<p style=”text-align: justify;”><strong>Padma Shri Award 2025:</strong> देश में हर साल 26 जनवरी पर कई वरिष्ठ हस्तियों को देश के सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है. इस बार भी इस पुरस्कार से सम्मानित होने वाले नामों की घोषणा कर दी गई है. जिन नामों की घोषणा की गई है, उनमें बिहार के भी दो नाम शामिल है. बिहार के भोजपुर जिले के भीम सिंह भवेश और एक महिला मुजफ्फरपुर जिले की निर्मला देवी हैं. दोनों को पहले ही गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने का आमंत्रण भी मिला है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की निर्मला देवी को पारंपरिक कढ़ाई के लिए यह सम्मान दिया जाएगा. 1988 में बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के भुसारा गांव की महिलाओं के एक समूह के साथ सुजनी कढ़ाई को पुनर्जीवित करना शुरू किया. यह गैर-लाभकारी संस्था ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने और उन्हें आजीविका का स्रोत प्रदान करने के लिए उनके साथ काम करती है. भुसारा गांव से आदि से जुड़ने वाली पहली महिलाओं में से एक निर्मला देवी हैं. बिहार के मुजफ्फरपुर की सुजनी कढ़ाई को जीआई टैग भी मिला है. परंपरागत रूप से, महिलाएं नवजात शिशुओं को लपेटने के लिए साधारण कपड़े के छोटे-छोटे टुकड़ों पर कढ़ाई करके कपड़ा बनाती थीं, लेकिन अब यह कढ़ाई कला जिले की 600 महिलाओं के लिए आजीविका और आत्मनिर्भरता का स्रोत है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं भीम सिंह भवेश को पद्मश्री पुरस्कार मुसहर जातियों के लिए किए गए सामाजिक कार्यों के लिए दिया जाएगा. भोजपुर में भीम सिंह भवेश जी ने अपने क्षेत्र के मुसहर जाति के लोगो के लिए बहुत काम किया है. मुसहर एक अत्यंत वंचित समुदाय है. भवेश ने इस समुदाय के बच्चों की शिक्षा पर फोकस किया है. इन्होंने अब तक मुसहर जाति के आठ हजार बच्चों का दाखिला स्कूल में कराया है और एक बड़ी लाइब्रेरी भी बनवाया है. इनके स्थापित पुस्तकालय के माध्यम से अब तक सवा सौ से अधिक बच्चे एनएमएमएस (राष्ट्रीय आय सह मेधा छात्रवृत्ति) का वजीफा पा रहे हैं. इनके प्रयास से करीब सौ अनाथ बच्चे-बच्चियों को परवरिश का लाभ मिल रहा है. ये बच्चों के डॉक्यूमेंट बनवाने और फॉर्म भरवाने में भी मदद करते हैं. इन्होंने सौ से ज्यादा मेडिकल कैंप लगवाए और कोरोना काल में भी लोगों की मदद की.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ेंः <a href=”https://www.abplive.com/states/bihar/sanitary-pads-provided-under-mukhyamantri-kishori-swasthya-yojana-in-bihar-schools-drop-out-rate-of-girl-students-decreased-2870474″>बिहार में इस योजना के तहत छात्राओं के लिए सेनेटरी पैड्स खरीदना हुआ आसान, स्कूल ड्राप आउट दर में भी आई कमी</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Padma Shri Award 2025:</strong> देश में हर साल 26 जनवरी पर कई वरिष्ठ हस्तियों को देश के सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है. इस बार भी इस पुरस्कार से सम्मानित होने वाले नामों की घोषणा कर दी गई है. जिन नामों की घोषणा की गई है, उनमें बिहार के भी दो नाम शामिल है. बिहार के भोजपुर जिले के भीम सिंह भवेश और एक महिला मुजफ्फरपुर जिले की निर्मला देवी हैं. दोनों को पहले ही गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने का आमंत्रण भी मिला है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की निर्मला देवी को पारंपरिक कढ़ाई के लिए यह सम्मान दिया जाएगा. 1988 में बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के भुसारा गांव की महिलाओं के एक समूह के साथ सुजनी कढ़ाई को पुनर्जीवित करना शुरू किया. यह गैर-लाभकारी संस्था ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने और उन्हें आजीविका का स्रोत प्रदान करने के लिए उनके साथ काम करती है. भुसारा गांव से आदि से जुड़ने वाली पहली महिलाओं में से एक निर्मला देवी हैं. बिहार के मुजफ्फरपुर की सुजनी कढ़ाई को जीआई टैग भी मिला है. परंपरागत रूप से, महिलाएं नवजात शिशुओं को लपेटने के लिए साधारण कपड़े के छोटे-छोटे टुकड़ों पर कढ़ाई करके कपड़ा बनाती थीं, लेकिन अब यह कढ़ाई कला जिले की 600 महिलाओं के लिए आजीविका और आत्मनिर्भरता का स्रोत है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं भीम सिंह भवेश को पद्मश्री पुरस्कार मुसहर जातियों के लिए किए गए सामाजिक कार्यों के लिए दिया जाएगा. भोजपुर में भीम सिंह भवेश जी ने अपने क्षेत्र के मुसहर जाति के लोगो के लिए बहुत काम किया है. मुसहर एक अत्यंत वंचित समुदाय है. भवेश ने इस समुदाय के बच्चों की शिक्षा पर फोकस किया है. इन्होंने अब तक मुसहर जाति के आठ हजार बच्चों का दाखिला स्कूल में कराया है और एक बड़ी लाइब्रेरी भी बनवाया है. इनके स्थापित पुस्तकालय के माध्यम से अब तक सवा सौ से अधिक बच्चे एनएमएमएस (राष्ट्रीय आय सह मेधा छात्रवृत्ति) का वजीफा पा रहे हैं. इनके प्रयास से करीब सौ अनाथ बच्चे-बच्चियों को परवरिश का लाभ मिल रहा है. ये बच्चों के डॉक्यूमेंट बनवाने और फॉर्म भरवाने में भी मदद करते हैं. इन्होंने सौ से ज्यादा मेडिकल कैंप लगवाए और कोरोना काल में भी लोगों की मदद की.</p>
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