<p style=”text-align: justify;”><strong>Power Strike In UP:</strong> निजीकरण के विरोध में पूर्वांचल व दक्षिणांचल के बिजली कर्मचारियों ने 29 मई से हड़ताल का ऐलान किया है, जिसके बाद से सरकार हड़ताली कर्मियों पर सख्ती की तैयारी में है. इसके लिए यूपी पॉवर कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने निर्देश जारी किए हैं, जिसमें यदि कोई कर्मचारी बिजली आपूर्ति में बाधा डालता है या ऐसा करने की कोशिश करता है, तो उसे बिना किसी जांच के सीधे नौकरी से निकाला जा सकेगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यह नई व्यवस्था शुक्रवार को उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने लागू कर दी है. इसके तहत “कार्मिक (पंचम संशोधन) विनियमावली-2025” में बदलाव करते हुए बिजली आपूर्ति में बाधा डालने को गंभीर अनुशासनहीनता माना गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सीधे नौकरी जाएगी </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>इस संशोधन के तहत यदि किसी कर्मचारी की वजह से बिजली आपूर्ति बाधित होती है और तत्काल जांच संभव नहीं होती, तो उसे सीधे सेवा से हटाया जा सकेगा. यही नहीं, उस कर्मचारी को भविष्य में किसी भी सरकारी सेवा में नौकरी नहीं दी जाएगी. इसके साथ ही दोषी पाए गए कर्मचारियों के लिए पदावनति यानी डिमोशन का भी प्रावधान रखा गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इसलिए उठाया कदम </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>यह सख्त कदम ऐसे समय पर उठाया गया है जब विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने 29 मई से कार्य बहिष्कार की चेतावनी दी है. यह आंदोलन पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के प्रस्तावित निजीकरण के विरोध में किया जा रहा है. कर्मचारी संगठनों का कहना है कि निजीकरण से उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ेगा और कर्मचारियों की नौकरी असुरक्षित हो जाएगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>संशोधन अलोकतांत्रिक </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>संघर्ष समिति के नेताओं ने सरकार के इस संशोधन को अलोकतांत्रिक बताते हुए इसकी कड़ी आलोचना की है. उनका कहना है कि सरकार दबाव की नीति अपनाकर आंदोलन को कुचलना चाहती है. वहीं, पावर कॉरपोरेशन का कहना है कि राज्य में 24 घंटे निर्बाध बिजली सेवा देने के लिए यह कदम जरूरी था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कर्मचारी कर रहे हैं निजीकरण का विरोध </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>उत्तर प्रदेश में बीते कुछ वर्षों से विद्युत विभाग का निजीकरण लगातार चर्चा में रहा है. सरकार इसे उपभोक्ताओं के हित में बता रही है, जबकि कर्मचारी संगठन इसे अपने अधिकारों पर हमला मानते हैं. इससे पहले भी वर्ष 2020 में निजीकरण के विरोध में राज्य भर में कर्मचारियों ने हड़ताल की थी, जिससे कई जिलों में बिजली व्यवस्था चरमरा गई थी. ऐसे में अब पावर कॉरपोरेशन द्वारा नियमों में बदलाव को सरकार की ओर से सख्त संदेश माना जा रहा है कि किसी भी कीमत पर बिजली सेवा बाधित नहीं होने दी जाएगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बिजली कर्मियों पर नौकरी का संकट </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>कुल मिलाकर, बिजली कर्मचारियों के लिए अब गलती की कोई गुंजाइश नहीं बची है. अगर काम में लापरवाही बरती या बिजली बाधित की तो नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Power Strike In UP:</strong> निजीकरण के विरोध में पूर्वांचल व दक्षिणांचल के बिजली कर्मचारियों ने 29 मई से हड़ताल का ऐलान किया है, जिसके बाद से सरकार हड़ताली कर्मियों पर सख्ती की तैयारी में है. इसके लिए यूपी पॉवर कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने निर्देश जारी किए हैं, जिसमें यदि कोई कर्मचारी बिजली आपूर्ति में बाधा डालता है या ऐसा करने की कोशिश करता है, तो उसे बिना किसी जांच के सीधे नौकरी से निकाला जा सकेगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यह नई व्यवस्था शुक्रवार को उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने लागू कर दी है. इसके तहत “कार्मिक (पंचम संशोधन) विनियमावली-2025” में बदलाव करते हुए बिजली आपूर्ति में बाधा डालने को गंभीर अनुशासनहीनता माना गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सीधे नौकरी जाएगी </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>इस संशोधन के तहत यदि किसी कर्मचारी की वजह से बिजली आपूर्ति बाधित होती है और तत्काल जांच संभव नहीं होती, तो उसे सीधे सेवा से हटाया जा सकेगा. यही नहीं, उस कर्मचारी को भविष्य में किसी भी सरकारी सेवा में नौकरी नहीं दी जाएगी. इसके साथ ही दोषी पाए गए कर्मचारियों के लिए पदावनति यानी डिमोशन का भी प्रावधान रखा गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इसलिए उठाया कदम </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>यह सख्त कदम ऐसे समय पर उठाया गया है जब विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने 29 मई से कार्य बहिष्कार की चेतावनी दी है. यह आंदोलन पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के प्रस्तावित निजीकरण के विरोध में किया जा रहा है. कर्मचारी संगठनों का कहना है कि निजीकरण से उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ेगा और कर्मचारियों की नौकरी असुरक्षित हो जाएगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>संशोधन अलोकतांत्रिक </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>संघर्ष समिति के नेताओं ने सरकार के इस संशोधन को अलोकतांत्रिक बताते हुए इसकी कड़ी आलोचना की है. उनका कहना है कि सरकार दबाव की नीति अपनाकर आंदोलन को कुचलना चाहती है. वहीं, पावर कॉरपोरेशन का कहना है कि राज्य में 24 घंटे निर्बाध बिजली सेवा देने के लिए यह कदम जरूरी था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कर्मचारी कर रहे हैं निजीकरण का विरोध </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>उत्तर प्रदेश में बीते कुछ वर्षों से विद्युत विभाग का निजीकरण लगातार चर्चा में रहा है. सरकार इसे उपभोक्ताओं के हित में बता रही है, जबकि कर्मचारी संगठन इसे अपने अधिकारों पर हमला मानते हैं. इससे पहले भी वर्ष 2020 में निजीकरण के विरोध में राज्य भर में कर्मचारियों ने हड़ताल की थी, जिससे कई जिलों में बिजली व्यवस्था चरमरा गई थी. ऐसे में अब पावर कॉरपोरेशन द्वारा नियमों में बदलाव को सरकार की ओर से सख्त संदेश माना जा रहा है कि किसी भी कीमत पर बिजली सेवा बाधित नहीं होने दी जाएगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बिजली कर्मियों पर नौकरी का संकट </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>कुल मिलाकर, बिजली कर्मचारियों के लिए अब गलती की कोई गुंजाइश नहीं बची है. अगर काम में लापरवाही बरती या बिजली बाधित की तो नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है.</p> उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड महानगरपालिका चुनाव से पहले शिवसेना का बड़ा दांव, जानें कैसे की जा रही है युवाओं को साधने की तैयारी!
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