बेटा बोल नहीं पाता था, भेड़िया उसे खा गया:मां बोली- बेटियों की शादी करने बहराइच आए थे, बच्चे को खो दिया

बेटा बोल नहीं पाता था, भेड़िया उसे खा गया:मां बोली- बेटियों की शादी करने बहराइच आए थे, बच्चे को खो दिया

24 अगस्त 2024…बहराइच में चौथा आदमखोर भेड़िया जिंदा पकड़ा गया। एक को गांव वालों ने मार दिया था। उस वक्त तक इन भेड़ियों ने 8 बच्चों को अपना निवाला बना लिया था। 40 से ज्यादा लोग हमले में घायल हो चुके थे। इसके बाद भेड़िए का हमला बंद हो गया। लोगों ने राहत की सांस ली। लेकिन, 7 महीने बाद भेड़िया फिर से लौट आया है। 7 साल के बच्चे को अपना निवाला बना लिया। इसके बाद फिर से वही खौफ लोगों के अंदर भर गया। दैनिक भास्कर की टीम उसी इलाके में पहुंची, जहां भेड़िए ने हमला किया था। हम पीड़ित परिवार से मिले। घटनास्थल और वहां की परिस्थिति को समझा। भेड़िए के हमला करने के पीछे की वजह को समझा। गांव के लोगों के पास भेड़िया से बचने के लिए क्या कुछ विकल्प है उस पर बात की। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… जहां पहले 8 बच्चों को शिकार बनाया, वहीं फिर से हमला
बहराइच जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर महसी तहसील है। इस क्षेत्र में हरदी थाना है। इसके 10 किलोमीटर की रेंज में ही भेड़िए का हमला होता रहा है। घाघरा नदी का किनारा होने के चलते भेड़िए रात में शिकार को निकलते हैं। हमारी टीम भगवानपुर से होते हुए सीधे सिसैया चूड़ामणि गांव पहुंची। इसी गांव का एक पुरवा बग्गर है। आबादी करीब 1 हजार होगी। यहां ज्यादातर लोगों के पास एक या फिर दो कमरों का घर है। हम गांव की संकरी गलियों से होते हुए भेड़िए के हमले में मारे गए घनश्याम उर्फ बाउर (7) के घर पहुंचे। घर के आंगन में उसकी मां शांति देवी बैठी थीं। हमने उनसे घटना के बारे में पूछा। शांति कहती हैं- मेरे 7 बच्चे हैं, 4 लड़के और 3 लड़कियां। घनश्याम चौथे नंबर का था। 13 अप्रैल की रात मेरी तबीयत ठीक नहीं थी। मैं अपने बेटे और बड़ी बेटी के साथ आंगन में ही लेटी थी। बेटी भी रात में छत पर सोने चली गई। 4 बजे तड़के मुझे नींद लग गई। उसी वक्त भेड़िया आया और मेरे बेटे को उठा ले गया। लोग अलग-अलग दिशा में मेरे बेटे को खोजते हुए भागे। घर से करीब 1 किलोमीटर दूर एक खाली जगह पर मेरा बेटा मिला। उसकी गर्दन पर घाव था, बायां हाथ भेड़िया खा गया था। शांति देवी यह सब बताते हुए रोने लगीं। वह अपने ऊपर अफसोस जताते हुए कहती हैं- हम 6 महीने तक पंजाब के जालंधर में थे। पति वहीं मेहनत-मजदूरी करते थे। 2 महीने पहले ही यहां आए थे, क्योंकि बेटियों की शादी करनी थी। हमको नहीं पता था कि बच्चे को भेड़िया उठा ले जाएगा। हमारा बच्चा बोल-चल नहीं पाता था, लेकिन समझता सब कुछ था। घर में लोग आते, तो वह देखकर खुश हो जाता था। इतना कहने के बाद शांति देवी फिर रोने लगती हैं। 3-4 साल से खौफ में जी रहे
शांति के ही घर पर हमें उनके पड़ोसी राजेश मिले। वह कहते हैं- यहां भेड़िए का आतंक तो पिछले 3-4 साल से है। बीच में 5-6 महीने बंद हो गया था। जिस घर से भेड़िया इस बार बच्चे को ले गया है, वहां दीवार उठ रही है। बच्चा जब मिला, तो उस वक्त उसकी सांस चल रही थी। हम महसी सीएचसी में ले गए, वहां कपड़े में लपेट रहे थे। तब देखा कि उसका बायां हाथ भेड़िया खा गया था। डॉक्टरों ने तुरंत ही जिला हॉस्पिटल रेफर कर दिया। राजेश के बगल हाथों में लाठी लेकर तीरथ खड़े थे। हमने लाठी लेने की वजह पूछी। वह कहने लगे कि अब तो यही लेकर चल रहे। पिछले साल भी भेड़िया आया था, इस साल अभी पहली बार अटैक हुआ है। अब रात भर यही लाठी लेकर जागते हैं। कोई और उपाय भी तो नहीं है। अगर हम भेड़िए को मार देंगे तो जेल चले जाएंगे, क्योंकि यह सरकारी काम है। हम इससे ज्यादा क्या ही कुछ कर सकते हैं। 6 महीने पहले बच्चे को नोचकर भागा था
हम गांव के अलग-अलग हिस्सों में पहुंचे। तमाम लोगों से बात की। भेड़िए के हमलों के बाद सभी सजग हो गए हैं। अब परिवार के बच्चों को कमरे के अंदर या फिर छत पर सुलाते हैं। हमें गांव की ही रजिया मिलीं। रजिया के ही बगल सुल्ताना खड़ी थी। 6 महीने पहले उनके 2 साल के बेटे पर भेड़िए ने हमला कर दिया था। उसे खींचकर 20 मीटर दूर तक उठा भी ले गया था। लेकिन, लोगों के देखने और फिर शोर मचाने के बाद उसने छोड़ दिया था। सुल्ताना कहती हैं- उस वक्त सुबह 5 बजे उठकर मैं नमाज पढ़ने लगी। तभी भेड़िया आया और बेटे को उठाने लगा। हमने सिर्फ एक बार आवाज, लगाई तो वह नोचकर भागा। पिता अपने बेटे को हाथ में लिए भटकते नजर आए
जब तक हम गांव में रहे, बच्चे की बॉडी घर पर नहीं आई थी। हमने बच्चे के पिता समभर से बात की। उन्होंने कहा- हम हॉस्पिटल से बॉडी लेकर पोस्टमॉर्टम हाउस जा रहे हैं। हम सीधे बहराइच के पोस्टमॉर्टम हाउस पहुंचे। देखा समभर ई-रिक्शा से अपने बेटे की लाश लेकर वहां पहुंचे। वह उसे लेकर पोस्टमॉर्टम हाउस के अंदर गए। वहां उन्हें बताया गया कि आपके बेटे का पोस्टमॉर्टम दूसरी साइड होगा। समभर अपने बेटे की कपड़ों में लिपटी लाश लेकर बताए गए स्थान पर चले गए। बहराइच में भेड़िए के हमलों से गई जान को लेकर लगातार हंगामा होता रहा है। इसलिए इस मामले में डॉक्टरों ने पोस्टमॉर्टम का वीडियो रिकॉर्ड करवाया। जब पोस्टमॉर्टम हो रहा था, तब हम समभर से मिले। समभर ने बताया कि बेटा बोल नहीं पता था, इसलिए शोर नहीं मचा पाया। वन विभाग ने कहा-भेड़िए के फुटप्रिंट नहीं मिले
पोस्टमॉर्टम हाउस पर ही वन विभाग के दरोगा मिले। वह कहते हैं- घटनास्थल पर भेड़िए के पांव के निशान नहीं मिले हैं। भेड़िया जब बच्चे को उठाता है, तो तुरंत ही उसके गले की नस को पंचर कर देता है। इससे उसकी मौत हो जाती है। यहां बच्चे के गले की नस पंचर नहीं थी। जिस इलाके में हमला हुआ, वहां पिछले कुछ दिनों से कुत्तों के हमले बढ़े हैं। हमने वन विभाग के अफसर के इस बयान को लेकर गांव में बात की। लोगों का कहना था कि जिस जगह पर बच्चा पड़ा मिला था, वहां की जमीन कठोर है। पैरों के निशान नहीं मिलेंगे। कुत्तों का अटैक होता तो वह बच्चे को इतनी दूर उठाकर नहीं ला पाता। 6 महीने पहले भी जब हमला हो रहा था, तो तरीका यही था। इसलिए यहां यही लग रहा कि इस बच्चे को भी भेड़िया उठाकर ले गया। नदी का किनारा, हमले की वजह
