हरियाणा के भिवानी जिले में एक दुखद घटना सामने आई है। सिरसा में पदस्थ 48 वर्षीय शिक्षक सज्जन ने अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मामले की सूचना पर पुलिस ने घटनास्थल का मुआयना कर बेटे के बयान पर केस दर्ज कर इत्तफाकिया मौत की कार्रवाई की, फिलहाल पुलिस की जांच जारी है। घटना के समय घर में अकेले थे जानकारी के अनुसार गांव दिनोद के सज्जन पिछले दो महीने से घर पर थे और मानसिक तनाव से जूझ रहे थे। शुक्रवार की देर शाम को जब वह घर पर अकेले थे, उन्होंने अपने कमरे में लोअर से फंदा लगाकर जान दे दी। घटना की सूचना मिलते ही सदर थाना पुलिस मौके पर पहुंची और शव को भिवानी के जिला नागरिक अस्पताल ले गई। केस दर्ज कर जांच में जुटी पुलिस मृतक के परिवार में पत्नी, जो स्टाफ नर्स हैं, एक बेटा और एक बेटी हैं। पुलिस ने फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी (एफएसएल) की टीम को भी बुलाया, लेकिन मौके से कोई सुसाइड नोट या अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज नहीं मिले। जांच अधिकारी एचसी दीपक के अनुसार मृतक के बेटे गौतम के बयान पर इत्तफाकिया मौत का मामला दर्ज कर लिया गया है और आगे की जांच जारी है। हरियाणा के भिवानी जिले में एक दुखद घटना सामने आई है। सिरसा में पदस्थ 48 वर्षीय शिक्षक सज्जन ने अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मामले की सूचना पर पुलिस ने घटनास्थल का मुआयना कर बेटे के बयान पर केस दर्ज कर इत्तफाकिया मौत की कार्रवाई की, फिलहाल पुलिस की जांच जारी है। घटना के समय घर में अकेले थे जानकारी के अनुसार गांव दिनोद के सज्जन पिछले दो महीने से घर पर थे और मानसिक तनाव से जूझ रहे थे। शुक्रवार की देर शाम को जब वह घर पर अकेले थे, उन्होंने अपने कमरे में लोअर से फंदा लगाकर जान दे दी। घटना की सूचना मिलते ही सदर थाना पुलिस मौके पर पहुंची और शव को भिवानी के जिला नागरिक अस्पताल ले गई। केस दर्ज कर जांच में जुटी पुलिस मृतक के परिवार में पत्नी, जो स्टाफ नर्स हैं, एक बेटा और एक बेटी हैं। पुलिस ने फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी (एफएसएल) की टीम को भी बुलाया, लेकिन मौके से कोई सुसाइड नोट या अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज नहीं मिले। जांच अधिकारी एचसी दीपक के अनुसार मृतक के बेटे गौतम के बयान पर इत्तफाकिया मौत का मामला दर्ज कर लिया गया है और आगे की जांच जारी है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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उन्होंने कहा कि जो दमन-दबाव की राजनीति व सत्ता सुख भोगने की राजनीति थी, यह उसे खत्म करने की लड़ाई थी। उन्होंने कहा कि पहले चुनाव के बाद के सारे चुनाव उन्होंने टोहाना के आदेश पर लड़े। आगामी चुनाव भी जनता के आदेश पर ही लड़ेंगे। उसकी तैयारियां लोग करने में जुटे हैं। टोहाना में कुमारी सैलजा की जीत का श्रेय लेने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वह श्रेय नहीं ले रहे, बल्कि जितने वोट उन्होंने आंकड़ों में बताए, उतने ही आए हैं। दिल्ली में कुछ नेताओं से भी मीटिंग हुई, जिसमें जितने फिगर वह देकर आए, उतने ही वोट आए। उन्होंने कहा कि वह श्रेय लेने की राजनीति नहीं करते, बल्कि जो भी हासिल किया है, वह हलके को समर्पित करते हैं। चुनाव से ठीक पहले किया समर्थन का ऐलान
विधायक देवेंद्र बबली ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान किया था। उन्होंने टोहाना में समर्थकों की मीटिंग में कहा था कि उन्होंने अपना फैसला कोर कमेटी पर छोड़ा था। सदस्यों ने कुमारी सैलजा का नाम लिया। इस पर उन्होंने समर्थकों से चर्चा की तो उन्होंने सैलजा को समर्थन देने को लेकर हां कर दी। बबली ने समर्थकों से वोट डलवा कर राय मांगी थी। बबली ने बताया था कि 3 हजार से ज्यादा लोगों ने उन्हें वोट दिया। इनमें 74 प्रतिशत लोगों ने फैसला उन पर छोड़ दिया है कि जो निर्णय वह लेंगे, वे उसमें उनके साथ रहेंगे। उनके समर्थकों में 9 प्रतिशत लोगों ने भाजपा जॉइन करने की सलाह दी। 17% लोग चाहते हैं कि वह कांग्रेस में जाएं, जबकि 0.5% लोगों का मानना है कि वे जहां हैं, वहीं रहें। पूर्व CM खट्टर के करीबी रह चुके बबली
देवेंद्र बबली पूर्व CM मनोहर लाल खट्टर के करीबी माने जाते हैं। खट्टर सरकार की ओर से जब पंचायतों के लिए ऑनलाइन टेंडर प्रक्रिया शुरू की थी, तब प्रदेशभर में पंचायतों ने इस फैसले का जमकर विरोध किया था। इस दौरान खट्टर के साथ बबली खड़े रहे। जबकि, सरकार के इस फैसले का उनकी ही पार्टी के मुखिया पूर्व डिप्टी CM दुष्यंत चौटाला ने विरोध किया था। दुष्यंत चौटाला को खलनायक बताया
बबली कुछ समय पहले पूर्व डिप्टी CM दुष्यंत चौटाला को खलनायक भी बता चुके हैं। कहा था कि चौधरी देवीलाल के नाम पर जननायक पार्टी का नाम रखा गया। जब दुष्यंत सांसद बने तो उन्हें लेकर लोगों में अच्छे नेतृत्व की उम्मीद जगी थी, लेकिन आज वह खलनायक बने हुए हैं।