हिमाचल के बिलासपुर जिले में घने कोहरे के चलते विजिबिलिटी मात्र 50 मीटर तक सीमित हो गई है। जिससे सड़क पर वाहन चलाना बेहद कठिन हो गया है। गाड़ी चालकों को दिन में भी हेडलाइट जलाकर वाहन चलाने पर मजबूर होना पड़ रहा है। प्रशासन ने वाहन चालकों से अपील की है कि वे अपनी गाड़ियों को बेहद सावधानी पूर्वक चलाएं और अनावश्यक यात्रा से बचें। कोहरे के कारण दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ गई है, इसलिए सभी को ट्रैफिक नियमों का सख्ती से पालन करने की सलाह दी गई है। जिले में ठंड का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। सुबह और शाम के समय ठंड काफी बड गई है। स्कूल जाने वाले बच्चों और बुजुर्गों को इस सर्दी से सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में तापमान में और गिरावट की संभावना जताई है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे ठंड से बचने के लिए गर्म कपड़े पहनें और घरों से बाहर निकलने से बचें। खास तौर पर बच्चों और बुजुर्गों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। हिमाचल के बिलासपुर जिले में घने कोहरे के चलते विजिबिलिटी मात्र 50 मीटर तक सीमित हो गई है। जिससे सड़क पर वाहन चलाना बेहद कठिन हो गया है। गाड़ी चालकों को दिन में भी हेडलाइट जलाकर वाहन चलाने पर मजबूर होना पड़ रहा है। प्रशासन ने वाहन चालकों से अपील की है कि वे अपनी गाड़ियों को बेहद सावधानी पूर्वक चलाएं और अनावश्यक यात्रा से बचें। कोहरे के कारण दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ गई है, इसलिए सभी को ट्रैफिक नियमों का सख्ती से पालन करने की सलाह दी गई है। जिले में ठंड का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। सुबह और शाम के समय ठंड काफी बड गई है। स्कूल जाने वाले बच्चों और बुजुर्गों को इस सर्दी से सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में तापमान में और गिरावट की संभावना जताई है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे ठंड से बचने के लिए गर्म कपड़े पहनें और घरों से बाहर निकलने से बचें। खास तौर पर बच्चों और बुजुर्गों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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सोलन में अल्ट्राटेक सीमेंट उद्योग श्रमिकों ने किया शक्ति प्रदर्शन:वेतन समझौते पर नहीं बनी सहमति, कामकाज रहा ठप; कंपनी कर रहा कानून की अवहेलना
सोलन में अल्ट्राटेक सीमेंट उद्योग श्रमिकों ने किया शक्ति प्रदर्शन:वेतन समझौते पर नहीं बनी सहमति, कामकाज रहा ठप; कंपनी कर रहा कानून की अवहेलना सोलन जिला के शालूघाट बाड़ूबाड़ा मन्दिर के नजदीक गुरुवार को अल्ट्राटेक सीमेंट उद्योग बागा के श्रमिकों ने वेतन समझौते पर सहमति न बनने पर शक्ति प्रदर्शन किया। इसमें लगभग 300 श्रमिकों ने भाग लिया, जिससे उद्योग का कामकाज ठप रहा। अल्ट्राटेक कामगार संघ के अध्यक्ष राकेश कुमार और महामंत्री सुनील कुमार ने बताया की जो श्रमिक यहां से सेवानिवृत होकर गए हैं उनकी ग्रेच्युटी भी नहीं दी गई। वहीं बहुत से श्रमिक यूनिफार्म, गर्म जैकेट की सुविधा से वंचित हैं। 