बिना ऑपरेशन रीढ़ के फ्रैक्चर का इलाज:लखनऊ KGMU के पेन क्लीनिक में मिली राहत, तेज पीठ दर्द से कराह रहा था बुजुर्ग

बिना ऑपरेशन रीढ़ के फ्रैक्चर का इलाज:लखनऊ KGMU के पेन क्लीनिक में मिली राहत, तेज पीठ दर्द से कराह रहा था बुजुर्ग

KGMU में पेन मेडिसिन क्लीनिक के डॉक्टरों ने रीढ़ की हड्डी के फ्रैक्चर का इलाज बिना ऑपरेशन करने में कामयाबी हासिल की है। बेहद महीन सुराख से बुजुर्ग मरीज का इलाज पूरा हो गया है। डॉक्टरों का कहना है कि मरीज को दर्द से राहत मिल गई है। भीषण पीठ दर्द से कराह रहा था बुजुर्ग कुशीनगर निवासी रामचंद्र (64) को रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर हो गया था। इसकी वजह से मरीज को पीठ में भीषण दर्द हो रहा था। कई स्थानीय अस्पतालों में दिखाया। लेकिन दर्द से राहत नहीं मिली। पेन मेडिसिन क्लीनिक की डॉ.सरिता सिंह ने बताया कि OPD में मरीज को देखा। जरूरी जांचें कराईं। पता चला कि उनकी रीढ़ में एक हड्डी दब गई है। जो दर्द का कारण है। चिकित्सा विज्ञान में इस बीमारी को अस्टियोपोरोटिक वर्टीब्रल कंप्रेशन फ्रैक्चर कहा जाता है। नई तकनीक से किया इलाज मरीज का इलाज नई तकनीक से करने का फैसला किया गया। इसे मिनीमली इनवैसिव स्पाइन प्रोसिजर कहा जाता है। इसमें सुराख के माध्यम से पॉलीमेथील्थेक्रीलेट सीमेंट नाम का विशेष पदार्थ भरा गया। इलाज की प्रक्रिया में करीब एक घंटे के भीतर ही मरीज को दर्द से राहत मिल गई। इससे न सिर्फ दबी हुई हड्डी ऊपर आई बल्कि उसे मजबूती भी मिली। उन्होंने बताया कि तीन से चार घंटे में मरीज चलने-फिरने भी लगा। यह प्रोसिजर आयुष्मान योजना के तहत किया गया। ये हैं ऑपरेशन टीम के सदस्य डॉ. सरिता सिंह, डॉ. मनीष कुमार सिंह, डॉ. अजय चौधरी, डॉ. मुख्तदीर जमाल, शिवम पटेल, पंकज, नर्स सुधा, नर्स अंजली, वार्ड ब्वॉय सतीश पांडेय और अनुज शामिल रहे। KGMU में पेन मेडिसिन क्लीनिक के डॉक्टरों ने रीढ़ की हड्डी के फ्रैक्चर का इलाज बिना ऑपरेशन करने में कामयाबी हासिल की है। बेहद महीन सुराख से बुजुर्ग मरीज का इलाज पूरा हो गया है। डॉक्टरों का कहना है कि मरीज को दर्द से राहत मिल गई है। भीषण पीठ दर्द से कराह रहा था बुजुर्ग कुशीनगर निवासी रामचंद्र (64) को रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर हो गया था। इसकी वजह से मरीज को पीठ में भीषण दर्द हो रहा था। कई स्थानीय अस्पतालों में दिखाया। लेकिन दर्द से राहत नहीं मिली। पेन मेडिसिन क्लीनिक की डॉ.सरिता सिंह ने बताया कि OPD में मरीज को देखा। जरूरी जांचें कराईं। पता चला कि उनकी रीढ़ में एक हड्डी दब गई है। जो दर्द का कारण है। चिकित्सा विज्ञान में इस बीमारी को अस्टियोपोरोटिक वर्टीब्रल कंप्रेशन फ्रैक्चर कहा जाता है। नई तकनीक से किया इलाज मरीज का इलाज नई तकनीक से करने का फैसला किया गया। इसे मिनीमली इनवैसिव स्पाइन प्रोसिजर कहा जाता है। इसमें सुराख के माध्यम से पॉलीमेथील्थेक्रीलेट सीमेंट नाम का विशेष पदार्थ भरा गया। इलाज की प्रक्रिया में करीब एक घंटे के भीतर ही मरीज को दर्द से राहत मिल गई। इससे न सिर्फ दबी हुई हड्डी ऊपर आई बल्कि उसे मजबूती भी मिली। उन्होंने बताया कि तीन से चार घंटे में मरीज चलने-फिरने भी लगा। यह प्रोसिजर आयुष्मान योजना के तहत किया गया। ये हैं ऑपरेशन टीम के सदस्य डॉ. सरिता सिंह, डॉ. मनीष कुमार सिंह, डॉ. अजय चौधरी, डॉ. मुख्तदीर जमाल, शिवम पटेल, पंकज, नर्स सुधा, नर्स अंजली, वार्ड ब्वॉय सतीश पांडेय और अनुज शामिल रहे।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर