बुलंदशहर में भीषण सड़क हादसे में एक ही परिवार के 4 लोगों की मौत हो गई। मरने वाली चारों महिलाएं हैं। 5 लोग घायल हैं, जिनमें से 3 की हालत गंभीर है। मरने वालों में देवरानी, जेठानी और बहू शामिल हैं। परिवार एक रिश्तेदारी में हुए हल्दी कार्यक्रम से लौट रहा था। सभी एक ऑटो में सवार थे। इसी बीच ऑटो को पीछे से तेज रफ्तार ट्रक ने जोरदार टक्कर मार दी। हादसा कोतवाली देहात क्षेत्र के कुडवल गांव के पास गुरुवार रात 8.20 बजे हुआ। ऑटो में एक ही परिवार के 9 लोग सवार थे। मौके पर पहुंचे स्थानीय लोगों और पुलिसकर्मियों ने घायलों को जिला अस्पताल भिजवाया। पुलिस ने चारों शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। साथ ही ट्रक को कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी है। ट्रक ड्राइवर की तलाश की जा रही है। हादसे की 4 फोटो घायल संविदा ने बताया, हम ऑटो में 8-9 लोग आ रहे थे। रास्ते में ऑटो चालक ने तेल डलवाया और मेन रोड पर आ गया। इसी दौरान ट्रक ने टक्कर मार दी। इसके बाद क्या हुआ, हमें याद नहीं। हम लोग हल्दी प्रोग्राम में गए थे। मरने वालों में जेठानी गंगादेवी, देवरानी राजेंद्री और बहू राधा शामिल हैं। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि ट्रक की ऑटो में टक्कर लगते ही सभी लोग सड़क पर गिर गए। हादसा होते देख आसपास के लोग मदद के लिए दौड़ पड़े। मौके के हालात बहुत भयावह थे। चारों तरफ खून ही खून फैल गया। ट्रक की टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि ऑटो पूरी तरह से पिचक गया। ऑटो में पीछे बैठी एक महिला बुरी तरह फंस गई। जब तक उन्हें बाहर निकाला गया, उनकी मौत हो गई। वहीं, हादसे के बाद मौके पर मौजूद लोगों ने नाराजगी जताते हुए हंगामा शुरू कर दिया। उन्हें मौके पहुंचे पुलिसकर्मियों ने समझा-बुझाकर शांत किया। —————- यह खबर भी पढ़ें सीतापुर में हल्दी के दिन दूल्हा-दुल्हन की मौत, लड़की के घर में फंदे से लटके मिले शव सीतापुर में हल्दी की रस्म के बीच दूल्हा-दुल्हन का शव लड़की के घर में फंदे पर लटका मिला। 25 नवंबर को दोनों की शादी थी। शादी के लिए मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के लिए रजिस्ट्रेशन भी करा रखा था। घटना गुरुवार दोपहर सीतापुर के महमूदाबाद कोतवाली क्षेत्र के मिठौरा गांव की है। यहां पढ़ें पूरी खबर बुलंदशहर में भीषण सड़क हादसे में एक ही परिवार के 4 लोगों की मौत हो गई। मरने वाली चारों महिलाएं हैं। 5 लोग घायल हैं, जिनमें से 3 की हालत गंभीर है। मरने वालों में देवरानी, जेठानी और बहू शामिल हैं। परिवार एक रिश्तेदारी में हुए हल्दी कार्यक्रम से लौट रहा था। सभी एक ऑटो में सवार थे। इसी बीच ऑटो को पीछे से तेज रफ्तार ट्रक ने जोरदार टक्कर मार दी। हादसा कोतवाली देहात क्षेत्र के कुडवल गांव के पास गुरुवार रात 8.20 बजे हुआ। ऑटो में एक ही परिवार के 9 लोग सवार थे। मौके पर पहुंचे स्थानीय लोगों और पुलिसकर्मियों ने घायलों को जिला अस्पताल भिजवाया। पुलिस ने चारों शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। साथ ही ट्रक को कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी है। ट्रक ड्राइवर की तलाश की जा रही है। हादसे की 4 फोटो घायल संविदा ने बताया, हम ऑटो में 8-9 लोग आ रहे थे। रास्ते में ऑटो चालक ने तेल डलवाया और मेन रोड पर आ गया। इसी दौरान ट्रक ने टक्कर मार दी। इसके बाद क्या हुआ, हमें याद नहीं। हम लोग हल्दी प्रोग्राम में गए थे। मरने वालों में जेठानी गंगादेवी, देवरानी राजेंद्री और बहू राधा शामिल हैं। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि ट्रक की ऑटो में टक्कर लगते ही सभी लोग सड़क पर गिर गए। हादसा होते देख आसपास के लोग मदद के लिए दौड़ पड़े। मौके के हालात बहुत भयावह थे। चारों तरफ खून ही खून फैल गया। ट्रक की टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि ऑटो पूरी तरह से पिचक गया। ऑटो में पीछे बैठी एक महिला बुरी तरह फंस गई। जब तक उन्हें बाहर निकाला गया, उनकी मौत हो गई। वहीं, हादसे के बाद मौके पर मौजूद लोगों ने नाराजगी जताते हुए हंगामा शुरू कर दिया। उन्हें मौके पहुंचे पुलिसकर्मियों ने समझा-बुझाकर शांत किया। —————- यह खबर भी पढ़ें सीतापुर में हल्दी के दिन दूल्हा-दुल्हन की मौत, लड़की के घर में फंदे से लटके मिले शव सीतापुर में हल्दी की रस्म के बीच दूल्हा-दुल्हन का शव लड़की के घर में फंदे पर लटका मिला। 25 नवंबर को दोनों की शादी थी। शादी के लिए मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के लिए रजिस्ट्रेशन भी करा रखा था। घटना गुरुवार दोपहर सीतापुर के महमूदाबाद कोतवाली क्षेत्र के मिठौरा गांव की है। यहां पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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Motihari News: मोतिहारी में दारोगा और चौकीदार को निगरानी ने रिश्वत के साथ पकड़ा, हुई थी बड़ी सेटिंग
Motihari News: मोतिहारी में दारोगा और चौकीदार को निगरानी ने रिश्वत के साथ पकड़ा, हुई थी बड़ी सेटिंग <p style=”text-align: justify;”><strong>Motihari News:</strong> जिले के रक्सौल थाना में निगरानी ने शुक्रवार बड़ी कार्रवाई की है. रक्सौल थाना में पदस्थापित दारोगा व चौकीदार को निगरानी विभाग ने रंगे हाथ 18 हजार रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है. निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की मुख्यालय टीम ने रक्सौल के नागा रोड वार्ड नंबर 22 में बच्चा गिरी के मकान में 18 हजार रिश्वत लेते दारोगा को रंगे हाथों गिरफ्तार किया है. रक्सौल थाना कांड संख्या 113/24 में परिवादी के पिता का नाम हटाने को लेकर केस डायरी में मदद के नाम पर 20 हजार रिश्वत तय हुई थी जिसमें 2 हजार पूर्व में एडवांस दिया गया था. शेष 18 हजार रुपये के लिए शिकायतकर्ता ने कुछ समय लिया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>गिरफ्तार पुलिस कर्मी की पहचान दारोगा संजीवन पासवान और चौकीदार रोहित कुमार के रूप में हुई है. बताया जा रहा है कि 2019 बैच के संजीवन पासवान पुलिस अवर निरीक्षक पद पर तैनात थे </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>केस से हटाना था नाम</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>मिली जानकारी के अनुसार रक्सौल थाना कांड संख्या 113/24 दिनांक 03 अप्रैल 2024 में केस का अनुसंधानक दारोगा संजीवन पासवान थे. इस केस को लेकर परिवादी मनोज सिंह के पुत्र बिपुल सिंह ने दारोगा से संपर्क किया. बिपुल सिंह पश्चिमी चंपारण जिले के गौनाहा थाना क्षेत्र के माधोपुर बैरिया गांव का रहने वाला है. इस केस में दारोगा संजीवन पासवान अपने चौकीदार के सहयोग से 20 हजार की रिश्वत तय की. शर्त के अनुसार केस से मनोज सिंह का नाम हटाना था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>निगरानी अन्वेषण ब्यूरो में की गई थी शिकायत</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं, रिश्वत को लेकर बिपुल सिंह ने निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के मुख्यालय कार्यालय पहुंचकर लिखित शिकायत की. जांच में मामला सही पाया गया. रिश्वत लेने के समय निगरानी अन्वेषण ब्यरो ने कार्रवाई करते हुए दारोगा संजीवन पासवान और सहयोगी चौकीदार रोहित पासवान को 18 हजार रिश्वत लेते किराया के मकान से धर दबोचा.</p>
<p><strong>ये भी पढे़ं: <a href=”https://www.abplive.com/states/bihar/cm-nitish-kumar-and-sanjay-jha-including-68-members-in-jdu-state-executive-2788366″>Bihar Politics: जेडीयू ने राज्य कार्यकारिणी का किया गठन, लिस्ट में सीएम नीतीश सहित किस-किस को मिली जगह?</a></strong></p>
झांसी में 10 मौतों के 3 जिम्मेदार:18 वेंटिलेटर पर 49 नवजात, प्रिंसिपल ने नहीं रोकी ओवरलोडिंग; CMS को पता ही नहीं आग कब लगी
झांसी में 10 मौतों के 3 जिम्मेदार:18 वेंटिलेटर पर 49 नवजात, प्रिंसिपल ने नहीं रोकी ओवरलोडिंग; CMS को पता ही नहीं आग कब लगी झांसी मेडिकल कॉलेज में 10 बच्चों की मौत हादसा नहीं….लापरवाही का नतीजा है, जो पिछले कई दिनों से नजर अंदाज की जा रही थीं। इसके लिए वहां का प्रबंधन, डॉक्टर और मेंटेनेंस स्टाफ सीधा जिम्मेदार है। वेंटिलेटर पर क्षमता से अधिक बच्चों को रखना, फायर सेफ्टी की मॉनिटरिंग ना होना, पुरानी बिल्डिंग की पुराने इलेक्ट्रिक वायर चेंज न करना और मेडिकल स्टाफ को फायर रेस्क्यू की प्रॉपर ट्रेनिंग न देना, बड़ी लापरवाही है। सोमवार को भी एक बच्चे की मौत हो गई। अब मृतकों की संख्या 11 हो गई है। भास्कर ने इस हादसे के बाद उन जिम्मेदार चेहरों को तलाशा और जाना कि इनकी क्या जिम्मेदारी थी? चलिए इन 3 चेहरों और इनके किरदार को जानते हैं… झांसी महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज 9 एकड़ में फैला हुआ है। प्रदेश के सबसे पुराने चिकित्सा संस्थानों में इसका नाम है। यह बुंदेलखंड का सबसे बड़ा उपचार केंद्र है, जहां यूपी के अलावा मध्य प्रदेश के लोग भी इलाज के लिए आते हैं। झांसी मेडिकल कॉलेज के प्रबंधन की पूरी जिम्मेदारी प्रिंसिपल के कंधों पर होती है। डॉ. एनएस सेंगर के पास यह जिम्मेदारी है। हर छोटी-बड़ी समस्या की रिपोर्ट इनके पास