26 दिन का मिलता है वेतन वार्षिक छुट्टी भी केवल 12 ही देते हैं और मासिक वेतन भी केवल 26 दिन का दिया जाता है। इसके अतिरिक्त वेज बोर्ड में भी दो श्रेणी में बांटा गया है, जबकि कर्मचारी क्रमांक सभी का समान और क्रमबद्ध है लेकिन मासिक वेतन में भिन्नता बहुत अधिक है। अल्ट्राटेक कंपनी श्रमिकों के साथ खुला श्रम क़ानून की अवहेलना कर रहा है, जो हिमाचल सरकार ने 25 रुपए की बढ़ोतरी की है वह भी श्रमिकों को नहीं दिया गया। लगातार हड़ताल करने की चेतावनी उन्होंने कहा कि इससे पूर्व भाजपा सरकार ने 50 रुपए की बढ़ोतरी की थी वह पैसा भी कंपनी ने खुलेआम नहीं दिया और किसी भी प्रकार का वेतन समझौता भी अल्ट्राटेक प्रबंधक वर्ग नहीं कर रहा। हिमाचल प्रान्त के महामंत्री यशपाल हैटा ने कहा यदि समय पूर्व वेतन समझौता नहीं होता, फिर हम लगातार हड़ताल करेंगे लेकिन श्रमिकों के शोषण को नहीं होने देंगे। सीमेंट महासंघ बनाने का समर्थन अखिल भारतीय सीमेंट महासंघ के महामंत्री ने कहा की इस शक्ति प्रदर्शन में हिमाचल प्रदेश के 6 सीमेंट उद्योगों से पदाधिकारी उपस्थित रहें और सभी ने सीमेंट महासंघ बनाने का समर्थन किया है। इसलिए शीघ्र हिमाचल सीमेंट महासंघ की कार्य समिति का गठन होगा, जिससे सीमेंट उद्योगों में श्रमिकों के शोषण पर रोक लगाने का भरसक प्रयास किया जाएगा। महासंघ बनने के बाद एक ही आवाज से हिमाचल के सारे सीमेंट उद्योग बंद होंगे लेकिन श्रम क़ानून की अनदेखी जो भी करेगा उसके लिए महासंघ एकजुटता से कार्य करेगा। एक दिन के शक्ति प्रदर्शन में सभी ने अपने अपने विचार रखे आगे की रणनीति पर चर्चा का विषय भी रखा गया, जिसमें सभी ने अपनी दुःख भरी पीड़ा और परेशानी व्यक्त की।
हिमाचल की चर्चित HAS ओशिन शर्मा को नोटिस:DC के आदेशों पर SDM धर्मपुर ने भेजा; प्रशासनिक काम में कोताही बरतने के आरोप
हिमाचल की चर्चित HAS ओशिन शर्मा को नोटिस:DC के आदेशों पर SDM धर्मपुर ने भेजा; प्रशासनिक काम में कोताही बरतने के आरोप हिमाचल प्रशासनिक सेवा (HAS) अधिकारी ओशिन शर्मा को सोशल मीडिया पर एक्टिव होना महंगा पड़ा है। SDM जोगिंदर पटियाल धर्मपुर ने प्रदेश की चर्चित अधिकारी ओशिन शर्मा को नोटिस जारी किया है। अक्सर सोशल मीडिया पर एक्टिव दिखने वाली ओशिन शर्मा को काम में देरी और सही ढंग से कर्तव्य का निर्वहन नहीं करने पर SDM धर्मपुर ने नोटिस भेजकर प्रशासनिक और जनहित से जुड़े काम में देरी की वजह पूछी है। ओशिन शर्मा मंडी के संधोल में तहसीलदार के पद पर कार्यरत हैं। फेसबुक पर 2.59 लाख फॉलोअर्स ओशिन शर्मा सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहती हैं। ओशिन शर्मा के X पर 1.8 लाख, फेसबुक पर 2,59,000और यू-ट्यूब पर 59800 फॉलोअर्स हैं। इन दिनों ओशिन शर्मा सोशल मीडिया पर लोगों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी से जुड़ी जानकारी दे रही हैं। महिलाओं की करती रही हैं जागरूक HAS बनने के बाद से ही वह महिलाओं को भी उनके अधिकारों के प्रति जागरूक