बिलासपुर के पंजगाई के नितीश भारद्वाज जिले के पहले विमान पायलट बन गए है। सेवानिवृत शारीरिक शिक्षक के बेटे नितीश का चयन एयर इंडिया में बतौर पायलट सिलेक्शन हुआ है। नितीश ने अपनी 12 की पढ़ाई बरमाणा सीनियर सेकेंडरी स्कूल से की है और टॉपर रहे। नितीश भारद्वाज के पिता बेली राम भारद्वाज सेवानिवृत शारीरिक शिक्षक ने बताया कि 12वीं करने के बाद नितीश ने एयरोनॉटिकल इंजीनियर के लिए परीक्षा दी और सिलेक्ट हुआ। एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग कॉलेज में भी टॉपर रहा था। नितीश भारद्वाज इंडिगो एयरलाइंस में फ्लाइंग ऑपरेशन में कार्यरत है। अब नितीश पाइलट की ट्रेनिंग के लिए एमपी के इंदौर जाएंगे। वहीं उनके पिता ने कहा कि मेहनत का फल मीठा कहा जाता है क्योंकि मेहनत करने से हमें जो परिणाम मिलते हैं, वे हमारे लिए सुखद और संतोषजनक होते हैं। बिलासपुर के पंजगाई के नितीश भारद्वाज जिले के पहले विमान पायलट बन गए है। सेवानिवृत शारीरिक शिक्षक के बेटे नितीश का चयन एयर इंडिया में बतौर पायलट सिलेक्शन हुआ है। नितीश ने अपनी 12 की पढ़ाई बरमाणा सीनियर सेकेंडरी स्कूल से की है और टॉपर रहे। नितीश भारद्वाज के पिता बेली राम भारद्वाज सेवानिवृत शारीरिक शिक्षक ने बताया कि 12वीं करने के बाद नितीश ने एयरोनॉटिकल इंजीनियर के लिए परीक्षा दी और सिलेक्ट हुआ। एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग कॉलेज में भी टॉपर रहा था। नितीश भारद्वाज इंडिगो एयरलाइंस में फ्लाइंग ऑपरेशन में कार्यरत है। अब नितीश पाइलट की ट्रेनिंग के लिए एमपी के इंदौर जाएंगे। वहीं उनके पिता ने कहा कि मेहनत का फल मीठा कहा जाता है क्योंकि मेहनत करने से हमें जो परिणाम मिलते हैं, वे हमारे लिए सुखद और संतोषजनक होते हैं। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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अंकुश ने रात 9 बजे अपने रास्ता भटकने की सूचना हेल्पलाइन 112 पर दी। सूचना मिलने पर प्रशासन ने इसकी सूचना चौपाल थाना में दी और ड्यूटी पर तैनात कांस्टेबल अखिल को अंकुश की तलाश के लिए भेजा गया। अखिल ने अंकुश के दोस्त सतिंदर से संपर्क करके दोनों ने तीसरी नामक जगह से अंकुश की तलाश शुरू की। दोनों ने अंकुश को संपर्क किया तो अंकुश ने बताया कि उसके फोन की चार्जिंग 1% बची हुई है । उसकी तबियत खराब हो गयी है। वो कहीं बड़ी बड़ी चट्टानों के बीच फंसा हुआ है। कांस्टेबल अखिल और सतिंदर करीब ढाई घंटे तक चूड़धार के जंगलों में अंकुश को आवाजे लगाते रहें लेकिन उसका कहीं सुराग नही लगा। अखिल ने बताया कि ढाई घंटे बाद अंकुश को आवाजे लगाने के बाद जब अंकुश का पता नही चला तो उन्होंने भगवान शिव के जय भोले शंकर के नारे लगाना शुरू कर दिया । जिसके कुछ देर बाद अंकुश को वो नारे सुनाई दिए और अंकुश ने भी वापसी नारा लगाया जो कॉन्स्टेबल अखिल को सुनाई दिया। जिसके बाद दोनो ने रात डेढ़ बजे अंकुश को ढूंढ निकाला।
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