अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के चुनाव को लेकर सरगर्मियां बढ़ गई हैं। मार्च से पहले महासभा में चुनाव करवाया जाना है। ऐसे में मौजूदा प्रधान देवेंद्र बुड़िया और कुलदीप बिश्नोई के बीच वर्चस्व को लेकर लड़ाई तेज हो गई है। दोनों के समर्थक एक दूसरे पर हमलावर हैं। इसी बीच चुनाव को लेकर जारी एक चुनाव प्रभारियों की लिस्ट ने बवाल मचा दिया है। चुनाव प्रभारियों की लिस्ट जारी करते समय जांबा पीठाधीश्वर महंत भगवान दास को बताया नहीं गया। जब वायरल लिस्ट के बारे में महंत भगवान दास से पूछा गया तो उन्होंने लिस्ट के बारे में कोई जानकारी होने से इन्कार कर दिया। जबकि महंत भगवान दास को ही मुख्य चुनाव अधिकारी लगाया गया है। वहीं इसके बाद मौजूदा प्रधान देवेंद्र बुड़िया का एक ऑडियो मैसेज तेजी से वायरल हुआ। जिसमें वह उन्होंने बताया कि चुनाव प्रभारियों की जो लिस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, वह पूरी तरह से फर्जी है। क्योंकि इसमें अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा की मोहर और हस्ताक्षर कुछ नहीं है। वहीं कुलदीप समर्थकों ने देवेंद्र बुड़िया के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, और इसे संत का अपमान बताते हुए पूरी चुनाव प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर दिए हैं। महंत की 11 दिसंबर को नियुक्ति की गई थी… महंत भगवान दास को नियुक्त किया था चुनाव अधिकारी
दरअसल, 11 दिसंबर 2024 को महंत भगवान दास को अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा का चुनाव अधिकारी नियुक्त किया गया था। इसके संबंध में अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा की ओर से नियुक्ति पत्र जारी किया गया था। बिश्नोई महासभा मुरादाबाद उत्तर प्रदेश में पंजीकृत है, इसलिए चुनाव अधिकारी लगाते समय रजिस्ट्रार सोसाइटी कार्यालय को भी सूचित किया गया था। मगर एक महीना बीत जाने के बाद भी चुनाव प्रभारियों की नियुक्ति नहीं की जा सकी है। वहीं देवेंद्र बुड़िया का कहना है कि आगामी एक सप्ताह में महंत भगवान दास व समाज के लोगों से सलाह परामर्श कर चुनाव प्रभारियों की सूची जारी कर दी जाएगी। कुलदीप समर्थक बोले-विवाद के बाद पोस्ट अपडेट की गई है… कुलदीप समर्थक बोले-महंत भगवानदास इस्तीफा दिया
वहीं कुलदीप समर्थक सोशल मीडिया पर दावा कर रहे हैं कि बुड़िया की ओर से जारी सूची के बाद महंत भगवान दास ने इस्तीफा दे दिया है। लेकिन इसको लेकर महंत की ओर से कोई बयान या लेटर सामने नहीं आया है। वहीं दूसरी तरफ कुलदीप समर्थक लिस्ट को सोशल मीडिया से हटाने की अपडेट पोस्ट भी वायरल कर रहे हैं। हालांकि इस पेज को लेकर भी पुष्टि नहीं की जा सकी है कि यह पेज असली है या फेक। कुलदीप बिश्नोई की पकड़ लगातार कमजोर हो रही