हम यहां यह भी समझना चाहते थे कि आखिर भेड़ियों का अटैक यहां ज्यादा क्यों हो रहे? दो मुख्य वजह निकलकर सामने आई। पहली- इस इलाके के बगल से ही घाघरा नदी गुजरी है। नदी के किनारे भेड़िए मांद बनाकर रहते हैं। जब उन्हें शिकार की इच्छा होती है तो वह आबादी की तरफ रुख करते हैं। यहां वह बकरी-भेड़ की तलाश में रहते हैं लेकिन स्थानीय लोग बकरी और भेड़ को बंद बाड़े में रखते हैं। शिकार नहीं मिलने पर भेड़िए इंसानी बच्चों को उठाते हैं। दूसरी वजह- इस क्षेत्र में गरीबी ज्यादा है। यहां की 80% आबादी के पास 1-2 कमरों का ही घर है। वह घर के सामने छप्पर डालकर रहते हैं। लाइट की भी व्यवस्था ठीक नहीं है। ऐसे में ज्यादातर लोग घरों के बाहर सोते हैं। ऐसे में भेड़ियों को हमला करने का मौका मिल जाता है। पिछले साल ज्यादातर हमलों में भेड़िए ने ऐसे ही बाहर सो रहे बच्चों को निशाना बनाया था। भेड़िए के हमले के बाद वन विभाग हरकत में आया है। वह कुछ जगहों की पहचान करके वहां कैमरा लगा रहे हैं। लोगों से अपील कर रहे कि बच्चों को रात में घर के बाहर न सुलाएं। उन्हें घर के अंदर या फिर छत पर सुलाया जाए। —————————— ये खबर भी पढ़ें… रामदेव ने जिसे ‘शरबत जिहाद’ कहा, यूपी से उसका कनेक्शन, पहले हकीम की दवा थी, आज हर साल 300 करोड़ से ज्यादा की कमाई बाबा रामदेव के एक बार फिर अपने बयान की वजह से विवाद में हैं। इस बार उन्होंने शरबत बनाने वाली कंपनी रूह अफजा पर बिना नाम लिए टिप्पणी की है। उन्होंने इसे शरबत जिहाद कहा। उन्होंने एक पतंजलि के शरबत के प्रचार के दौरान यह बात कही। अब उनका यह वीडियो वायरल है। क्या है पूरा मामला? रूह अफजा की कहानी क्या है? पढ़ें पूरी खबर 24 अगस्त 2024…बहराइच में चौथा आदमखोर भेड़िया जिंदा पकड़ा गया। एक को गांव वालों ने मार दिया था। उस वक्त तक इन भेड़ियों ने 8 बच्चों को अपना निवाला बना लिया था। 40 से ज्यादा लोग हमले में घायल हो चुके थे। इसके बाद भेड़िए का हमला बंद हो गया। लोगों ने राहत की सांस ली। लेकिन, 7 महीने बाद भेड़िया फिर से लौट आया है। 7 साल के बच्चे को अपना निवाला बना लिया। इसके बाद फिर से वही खौफ लोगों के अंदर भर गया। दैनिक भास्कर की टीम उसी इलाके में पहुंची, जहां भेड़िए ने हमला किया था। हम पीड़ित परिवार से मिले। घटनास्थल और वहां की परिस्थिति को समझा। भेड़िए के हमला करने के पीछे की वजह को समझा। गांव के लोगों के पास भेड़िया से बचने के लिए क्या कुछ विकल्प है उस पर बात की। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… जहां पहले 8 बच्चों को शिकार बनाया, वहीं फिर से हमला
बहराइच जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर महसी तहसील है। इस क्षेत्र में हरदी थाना है। इसके 10 किलोमीटर की रेंज में ही भेड़िए का हमला होता रहा है। घाघरा नदी का किनारा होने के चलते भेड़िए रात में शिकार को निकलते हैं। हमारी टीम भगवानपुर से होते हुए सीधे सिसैया चूड़ामणि गांव पहुंची। इसी गांव का एक पुरवा बग्गर है। आबादी करीब 1 हजार होगी। यहां ज्यादातर लोगों के पास एक या फिर दो कमरों का घर है। हम गांव की संकरी गलियों से होते हुए भेड़िए के हमले में मारे गए घनश्याम उर्फ बाउर (7) के घर पहुंचे। घर के आंगन में उसकी मां शांति देवी बैठी थीं। हमने उनसे घटना के बारे में पूछा। शांति कहती हैं- मेरे 7 बच्चे हैं, 4 लड़के और 3 लड़कियां। घनश्याम चौथे नंबर का था। 