यूपी में जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख पद के चुनाव इस बार डायरेक्ट कराने की चर्चा चल रही है। मतलब जिस तरह से जनता सीधे महापौर चुनती है, वैसे ही जिला पंचायत और ब्लॉक अध्यक्ष का चुनाव कर सकेगी। भास्कर एक्सप्लेनर से जानिए क्यों यह मां उठ रही है? यह कितना मुश्किल है? इसके लिए संविधान में क्या संशोधन करने पड़ेंगे? सवाल-1: जिला पंचायत और ब्लॉक अध्यक्ष पद के चुनाव सीधे कराने की बात कहां से आई? जवाब: प्रदेश के पंचायती राज मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने इसको लेकर 30 मई को सीएम योगी से मुलाकात करके चर्चा की। उन्होंने सीएम के सामने प्रस्ताव रखा कि वह अधिकारियों को निर्देश दें कि जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख का चुनाव सीधे जनता से कराने के संबंध में प्रस्ताव तैयार करें। प्रस्ताव तैयार कर जल्द से जल्द केंद्र सरकार को भेजा जाए, जिससे समय रहते इसकी तैयारी की जा सके। राजभर का कहना है कि मुख्यमंत्री ने उनके इस प्रस्ताव से सहमति जताई है। जल्द प्रस्ताव केंद्र को भेजने का आश्वासन भी दिया है। उन्होंने कहा कि वह पिछले चुनाव में ही यह चाहते थे। इस मुलाकात के दौरान ओम प्रकाश राजभर के बेटे और सुभासपा के प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव अरविंद राजभर भी साथ थे। राजभर ने बताया कि पिछले महीने उन्होंने दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिलकर भी इस मुद्दे पर चर्चा की थी। शाह ने भी जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख का चुनाव सीधे जनता से कराने पर हामी भरी थी। सवाल-2: अभी चुनाव कैसे होता है? जवाब- अभी दोनों पदों पर डायरेक्ट चुनाव नहीं होता। पहले सदस्य चुने जाते हैं। वो अपने में से एक को इन पदों के लिए चुनते हैं। जैसे- बीडीसी सदस्यों में से कोई एक ब्लॉक प्रमुख चुना जाता है। जबकि, सभी बीडीसी सदस्य सीधे जनता चुनती है। इसी तरह जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जिला पंचायत सदस्य करते हैं। ये सदस्य जिला पंचायत निर्वाचन के अलग-अलग क्षेत्रों से चुनकर आते हैं। सवाल-3: सीधे चुनाव की जरूरत क्यों पड़ रही? जवाब- पंचायत के चुनाव गैरदलीय आधार पर होते हैं। राजनीतिक दल सीधे उम्मीदवारों को टिकट नहीं देते, बल्कि उन्हें समर्थन देते हैं। इस वजह से इन चुनावों में जोड़-तोड़ और खरीद-फरोख्त जमकर होती है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट भी मानते हैं कि अगर ये चुनाव सीधे होंगे, तो जनप्रतिनिधियों की जनता के प्रति जवाबदेही बढ़ेगी। सवाल-3: क्या किसी अन्य राज्य में इसको लेकर तैयारी है? जवाब- फिलहाल किसी भी राज्य में ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव सीधा कराने की व्यवस्था नहीं है। हालांकि यूपी के अलावा मध्यप्रदेश सरकार भी इसको लेकर तैयारी कर रही है। वह भी इस तरह का प्रस्ताव तैयार कर रही है। सवाल-4: डायरेक्ट चुनाव के लिए क्या करना होगा? जवाब- प्रदेश के पूर्व अपर मुख्य निर्वाचन आयुक्त जेपी सिंह का कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 73-74 में इसके लिए पंचायती राज का प्रावधान है। क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष का चुनाव क्षेत्र पंचायत के निर्वाचित सदस्यों और जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जिला पंचायत के निर्वाचित सदस्यों से ही होगा। ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता से कराने के लिए संविधान में संशोधन करना होगा। इसके बाद ही नई व्यवस्था लागू हो सकती है। सवाल-5: कितना मुश्किल है एक साथ चुनाव कराना? जवाब- राज्य सरकार केंद्र को इसका प्रस्ताव भेज सकती है। लेकिन एक या दो राज्य की सहमति से संविधान संशोधन नहीं हो सकता। इसके लिए दो तिहाई राज्यों की सहमति की जरूरत होगी। तब इसमें संविधान संशोधन किया जा सकता है। सवाल-6: सीधे चुनाव में दूसरी रुकावटें क्या है? जवाब- राज्य निर्वाचन आयोग के पूर्व आयुक्त एसके अग्रवाल का मानना है कि सांसद और विधायक नहीं चाहेंगे कि जिला पंचायत अध्यक्ष और क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष का चुनाव सीधे हो। ब्लॉक प्रमुख का सीधा चुनाव होने से ब्लॉक प्रमुख भी विधायक के समकक्ष होगा। अगली बार विधायकी के लिए दावेदारी करेगा। वहीं, जिला पंचायत अध्यक्ष तो सांसद और विधायक से भी ज्यादा ताकतवर हो जाएंगे। राजनीतिक विश्लेषकों को मानना है कि सरकार भी नहीं चाहेगी कि ब्लॉक प्रमुख और क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता के जरिए हो। सदस्यों के जरिए चुनाव होने से सरकार का दबाव और प्रभाव काम आता है। 2021 में हुए चुनाव में क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य निर्दलीय और सपा के ज्यादा जीते थे। लेकिन, प्रदेश में योगी सरकार होने के कारण 75 में से 67 जिला पंचायत अध्यक्ष बीजेपी के बने थे। सीधा चुनाव होने पर सरकार का दबाव और प्रभाव काम नहीं आएगा। यदि दांव उलटा पड़ गया, तो विधानसभा चुनाव तक सरकार और भाजपा के लिए परेशानी खड़ी हो जाएगी। —————————— ये खबर भी पढ़ें… मऊ सीट पर भाजपा-सुभासपा में जंग:राजभर बोले- अब्बास मेरा विधायक, भाजपा का जवाब- दिल्ली करेगी फैसला हेट स्पीच में दोषी ठहराए गए अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता निरस्त होने के बाद मऊ सदर सीट खाली हो चुकी है। अब यहां उपचुनाव तय है। अब सवाल यह उठ खड़ा हुआ है कि इस सीट से सुभासपा मैदान में उतरेगी या भाजपा? दावा दोनों ही कर रहे हैं और तर्क भी अपने-अपने हैं। दरअसल, अब्बास अंसारी जब विधायक बने थे, तब उनकी पार्टी सुभासपा (सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी) सपा के साथ गठबंधन में थी। अभी उसका गठबंधन भाजपा से है। इससे स्थितियां बदल चुकी हैं। पढ़ें पूरी खबर यूपी में जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख पद के चुनाव इस बार डायरेक्ट कराने की चर्चा चल रही है। मतलब जिस तरह से जनता सीधे महापौर चुनती है, वैसे ही जिला पंचायत और ब्लॉक अध्यक्ष का चुनाव कर सकेगी। भास्कर एक्सप्लेनर से जानिए क्यों यह मां उठ रही है? यह कितना मुश्किल है? इसके लिए संविधान में क्या संशोधन करने पड़ेंगे? सवाल-1: जिला पंचायत और ब्लॉक अध्यक्ष पद के चुनाव सीधे कराने की बात कहां से आई? जवाब: प्रदेश के पंचायती राज मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने इसको लेकर 30 मई को सीएम योगी से मुलाकात करके चर्चा की। उन्होंने सीएम के सामने प्रस्ताव रखा कि वह अधिकारियों को निर्देश दें कि जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख का चुनाव सीधे जनता से कराने के संबंध में प्रस्ताव तैयार करें। प्रस्ताव तैयार कर जल्द से जल्द केंद्र सरकार को भेजा जाए, जिससे समय रहते इसकी तैयारी की जा सके। राजभर का कहना है कि मुख्यमंत्री ने उनके इस प्रस्ताव से सहमति जताई है। जल्द प्रस्ताव केंद्र को भेजने का आश्वासन भी दिया है। उन्होंने कहा कि वह पिछले चुनाव में ही यह चाहते थे। इस मुलाकात के दौरान ओम प्रकाश राजभर के बेटे और सुभासपा के प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव अरविंद राजभर भी साथ थे। राजभर ने बताया कि पिछले महीने उन्होंने दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिलकर भी इस मुद्दे पर चर्चा की थी। शाह ने भी जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख का चुनाव सीधे जनता से कराने पर हामी भरी थी। सवाल-2: अभी चुनाव कैसे होता है? जवाब- अभी दोनों पदों पर डायरेक्ट चुनाव नहीं होता। पहले सदस्य चुने जाते हैं। वो अपने में से एक को इन पदों के लिए चुनते हैं। जैसे- बीडीसी सदस्यों में से कोई एक ब्लॉक प्रमुख चुना जाता है। जबकि, सभी बीडीसी सदस्य सीधे जनता चुनती है। इसी तरह जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जिला पंचायत सदस्य करते हैं। ये सदस्य