भाजपा का दावा, वोटर लिस्ट से हटे हजारों नाम:16 सीटों पर 60 हजार से कम अंतर से हारी; सरकार-अफसर अपने, फिर कैसे हटे नाम?

भाजपा का दावा, वोटर लिस्ट से हटे हजारों नाम:16 सीटों पर 60 हजार से कम अंतर से हारी; सरकार-अफसर अपने, फिर कैसे हटे नाम?

लखनऊ में 20 मई को लोकसभा चुनाव के वोट पड़ रहे थे। लखनऊ उत्तर के इंदलगंज बूथ के मतदाता राजीव कुमार गौतम, उनकी पत्नी सुशीला गौतम, निर्मला प्रसाद और रजनी जब वोट डालने पहुंचे तो हैरान रह गए। मतदाता सूची में उनके नाम के आगे डिलीट की मुहर लगी थी। फैजाबाद के मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र के शिव कुमार, हृदयराम, बनई तिवारी, पुरवा मतदान केंद्र पर पहुंचे तो मतदाता सूची में उनके नाम के आगे भी डिलीट की मुहर लगी थी। अंबेडकरनगर के कटेहरी विधानसभा क्षेत्र के अजय प्रताप इंटर कॉलेज भीटी पर मतदान करने पहुंचे रामस्वरूप और रीना शर्मा के साथ भी ऐसा ही हुआ। यह केवल लखनऊ, फैजाबाद या अंबेडकरनगर की कहानी नहीं है। भाजपा की ओर से लोकसभा चुनाव के बाद की गई समीक्षा में काफी चौंकाने वाली बात सामने आई है। कई लोकसभा क्षेत्रों में भाजपा समर्थित 50 से 60 हजार मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से डिलीट कर दिए गए। जबकि पार्टी और प्रत्याशी को जो मतदाता सूची दी गई थी, उसमें नाम दर्ज थे। वोटर लिस्ट में गड़बड़ी की बात सामने आने के बाद भाजपा नेता पहले की सरकारों के समय भर्ती हुए अफसरों पर आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना है, सपा-कांग्रेस की मानसिकता वाले अफसरों ने जान-बूझकर ऐसा किया। जांच के लिए 4 सदस्यीय कमेटी बनाई
समीक्षा में मतदाता सूची में हुए हेर-फेर की बात सामने आने पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने मामले की छानबीन के लिए 4 सदस्यीय कमेटी बना दी है। कमेटी सभी लोकसभा सीटों से दलों को मिली मतदाता सूची जुटा रही है, जिसमें भाजपा समर्थित मतदाताओं के नाम डिलीट हैं। सूत्रों के मुताबिक, सभी सीटों से इसकी रिपोर्ट जुटाने के बाद पार्टी विधिक या प्रशासनिक कार्रवाई की दिशा में आगे बढ़ेगी। राजनीतिक दलों को मिलता है वोटर लिस्ट का सेट
लोकसभा चुनाव में जिला निर्वाचन अधिकारी की ओर से मतदाता सूची का एक सेट राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को दिया जाता है। एक सेट संबंधित प्रत्याशी को दिया जाता है। राजनीतिक दल और प्रत्याशी उसी मतदाता सूची के आधार पर अपने चुनाव प्रचार और मतदान प्रबंधन की रणनीति बनाते हैं। मतदान के लिए एक सेट चुनाव प्रक्रिया कराने वाली टीम को दिया जाता है। उसी मतदाता सूची के आधार पर मतदान कराया जाता है। मतदान कर्मियों की लिस्ट से डिलीट हो गए नाम
भाजपा नेतृत्व का कहना है, जो सूची पार्टी और प्रत्याशी को दी गई थी, उसमें सभी मतदाताओं के नाम थे। उसी सूची के आधार पर पार्टी ने चुनाव प्रचार और बूथ मैनेजमेंट की रणनीति बनाई। लेकिन, जो मतदाता सूची मतदान कराने वाली टीम को दी गई, उसमें हर बूथ पर 30 से 50 मतदाताओं के नाम के आगे डिलीट लिखा मिला।​​​​​ भाजपा नेताओं का दावा है कि जिन नाम के आगे डिलीट लिखा था, उनमें ज्यादातर उनकी पार्टी के समर्थक थे। दावा है कि पार्टी ने लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद इसका आकलन किया। इसमें सामने आया कि हर लोकसभा क्षेत्र में 50 से 60 हजार भाजपा समर्थित मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से डिलीट किए गए। मतदाता चेतना अभियान पर फिरा पानी
भाजपा के एक क्षेत्रीय अध्यक्ष ने बताया- लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी ने मतदाता चेतना अभियान शुरू किया था। पार्टी कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर नए मतदाता बनवाए थे। लोकसभा चुनाव में मतदान के दिन देखा गया कि जो नए मतदाता बनाए गए थे, उन्हीं के नाम चुन-चुन कर डिलीट किए गए। उन्होंने कहा- निर्वाचन आयोग ने लोकसभा चुनाव से पहले मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए सुव्यवस्थित मतदाता शिक्षा एवं निर्वाचक सहभागिता (स्वीप) के तहत अभियान चलाया था। मतदाता जागरूकता पर करोड़ों रुपए खर्च भी किए गए। कड़ी मशक्कत के बाद मतदाता बनाए गए, तो फिर उनके नाम मतदाता सूची से डिलीट कैसे हुए? अब बड़ा सवाल…भाजपा की सरकार, फिर भाजपाइयों के नाम कैसे कटे?
अक्सर विपक्षी दल चुनाव के बाद सत्तारूढ़ दल पर चुनाव में EVM में गड़बड़ी करने, मतदाता सूची में गड़बड़ी करने और चुनाव में धांधली करने का आरोप लगाते हैं। लेकिन, यह पहली बार है जब सत्तारूढ़ दल के नेता ही मतदाता सूची से मतदाताओं के नाम कटने की समस्या बता रहे हैं। सवाल यह उठता है कि आखिर कैसे संभव हुआ कि भाजपा शासन में भाजपा समर्थित मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से डिलीट कर दिए गए। यह किसने किया, किसके संरक्षण में किया, शासन और सत्ता को इसकी भनक क्यों नहीं लगी? जब पहले चरण के मतदान से यह सिलसिला चला तो उसे बाकी चरणों में क्यों नहीं रोका गया? भाजपा नेताओं का कहना है कि कुछ अफसर, जो सपा-कांग्रेस की मानसिकता वाले थे, उन्होंने ऐसा किया। भास्कर ने हासिल की मतदाता सूची, जिसमें नाम के आगे डिलीट लिखा दैनिक भास्कर ने लखनऊ, फैजाबाद, अंबेडकरनगर सहित अन्य लोकसभा क्षेत्रों की मतदाता सूची हासिल की। इसमें मतदाताओं के नाम के आगे डिलीट लिखा है। 4 केंद्रीय मंत्री और कई दिग्गज नेता 60 हजार से कम वोट से हारे
लोकसभा चुनाव में पश्चिमी यूपी से पूर्वांचल तक भाजपा 16 सीटों पर 60 हजार से कम मतों से चुनाव हारी। इन सीटों में चंदौल से केंद्रीय मंत्री डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय, लखीमपुर खीरी से केंद्रीय राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी, फतेहपुर से केंद्रीय राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति और मुजफ्फरनगर से केंद्रीय राज्यमंत्री संजीव बालियान शामिल हैं। ये सभी 50 हजार से कम मतों से चुनाव हारे हैं। वहीं, धौरहरा से भाजपा की राष्ट्रीय मंत्री रेखा वर्मा, बलिया से पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर, एटा से पूर्व सीएम कल्याण सिंह के बेटे राजबीर सिंह और सुल्तानपुर से मेनका गांधी भी 50 हजार से कम मतों के अंतर से चुनाव हारीं। उपचुनाव से पहले फूंक-फूंककर कदम रख रही भाजपा
लोकसभा चुनाव में मतदाता सूची में गड़बड़ी से चोट खा चुकी भाजपा विधानसभा उपचुनाव में फूंक-फूंककर कदम रख रही है। सूत्रों के मुताबिक, उपचुनाव वाली सभी 10 विधानसभा सीटों पर बूथ लेवल अधिकारी चुन-चुनकर नियुक्त किए जा रहे हैं। किसी भी संदिग्ध या राजनीतिक गतिविधि में शामिल रहने वाले BLO को हटाया जा रहा है। इसे लेकर हाल ही में सपा ने आरोप लगाया था कि कुछ अफसरों को टारगेट कर हटाया जा रहा है। भाजपा नेताओं के आरोपों को लेकर दैनिक भास्कर ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा से बात की। उन्होंने मतदाता सूची से किसी भी मतदाता का नाम डिलीट होने से ही इनकार कर दिया। कहा- हमारे पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है, जिसमें मतदाता सूची से मतदाता के नाम डिलीट किए गए हैं। ये खबर पढ़ें… लोकसभा में तीसरी शक्ति बनी लाल टोपी, भाजपा घबराई; अवधेश प्रसाद बोले- 2027 में बनेगी सपा सरकार अयोध्या के सिविल लाइन में एक होटल में समाजवादी पार्टी के अयोध्या सांसद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि योगी ने लाल टोपी पर गंभीर टिप्पणी की है। योगी के लाल टोपी के काले कारनामें के बयान का पलटवार करते हुए सांसद अवधेश प्रसाद ने कहा कि भाजपा लाल टोपी से घबरा गई है। पूरी खबर पढ़ें लखनऊ में 20 मई को लोकसभा चुनाव के वोट पड़ रहे थे। लखनऊ उत्तर के इंदलगंज बूथ के मतदाता राजीव कुमार गौतम, उनकी पत्नी सुशीला गौतम, निर्मला प्रसाद और रजनी जब वोट डालने पहुंचे तो हैरान रह गए। मतदाता सूची में उनके नाम के आगे डिलीट की मुहर लगी थी। फैजाबाद के मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र के शिव कुमार, हृदयराम, बनई तिवारी, पुरवा मतदान केंद्र पर पहुंचे तो मतदाता सूची में उनके नाम के आगे भी डिलीट की मुहर लगी थी। अंबेडकरनगर के कटेहरी विधानसभा क्षेत्र के अजय प्रताप इंटर कॉलेज भीटी पर मतदान करने पहुंचे रामस्वरूप और रीना शर्मा के साथ भी ऐसा ही हुआ। यह केवल लखनऊ, फैजाबाद या अंबेडकरनगर की कहानी नहीं है। भाजपा की ओर से लोकसभा चुनाव के बाद की गई समीक्षा में काफी चौंकाने वाली बात सामने आई है। कई लोकसभा क्षेत्रों में भाजपा समर्थित 50 से 60 हजार मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से डिलीट कर दिए गए। जबकि पार्टी और प्रत्याशी को जो मतदाता सूची दी गई थी, उसमें नाम दर्ज थे। वोटर लिस्ट में गड़बड़ी की बात सामने आने के बाद भाजपा नेता पहले की सरकारों के समय भर्ती हुए अफसरों पर आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना है, सपा-कांग्रेस की मानसिकता वाले अफसरों ने जान-बूझकर ऐसा किया। जांच के लिए 4 सदस्यीय कमेटी बनाई
समीक्षा में मतदाता सूची में हुए हेर-फेर की बात सामने आने पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने मामले की छानबीन के लिए 4 सदस्यीय कमेटी बना दी है। कमेटी सभी लोकसभा सीटों से दलों को मिली मतदाता सूची जुटा रही है, जिसमें भाजपा समर्थित मतदाताओं के नाम डिलीट हैं। सूत्रों के मुताबिक, सभी सीटों से इसकी रिपोर्ट जुटाने के बाद पार्टी विधिक या प्रशासनिक कार्रवाई की दिशा में आगे बढ़ेगी। राजनीतिक दलों को मिलता है वोटर लिस्ट का सेट
लोकसभा चुनाव में जिला निर्वाचन अधिकारी की ओर से मतदाता सूची का एक सेट राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को दिया जाता है। एक सेट संबंधित प्रत्याशी को दिया जाता है। राजनीतिक दल और प्रत्याशी उसी मतदाता सूची के आधार पर अपने चुनाव प्रचार और मतदान प्रबंधन की रणनीति बनाते हैं। मतदान के लिए एक सेट चुनाव प्रक्रिया कराने वाली टीम को दिया जाता है। उसी मतदाता सूची के आधार पर मतदान कराया जाता है। मतदान कर्मियों की लिस्ट से डिलीट हो गए नाम
भाजपा नेतृत्व का कहना है, जो सूची पार्टी और प्रत्याशी को दी गई थी, उसमें सभी मतदाताओं के नाम थे। उसी सूची के आधार पर पार्टी ने चुनाव प्रचार और बूथ मैनेजमेंट की रणनीति बनाई। लेकिन, जो मतदाता सूची मतदान कराने वाली टीम को दी गई, उसमें हर बूथ पर 30 से 50 मतदाताओं के नाम के आगे डिलीट लिखा मिला।​​​​​ भाजपा नेताओं का दावा है कि जिन नाम के आगे डिलीट लिखा था, उनमें ज्यादातर उनकी पार्टी के समर्थक थे। दावा है कि पार्टी ने लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद इसका आकलन किया। इसमें सामने आया कि हर लोकसभा क्षेत्र में 50 से 60 हजार भाजपा समर्थित मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से डिलीट किए गए। मतदाता चेतना अभियान पर फिरा पानी
भाजपा के एक क्षेत्रीय अध्यक्ष ने बताया- लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी ने मतदाता चेतना अभियान शुरू किया था। पार्टी कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर नए मतदाता बनवाए थे। लोकसभा चुनाव में मतदान के दिन देखा गया कि जो नए मतदाता बनाए गए थे, उन्हीं के नाम चुन-चुन कर डिलीट किए गए। उन्होंने कहा- निर्वाचन आयोग ने लोकसभा चुनाव से पहले मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए सुव्यवस्थित मतदाता शिक्षा एवं निर्वाचक सहभागिता (स्वीप) के तहत अभियान चलाया था। मतदाता जागरूकता पर करोड़ों रुपए खर्च भी किए गए। कड़ी मशक्कत के बाद मतदाता बनाए गए, तो फिर उनके नाम मतदाता सूची से डिलीट कैसे हुए? अब बड़ा सवाल…भाजपा की सरकार, फिर भाजपाइयों के नाम कैसे कटे?
