शहीद-ए-आजम भगत सिंह को पाकिस्तान क्रांतिकारी नहीं बल्कि आतंकी मानता है। यह बात पाकिस्तान की पंजाब सरकार की तरफ से हाईकोर्ट में लाहौर के शादमान चौक का नाम भगत सिंह रखने से जुड़े मामले की सुनवाई में रखी गई है। वहीं, पाकिस्तान सरकार ने कहा कि चौक का नाम बदलने और प्रतिमा लगाने की योजना रद्द कर दी गई है। शहीद के नाम पर चौक का नाम रखने की लड़ाई लड़ने वाली भगत सिंह फाउंडेशन ने कहा कि वह इस मामले कानूनी लड़ाई लड़ेगी। इस मामले में भारत के पंजाब की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता और सांसद मालविंदर सिंह ने कहा कि शहीद-ए-आजम भगत सिंह करोड़ों लोगों के प्रेरणा स्त्रोत हैं। पाकिस्तान में भी उनके समर्थक हैं। पाकिस्तान पंजाब की सरकार का हाईकोर्ट में इस तरफ का हल्फनामा देना यह बहुत दुखदाई और पीड़ा दायक है। आम आदमी पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग करती है कि इस मामले में दखल दे। साथ ही जो शब्दाबली प्रयोग की गई है, उसकी हम निंदा करते हैं। हाईकोर्ट के रिकॉर्ड से यह शब्द हटाए जाने चाहिए। अदालत में पाकिस्तान पंजाब सरकार ने रखे तीन तर्क पंजाब पाकिस्तान सरकार की तरफ से उच्च अदालत में तीन तर्क दिए गए हैं। जिसके आधार पर उन्होंने अपनी योजना को रद्द करने के बारे में बताया है। सरकार द्वारा बनाई कमेटी में शामिल कमोडोर सेवानिवृत तारिक मजीद की तरफ से यह जवाब दाखिल किया गया है। फर्जी प्रचार पर आधारित है योजना लाहौर हाईकोर्ट में पाकिस्तान की पंजाब सरकार की कमेटी ने अपने जवाब में कहा है कि एक गैर सरकारी संगठन भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन लाहौर में शादमान चौक का नाम बदल कर भगत सिंह चौक रखने का मामला बना रहा है। यह फर्जी प्रचार पर आधारित एक भयावह योजना है और इसे सफल नहीं होने दिया जाना चाहिए। भगत सिंह के चरित्र को एक महान क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी और शहीद के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। ये झूठे सम्मान हैं। इनमें से कोई भी उसे किसी भी तरह से प्रभावित नहीं कर सकता। आजादी की लड़ाई में कोई भूमिका नहीं भगत सिंह की उपमहाद्वीप के स्वतंत्रता संग्राम में कोई भूमिका नहीं थी। वह एक क्रांतिकारी नहीं बल्कि एक कॉमिनल-आज के शब्दों में एक आतंकवादी था, क्योंकि उसने एक ब्रिटिश पुलिस अधिकारी की हत्या की थी और इसके लिए उसे और उसके साथियों को फांसी की सजा दी गई थी। वह एक अपराधी था। इस अपराधी को शहीद कहना एक अपमानजनक और इस्लाम में शहीद की अवधारणा का जानबूझकर अपमान है। इस्लाम विरोधी के लिए अनुकूल प्रचार भगत सिंह के बारे में समाचार-पत्रों में अक्सर खबरें छपती रहती थीं और मैं (कमोडोर सेवानिवृत तारिक मजीद) सोचता था कि पाकिस्तान के लिए काम करने वाले में पाकिस्तानी विचारधारा के दुश्मन इस किरदार को इतनी लोकप्रियता क्यों मिल रही है, लेकिन मैंने इसे नजर अंदाज कर दिया। फिर 23 मार्च 2015 को दीवान में छपी एक खबर ने मेरा ध्यान खींचा, जिसमें कहा गया था कि भगत सिंह को याद किया जाता है। पंजाब के लोक रहवासियों द्वारा फरीद टाउन में आयोजित एक संवादात्मक संवाद भगत सिंह की पुण्यतिथि के अवसर पर फोर्ट स्ट्रीट पर आयोजित किया गया। इसमें कहा गया था कि भगत सिंह संघर्ष वंचितों के उत्थान के लिए था। इस अवसर पर इस बात पर जोर दिया गया कि स्वतंत्रता सेनानी के रूप में उनकी भूमिका को इतिहास में अवश्य स्वीकार किया जाना चाहिए। शहीद-ए-आजम भगत सिंह को पाकिस्तान