जिला पंचायत निर्वाचन के अलग-अलग क्षेत्रों से चुनकर आते हैं। सवाल-3: सीधे चुनाव की जरूरत क्यों पड़ रही? जवाब- पंचायत के चुनाव गैरदलीय आधार पर होते हैं। राजनीतिक दल सीधे उम्मीदवारों को टिकट नहीं देते, बल्कि उन्हें समर्थन देते हैं। इस वजह से इन चुनावों में जोड़-तोड़ और खरीद-फरोख्त जमकर होती है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट भी मानते हैं कि अगर ये चुनाव सीधे होंगे, तो जनप्रतिनिधियों की जनता के प्रति जवाबदेही बढ़ेगी। सवाल-3: क्या किसी अन्य राज्य में इसको लेकर तैयारी है? जवाब- फिलहाल किसी भी राज्य में ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव सीधा कराने की व्यवस्था नहीं है। हालांकि यूपी के अलावा मध्यप्रदेश सरकार भी इसको लेकर तैयारी कर रही है। वह भी इस तरह का प्रस्ताव तैयार कर रही है। सवाल-4: डायरेक्ट चुनाव के लिए क्या करना होगा? जवाब- प्रदेश के पूर्व अपर मुख्य निर्वाचन आयुक्त जेपी सिंह का कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 73-74 में इसके लिए पंचायती राज का प्रावधान है। क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष का चुनाव क्षेत्र पंचायत के निर्वाचित सदस्यों और जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जिला पंचायत के निर्वाचित सदस्यों से ही होगा। ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता से कराने के लिए संविधान में संशोधन करना होगा। इसके बाद ही नई व्यवस्था लागू हो सकती है। सवाल-5: कितना मुश्किल है एक साथ चुनाव कराना? जवाब- राज्य सरकार केंद्र को इसका प्रस्ताव भेज सकती है। लेकिन एक या दो राज्य की सहमति से संविधान संशोधन नहीं हो सकता। इसके लिए दो तिहाई राज्यों की सहमति की जरूरत होगी। तब इसमें संविधान संशोधन किया जा सकता है। सवाल-6: सीधे चुनाव में दूसरी रुकावटें क्या है? जवाब- राज्य निर्वाचन आयोग के पूर्व आयुक्त एसके अग्रवाल का मानना है कि सांसद और विधायक नहीं चाहेंगे कि जिला पंचायत अध्यक्ष और क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष का चुनाव सीधे हो। ब्लॉक प्रमुख का सीधा चुनाव होने से ब्लॉक प्रमुख भी विधायक के समकक्ष होगा। अगली बार विधायकी के लिए दावेदारी करेगा। वहीं, जिला पंचायत अध्यक्ष तो सांसद और विधायक से भी ज्यादा ताकतवर हो जाएंगे। राजनीतिक विश्लेषकों को मानना है कि सरकार भी नहीं चाहेगी कि ब्लॉक प्रमुख और क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता के जरिए हो। सदस्यों के जरिए चुनाव होने से सरकार का दबाव और प्रभाव काम आता है। 2021 में हुए चुनाव में क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य निर्दलीय और सपा के ज्यादा जीते थे। लेकिन, प्रदेश में योगी सरकार होने के कारण 75 में से 67 जिला पंचायत अध्यक्ष बीजेपी के बने थे। सीधा चुनाव होने पर सरकार का दबाव और प्रभाव काम नहीं आएगा। यदि दांव उलटा पड़ गया, तो विधानसभा चुनाव तक सरकार और भाजपा के लिए परेशानी खड़ी हो जाएगी। —————————— ये खबर भी पढ़ें… मऊ सीट पर भाजपा-सुभासपा में जंग:राजभर बोले- अब्बास मेरा विधायक, भाजपा का जवाब- दिल्ली करेगी फैसला हेट स्पीच में दोषी ठहराए गए अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता निरस्त होने के बाद मऊ सदर सीट खाली हो चुकी है। अब यहां उपचुनाव तय है। अब सवाल यह उठ खड़ा हुआ है कि इस सीट से सुभासपा मैदान में उतरेगी या भाजपा? दावा दोनों ही कर रहे हैं और तर्क भी अपने-अपने हैं। दरअसल, अब्बास अंसारी जब विधायक बने थे, तब उनकी पार्टी सुभासपा (सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी) सपा के साथ गठबंधन में थी। अभी उसका गठबंधन भाजपा से है। इससे स्थितियां बदल चुकी हैं। पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
ब्लॉक प्रमुख-जिला पंचायत अध्यक्ष का सीधा चुनाव कितना मुश्किल:क्या अकेले यूपी लागू कर सकता है, क्या किसी राज्य में है ऐसी व्यवस्था