जाती है। लगभग 10 से 15 दिन में प्रिंसिपल हॉस्पिटल का विजिट भी करते हैं। पिछले कई दिनों से एसएनसीयू वार्ड में क्षमता से अधिक बच्चों को रखा जा रहा था। प्राथमिक जांच रिपोर्ट में भी ये सामने आया है कि 18 वेंटिलेटर पर 49 बच्चे एडमिट थे। किसी बेड पर 3 तो किसी पर 4 बच्चों को ऑक्सीजन दी जा रही थी। इससे इन्फेक्शन का खतरा तो था ही, बच्चों को आग से बचाने में भी दिक्कत हुई। एक साथ एक-एक वेंटिलेटर पर 3 से 4 बच्चे झुलस गए। अगर तय मानकों के अनुसार बच्चों को रखा जाता तो इतना बड़ा हादसा नहीं होता। प्रिंसिपल को मानक से ज्यादा बच्चों को भर्ती करने पर रोक लगानी चाहिए थी। लेकिन, उन्होंने ओवर लोडिंग नहीं रोकी। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के दूसरा अहम किरदार डॉ. सचिन माहोर हैं, जो यहां के सीएमएस हैं। वार्ड में उनकी अक्सर विजिट होती है। वार्ड में कितने बच्चे हैं, किस बच्चे को क्या ट्रीटमेंट मिल रहा है, क्या समस्या है, इसकी फाइनल रिपोर्ट इनके पास ही सब्मिट होती है। लेकिन, डॉ. सचिन जब घटना वाले दिन अस्पताल पहुंचे, तब उन्हें यह तक नहीं पता था कि वार्ड में कितने बच्चे हैं? मीडिया को पहला बयान दिया कि यहां 54 बच्चे भर्ती हैं। जिलाधिकारी ने उनके बयान का खंडन किया। बताया कि 49 बच्चे भर्ती थे। सीएमएस ने बताया- 5.30 बजे हादसा हुआ, जबकि प्रशासन ने बताया- करीब 10.30 बजे आग लगी। अब बड़ा सवाल- 5 बच्चों का अंतर कैसे आ सकता है? इसके अलावा वार्ड में बच्चों की ओवर लोडिंग की वजह से वेंटिलेटर्स को लगातार चलाया जा रहा था। यहां की वायरिंग पुरानी हो चुकी थी, इससे वायरिंग में बार-बार फाल्ट आ रही थी। प्राथमिक जांच में ये पता चला है कि वायरिंग कमजोर होने की वजह से स्पार्किंग के मामले पहले भी सामने आ चुके थे। कई वेंटिलेटर्स को एक्सटेंशन से चलाया जाता है, जो बहुत जल्दी गर्म हो जाता है। लेकिन उसे गंभीरता से नहीं लिया गया। बाल रोग विभाग की पूरी जिम्मेदारी एचओडी डॉ. ओम शंकर चौरसिया की है। विभाग में डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ की ड्यूटी लगाना। वार्ड की क्षमता चेक करना, मेंटेनेंस से जुड़ी प्रॉब्लम को सॉल्व करना, ट्रीटमेंट के साथ-साथ यह पूरी जिम्मेदारी भी इनकी है। इन सब जिम्मेदारियों के बीच बड़ी खामी यह निकलकर आई कि यहां एक्सपायर हो चुके सिलेंडर लगे हुए थे। इनकी रिफिलिंग ही नहीं की गई। यहां तक कि वार्ड का फायर अलार्म तक नहीं बजा। पीड़ितों ने यह बताया कि हम वहीं पर लेटे थे, लेकिन कोई फायर अलार्म नहीं सुनाई दिया। इसके अलावा एसएनसीयू वार्ड का पिछला गेट काफी समय से बंद करवा दिया गया था। अगर वह गेट खुला होता तो इतने बच्चों की मौत नहीं होती। प्राथमिक जांच में यह भी सामने आया है कि मेडिकल स्टाफ यहां कमजोर वायरिंग और ओवर लोड के बारे में विभागाध्यक्ष को बता चुका था। लेकिन, उसे गंभीरता से नहीं लिया गया। इसके पीछे का कारण नई बिल्डिंग का निर्माण होना बताया जा रहा है। एसएनसीयू वार्ड की नई बिल्डिंग लगभग बनकर तैयार है, उसे 14 नवंबर को शुरू करने की घोषणा भी हुई थी। लेकिन वह शुरू नहीं हो पाई। उस बिल्डिंग के चलते ही ये कैज़ुअल एप्रोच रखी गई कि जल्द शिफ्ट हो जाएंगे। नई बिल्डिंग में एसएनसीयू वार्ड शिफ्ट हो जाता, तो हादसा न होता
झांसी मेडिकल कॉलेज में जिस स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट में आग लगी, उसी के बगल में नई बिल्डिंग बनकर तैयार है। पहले यह तय हुआ था कि 14 नवंबर यानी बाल दिवस के मौके पर दो फ्लोर की बिल्डिंग में अलग नया स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट शुरू किया जाएगा। क्योंकि मौजूदा यूनिट सिर्फ 18 बच्चों के लिए थी। लेकिन तय वक्त में काम नहीं हो पाने के चलते इसे शुरू नहीं किया जा सका। अगर इसे तय समय पर शुरू किया गया होता तो संभवतः इतना बड़ा हादसा नहीं होता। ये अभी तक क्यों नहीं शुरू हुआ? इस बिल्डिंग में अब तक वेंटिलेटर क्यों नहीं लगे? इस मामले में अब कोई बोलने को तैयार नहीं है। अब जानिए आग लगने के कारण, जो प्राथमिक जांच में सामने आए
सीएम ऑफिस को स्थानीय प्रशासन ने मौखिक जानकारी दी। बताया- एसएनसीयू वार्ड में वेंटिलेटर रन करने के लिए स्विच बोर्ड पर एक एक्सटेंशन लगाया गया था। इसके वायर को आगे बढ़ाकर जोड़ा गया था। इसी एक्सटेंशन में ओवर लोडिंग के चलते स्पार्किेंग हुई। जिससे आग लगी। एक्सटेंशन को खींच कर अलग करने की कोशिश की गई, तो मेन स्विच बोर्ड से आया तार जलने लगा। वहां मौजूद स्टाफ ने पास में ही रखे दवा के खाली गत्ते से आग बुझाने की कोशिश की। यह गत्ता भी आग की चपेट में आ गया। जलते हुए इस गत्ते को वहां से हटाकर फेंका गया। यह पास में रखी कुर्सी के ऊपर जा गिरा। कुर्सी फोम की थी। जलते हुए गत्ते से कुर्सी में भी तुरंत आग लग गई। मुख्यमंत्री कार्यालय को यह घटनाक्रम बताया गया है। जिसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी चुनावी सभा में इसका जिक्र करते हुए घटना को हादसा बताया। जांच में सामने आया है कि ज्यादा लोड की वजह से शॉर्ट सर्किट हुआ। इसके बाद चिंगारी ऑक्सीजन कंसंट्रेटर तक पहुंच गई। ऑक्सीजन की वजह से आग बेकाबू हो गई। आग लगने के अन्य कारणों की भी जांच की जा रही है। एसएनसीयू वार्ड में जन्म के तुरंत बाद पीलिया, निमोनिया के शिकार बच्चों को रखा जाता है। नवजात का तापमान अनुकूल करने के लिए वार्मर लगाए गए थे। बताया जा रहा है कि क्षमता से 3 गुना अधिक नवजात भर्ती थे। इसलिए उपकरणों को लगातार चलाए रखना पड़ रहा था। 3 से 4 घंटे बाद लोड को कम करने के लिए इनमें से कुछ उपकरणों को बंद करना होता है। मेडिकल कॉलेज प्रशासन की लापरवाही के कारण यह उपकरण समय पर बंद नहीं किए जा सके। इस वजह से उपकरण ज्यादा गर्म हो गए। फिर शॉर्ट सर्किट हुआ। इसकी चपेट में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर आ गया। इससे वहां ऑक्सीजन का रिसाव हुआ और तेजी से आग फैल गई। इन सभी सवालों की पड़ताल दैनिक भास्कर की टीम ने ग्राउंड जीरो पर जाकर की। हमें लापरवाही के कई चौंकाने वाले तथ्य मिले। सिलसिलेवार तरीके से जानते हैं सभी जवाब… सबसे पहले आग लगी कैसे?