और सामाजिक बुराइयों के खिलाफ बोलती रही हैं। ओशिन ने बांग्लादेश से लेकर आरक्षण तक के वीडियो बनाए। मगर, DC मंडी अपूर्व देवगन ने जब उनके काम की समीक्षा की तो पता चला कि कई प्रशासनिक कार्य समय पर नहीं किए जा रहे। इससे आम जनता भी परेशान है। DC के आदेशों पर SDM धर्मपुर ने यह कार्रवाई की है। विधानसभा में उठ चुका मामला दरअसल, बीते बजट सत्र के दौरान अधिकारियों के सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने का मामला हिमाचल विधानसभा में बीजेपी विधायक हंसराज उठा चुके हैं। उन्होंने किसी का भी नाम लिए बगैर कहा था कि एक अधिकारी अक्सर सोशल मीडिया पर एक्टिव रहती है। मुख्य सचिव का अपने अधिकारियों पर कोई नियंत्रण नहीं है। ओशिन शर्मा ने जब संधोल में तहसीलदार का पदभार संभाला तो उनकी छवि दबंग अधिकारी के तौर पर उभरी। मगर, अब उन पर काम नहीं करने के आरोप लग रहे हैं। इसके पीछे वजह उनका अक्सर सोशल मीडिया में एक्टिव रहना माना जा रहा है। साल 2020 बैच की HAS अधिकारी साल 2020 बैच की HAS ओशिन शर्मा का विवाह धर्मशाला से बीजेपी के पूर्व विधायक विशाल नेहरिया से हुआ था। मगर, शादी के तीन महीने बाद ही उन्होंने अपने पति पर सोशल मीडिया पर आकर गंभीर आरोप लगाए। विशाल नेहरिया उनके कालेज टाइम के दोस्त भी थे। इस मामले को लेकर जब ओशिन शर्मा का पक्ष जानने का प्रयास किया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।
चीनी और तिब्बती परंपरा के बीच विवाद बढ़ा:दलाई लामा के उत्तराधिकारी की नियुक्ति को बिगाड़ सकता है चीन, 17 साल से कर रहा तैयारी
चीनी और तिब्बती परंपरा के बीच विवाद बढ़ा:दलाई लामा के उत्तराधिकारी की नियुक्ति को बिगाड़ सकता है चीन, 17 साल से कर रहा तैयारी तिब्बतियों के सर्वोच्च आध्यात्मिक गुरु 89 वर्षीय दलाई लामा की सेहत ठीक है, लेकिन उनकी उम्र को देखते हुए उनके उत्तराधिकारी को लेकर तिब्बतियों में चिंताएं हैं। तिब्बती परंपरा में दलाई लामा तुल्कुओं या प्रबुद्ध व्यक्तियों में सबसे प्रमुख होते हैं, जो आध्यात्मिक शिक्षाओं की परंपरा को बनाए रखने के लिए मानव रूप धारण करते हैं। तिब्बती बौद्ध धर्म में मान्यता है कि कि देहत्याग के बाद वे पुनर्जन्म लेते हैं और ऐसे संकेत छोड़ जाते हैं, जो उनके उत्तराधिकारी को खोजने में मदद करते हैं। वर्तमान दलाई लामा को उनके पूर्ववर्ती 13वें दलाई लामा के पुनर्जन्म के रूप में तब पहचाना गया था जब वे मात्र दो साल के थे। लेकिन ‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ द्वारा तिब्बत पर अनाधिकृत कब्जे के चलते चिंता है कि इस बार इस प्रक्रिया में खलल आ सकता है। दलाई लामा बौद्ध भिक्षुओं से परामर्श के बाद लेंगे फैसला