अक्सर विपक्षी दल चुनाव के बाद सत्तारूढ़ दल पर चुनाव में EVM में गड़बड़ी करने, मतदाता सूची में गड़बड़ी करने और चुनाव में धांधली करने का आरोप लगाते हैं। लेकिन, यह पहली बार है जब सत्तारूढ़ दल के नेता ही मतदाता सूची से मतदाताओं के नाम कटने की समस्या बता रहे हैं। सवाल यह उठता है कि आखिर कैसे संभव हुआ कि भाजपा शासन में भाजपा समर्थित मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से डिलीट कर दिए गए। यह किसने किया, किसके संरक्षण में किया, शासन और सत्ता को इसकी भनक क्यों नहीं लगी? जब पहले चरण के मतदान से यह सिलसिला चला तो उसे बाकी चरणों में क्यों नहीं रोका गया? भाजपा नेताओं का कहना है कि कुछ अफसर, जो सपा-कांग्रेस की मानसिकता वाले थे, उन्होंने ऐसा किया। भास्कर ने हासिल की मतदाता सूची, जिसमें नाम के आगे डिलीट लिखा दैनिक भास्कर ने लखनऊ, फैजाबाद, अंबेडकरनगर सहित अन्य लोकसभा क्षेत्रों की मतदाता सूची हासिल की। इसमें मतदाताओं के नाम के आगे डिलीट लिखा है। 4 केंद्रीय मंत्री और कई दिग्गज नेता 60 हजार से कम वोट से हारे
लोकसभा चुनाव में पश्चिमी यूपी से पूर्वांचल तक भाजपा 16 सीटों पर 60 हजार से कम मतों से चुनाव हारी। इन सीटों में चंदौल से केंद्रीय मंत्री डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय, लखीमपुर खीरी से केंद्रीय राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी, फतेहपुर से केंद्रीय राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति और मुजफ्फरनगर से केंद्रीय राज्यमंत्री संजीव बालियान शामिल हैं। ये सभी 50 हजार से कम मतों से चुनाव हारे हैं। वहीं, धौरहरा से भाजपा की राष्ट्रीय मंत्री रेखा वर्मा, बलिया से पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर, एटा से पूर्व सीएम कल्याण सिंह के बेटे राजबीर सिंह और सुल्तानपुर से मेनका गांधी भी 50 हजार से कम मतों के अंतर से चुनाव हारीं। उपचुनाव से पहले फूंक-फूंककर कदम रख रही भाजपा
लोकसभा चुनाव में मतदाता सूची में गड़बड़ी से चोट खा चुकी भाजपा विधानसभा उपचुनाव में फूंक-फूंककर कदम रख रही है। सूत्रों के मुताबिक, उपचुनाव वाली सभी 10 विधानसभा सीटों पर बूथ लेवल अधिकारी चुन-चुनकर नियुक्त किए जा रहे हैं। किसी भी संदिग्ध या राजनीतिक गतिविधि में शामिल रहने वाले BLO को हटाया जा रहा है। इसे लेकर हाल ही में सपा ने आरोप लगाया था कि कुछ अफसरों को टारगेट कर हटाया जा रहा है। भाजपा नेताओं के आरोपों को लेकर दैनिक भास्कर ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा से बात की। उन्होंने मतदाता सूची से किसी भी मतदाता का नाम डिलीट होने से ही इनकार कर दिया। कहा- हमारे पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है, जिसमें मतदाता सूची से मतदाता के नाम डिलीट किए गए हैं। ये खबर पढ़ें… लोकसभा में तीसरी शक्ति बनी लाल टोपी, भाजपा घबराई; अवधेश प्रसाद बोले- 2027 में बनेगी सपा सरकार अयोध्या के सिविल लाइन में एक होटल में समाजवादी पार्टी के अयोध्या सांसद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि योगी ने लाल टोपी पर गंभीर टिप्पणी की है। योगी के लाल टोपी के काले कारनामें के बयान का पलटवार करते हुए सांसद अवधेश प्रसाद ने कहा कि भाजपा लाल टोपी से घबरा गई है। पूरी खबर पढ़ें   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर