्के मार गिराया, शो-गाड़ियां छोड़कर भागा गायक
पंजाबी सिंगर के शो में हंगामा:बाउंसरों ने किसान की पगड़ी उतारी, स्टेज से धक्के मार गिराया, शो-गाड़ियां छोड़कर भागा गायक पंजाब के खन्ना के ललहेड़ी रोड पर आयोजित दशहरा मेले में जबरदस्त हंगामा हुआ। यहां पंजाबी गायक गुलाब सिद्धू के चलते शो को बीच में ही रोकना पड़ा। स्टेज पर बाउंसरों ने गुंडागर्दी करते हुए किसान की पगड़ी उतार दी। किसान और उसके बेटे को धक्के मार स्टेज से गिराया गया। इसके बाद माहौल तनावपूर्ण हुआ। जानकारी के अनुसार, किसान और उसके बेटे को ही गायक की स्टेज पर जाने से रोका गया। जब उन्होंने कहा कि वे जमीन के मालिक हैं तो बाउंसरों ने गुंडागर्दी शुरू कर दी। बुजुर्ग किसान को धक्के मारे। बेटे ने विरोध किया तो उसे भी धक्के मारे गए। किसान की पगड़ी उतारने के बाद उसे बेटे समेत धक्के मार जमीन से गिरा दिया गया। सबसे पहले देखिए मामले से जुड़ी 4 तस्वीरें… स्टेज पास ट्रैक्टर लेकर पहुंचे साथी
इस घटना के बाद किसान के साथी लोगों की भीड़ के बीच ट्रैक्टर लेकर स्टेज के पास पहुंच गए। जिसके बाद गुलाब सिद्धू को शो रोकना पड़ा। हालात बिगड़ते देख गुलाब सिद्धू शो छोड़कर भागे। उनकी कई गाड़ियां भी वहीं रोक ली गईं। बाउंसरों खिलाफ केस दर्ज करने की मांग
सूचना मिलने के बाद एसएसपी अश्विनी गोत्याल समेत कई अधिकारी मौके पर पहुंचे। किसान और उसके परिवार के लोग मांग कर रहे हैं कि बाउंसरों खिलाफ केस दर्ज किया जाए। एसपी सौरव जिंदल ने कहा कि दोनों पक्षों को बुलाकर जांच को आगे बढ़ाया जाएगा। जो भी बनती कार्रवाई होगी की जाएगी।