जिस समय SNCU (स्पेशल न्यू बॉर्न केयर यूनिट) में आग लगी, वहां 50 से ज्यादा नवजात बच्चे भर्ती थे। हालांकि, प्रशासन ने ऑफिशियल आंकड़ा- 49 बताया। वार्ड दो यूनिट में बंटा है। घटना के बाद हम वार्ड में पहुंचे। यहां चारों तरफ अंधेरा था। सभी मशीनें जल चुकी थीं। पड़ताल के दौरान हमें पता चला- वार्ड में वेंटिलेटर के इलेक्ट्रिक इक्विपमेंट में शाॅर्ट सर्किट हुआ। इसी इक्विपमेंट के पास स्प्रिट रखी हुई थी। इनमें दो स्प्रिट थीं। पहला- बच्चों की सफाई करने वाला सैनेटाइजर। दूसरा- फ्लोर की सफाई करने वाली स्प्रिट। वेंटिलेटर में शार्ट-सर्किट के बाद धुआं फैलता चला गया। चिंगारी की आग इसी स्प्रिट के चलते फैलती चली गई। इसके अलावा- बच्चों को सामान्य टेम्प्रेचर में रखने के लिए वार्मिंग मशीनें संचालित थी। ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में भी बच्चे रखे गए थे। वार्ड हाई ऑक्सीजेनेट था। इसलिए आग धधक उठी। SNCU वार्ड हाई सेंसिटिव वाला एरिया होता है। यहां प्री-मैच्योर बेबी, लो बर्थ वेट समेत क्रिटिकल कंडीशन वाले बच्चों का इलाज होता है। बच्चों की सांस, हार्ट बीट से लेकर पूरे शरीर की एक्टिविटी को मॉनिटर करने वाले इक्विपमेंट होते हैं। नवजात के शरीर में जरा सी भी नेगेटिव हरकत पर ये इक्विपमेंट में लगे इंडीकेटर बीप करने लगते हैं। शॉर्ट-सर्किट के बाद धुआं उठा। इससे नवजात का दम घुटना शुरू हुआ। मशीनों ने इंडीकेट किया होगा, लेकिन अगर वहां कोई होता, तो समय से बच्चों का रेस्क्यू किया जा सकता था। ऐसा आरोप अस्पताल में मौजूद परिजन भी लगा रहे हैं। यही सबसे बड़ी लापरवाही सामने आ रही है कि वहां कोई था ही नहीं। आग का पता क्यों नहीं चला?
वार्ड का गेट लॉक था। आग लगने के बाद वार्ड में धुआं भरता चला गया। फायर सेफ्टी अलार्म बजना चाहिए था। लेकिन, वह नहीं बजा। यही वजह रही कि अस्पताल के सुरक्षा कर्मियों और मेडिकल स्टाफ को देर से जानकारी हुई। तब तक आग पूरी तरह भड़क चुकी थी। अगर अंदर कोई होता, गेट खुल जाता। बाहर वाली यूनिट में जो बच्चे भर्ती थे, वहां का गेट अनलॉक था। परिजन यहां धुआं भरते ही अपने बच्चों का रेस्क्यू करने लगे। सिलेंडर क्यों नहीं काम किया?
पड़ताल के दौरान हमें दो फायर एक्सटिंग्विशर सिलेंडर मिले। इनमें रिफिल डेट- 25-07-2019, अगली भरने की तारीख- 24-07-2020 लिखी थी। यानी चार साल से यह एक्सपायर थे, यूं ही टंगे थे। ना तो कभी इनकी टेस्टिंग हुई, ना ही कभी इनको रीफ़िल किया गया। इसकी पूरी जिम्मेदारी अस्पताल के मेंटेनेंस डिपार्टमेंट की होती है। इस डिपार्टमेंट के सभी अधिकारी और कर्मी अब कुछ भी बोलने-बताने को तैयार नहीं हैं। सभी सिर्फ इतना कह रहे हैं- जांच बैठी है। आग की चपेट में ज्यादा बच्चे कैसे आए?
