चरखी दादरी जिले के बाढड़ा व हंसावास खुर्द को नगरपालिका का दर्जा रद्द हुए दो साल से अधिक का समय बीत चुका है। जिसके बाद से यहां लोगों को ग्राम पंचायत के चुनाव का इंतजार है। नगर पालिका का दर्जा रद्द होने के बाद से करीब 25 माह का लंबा समय बीतने के बाद भी ग्राम पंचायत के चुनाव नहीं होने के कारण यहां विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। लेकिन अब जून माह तक चुनाव होने की संभावना है जिसके बाद यहां विकास कार्यों में तेजी आने की उम्मीद है। दर्जा मिलने पर जताई थी खुशी
बता दे कि प्रदेश सरकार ने बाढड़ा को साल 2016 में उपमंडल का दर्जा दिया था। जिसके करीब पांच साल बाद जून 2021 में बाढड़ा व हंसावास खुर्द को मिलाकर नगरपालिका का दर्जा दे दिया गया था। नपा का दर्जा मिलने पर विभिन्न संगठनों के लोगों के बाढड़ा के मुख्य चौक पर मिठाई बांटकर खुशी का इजहार किया और इसे बाढड़ा के विकास में मील का पत्थर माना। जिसके बाद बाढड़ा के ग्राम सचिवालय में नगरपालिका ने कार्यालय स्थापित कर कार्य भी शुरू कर दिया था। एक साल बाद विरोध शुरू हुआ लेकिन एक साल बाद ही ग्रामीणों ने टैक्स लगने, नौकरी में युवाओं को छुट नहीं मिलने आदि का नाम लेकर इसका विरोध शुरू कर दिया और जून 2022 में एसडीएम को ज्ञापन सौंपकर नगर पालिका का दर्जा समाप्त करवाकर पुन: ग्राम पंचायत का दर्जा बहाल करवाने की मांग की। ग्रामीणों के करीब 6 माह के संघर्ष के बाद दिसंबर 2022 में नगर पालिका का दर्जा रद्द कर बाढड़ा व हंसावास खुर्द को पुन: ग्राम पंचायत का दर्जा दिया गया। उसके बाद से यहां चुनाव नहीं हुए है। इन दोनों गांवों में नगर पालिका व ग्राम पंचायत का गठन नहीं होने के कारण विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
73 दिनों तक दिया धरना
बता दे कि नगर पालिका का दर्जा समाप्त करवा पुन: ग्राम पंचायत का दर्जा बहाल करवान के लिए दोनों गांवों के लोगों लोगों ने बैठकें,रोष मार्च, धरना प्रदर्शन आदि किए। उन्होंने जनप्रतिनिधियों के अलावा प्रशासनिक अधिकारियों को कई बार ज्ञापन भी सौंपे। लेकिन उनकी मांग पूरी नहीं हो पाने के कारण दोनों गांवों के ग्रामीणों ने आठ सितंबर 2022 को बाढड़ा एसडीएम कार्यालय के सामने धरना शुरू किया था जो 73 दिनों तक चला था। इस धरने पर 18 नवंबर 2022 को तत्कालीन कृषि मंत्री जेपी दलाल ने बादली की तर्ज पर ईवीएम के जरिए जनमत संग्रह करवाने का आश्वासन देकर समाप्त करवाया था। उसी के तहत प्रशासन ने दो दिसंबर 2022 को जनमत संग्रह करवाया जिसके आधार पर नगर पालिका का दर्जा समाप्त कर पुन: ग्राम पंचायत बहाल की थी। दोनों गांवों में थे 5620 मतदाता जब जनमत संग्रह करवाया गया तो उस समय बाढड़ा व हंसावास खुर्द दोनों गांवों में कुल 5620 मतदाता थे। जिसमें 2931 पुरुष मतदाता व 2689 महिला मतदाता शामिल थी। बाढड़ा के पांच बूथों पर 4131 व हंसावास के दो बूथों पर 1489 मतदाता थे। कुल 5620 मतदाताओं में से जनमत संग्रह में 3232 मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग किया जिनमें से 3120 मतदाताओं ने नगरपालिका के विरोध में व 112 मतदाताओं ने नगर पालिका के पक्ष में मतदान किया। इस जनमत संग्रह के आधार पर नगर पालिका को दिसंबर 2022 में रद्द किया गया और यहां पुन: ग्राम पंचायत बहाल की गई। लेकिन यहां के लोग तब से पंचायत चुनाव का इंतजार कर रहे हैं। विकास कार्यों में बाधा
ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम पंचायत का चुनाव नहीं होने के कारण दोनों गांवों के विकास कार्य पूरी तरह से प्रभावित हैं। हालांकि खंड विकास अधिकारी को इन गांवों में विकास की जिम्मेवारी सौंपी गई है। लेकिन ग्राम पंचायत के गठन के अभाव में वार्ड पंच नहीं होने के कारण विकास कार्य के लिए प्रस्ताव पास नहीं होने आदि के कारण अनेक काम अटके पड़े हैं जून में चुनाव की संभावना:डीडीपीओ
चरखी दादरी जिला विकास अधिकारी रविंद्र कुमार दलाल ने कहा कि करीब एक महीने पहले उच्च अधिकारियों द्वारा उनसे संबंधित सूचना मांगी गई थी जो उन्होंने भेज दी थी। जिसके बाद वे फरवरी माह में चुनाव होने की उम्मीद लगा रहे थे। लेकिन अब फरवरी माह में निकाय चुनाव हो रहे हैं। डीडीपीओ ने कहा कि आगामी जून माह में चुनाव होने की संभावना है। चरखी दादरी जिले के बाढड़ा व हंसावास खुर्द को नगरपालिका का दर्जा रद्द हुए दो साल से अधिक का समय बीत चुका है। जिसके बाद से यहां लोगों को ग्राम पंचायत के चुनाव का इंतजार है। नगर पालिका का दर्जा रद्द होने के बाद से करीब 25 माह का लंबा समय बीतने के बाद भी ग्राम पंचायत के चुनाव नहीं होने के कारण यहां विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। लेकिन अब जून माह तक चुनाव होने की संभावना है जिसके बाद यहां विकास कार्यों में तेजी आने की उम्मीद है। दर्जा मिलने पर जताई थी खुशी
बता दे कि प्रदेश सरकार ने बाढड़ा को साल 2016 में उपमंडल का दर्जा दिया था। जिसके करीब पांच साल बाद जून 2021 में बाढड़ा व हंसावास खुर्द को मिलाकर नगरपालिका का दर्जा दे दिया गया था। नपा का दर्जा मिलने पर विभिन्न संगठनों के लोगों के बाढड़ा के मुख्य चौक पर मिठाई बांटकर खुशी का इजहार किया और इसे बाढड़ा के विकास में मील का पत्थर माना। जिसके बाद बाढड़ा के ग्राम सचिवालय में नगरपालिका ने कार्यालय स्थापित कर कार्य भी शुरू कर दिया था। एक साल बाद विरोध शुरू हुआ लेकिन एक साल बाद ही ग्रामीणों ने टैक्स लगने, नौकरी में युवाओं को छुट नहीं मिलने आदि का नाम लेकर इसका विरोध शुरू कर दिया और जून 2022 में एसडीएम को ज्ञापन सौंपकर नगर पालिका का दर्जा समाप्त करवाकर पुन: ग्राम पंचायत का दर्जा बहाल करवाने की मांग की। ग्रामीणों के करीब 6 माह के संघर्ष के बाद दिसंबर 2022 में नगर पालिका का दर्जा रद्द कर बाढड़ा व हंसावास खुर्द को पुन: ग्राम पंचायत का दर्जा दिया गया। उसके बाद से यहां चुनाव नहीं हुए है। इन दोनों गांवों में नगर पालिका व ग्राम पंचायत का गठन नहीं होने के कारण विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
73 दिनों तक दिया धरना
बता दे कि नगर पालिका का दर्जा समाप्त करवा पुन: ग्राम पंचायत का दर्जा बहाल करवान के लिए दोनों गांवों के लोगों लोगों ने बैठकें,रोष मार्च, धरना प्रदर्शन आदि किए। उन्होंने जनप्रतिनिधियों के अलावा प्रशासनिक अधिकारियों को कई बार ज्ञापन भी सौंपे। लेकिन उनकी मांग पूरी नहीं हो पाने के कारण दोनों गांवों के ग्रामीणों ने आठ सितंबर 2022 को बाढड़ा एसडीएम कार्यालय के सामने धरना शुरू किया था जो 73 दिनों तक चला था। इस धरने पर 18 नवंबर 2022 को तत्कालीन कृषि मंत्री जेपी दलाल ने बादली की तर्ज पर ईवीएम के जरिए जनमत संग्रह करवाने का आश्वासन देकर समाप्त करवाया था। उसी के तहत प्रशासन ने दो दिसंबर 2022 को जनमत संग्रह करवाया जिसके आधार पर नगर पालिका का दर्जा समाप्त कर पुन: ग्राम पंचायत बहाल की थी। दोनों गांवों में थे 5620 मतदाता जब जनमत संग्रह करवाया गया तो उस समय बाढड़ा व हंसावास खुर्द दोनों गांवों में कुल 5620 मतदाता थे। जिसमें 2931 पुरुष मतदाता व 2689 महिला मतदाता शामिल थी। बाढड़ा के पांच बूथों पर 4131 व हंसावास के दो बूथों पर 1489 मतदाता थे। कुल 5620 मतदाताओं में से जनमत संग्रह में 3232 मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग किया जिनमें से 3120 मतदाताओं ने नगरपालिका के विरोध में व 112 मतदाताओं ने नगर पालिका के पक्ष में मतदान किया। इस जनमत संग्रह के आधार पर नगर पालिका को दिसंबर 2022 में रद्द किया गया और यहां पुन: ग्राम पंचायत बहाल की गई। लेकिन यहां के लोग तब से पंचायत चुनाव का इंतजार कर रहे हैं। विकास कार्यों में बाधा
ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम पंचायत का चुनाव नहीं होने के कारण दोनों गांवों के विकास कार्य पूरी तरह से प्रभावित हैं। हालांकि खंड विकास अधिकारी को इन गांवों में विकास की जिम्मेवारी सौंपी गई है। लेकिन ग्राम पंचायत के गठन के अभाव में वार्ड पंच नहीं होने के कारण विकास कार्य के लिए प्रस्ताव पास नहीं होने आदि के कारण अनेक काम अटके पड़े हैं जून में चुनाव की संभावना:डीडीपीओ
चरखी दादरी जिला विकास अधिकारी रविंद्र कुमार दलाल ने कहा कि करीब एक महीने पहले उच्च अधिकारियों द्वारा उनसे संबंधित सूचना मांगी गई थी जो उन्होंने भेज दी थी। जिसके बाद वे फरवरी माह में चुनाव होने की उम्मीद लगा रहे थे। लेकिन अब फरवरी माह में निकाय चुनाव हो रहे हैं। डीडीपीओ ने कहा कि आगामी जून माह में चुनाव होने की संभावना है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
