हरियाणा के भिवानी में वर्ष 2018 में महिला व उसकी दो नाबालिग बेटियों की निर्मम हत्या के मामले में कोर्ट ने शुक्रवार को महिला के पति समेत 3 व्यक्तियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। ये ट्रिपल मर्डल इतना वीभत्स था कि हत्यारों ने मां-बेटियों के शवों के टुकड़े करके खेतों में फेंक दिए थे। कोर्ट ने तीनों हत्यारों पर 1 लाख 80 हजार रुपए जुर्माना भी किया है। बता दें कि भिवानी के नया बाजार निवासी कबाड़ी राजेश ने अपने दो अन्य साथियों के साथ मिलकर अपनी पत्नी व उसकी दो नाबालिग बेटियों की निर्मम तरीके से हत्या कर दी थी। बाद में इनके शवों को टुकड़ों में काटकर ड्रम में डालकर गांव खरक के खेतों में फेंक दिया था। इस मामले की सुनवाई अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश भिवानी बिकृमजित अरोड़ा की कोर्ट में चल रही थी। कोर्ट ने मुख्य आरोपी नया बाजार भिवानी निवासी कबाड़ी राजेश, भिवानी निवासी पूनम उर्फ फौजी और गांव माडिया मध्य प्रदेश निवासी माखनलाल को धारा 302,34 के तहत उम्र कैद की सजा व 50-50 हजार रुपए जुर्माना की सजा सुनाई है। शवों को खुर्द-बुर्द करने पर धारा 201, 34 भारतीय दंड संहिता के तहत 7 साल की सजा व 10-10 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना न भरने पर हत्यारों को अतिरिक्त जेल की सजा काटनी होगी। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान मामले को बहुत ही संगीन माना और दोषी की सजा में कोई नरमी नहीं बरतने के आदेश दिए। प्रवासी महिला को आसरा देने के नाम पर किया था यौन शोषण मामले के अनुसार मध्यप्रदेश की एक 25 वर्षीय महिला अपने शराबी पति से परेशान होकर 4 साल की बच्ची के साथ भिवानी चली आई थी। भिवानी में शहर से कबाड़ चुन कर वह कबाड़ी राजेश को बेचने आती थी। राजेश ने उसे अपनी पत्नी बनाकर रखने का झांसा दिया। वह महिला को बजरंग बली कालोनी में अपने प्लाट में कमरे में रखने लगा। इसके बाद महिला ने बेटी को जन्म दिया। कबाड़ी ने आधार कार्ड में उसे अपनी बेटी दिखाया। इसे लेकर विवाद हुआ तो 18 दिसंबर 2018 को करीब 9 माह की बच्ची व उससे बड़ी 5 साल की लड़की को धारदार हथियार चापट बुगदा से काट डाला था। तीनों मां बेटी के टुकड़े खेतों में डाल दिए। कुछ टुकड़े अपने ढाणा रोड़ गोदाम में गर्म पानी व तेजाब में डाल दिए थे। हरियाणा के भिवानी में वर्ष 2018 में महिला व उसकी दो नाबालिग बेटियों की निर्मम हत्या के मामले में कोर्ट ने शुक्रवार को महिला के पति समेत 3 व्यक्तियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। ये ट्रिपल मर्डल इतना वीभत्स था कि हत्यारों ने मां-बेटियों के शवों के टुकड़े करके खेतों में फेंक दिए थे। कोर्ट ने तीनों हत्यारों पर 1 लाख 80 हजार रुपए जुर्माना भी किया है। बता दें कि भिवानी के नया बाजार निवासी कबाड़ी राजेश ने अपने दो अन्य साथियों के साथ मिलकर अपनी पत्नी व उसकी दो नाबालिग बेटियों की निर्मम तरीके से हत्या कर दी थी। बाद में इनके शवों को टुकड़ों में काटकर ड्रम में डालकर गांव खरक के खेतों में फेंक दिया था। इस मामले की सुनवाई अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश भिवानी बिकृमजित अरोड़ा की कोर्ट में चल रही थी। कोर्ट ने मुख्य आरोपी नया बाजार भिवानी निवासी कबाड़ी राजेश, भिवानी निवासी पूनम उर्फ फौजी और गांव माडिया मध्य प्रदेश निवासी माखनलाल को धारा 302,34 के तहत उम्र कैद की सजा व 50-50 हजार रुपए जुर्माना की सजा सुनाई है। शवों को खुर्द-बुर्द करने पर धारा 201, 34 भारतीय दंड संहिता के तहत 7 साल की सजा व 10-10 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना न भरने पर हत्यारों को अतिरिक्त जेल की सजा काटनी होगी। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान मामले को बहुत ही संगीन माना और दोषी की सजा में कोई नरमी नहीं बरतने के आदेश दिए। प्रवासी महिला को आसरा देने के नाम पर किया था यौन शोषण मामले के अनुसार मध्यप्रदेश की एक 25 वर्षीय महिला अपने शराबी पति से परेशान होकर 4 साल की बच्ची के साथ भिवानी चली आई थी। भिवानी में शहर से कबाड़ चुन कर वह कबाड़ी राजेश को बेचने आती थी। राजेश ने उसे अपनी पत्नी बनाकर रखने का झांसा दिया। वह महिला को बजरंग बली कालोनी में अपने प्लाट में कमरे में रखने लगा। इसके बाद महिला ने बेटी को जन्म दिया। कबाड़ी ने आधार कार्ड में उसे अपनी बेटी दिखाया। इसे लेकर विवाद हुआ तो 18 दिसंबर 2018 को करीब 9 माह की बच्ची व उससे बड़ी 5 साल की लड़की को धारदार हथियार चापट बुगदा से काट डाला था। तीनों मां बेटी के टुकड़े खेतों में डाल दिए। कुछ टुकड़े अपने ढाणा रोड़ गोदाम में गर्म पानी व तेजाब में डाल दिए थे। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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ही थी। काले कपड़े में लपटा था शव इसके बाद एक युवक ने नहर में कूदकर रस्से की मदद से लाश को बाहर निकाला। शव बुरी तरह से गला सड़ा हुआ था। उसका बायां हाथ नहीं था और छाती पर कुछ निशान थे। शव के ऊपर काला कपड़ा लिपटा हुआ था। प्रारंभिक तौर पर देखने में शव काफी पुराना लग रहा था। मामले की जांच कर रही पुलिस सब इंस्पेक्टर सुरेश कुमार ने बताया कि पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर नागरिक अस्पताल में शिनाख्त के लिए रखवाया। पुलिस मामले की जांच कर र
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हरियाणा विधानसभा चुनाव में आदमपुर सीट पर भजनलाल परिवार का 57 साल पुराना गढ़ टूट गया है। इस चुनाव में भव्य बिश्नोई 1268 वोटों से हार गए। इस हार के बाद कुलदीप बिश्नोई काफी दुखी हैं। वह आदमपुर में लोगों के बीच भावुक हो गए थे। किरण चौधरी हाल ही में चुनी गई हैं राज्यसभा सांसद
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कुलदीप बिश्नोई राज्यसभा की खाली हुई सीट पर चुनाव लड़कर राज्यसभा जाना चाहते हैं। राज्यसभा सीट के लिए भाजपा के पास पूर्ण बहुमत भी है। इससे पहले दीपेंद्र हुड्डा के लोकसभा सांसद बनने पर खाली हुई राज्यसभा सीट पर किरण चौधरी ने चुनाव लड़ा और वह राज्यसभा सांसद चुनी गईं। किरण चौधरी के सामने विपक्ष चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। भूपेंद्र हुड्डा अकसर यह कहते नजर आए कि हमारे पास बहुमत नहीं है। बिश्नोई परिवार को राजनीतिक ऑक्सीजन की जरूरत
हरियाणा विधानसभा चुनाव में बिश्नोई परिवार के हिस्से 3 सीटें आईं। 3 में से 2 सीटों पर नजदीकी हार हुई और 1 सीट नलवा पर कुलदीप के दोस्त रणधीर पनिहार जीत गए। बेटे की हार से उन्हें झटका लगा। उनकी इच्छा थी कि उनका बेटा आदमपुर से चुनाव जीतकर सरकार में मंत्री बने। मगर ऐसा नहीं हो पाया। इसलिए वह अब राज्यसभा के लिए लॉबिंग कर रहे हैं। गैर जाट चेहरे के रूप में पेश कर रहे दावेदारी
कुलदीप बिश्नोई भाजपा में गैर जाट चेहरे के रूप में अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। उनके पिता भजनलाल की प्रदेश में गैर जाट सीएम के रूप में पहचान थी। गैर जाट वोटर ही भाजपा की प्रदेश में ताकत माने जाते हैं। ऐसे में कुलदीप इस वोट बैंक को जोड़े रखने में सहायक बनना चाहते हैं और अपनी मजबूत दावेदारी पेश कर रहे हैं। हरियाणा के 3 बार मुख्यमंत्री रहे भजनलाल के समय प्रदेश का संपूर्ण नॉन जाट वोट बैंक उनके साथ था, जो बाद में कुलदीप बिश्नोई की पार्टी हजकां के साथ लामबंद रहा। 2011 से 2014 तक हजकां और भाजपा के गठबंधन के बाद यह वोट बैंक 2014 विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ गया। एक प्रतिशत बिश्नोई वोटर वाले नेता रहे 3 बार सीएम
भजनलाल हरियाणा में मात्र 1 प्रतिशत बिश्नोई होते हुए भी 3 बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। हरियाणा के सभी 79 प्रतिशत नॉन जाट जातियों को साथ लेकर साथ चले। बिश्नोई परिवार का दावा है कि उनका हरियाणा के हर गांव में कार्यकर्ता है और सभी गैर जाट जातियों पर उनकी मजबूत पकड़ है। हरियाणा में 2 बार लोकसभा सांसद और 4 बार विधायक रह चुके कुलदीप बिश्नोई आज तक किसी बड़े संवैधानिक पद पर नहीं रहे हैं। सरकार में 16 साल से पद से दूर बिश्नोई परिवार
विधानसभा चुनाव में आदमपुर में मिली हार से बिश्नोई परिवार एक बार फिर सत्ता सुख से दूर हो गया है। अगर भव्य और दुड़ाराम चुनाव जीतते तो भव्य को मंत्री पद मिल सकता था। मगर आदमपुर से हार ने मंत्री पद से दूर कर दिया। हरियाणा में बिश्नोई परिवार 16 साल से सरकार में पद से बाहर है। 2005 से 2008 तक भजनलाल के बड़े बेटे चंद्रमोहन बिश्नोई हरियाणा के डिप्टी सीएम पद पर रहे। इसके बाद निजी कारणों से उन्होंने त्यागपत्र दे दिया। इसके बाद से आज तक बिश्नोई परिवार को सरकार में कोई पद नहीं मिला है।
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