वार्ड में कुल 18 बेड हैं। यहां पर डिप्टी सीएम के मुताबिक 49 बच्चे भर्ती थे। परिजनों के मुताबिक एक बेड पर दो-तीन बच्चे भर्ती थे। सभी को एक साथ ऑक्सीजन दी जा रही थी। परिजनों का आरोप है कि आग लगने पर पैरामेडिकल स्टाफ भाग गया। अगर वह मदद करते, तो बच्चों की जान बच सकती थी। उन्होंने बचाने का प्रयास नहीं किया। अगर किया होता तो कहीं न कहीं चोट या जलने के निशान जरूर होते। मगर वह सभी सुरक्षित हैं। करीब 20 मिनट बाद फायर ब्रिगेड टीम पहुंची
लोगों के मुताबिक- आग लगने के शोर के करीब 20 मिनट बाद फायर ब्रिगेड की गाड़ियां पहुंची। पहले दो छोटी गाड़ियां आईं थीं। इसके बाद सेना की आग बुझाने वाली गाड़ी आई। कुल-6 गाड़ियां अस्पताल आईं। फायर ब्रिगेड से पहले डायल-112 की गाड़ी अस्पताल में मौजूद थी। इससे पहले ही बच्चे जलकर मर चुके थे। तमाम पड़ताल के बाद एक और लापरवाही सामने आ रही है। डिप्टी सीएम और झांसी के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (CMS) के बयान मैच नहीं कर रहे हैं। डिप्टी सीएम का कहना है- वार्ड में 49 बच्चे थे, जबकि CMS सचिन माहोर ने कहा- SNCU वार्ड में 54 बच्चे भर्ती थे। हालांकि, आग लगने का कारण वो बताते हैं- अचानक से ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में आग लग गई। यह वार्ड हाई ऑक्सीजेनेट होता है। जैसे ही आग लगी, पूरे कमरे में फैल गई। 10 बच्चों की अभी तक मौत हुई है। बाकी बच्चों का इलाज चल रहा है। …………………….. यह भी खबर पढ़ें भास्कर रिपोर्टर ने देखा- डॉक्टर 3-3 अधजले नवजात को उठाकर भागे:, शरीर झुलसकर काला पड़ा शुक्रवार रात 10.30 बजे पूरे कैंपस में चीख पुकार मच गई। SNCU, जहां नवजात बच्चों को भर्ती किया गया था, वह पूरी तरह जल गया। मशीनें मलबे में तब्दील हो गईं। डॉक्टर बच्चों को बचाने की जद्दोजहद में लगे थे। एक-एक कर इनके शव निकाले गए। वार्ड में भर्ती सभी नवजात बच्चों को रेस्क्यू किया गया। पढ़ें पूरी खबर…
हिसार में डेढ़ घंटे तक झमाझम बारिश:राहत बनकर बरसा मानसून, खेतों में धान की रोपाई बढ़ी, किसानों को पहुंचा फायदा
हिसार में डेढ़ घंटे तक झमाझम बारिश:राहत बनकर बरसा मानसून, खेतों में धान की रोपाई बढ़ी, किसानों को पहुंचा फायदा हिसार में डेढ़ घंटे की तेज बारिश ने गर्मी और उमस से राहत दिलाई है। मानसून की बारिश से किसानों को फायदा हो रहा है। हिसार और आसपास के इलाकों में धान की रोपाई में तेजी आई है। वहीं, इस बारिश से मुख्य सड़कों पर जलभराव कम हुआ। वहीं, शहर के निचले इलाकों में दो दिन की बारिश का पानी अभी सूखा भी नहीं था और ऊपर से आज की बारिश ने और जलभराव कर दिया है। हिसार के दिल्ली रोड, ऑटो मार्केट, कैंप चौक, शांति नगर, मिल गेट रोड, अर्बन एस्टेट, अनाज मंडी रोड, विकास नगर, मॉडल टाउन, विद्युत नगर समेत कई इलाकों में पानी भर गया। मौसम विभाग ने अनुमान जताया था कि जुलाई के पहले सप्ताह में पूरे हरियाणा में मानसून सक्रिय हो जाएगा। इसके चलते हिसार और आसपास के इलाकों में तेज बारिश देखने को मिली। वहीं, सोमवार को मूसलाधार मानसूनी बारिश देखने को मिली। तस्वीरों में देखिए हिसार में जलभराव… कैंप चौक पर बारिश के बीच गुजरते वाहन… शहर के सेक्टर 13 में बारिश का दृश्य… तोशाम रोड पर सेक्टर 13 मोड पर बारिश के बीच से गुजरते वाहन… हिसार शहर में बारिश के बीच से गुजरते वाहन…