दरअसल, अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के पूर्व में संरक्षक रहे कुलदीप बिश्नोई और मौजूदा प्रधान देवेंद्र बुड़िया के बीच वर्चस्व की लड़ाई चल रही है। कुलदीप बिश्नोई पर करीब दो महीने पहले प्रधान ने जबरन इस्तीफा लेने के आरोप लगाए थे। इसको लेकर मुकाम धाम में बैठक की गई थी। इसमें कुलदीप बिश्नोई को संरक्षक पद से हटा दिया गया था। इसके करीब एक महीने बाद कुलदीप बिश्नोई के समर्थन में बिश्नोई महासभा के 14 पदाधिकारियों ने रजिस्ट्रार सोसाइटी को एफिडेविट लिखकर कहा था कि मुकाम में बैठक में उनको शामिल नहीं किया। ऐसे में प्रधान ने संरक्षक को हटाया है, वह नियमानुसार नहीं है। इसके बाद रजिस्ट्रर सोसाइटी की ओर से देवेंद्र बुड़िया को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था। इसके बाद कुलदीप बिश्नोई ने खुद संरक्षक पद छोड़ने की घोषणा कर दी और चुनाव करवाने का ऐलान करते हुए कमेटी का गठन किया था। कुलदीप बिश्नोई की स्थिति कमजोर पड़ने के 3 कारण
1. मुकाम धाम साथ नहीं
स्वामी रामानंद जी ने संरक्षक पद लेने से मना कर दिया है और वह मुकाम धाम के बड़े पीठाधीश्वर हैं। वह ऐसे संत हैं जिनकी बात बिश्नोई समाज में हर कोई मानता है। ऐसे में यह संदेश गया है कि कुलदीप बिश्नोई की वैल्यू अब समाज में पहले जैसी नहीं रही। संत ने पद ठुकरा कर इस बात को सिद्ध कर दिया है। 2. चुनाव के लिए बनाई समिति बनी डमी
कुलदीप बिश्नोई ने बिश्नोई महासभा का चुनाव करवाने के लिए 29 सदस्यीय कमेटी बनाई थी। इस कमेटी को संरक्षक के नेतृत्व में काम करना था। ऐसे में रामानंद स्वामी के पद ठुकराने के बाद यह समिति अब किसके दिशा निर्देश पर काम करेगी, यह बड़ा सवाल बना हुआ है। 3. प्रधान देवेंद्र बूड़िया का वर्चस्व
प्रधान के बाद अब संरक्षक पद ठुकराए जाने के बाद कुलदीप बिश्नोई का वर्चस्व अब धीरे-धीरे समाज में खत्म हो रहा है। आदमपुर में हार के बाद समाज की नजरों में अब उनकी वैल्यू कम हो रही है। मौजूदा प्रधान देवेंद्र बूड़िया ने कुलदीप के खिलाफ समाज के सामने जो बातें रखीं, उससे समाज उनके खिलाफ हो रहा है। अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के चुनाव को लेकर सरगर्मियां बढ़ गई हैं। मार्च से पहले महासभा में चुनाव करवाया जाना है। ऐसे में मौजूदा प्रधान देवेंद्र बुड़िया और कुलदीप बिश्नोई के बीच वर्चस्व को लेकर लड़ाई तेज हो गई है। दोनों के समर्थक एक दूसरे पर हमलावर हैं। इसी बीच चुनाव को लेकर जारी एक चुनाव प्रभारियों की लिस्ट ने बवाल मचा दिया है। चुनाव प्रभारियों की लिस्ट जारी करते समय जांबा पीठाधीश्वर महंत भगवान दास को बताया नहीं गया। जब वायरल लिस्ट के बारे में महंत भगवान दास से पूछा गया तो उन्होंने लिस्ट के बारे में कोई जानकारी होने से इन्कार कर दिया। जबकि महंत भगवान दास को ही मुख्य चुनाव अधिकारी लगाया गया है। वहीं इसके बाद मौजूदा प्रधान देवेंद्र बुड़िया का एक ऑडियो मैसेज तेजी से वायरल हुआ। जिसमें वह उन्होंने बताया कि चुनाव प्रभारियों की जो लिस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, वह पूरी तरह से फर्जी है। क्योंकि इसमें अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा की मोहर और हस्ताक्षर कुछ नहीं है। वहीं कुलदीप समर्थकों ने देवेंद्र बुड़िया के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, और इसे संत का अपमान बताते हुए पूरी चुनाव प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर दिए हैं। महंत की 11 दिसंबर को नियुक्ति की गई थी… महंत भगवान दास को नियुक्त किया था चुनाव अधिकारी
