बिलासपुर के लुहणू मैदान में 30 नवंबर से हिमाचल प्रदेश का सबसे बड़ा एफपीओ (किसान उत्पादक संगठन) मेला होगा। इस मेले का उद्देश्य किसानों के उत्पादों को सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचाना और उनकी आय को बढ़ाने के उपायों पर जोर देना है। इसके साथ ही, किसानों को यह भी सिखाया जाएगा कि वे अपने उत्पाद और फसलें बेहतर ढंग से कैसे बेच सकते हैं। मेले में 50 से अधिक एफपीओ और 100 से अधिक किसान भाग लेंगे। इस आयोजन में हिमाचल प्रदेश के कृषि सचिव और जिला उपायुक्त मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करेंगे। मेले के लिए सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। शुक्रवार को सीईओ नीरज ने कार्यों का निरीक्षण किया और जानकारी दी कि इस मेले में करीब 5000 किसान पहुंचने की संभावना है। इस मेले के दौरान किसानों को कृषि संबंधित नई तकनीकों और बाजार तक पहुंच के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाएगी। आयोजन का उद्देश्य प्रदेश के किसानों को सशक्त बनाना और उनके उत्पादों को बेहतर बाजार उपलब्ध कराना है। बिलासपुर के लुहणू मैदान में 30 नवंबर से हिमाचल प्रदेश का सबसे बड़ा एफपीओ (किसान उत्पादक संगठन) मेला होगा। इस मेले का उद्देश्य किसानों के उत्पादों को सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचाना और उनकी आय को बढ़ाने के उपायों पर जोर देना है। इसके साथ ही, किसानों को यह भी सिखाया जाएगा कि वे अपने उत्पाद और फसलें बेहतर ढंग से कैसे बेच सकते हैं। मेले में 50 से अधिक एफपीओ और 100 से अधिक किसान भाग लेंगे। इस आयोजन में हिमाचल प्रदेश के कृषि सचिव और जिला उपायुक्त मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करेंगे। मेले के लिए सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। शुक्रवार को सीईओ नीरज ने कार्यों का निरीक्षण किया और जानकारी दी कि इस मेले में करीब 5000 किसान पहुंचने की संभावना है। इस मेले के दौरान किसानों को कृषि संबंधित नई तकनीकों और बाजार तक पहुंच के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाएगी। आयोजन का उद्देश्य प्रदेश के किसानों को सशक्त बनाना और उनके उत्पादों को बेहतर बाजार उपलब्ध कराना है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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शिमला में वोकेशनल टीचर्स के धरने का 7वां दिन:महिला शिक्षिका रोने लगी, बोले- सरकार से सशर्त वार्ता के लिए तैयार नहीं शिमला की सर्द रातों में भी वोकेशनल टीचर्स की हड़ताल 7वें दिन भी जारी है। सरकार व शिक्षकों के बीच चल रहा गतिरोध टूटता नजर नहीं आ रहा है। शिमला में बेहद ठंडी रातों के बावजूद भी वोकेशनल शिक्षकों के हौंसले बुलंद है। शिक्षक निजी कंपनियों को बाहर का रास्ता दिखाने की मांग पर अड़े हुए हैं। महिला शिक्षक अपने छोटे बच्चों के साथ धरने पर बैठी हैं। 7वें दिन प्रदर्शन को संबोधित करते हुए एक महिला शिक्षिका रो पड़ी। शिक्षकों ने बताया कि आज सभी शिक्षकों द्वारा उस शिक्षक के बच्चे के लिए दो मिनट का मौन रखा। जो इस लड़ाई में शामिल था और उसके 17 दिन के बच्चे ने PGI में दम तोड़ दिया। शिक्षकों ने साफ तौर पर सरकार को चेतावनी दे दी है कि उनका यह धरना उस समय तक जारी रहेगा, जब तक उन्हें लिखित में कोई आश्वासन नहीं मिलता। सशर्त वार्ता के लिए तैयार नहीं शिक्षकों ने बताया कि शिक्षा विभाग की ओर से उन्हें सरकार के साथ वार्ता का 12 नवंबर को न्यौता मिला है, लेकिन वार्ता के लिए उन्हें अपना धरना समाप्त करना होगा। शिक्षकों को सरकार की यह शर्त कतई मंजूर नहीं है। हिमाचल प्रदेश में 2174 वोकेशनल टीचर्स हैं, जो 1100 स्कूलों में सेवाएं दे रहे हैं। हिमाचल प्रदेश के वोकेशनल टीचर्स को प्राइवेट कंपनियों के जरिए सेवाओं पर रखा गया है। ऐसे में टीचर्स अब प्राइवेट कंपनियों को बाहर रखने की बात कह रहे हैं। उनका कहना है कि प्राइवेट कंपनियां उन्हें शोषित कर रही है। इसलिए प्राइवेट कंपनियों को बाहर रखा जाए। वोकेशनल शिक्षक संघ के महासचिव नीरज बंसल ने कहा कि उनका धरना सात दिनों से जारी है। इस दौरान उनकी प्रदेश परियोजना अधिकारी से भी बात हुई हुई। उन्होंने कहा कि सरकार वार्ता के लिए तैयार है, लेकिन सरकार ने शर्त यह है कि शिक्षकों को अपना धरना समाप्त करना होगा और उसके बाद ही शिक्षा मंत्री से बात हो सकेगी। नीरज बंसल ने कहा कि उन्हें सरकार और विभाग की यह शर्त मंजूर नहीं है। अपना वादा भूल गई सरकार : प्रदर्शनकारी उन्होंने कहा कि अब आश्वासनों से बात नहीं बनेगी। गत सरकार ने भी उन्हें आश्वासन दिए और वर्तमान सरकार ने भी उनसे सत्ता में आने से पहले वायदा किया था कि उनके लिए अवश्य कुछ न कुछ करेगी,परंतु अब सरकार अपना वायदा भूल गई है और इस धरने के माध्यम से उसे अपना वायदा हम याद करवा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी सिर्फ एक मांग है कि सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों को बाहर रखा जाए। इन कंपनियों को बाहर किया जाए और और जो फंड केंद्र से आ रहा है उसे सीधे सरकार उन्हें प्रदान करे। बच्चों के साथ धरने पर बैठी महिलाएं
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