13 अप्रैल की रात मेरी तबीयत ठीक नहीं थी। मैं अपने बेटे और बड़ी बेटी के साथ आंगन में ही लेटी थी। बेटी भी रात में छत पर सोने चली गई। 4 बजे तड़के मुझे नींद लग गई। उसी वक्त भेड़िया आया और मेरे बेटे को उठा ले गया। लोग अलग-अलग दिशा में मेरे बेटे को खोजते हुए भागे। घर से करीब 1 किलोमीटर दूर एक खाली जगह पर मेरा बेटा मिला। उसकी गर्दन पर घाव था, बायां हाथ भेड़िया खा गया था। शांति देवी यह सब बताते हुए रोने लगीं। वह अपने ऊपर अफसोस जताते हुए कहती हैं- हम 6 महीने तक पंजाब के जालंधर में थे। पति वहीं मेहनत-मजदूरी करते थे। 2 महीने पहले ही यहां आए थे, क्योंकि बेटियों की शादी करनी थी। हमको नहीं पता था कि बच्चे को भेड़िया उठा ले जाएगा। हमारा बच्चा बोल-चल नहीं पाता था, लेकिन समझता सब कुछ था। घर में लोग आते, तो वह देखकर खुश हो जाता था। इतना कहने के बाद शांति देवी फिर रोने लगती हैं। 3-4 साल से खौफ में जी रहे
शांति के ही घर पर हमें उनके पड़ोसी राजेश मिले। वह कहते हैं- यहां भेड़िए का आतंक तो पिछले 3-4 साल से है। बीच में 5-6 महीने बंद हो गया था। जिस घर से भेड़िया इस बार बच्चे को ले गया है, वहां दीवार उठ रही है। बच्चा जब मिला, तो उस वक्त उसकी सांस चल रही थी। हम महसी सीएचसी में ले गए, वहां कपड़े में लपेट रहे थे। तब देखा कि उसका बायां हाथ भेड़िया खा गया था। डॉक्टरों ने तुरंत ही जिला हॉस्पिटल रेफर कर दिया। राजेश के बगल हाथों में लाठी लेकर तीरथ खड़े थे। हमने लाठी लेने की वजह पूछी। वह कहने लगे कि अब तो यही लेकर चल रहे। पिछले साल भी भेड़िया आया था, इस साल अभी पहली बार अटैक हुआ है। अब रात भर यही लाठी लेकर जागते हैं। कोई और उपाय भी तो नहीं है। अगर हम भेड़िए को मार देंगे तो जेल चले जाएंगे, क्योंकि यह सरकारी काम है। हम इससे ज्यादा क्या ही कुछ कर सकते हैं। 6 महीने पहले बच्चे को नोचकर भागा था
हम गांव के अलग-अलग हिस्सों में पहुंचे। तमाम लोगों से बात की। भेड़िए के हमलों के बाद सभी सजग हो गए हैं। अब परिवार के बच्चों को कमरे के अंदर या फिर छत पर सुलाते हैं। हमें गांव की ही रजिया मिलीं। रजिया के ही बगल सुल्ताना खड़ी थी। 6 महीने पहले उनके 2 साल के बेटे पर भेड़िए ने हमला कर दिया था। उसे खींचकर 20 मीटर दूर तक उठा भी ले गया था। लेकिन, लोगों के देखने और फिर शोर मचाने के बाद उसने छोड़ दिया था। सुल्ताना कहती हैं- उस वक्त सुबह 5 बजे उठकर मैं नमाज पढ़ने लगी। तभी भेड़िया आया और बेटे को उठाने लगा। हमने सिर्फ एक बार आवाज, लगाई तो वह नोचकर भागा। पिता अपने बेटे को हाथ में लिए भटकते नजर आए