दरअसल, 11 दिसंबर 2024 को महंत भगवान दास को अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा का चुनाव अधिकारी नियुक्त किया गया था। इसके संबंध में अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा की ओर से नियुक्ति पत्र जारी किया गया था। बिश्नोई महासभा मुरादाबाद उत्तर प्रदेश में पंजीकृत है, इसलिए चुनाव अधिकारी लगाते समय रजिस्ट्रार सोसाइटी कार्यालय को भी सूचित किया गया था। मगर एक महीना बीत जाने के बाद भी चुनाव प्रभारियों की नियुक्ति नहीं की जा सकी है। वहीं देवेंद्र बुड़िया का कहना है कि आगामी एक सप्ताह में महंत भगवान दास व समाज के लोगों से सलाह परामर्श कर चुनाव प्रभारियों की सूची जारी कर दी जाएगी। कुलदीप समर्थक बोले-विवाद के बाद पोस्ट अपडेट की गई है… कुलदीप समर्थक बोले-महंत भगवानदास इस्तीफा दिया
वहीं कुलदीप समर्थक सोशल मीडिया पर दावा कर रहे हैं कि बुड़िया की ओर से जारी सूची के बाद महंत भगवान दास ने इस्तीफा दे दिया है। लेकिन इसको लेकर महंत की ओर से कोई बयान या लेटर सामने नहीं आया है। वहीं दूसरी तरफ कुलदीप समर्थक लिस्ट को सोशल मीडिया से हटाने की अपडेट पोस्ट भी वायरल कर रहे हैं। हालांकि इस पेज को लेकर भी पुष्टि नहीं की जा सकी है कि यह पेज असली है या फेक। कुलदीप बिश्नोई की पकड़ लगातार कमजोर हो रही
दरअसल, अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के पूर्व में संरक्षक रहे कुलदीप बिश्नोई और मौजूदा प्रधान देवेंद्र बुड़िया के बीच वर्चस्व की लड़ाई चल रही है। कुलदीप बिश्नोई पर करीब दो महीने पहले प्रधान ने जबरन इस्तीफा लेने के आरोप लगाए थे। इसको लेकर मुकाम धाम में बैठक की गई थी। इसमें कुलदीप बिश्नोई को संरक्षक पद से हटा दिया गया था। इसके करीब एक महीने बाद कुलदीप बिश्नोई के समर्थन में बिश्नोई महासभा के 14 पदाधिकारियों ने रजिस्ट्रार सोसाइटी को एफिडेविट लिखकर कहा था कि मुकाम में बैठक में उनको शामिल नहीं किया। ऐसे में प्रधान ने संरक्षक को हटाया है, वह नियमानुसार नहीं है। इसके बाद रजिस्ट्रर सोसाइटी की ओर से देवेंद्र बुड़िया को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था। इसके बाद कुलदीप बिश्नोई ने खुद संरक्षक पद छोड़ने की घोषणा कर दी और चुनाव करवाने का ऐलान करते हुए कमेटी का गठन किया था। कुलदीप बिश्नोई की स्थिति कमजोर पड़ने के 3 कारण
1. मुकाम धाम साथ नहीं
स्वामी रामानंद जी ने संरक्षक पद लेने से मना कर दिया है और वह मुकाम धाम के बड़े पीठाधीश्वर हैं। वह ऐसे संत हैं जिनकी बात बिश्नोई समाज में हर कोई मानता है। ऐसे में यह संदेश गया है कि कुलदीप बिश्नोई की वैल्यू अब समाज में पहले जैसी नहीं रही। संत ने पद ठुकरा कर इस बात को सिद्ध कर दिया है। 2. चुनाव के लिए बनाई समिति बनी डमी
कुलदीप बिश्नोई ने बिश्नोई महासभा का चुनाव करवाने के लिए 29 सदस्यीय कमेटी बनाई थी। इस कमेटी को संरक्षक के नेतृत्व में काम करना था। ऐसे में रामानंद स्वामी के पद ठुकराने के बाद यह समिति अब किसके दिशा निर्देश पर काम करेगी, यह बड़ा सवाल बना हुआ है। 3. प्रधान देवेंद्र बूड़िया का वर्चस्व
प्रधान के बाद अब संरक्षक पद ठुकराए जाने के बाद कुलदीप बिश्नोई का वर्चस्व अब धीरे-धीरे समाज में खत्म हो रहा है। आदमपुर में हार के बाद समाज की नजरों में अब उनकी वैल्यू कम हो रही है। मौजूदा प्रधान देवेंद्र बूड़िया ने कुलदीप के खिलाफ समाज के सामने जो बातें रखीं, उससे समाज उनके खिलाफ हो रहा है। हरियाणा | दैनिक भास्कर