दलाई लामा के देहत्याग के बाद चीनी निश्चित रूप से उनकी संस्था पर कब्जा करने की कोशिश करेंगे, इसलिए दलाई लामा भविष्य की सावधानीपूर्वक योजना बना रहे हैं। 24 सितंबर, 2011 को दलाई लामा ने घोषणा की थी कि जब वह 90 साल के होंगे तो वे वह तिब्बत बौद्ध परम्परा के शीर्ष लामा, तिब्बती जनता और तिब्बती बौद्ध धर्म में रुचि रखने वाले अन्य संबंधित लोगों के साथ परामर्श करेंगे और यह मूल्यांकन करेंगे कि दलाई लामा की संस्था उनके बाद जारी रहे अथवा नहीं। यदि ऐसा निर्णय लिया गया कि एक 15वें दलाई लामा को मान्यता दी जानी चाहिए तो ऐसा करने का उत्तरदायित्व प्रमुख रूप से दलाई लामा के ‘गदेन फोडंग ट्रस्ट’ के संबंधित अधिकारियों पर होगा। यह निर्णय इस वर्ष होगा। दलाई लामा के कार्यालय ने पहले कभी ऐसी स्थिति का सामना नहीं किया है। 1950 में चीन ने तिब्बत पर किया हमला
गौरतलब है कि वर्ष 2011 के बाद भी तिब्बत का धार्मिक नेतृत्व दलाई लामा के पास ही बना रहा। लेकिन राजनीतिक नेतृत्व प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित निर्वासित तिब्बती सरकार के राष्ट्रपति या सिकयोंग को हस्तांरित कर दिया गया। वर्ष 1950 में चीन ने तिब्बत पर हमला किया और वर्ष 1959 में इसके खिलाफ आंदोलन हुआ, जिसका चीन ने क्रूरता से दमन किया। इस घटना के बाद दलाई लामा अपने कई समर्थकों के साथ भारत भाग आए और उसके बाद उन्होंने लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित संसद की स्थापना की। चीन कर सकता है हस्तक्षेप
केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के राष्ट्रपति या सिकयोंग पेन्पा त्सेरिंग ने कहा कि हमारा मानना है कि निश्चित तौर पर चीन दलाई लामा के उत्तराधिकारी की नियुक्ति में हस्तक्षेप करेगा। वह इसकी पिछले 17 साल से तैयारी कर रहा है। चीन की सरकार ने वर्ष 2007 में एक आदेश जारी किया था जिसमें सभी अवतरित लामाओं के उत्तराधिकारी की नियुक्ति प्रक्रिया में उसकी मौजूदगी की जरूरत बताई गई थी। पंचेन लामा को कर दिया गया गायब
त्सेरिंग ने कहा कि जिसका उद्देश्य धर्म को राजनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करना था। हालांकि न तो चीन की और न ही किसी अन्य सरकार की इसमें कोई भूमिका होनी चाहिए। चीनियों ने वर्ष 1995 में तब हस्तक्षेप किया जब एक लड़के (ज्ञानचेन नोरबू) को पंचेन लामा के तौर पर चुना गया। महामहिम (दलाई लामा) द्वारा चुने गए पंचेन लामा (गेधुन छोयी न्यिमा) को गायब कर दिया गया और हमें अब तक पता नहीं कि वह जिंदा भी है या नहीं। तिब्बत में चीनी दमनचक्र
दूसरी तरफ, तिब्बत में चीनी दमनचक्र और बढ़ गया है। बीजिंग अब तिब्बती बौद्ध धर्म को चीनी बनाने की आवश्यकता की बात कर रहा है। छोटे बच्चों को अपनी भाषा से परिचित होने से पहले चीनी सीखने के लिए बोर्डिंग स्कूलों में भेजा जा रहा है। अमेरिका चीनियों से बिना किसी पूर्व शर्त के तिब्बतियों से बातचीत के बाद समझौता करने का आग्रह कर रहा है। ‘यूएस तिब्बत पॉलिसी एंड सपोर्ट एक्ट 2020’ के तहत अमेरिका ने कहा है कि दलाई लामा के उत्तराधिकार का मामला चीनियों के हस्तक्षेप के बिना तिब्बतियों द्वारा स्वयं संभाला जाना चाहिए। अभी तक भारत इस मुद्दे पर आधिकारिक रूप से टिप्पणी करने से दूर रहा है। लेकिन चूंकि भारत तिब्बत के साथ 4,000 किलोमीटर की सीमा साझा करता है, इसलिए सुरक्षा के दृष्टिकोण से यह मसला भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है।