क्रांतिकारी नहीं बल्कि आतंकी मानता है। यह बात पाकिस्तान की पंजाब सरकार की तरफ से हाईकोर्ट में लाहौर के शादमान चौक का नाम भगत सिंह रखने से जुड़े मामले की सुनवाई में रखी गई है। वहीं, पाकिस्तान सरकार ने कहा कि चौक का नाम बदलने और प्रतिमा लगाने की योजना रद्द कर दी गई है। शहीद के नाम पर चौक का नाम रखने की लड़ाई लड़ने वाली भगत सिंह फाउंडेशन ने कहा कि वह इस मामले कानूनी लड़ाई लड़ेगी। इस मामले में भारत के पंजाब की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता और सांसद मालविंदर सिंह ने कहा कि शहीद-ए-आजम भगत सिंह करोड़ों लोगों के प्रेरणा स्त्रोत हैं। पाकिस्तान में भी उनके समर्थक हैं। पाकिस्तान पंजाब की सरकार का हाईकोर्ट में इस तरफ का हल्फनामा देना यह बहुत दुखदाई और पीड़ा दायक है। आम आदमी पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग करती है कि इस मामले में दखल दे। साथ ही जो शब्दाबली प्रयोग की गई है, उसकी हम निंदा करते हैं। हाईकोर्ट के रिकॉर्ड से यह शब्द हटाए जाने चाहिए। अदालत में पाकिस्तान पंजाब सरकार ने रखे तीन तर्क पंजाब पाकिस्तान सरकार की तरफ से उच्च अदालत में तीन तर्क दिए गए हैं। जिसके आधार पर उन्होंने अपनी योजना को रद्द करने के बारे में बताया है। सरकार द्वारा बनाई कमेटी में शामिल कमोडोर सेवानिवृत तारिक मजीद की तरफ से यह जवाब दाखिल किया गया है। फर्जी प्रचार पर आधारित है योजना लाहौर हाईकोर्ट में पाकिस्तान की पंजाब सरकार की कमेटी ने अपने जवाब में कहा है कि एक गैर सरकारी संगठन भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन लाहौर में शादमान चौक का नाम बदल कर भगत सिंह चौक रखने का मामला बना रहा है। यह फर्जी प्रचार पर आधारित एक भयावह योजना है और इसे सफल नहीं होने दिया जाना चाहिए। भगत सिंह के चरित्र को एक महान क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी और शहीद के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। ये झूठे सम्मान हैं। इनमें से कोई भी उसे किसी भी तरह से प्रभावित नहीं कर सकता। आजादी की लड़ाई में कोई भूमिका नहीं भगत सिंह की उपमहाद्वीप के स्वतंत्रता संग्राम में कोई भूमिका नहीं थी। वह एक क्रांतिकारी नहीं बल्कि एक कॉमिनल-आज के शब्दों में एक आतंकवादी था, क्योंकि उसने एक ब्रिटिश पुलिस अधिकारी की हत्या की थी और इसके लिए उसे और उसके साथियों को फांसी की सजा दी गई थी। वह एक अपराधी था। इस अपराधी को शहीद कहना एक अपमानजनक और इस्लाम में शहीद की अवधारणा का जानबूझकर अपमान है। इस्लाम विरोधी के लिए अनुकूल प्रचार भगत सिंह के बारे में समाचार-पत्रों में अक्सर खबरें छपती रहती थीं और मैं (कमोडोर सेवानिवृत तारिक मजीद) सोचता था कि पाकिस्तान के लिए काम करने वाले में पाकिस्तानी विचारधारा के दुश्मन इस किरदार को इतनी लोकप्रियता क्यों मिल रही है, लेकिन मैंने इसे नजर अंदाज कर दिया। फिर 23 मार्च 2015 को दीवान में छपी एक खबर ने मेरा ध्यान खींचा, जिसमें कहा गया था कि भगत सिंह को याद किया जाता है। पंजाब के लोक रहवासियों द्वारा फरीद टाउन में आयोजित एक संवादात्मक संवाद भगत सिंह की पुण्यतिथि के अवसर पर फोर्ट स्ट्रीट पर आयोजित किया गया। इसमें कहा गया था कि भगत सिंह संघर्ष वंचितों के उत्थान के लिए था। इस अवसर पर इस बात पर जोर दिया गया कि स्वतंत्रता सेनानी के रूप में उनकी भूमिका को इतिहास में अवश्य स्वीकार किया जाना चाहिए। पंजाब | दैनिक भास्कर
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