जब तक हम गांव में रहे, बच्चे की बॉडी घर पर नहीं आई थी। हमने बच्चे के पिता समभर से बात की। उन्होंने कहा- हम हॉस्पिटल से बॉडी लेकर पोस्टमॉर्टम हाउस जा रहे हैं। हम सीधे बहराइच के पोस्टमॉर्टम हाउस पहुंचे। देखा समभर ई-रिक्शा से अपने बेटे की लाश लेकर वहां पहुंचे। वह उसे लेकर पोस्टमॉर्टम हाउस के अंदर गए। वहां उन्हें बताया गया कि आपके बेटे का पोस्टमॉर्टम दूसरी साइड होगा। समभर अपने बेटे की कपड़ों में लिपटी लाश लेकर बताए गए स्थान पर चले गए। बहराइच में भेड़िए के हमलों से गई जान को लेकर लगातार हंगामा होता रहा है। इसलिए इस मामले में डॉक्टरों ने पोस्टमॉर्टम का वीडियो रिकॉर्ड करवाया। जब पोस्टमॉर्टम हो रहा था, तब हम समभर से मिले। समभर ने बताया कि बेटा बोल नहीं पता था, इसलिए शोर नहीं मचा पाया। वन विभाग ने कहा-भेड़िए के फुटप्रिंट नहीं मिले
पोस्टमॉर्टम हाउस पर ही वन विभाग के दरोगा मिले। वह कहते हैं- घटनास्थल पर भेड़िए के पांव के निशान नहीं मिले हैं। भेड़िया जब बच्चे को उठाता है, तो तुरंत ही उसके गले की नस को पंचर कर देता है। इससे उसकी मौत हो जाती है। यहां बच्चे के गले की नस पंचर नहीं थी। जिस इलाके में हमला हुआ, वहां पिछले कुछ दिनों से कुत्तों के हमले बढ़े हैं। हमने वन विभाग के अफसर के इस बयान को लेकर गांव में बात की। लोगों का कहना था कि जिस जगह पर बच्चा पड़ा मिला था, वहां की जमीन कठोर है। पैरों के निशान नहीं मिलेंगे। कुत्तों का अटैक होता तो वह बच्चे को इतनी दूर उठाकर नहीं ला पाता। 6 महीने पहले भी जब हमला हो रहा था, तो तरीका यही था। इसलिए यहां यही लग रहा कि इस बच्चे को भी भेड़िया उठाकर ले गया। नदी का किनारा, हमले की वजह
हम यहां यह भी समझना चाहते थे कि आखिर भेड़ियों का अटैक यहां ज्यादा क्यों हो रहे? दो मुख्य वजह निकलकर सामने आई। पहली- इस इलाके के बगल से ही घाघरा नदी गुजरी है। नदी के किनारे भेड़िए मांद बनाकर रहते हैं। जब उन्हें शिकार की इच्छा होती है तो वह आबादी की तरफ रुख करते हैं। यहां वह बकरी-भेड़ की तलाश में रहते हैं लेकिन स्थानीय लोग बकरी और भेड़ को बंद बाड़े में रखते हैं। शिकार नहीं मिलने पर भेड़िए इंसानी बच्चों को उठाते हैं। दूसरी वजह- इस क्षेत्र में गरीबी ज्यादा है। यहां की 80% आबादी के पास 1-2 कमरों का ही घर है। वह घर के सामने छप्पर डालकर रहते हैं। लाइट की भी व्यवस्था ठीक नहीं है। ऐसे में ज्यादातर लोग घरों के बाहर सोते हैं। ऐसे में भेड़ियों को हमला करने का मौका मिल जाता है। पिछले साल ज्यादातर हमलों में भेड़िए ने ऐसे ही बाहर सो रहे बच्चों को निशाना बनाया था। भेड़िए के हमले के बाद वन विभाग हरकत में आया है। वह कुछ जगहों की पहचान करके वहां कैमरा लगा रहे हैं। लोगों से अपील कर रहे कि बच्चों को रात में घर के बाहर न सुलाएं। उन्हें घर के अंदर या फिर छत पर सुलाया जाए। —————————— ये खबर भी पढ़ें… रामदेव ने जिसे ‘शरबत जिहाद’ कहा, यूपी से उसका कनेक्शन, पहले हकीम की दवा थी, आज हर साल 300 करोड़ से ज्यादा की कमाई बाबा रामदेव के एक बार फिर अपने बयान की वजह से विवाद में हैं। इस बार उन्होंने शरबत बनाने वाली कंपनी रूह अफजा पर बिना नाम लिए टिप्पणी की है। उन्होंने इसे शरबत जिहाद कहा। उन्होंने एक पतंजलि के शरबत के प्रचार के दौरान यह बात कही। अब उनका यह वीडियो वायरल है। क्या है पूरा मामला? रूह अफजा की कहानी क्या है? पढ़ें पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर